ASI की टीम मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला परिसर में पहुंची, परिसर में कई जगह हुई खुदाई, जानिए क्या मिला
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद 22 मार्च को शुरू हुए सर्वेक्षण को जारी रखने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम 29 मार्च की सुबह मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला परिसर में पहुंची। हिंदुओं के लिए, भोजशाला परिसर देवी वाग्देवी (माँ सरस्वती) को समर्पित एक मंदिर है, जबकि मुसलमानों के लिए, यह कमल मौला मस्जिद का स्थान है। 2003 में एक व्यवस्था के अनुसार, हिंदू प्रत्येक मंगलवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुस्लिम प्रत्येक शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक नमाज अदा करते हैं। इसमें सालों पहले एक माँ सररस्वति की प्रतिमा विराजित थी, जिसे ब्रिटिश अपने साथ ले गए थे और ये मूर्ति अब लंदन के म्युसियम में रखी हुई है।
टीम के साथ सर्वे के लिए भोजशाला में गए हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने जानकारी दी कि, सर्वे टीम ने प्रारंभिक जांच की है, जिन बिंदुओं पर उन्हें भविष्य में जांच करनी है, उनके बिंदु तय किए हैं, चिन्हों की वीडियो और फोटोग्राफी की गई है। पूरी ईमारत की लंबाई चौड़ी नाप करके कितने खंबे हैं, उन तमाम चिन्हों को उन्होंने चिन्हित किया है, जहां उन्हें लगा कि, यह चिन्ह क्या है, उसे पर पाउडर लगाकर उसकी डेटिंग की कागज पर उसे उतारा है, जहां लगा कि यह पॉइंट उन्हें कुछ संकेत दे रहा है, तो उसे मशीन लगाकर मार्क किया गया है।
आज शुक्रवार (जुम्मा) होने के कारण इलाके के मुसलमान दोपहर में परिसर में नमाज अदा करेंगे। यहां 22 मार्च को सर्वे शुरू हुआ था और उस दिन भी मुसलमानों ने परिसर में नमाज पढ़ी थी। उस दिन ASI की टीम ने सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक परिसर में सर्वे किया था। ASI टीम ने सर्वेक्षण के तहत भोजशाला परिसर के अंदर खुदाई भी शुरू की। पिछले हफ्ते की शुरुआत में, हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के कार्यकर्ता आशीष गोयल, जो मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक, ने कहा था कि, “वे कार्बन डेटिंग, जीपीएस तकनीक और जीपीआर तकनीक का उपयोग करके पूरे दिन कुशलतापूर्वक सर्वेक्षण कर रहे हैं। अदालत के निर्देशानुसार, उन्होंने पूरे 50 मीटर के दायरे में अंदर और बाहर सर्वेक्षण किया।''
भोजशाला परिसर पर हिंदू पक्ष के दावे पर जोर देते हुए गोयल ने कहा, “यह भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर है। सर्वे इसलिए कराया जा रहा है ताकि जो लोग इसे नहीं समझते उन्हें इस सर्वे के बाद यकीन हो जाए।' ASI सर्वेक्षण से सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताते हुए गोयल ने कहा, “ASI वैज्ञानिक तरीके से सर्वेक्षण कर रहा है। हमें उम्मीद है कि हमें सकारात्मक परिणाम मिलेगा। ASI अदालत के निर्देशों के अनुसार काम कर रहा है।
इस बीच, मुस्लिम पक्ष के याचिकाकर्ता अब्दुल समद ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार इस प्रक्रिया से असहमत हैं। समद ने कहा कि “यह सर्वेक्षण आवश्यक नहीं था क्योंकि इसी तरह का अभ्यास पहले आयोजित किया गया था और रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में है। हम इस नए सर्वे के खिलाफ हैं, क्योंकि पिछले सर्वे के बाद से यहां कई नई चीजें शुरू हुई हैं। स्मारक में कुछ बदलाव भी किये गये हैं। हम पहले ही इन बदलावों पर अपनी आशंका व्यक्त कर चुके हैं।''
उन्होंने कहा कि “परिसर में इस तरह के बदलाव और नई गतिविधियों को देखते हुए, हमने उच्च न्यायालय का रुख किया और आग्रह किया कि यदि वे स्मारक के अंदर (हिंदू समुदाय के लोगों को) इस तरह की आवाजाही की अनुमति देते हैं, तो उन्हें अंदर ले जाने वाली चीजों पर उचित दिशानिर्देश बनाने चाहिए।” अब्दुल समद ने कहा कि वे नए सर्वेक्षण के उच्च न्यायालय के निर्देश और एक अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख तक रिपोर्ट सौंपने को चुनौती देते हुए पहले ही उच्चतम न्यायालय में जा चुके हैं।
बता दें कि भोजशाला के पास अकल कुई (एक कुएं का नाम) है, जहां वर्षों पूर्व की गई खुदाई में भगवान विष्णु की एक बड़ी पाषाण प्रतिमा मिली थी, जो 10 टन वजनी है। इसे फ़िलहाल मांडू के जहाज महल परिसर के तवेली महल स्थित संग्रहालय में रखा हुआ है। यह प्रतिमा भी भोजशाला के मंदिर होने की तरफ इशारा करती है, हालाँकि अंतिम फैसला कोर्ट को लेना है। हाल ही में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने धार जिले में स्थित विवादित भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर में एएसआई द्वारा सर्वेक्षण की अनुमति दी और छह सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट मांगी। मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होनी है।
Mar 29 2024, 19:50