देवीपाटन मंदिर की महिमा है अपरंपार, जानिये पूरी कहानी
बलरामपुर । हिमालय की तलहटी पर सीरिया नदी के तट पर बस देवी पाटन गांव जहां मां सती का वाम स्कंदपट वस्त्र सहित गिरा था वहां पर आदिशक्ति मां पार्टी श्रीदेवी का भव्य मंदिर आज विराजमान है। जन्म श्रुति है कि देवीपाटन में मां सती जी का वाम स्कंध पट वस्त्र सहित गिरा था जहां-जहां सती जी के अंग गिरे वहां-वहां देवी माता के मंदिर स्थापित हो गए देवीपाटन मंदिर गुरु गोरखनाथ गोरखपुर से संचालित हो रहा है वहां के पीठाधीश्वर महंत तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा किया जा रहा है। जन चर्चा है कि समय-समय पर देवीपाटन मंदिर के पीठाधीश्वर का राजतिलक चैत्र रामनवमी में गोरखपुर द्वारा किया जाता है।
एक जैन श्रुति और है कि यहां त्रेता युग में माता सिता का पातालगमन भी हुआ था और मुस्लिम शासक द्वारा अपने सिपहसालार मीर समर को आदेश दिया गया था तो अमीर समर ने मंदिर के गर्भ गृह में बांस ज्यों ही डाला त्यों ही उसमें एक मधुमक्खियां का झुंड निकला और मर्द बाकियों के डांस से आमिर समर की मृत्यु हो गई ।
इसमें एक और जैन श्रुति है कि 1857 की लड़ाई में तुलसीपुर की रानी ईश्वरी देवी अंग्रेजों से लड़ने के लिए अपने दूध में बच्चों को लेकर इसे गर्भ ग्रह से लखनऊ के बेगम हजरत महल पार्क जाकर अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने में अपने प्राणों के निछावर कर दिया।
आज देवीपाटन मंदिर की दिशा दशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी है पर्यटन मंत्रालय इको पर्यटन घोषित कर चुका है वैसे तो मंदिर प्रशासन द्वारा यात्रियों को आने जाने के लिए उच्च सुविधाओं का व्यवस्था सुनिश्चित करता है।चैत्र रामनवमी के मौके पर जहां देवीपाटन मंदिर परिसर में आदिकाल से एक माह का मेला लगता है दूर-दराज से लोग आते हैं देश-विदेश की दुकान आती हैं मेला थिएटर सर्कस इतिहास वगैरा का जमावड़ा रहता है तथा लाखों श्रद्धालु मां देवी पाटन मंदिर के प्रांगण में मां का आशीर्वाद लेने विभिन्न प्रकार की पूजा अर्चन करते हैं और अपनी मुरादे पूरी मिन्नतें माताजी से मानते हैं।पड़ोसी देश नेपाल से पीर रतन नाथ की यात्रा पंचमी के दिन तुलसीपुर क्षेत्र में पहुंचती है जहां नवमी तक माता के साथ पीर रतन नाथ की भी पूजा होती है जो जो भारत और नेपाल की मित्रता का बना हुआ है।
Apr 08 2024, 17:20