जालंधर बध की कथा सुन श्रोता हुए भाव विभोर
शिवकुमार जायसवाल,सकरन (सीतापुर) कथा ब्यास ने जालंधर बध की कथा का प्रसंग श्रोताओं को सुनाया |
सकरन के ठाकुरद्वारा मंदिर परिसर में आयोजित नौ दिवशीय श्री शतचंडी महायज्ञ में प्रवचन के दौरान हरदोई से पधारी कथा ब्यास मीनाक्षी तिवारी ने
कहा कि जालंधर नाम का एक राक्षस देवी-देवताओं को अपने आतंक से परेशान किये था जालंधर की पत्नी वृंदा एक पतिव्रता नारी थी उसकी पूजा से जालंधर को किसी युद्धा में पराजय हासिल नहीं होती थी इसके अलावा वृंदा भगवान विष्णु की भी परम भक्त थी ।
ऐसे में भगवान विष्णु की कृपा के कारण भी उसे युद्ध में हमेशा विजय हासिल होती थी एक दिन जालंधर ने स्वर्ग लोक पर आक्रमाण कर दिया जिसके बाद सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के पास गए और उनसे रक्षा की गुहार लगाई भगवान विष्णु इस बात को जानते थे कि वृंदा की भक्ति को भंग किए बिना जालंधर को परास्त करना मुमकिन नहीं है ऐसे में उन्होंने जालंधर का रूप धारण किया जिसके बाद वृंदा का पतिव्रत धर्म टूट गया ।
जिससे जालंधर की सारी शक्तियां खत्म हो गई. जिसके बाद जालंधर युद्ध में मारा गया वृदा को जालंधर की मृत्यु का समाचार मिला तो वह बहुत निराश हो गई बाद में वृंदा को जब उसके साथ किए गए छल का पता चला तो उसने क्रोधित होकर भगवान विष्णु को श्राप दे देते हुए कहा कि आपने छल से मुझे वियोग का कष्ट दिया है उसी तरह आपकी पत्नी का भी छल से हरण होगा साथ ही आप पत्थर के हो जाएंगे और उस पत्थर को लोग शालीग्राम के रूप में जानेंगे कहते हैं कि वृंदा के श्राप की वजह से भगवान विष्णु दशरथ के पुत्र श्रीराम के रूप में जन्म लिया।
फिर बाद में उन्हें सीता हरण के वियोग का कष्ट झेलना पड़ा इसके अलावा कथा ब्यास मुकेश अवस्थी उमेश दिक्षित ने राम कथा की चर्चा सुनायी तथा प्रदीप सांवरिया झांकी ग्रुप द्वारा भगवान की झांकियां दिखायी गयीं
इस मौके पर यज्ञाध्यक्ष आचार्य अम्बरीष शुक्ल,सत्येन्द्र सिंह चौहान,रानी बृजबाला सिंह के अलावा भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद थे |
Apr 15 2024, 18:27