कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने के लिए पीएमओ ने मांगा रिपोर्ट,कुड़मी जाति को जगी उम्मीद
( डेस्क)
पिछले कुछ दिनों से झारखंड के कुड़मी ने अनुसूचित जाति के श्रेणी में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलन किया था जिसके कारण जन जीवन प्रभावित हुआ था।कुड़मी जाति की मांग थी कि झारखंड के कुड़मी 1931 से पूर्व अनुसूचित जाति के श्रेणी में रखा गया था।जिसे 1931 के जनगणना के बाद हटा दिया गया।इस लियेअब फिर उसे अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाए।इस मांग पर पीएमओ का ध्यान गया है।इसीलिए
लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड में रह रहे कुड़मी जाति के लोगों में उम्मीद की किरण जगी है। ऐसा इसलिए कि, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा (छोटानागपुर पठार) में कुड़मी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने गंभीरता दिखायी है।
झारखंड आंदोलनकारी सह पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कुड़मियों को आदिवासी का दर्जा देने की मांग की थी।
पीएमओ ने संज्ञान लेते हुए आदिवासी मंत्रालय को रिपोर्ट देने को कहा है। आदिवासी कल्याण मंत्रालय ने झारखंड, पश्चिम बंगाल व ओडिशा सरकार के अधिकारियों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। आदिवासी मंत्रालय ने झारखंड व ओडिशा के एसटी-एससी, माइनोरिटी एंड बैकवर्ड क्लास वेलफेयर डिपार्टमेंट के सचिव व बंगाल के बैकवर्ड क्लासेस वेलफेयर डिपार्टमेंट के प्रिंसपिल सेक्रेटरी को पत्र लिखा है।
शैलेंद्र महतो ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मामले में गंभीरता दिखाते हुए इसका समाधान करेंगे। लोकसभा चुनाव के पहले कुड़मियों को आदिवासी बनाने के मामले को लेकर मांगी जा रही रिपोर्ट को लेकर राजनीतिक चर्चा भी शुरू हो गयी है।
शैलेंद्र महतो ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि अप्रैल-मई 2024 में चुनाव होने हैं। ऐसी परिस्थिति में कुड़मी समाज उनसे जानना चाहता है कि उनके तीसरे प्रधानमंत्री कार्यकाल में कुड़मी समाज की मांग का क्या होगी। यह उनके अस्तित्व-अस्मिता का मामला है। उनकी मांग संवैधानिक है, भाजपा इसे अपने चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल कर इसका समाधान करें।
छोटानागपुर पठार, जिसमें झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के क्षेत्र आते हैं, इसमें कुड़मी जाति की आबादी 1.35 करोड़ से अधिक है। शैलेंद्र महतो ने कहा कि झारखंड में कुड़मी जनजाति की संख्या तकरीबन 20 प्रतिशत (लगभग 65 लाख) है। पश्चिम बंगाल में 40 लाख और ओडिशा में 30 लाख कुड़मी जाति के लोग रहते हैं।
झारखंड में कुड़मी-महतो जनजाति की संख्या अन्य जनजातियों से अधिक है। झारखंड की आठ लोकसभा सीटों रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, सिंहभूम, खूंटी, गिरीडीह, धनबाद, गोड्डा, पश्चिम बंगाल की चार लोकसभा सीटों पुरुलिया, बांकुड़ा, झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनापुर और ओडिशा की चार लोकसभा सीटों मयूरभंज, बालेश्वर, क्योंझर, सुंदरगढ़ में कुड़मी आबादी निवास करती है।
झारखंड की 81 विधानसभा क्षेत्रों में से 36 में कुड़मी अपनी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसमें मनोहरपुर (एसटी), चक्रधरपुर (एसटी), खरसावां (एसटी), सरायकेला (एसटी), जगन्नाथपुर (एसटी), पोटका (एसटी), घाटशिला (एसटी), जुगसलाई (एसटी), बहरागोड़ा, ईचागढ़, तमाड़ (एसटी), खिजरी (एसटी), कांके (एससी), सिल्ली, हटिया, रामगढ़, बगोदर, मांडू, टुंडी, गोमिया, बड़कागांव, हजारीबाग, डुमरी, बेरमो, बाघमारा, सिमरिया, चंदनक्यारी (एससी), बोकारो, सिंदरी, देवघर, पांकी, महगामा, गोड्डा, पौड़ेयाहाट, झरिया, धनबाद शामिल है।
Apr 13 2024, 09:02