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*पीएम मोदी से चर्चा के दौरान बिल गेट्स ने की भारत की डिजिटल सरकार की तारीफ, प्रधानमंत्री ने कहा-पूरा देश ने डिजिटल क्रांति को अपनाया*

#pm_modi_bill_gates_conversation  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स से अपने आवास पर मुलाकात की। दोनों ने फ्री-व्हीलिंग चैट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दों पर चर्चा की।चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की लखपति दीदी योजना से लेकर स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र तक में बदलाव से बिल गेट्स को अवगत कराया। इस दौरान गेट्स ने भारत की डिजिटल सरकार की तारीफ भी की और पीएम मोदी को इस क्रांति के लिए बधाई दी। माइक्रोसॉफ्ट के संस्‍थापक बिल गेट्स ने कहा कि यह डिजिटल सरकार की तरह है। भारत न केवल तकनीक को अपना रहा है, बल्कि देश इस दिशा में लीड कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि इंडोनेशिया में जी20 शिखर सम्‍मेलन के वक्‍त दुनियाभर के प्रतिनिधियों ने देश में डिजिटल क्रांति के बारे में जानने के प्रति दिलचस्‍पी दिखाई थी। मैंन उस वक्‍त कहा था कि हमने तकनीक का लोकतांत्रिकरण किया, ताकि किसी का एकाधिकार न रहे। यह लोगों के द्वारा और लोगों के लिए है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि उन्‍होंने 2 लाख आरोग्‍य मंदिर बनाए. हेल्‍थ सेक्‍टर और अस्‍पतालों को तकनीक से जोड़ा। साथ ही हमारा लक्ष्‍य 3 करोड़ लखपति दीदी बनाना है। बिल गेट्स के साथ चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। पूरा देश डिजिटल क्रांति को अपना चुका है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कोरोनाकाल में भारत में कोविन एप के जरिए लोग ऑनलाइन ही वैक्सिनेशन के लिए बुकिंग करते थे और खुद ही समय लेते थे। इससे डिजिटल क्षेत्र ने कोरोना के समय में लोगों का काम आसान कर दिया। प्रधानमंत्री ने बिल गेट्स से चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने नमो ड्रोन दीदी का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा, भारत में महिलाएं नई तकनीक अपनाने के लिए अधिक खुली हैं। मैंने नमो ड्रोन दीदी' योजना शुरू की है। यह बहुत सफलतापूर्वक चल रही है। उन्होंने कहा, गांव में महिला मतलब- भैंस चराना, गाय चराना, दूध निकालना। लेकिन ऐसा नहीं है। मैंने उनके हाथ में टेक्नोलॉजी (ड्रोन) दिया है।पीएम मोदी ने कहा, मैं इन दिनों उनसे बातचीत करता हूं, वे खुश होती हैं। उनका कहना है कि उन्हें साइकिल चलानी नहीं आती थी लेकिन अब वे पायलट हैं और ड्रोन उड़ा सकते हैं। मानसिकता बदल गई है।
हरीश साल्वे समेत 600 से ज्यादा वकीलों ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी, कहा-न्यायपालिका पर दबाव बना रहा एक खास गुट

#lawyers_write_to_cji_expressing_concern_over_attempts_to_undermine_the_judiciarys 

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को वकीलों के एक समूह ने न्यायपालिका को बदनाम करने के राजनीतिक एजेंडे के मुद्दे पत्र लिखा है। देशभर के 600 से ज्यादा वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर चिंता जाहिर की है। वकीलों का कहना है कि न्यायपालिका पर उठते सवाल और अखंडता को कमजोर करने के प्रयासों को देखते हुए वो चिंतित हैं। पत्र लिखने वाले वकीलों में हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरुपमा चतुर्वेदी जैसे बड़े नाम शामिल हैं।

पत्र में सीजेआई से शिकायती लहजे में कहा गया है कि राजनीतिक मामलों में न्यायपालिका पर दबाव बनाने, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और अदालत के आदेशों को गलत ठहराने के बेतुके तर्क दिए जा रहे हैं। पत्र में किसी भी राजनीतिक दल का नाम लिए बगैर इस पहलू पर चिंता व्यक्त की गई है कि एक एजेंडे के तहत न्यायपालिका को बदनाम किया जा रहा है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा है। पत्र में अपील की गई है कि अभी कोर्ट के साथ खड़े होने की जरूरत है ताकि सुनिश्चित हो कि ये लंकतंत्र का मजबूत स्तंभ बना रहे।

सीजेआई को लिखे पत्र में कहा गया है कि ये ग्रुप अपने पॉलिटिकल एजेंडे के आधार पर अदालती फैसलों की सराहना या फिर आलोचना करता है। असल में ये ग्रुप ‘माई वे या हाईवे’ वाली थ्योरी में विश्वास करता है। साथ ही बेंच फिक्सिंग की थ्योरी भी इन्हीं की गढ़ी हुई है। वकीलों ने आरोप लगाया है कि ये अजीब है कि नेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और फिर अदालत में उनका बचाव करते हैं। ऐसे में अगर अदालत का फैसला उनके मनमाफिक नहीं आता तो वे कोर्ट के भीतर ही या फिर मीडिया के जरिए अदालत की आलोचना करना शुरू कर देते हैं।

इस पत्र में कहा गया है कि कुछ तत्व जजों को प्रभावित करने या फिर कुछ चुनिंदा मामलों में अपने पक्ष में फैसला देने के लिए जजों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा सोशल मीडिया पर झूठ फैलाकर किया जा रहा है। इनके ये प्रयास निजी या राजनीतिक कारणों से अदालतों को प्रभावित करने का प्रयास है, जिन्हें किसी भी परिस्थिति में सहन नहीं किया जा सकता।

वकीलों का आरोप है कि ये खास ग्रुप की गतिविधियाँ चुनावी सीजन के दौरान अधिक सक्रिय हो जाती है। साल 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही देखने को मिला था। हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वे इस तरह के हमलों से हमारी अदालतों को बचाने के लिए सख्त और ठोस कदम उठाएँ।

शिवसेना में शामिल हुए गोविंदा, मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें

#govinda_joins_shiv_sena

फिल्म अभिनेता गोविंदा ने राजनीति में एक बार फिर एंट्री ली है, वह गुरुवार को सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि वह मुंबई उत्तर पश्चिम से चुनाव लड़ सकते हैं। गोविंदा की राजनीति में एंट्री के कयास कल तब से लगाए जाने लगे थे जब उन्होंने शिवसेना एक नाथ शिंदे गुट के प्रवक्ता और पूर्व विधायक कृष्णा हेगड़े से मुलाकात की थी। 

बुधवार को गोविंदा ने शिंदे खेमे के नेता और शिवसेना के पूर्व विधायक कृष्णा हेगड़े से मुलाकात की थी, जिसकी तस्वीर भी सामने आई थी। आज सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात के बाद वो औपचारिक तौर पर सक्रिय राजनीति का हिस्‍सा बन गए हैं। गुरुवार को सीएम एकनाथ शिंदे ने गोविंदा को पार्टी की सदस्यता दिलाई, जिसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं। पार्टी में शामिल होने के बाद गोविंदा ने कहा, 'मैंने सोचा था कि मैं दोबारा राजनीति में प्रवेश नहीं करूंगा, लेकिन अब मैं शिव सेना में शामिल हो रहा हूं और मेरे लिए यह भगवान का आशीर्वाद है'। वहीं, इस दौरान अभिनेता ने सीएम एकनाथ शिंदे की भी तारीफ की।

अब इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वो उत्‍तर-पश्चिमी मुंबई से चुनाव लड़ सकते हैं। मुंबई उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व मौजूदा वक्‍त में शिवसेना के गजानन कीर्तिकर कर रहे हैं। हालांकि, कीर्तिकर की अधिक उम्र के चलते एकनाथ शिंदे गुट कथित तौर पर उन्‍हें दोबारा मौका देने के मूड में नहीं हैं। ऐसे में गोविंदा के लिए यहां से लड़ने की संभावना प्रबल मानी जा रही है।

गोविंदा इससे पहले 2004 में राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी। उन्‍होंने 20 साल पहले उत्‍तरी मुंबई से चुनाव जीता था। गोविंदा कांग्रेस के टिकट पर मुंबई उत्तर लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। तब उन्होंने भाजपा के राम नाईक को 48,271 वोट से हराया था। राम नाईक बाद में यूपी के राज्‍यपाल भी बने। हालांकि, बाद में गोविंदा ने निजी कारणों का हवाला देते हुए राजनीति छोड़ दी थी।

सीएम केजरीवाल की ईडी रिमांड बढ़ी, अब एक अप्रैल तक रहेंगे कस्टडी में

#delhiliquorpolicycasecmkejriwaled_custody 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने केजरीवाल की ईडी रिमांड 1 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है।आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आज गुरुवार को ईडी की रिमांड अवधि खत्म हो गई। ऐसे में ईडी ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया और अदालत से दिल्ली सीएम की सात दिनों की रिमांड बढ़ाने की मांग की। कोर्ट ने ईडी की दलीलें सुनने के बाद केजरीवाल की कस्टडी 1 अप्रैल तक बढ़ा दी।

आज स्पेशल जज कावेरी बावेजा की कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीएम केजरीवाल और ईडी के वकीलों के बीच तीखी बहस देखने को मिली। ईडी की ओर से पेश एएसजी एसवी राजू ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने घूस लिया और इसका इस्तेमाल गोवा के चुनाव में किया। हमारे पास इस बात के दस्तावेज मौजूद हैं कि हवाला रूट के जरिए इन पैसों का इस्तेमाल गोवा के चुनाव में किया गया। राजू ने कहा कि जिन लोगों ने बाद में उनका नाम लिया, उन्होंने ऐसा करने के कारणों का खुलासा किया है। यह कागजों में है। राजू ने कहा कि हमारे पास गवाह हैं कि वे पैसे साउथ ग्रुप के हवाला से आए थे। एक शृंखला है।उन्होंने चुनिंदा तौर पर उस चेन के बारे में बात नहीं की है।

केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी-ईडी

कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी ने कहा कि हमारे पास सबूत है कि केजरीवाल ने आबकारी नीति मामले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की। केजरीवाल ने कई बड़े अधिवक्ता खड़े किए, क्या आम आदमी ऐसा कर सकता है? ईडी ने कोर्ट में कहा कि अरविंद केजरीवाल ने अब तक मोबाइल का पासवर्ड नहीं दिया। जिसके कारण डिजिटल डेटा का परीक्षण नहीं कर पाए। 

घोटाला ईडी की जांच के बाद शुरू हुआ-केजरीवाल

केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा कि हम रिमांड का विरोध नहीं कर रहे हैं, ईडी जितने दिन चाहे केजरीवाल को रख सकती है। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में कहा कि मुझे गिरफ्तार किया गया है। न मेरे ऊपर कोई मुकदमा चला, न आरोप बताए। केजरीवाल ने कहा मैं ईडी के अधिकारियों और कर्मचारियों को धन्यवाद देना चाहते हूं। जांच में अभी तक उन्होंने सहयोग किया है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राघव मंगुटा के इतने बयान हुए 7 में से 6 बयानों में जिक्र नहीं है, लेकिन 7वें बयान में जिक्र आता है। लेकिन पहले के 6 बयान में सामने नहीं आता। ED के दो मकसद थे. एक आम आदमी पार्टी को खत्म करना, आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचारी, चोर बताना और दूसरा उगाही करना। सीएम ने कहा कि शरद रेडी ने गिरफ्तारी के बाद 55 करोड़ रुपए दिए। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोई 100 करोड़ का घोटाला हुआ। मैं बताता हूं कि वो क्या घोटाला क्या है। घोटाला ईडी की जांच के बाद शुरू हुआ। अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट में कहा कि हम रिमांड का विरोध नहीं कर रहे हैं। ये जितना दिन चाहे हिरासत में रखें।बॉन्ड की भी जांच होनी चाहिए।

2014 के बाद कितना बदला वाराणसी?

#varanasichangedinmodigovt  

दुनिया की सबसे प्राचीन नगरों में से एक

हिंदुओं का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल

अब बना भारत की सियासत का केन्द्र

बाबा विश्वनाथ की नगरी को क्योटो बनाने की कवायद

दस वर्षों में काशी का हो गया कायाकल्प

पूरी तरह से बदला वाराणसी शहर का रूप-रंग

दुनिया के प्राचीनतम नगरों में एक शिव की यह नगरी हिंदुओं के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में एक है। देश के हरेक कोने से तीर्थयात्री यहाँ आते हैं। यह बाबा काशी विश्वनाथ के नाम पर दुनिया भर में विख्यात है। जो अब भारत की राजनीति का महत्वपूर्ण केंद्र है। इसका एकमात्र कारण देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां से लगातार दो वार जीत कर देश की बागडोर संभाल रहे हैं। अब तीसरी बार भी विजय रथ पर सवार होने को आतुर हैं। वाराणसी लोकसभा सीट पर अब एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी मैदान में हैं। 

सन् 1956 में 24 मई को बनारस या काशी को वाराणसी नाम दिया गया। अब उस काशी को पिछले कुछ सालों से क्योटो बनाने की कवायद जारी है। पिछले दस वर्षों में वाराणसी एक विशिष्ट नगर के रूप में उभर कर आया है। नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यकाल में इस शहर का नये सिरे से कायाकल्प हो गया। तमाम चुनौतियों के बावजूद बनारस का नया रूप अब दुनिया के सामने है। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों और विकास योजनाओं की बदौलत दुनिया भर में इस धार्मिक नगरी को एक अलग पहचान मिली है।

2014 में चुनाव जीतने के बाद मोदी कई बार वाराणसी गए। उन्होंने वाराणसी को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रोजेक्ट करने का मौक़ा कभी भी नहीं गंवाया। वे 2015 में जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे और 2018 में फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को भी वाराणसी ले कर गए। इसके अलावा 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और 2023 की शुरुआत में काशी-तमिल संगमम के साथ ही जी-20 सम्मेलन की छह बैठकों से काशी का मान देश दुनिया में बढ़ा।  

बीते दस वर्षों में वाराणसी के लिए विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की गईं। साल 2014 में पीएम मोदी के वाराणसी से लोकसभा का चुनाव जीतने से लेकर साल 2023 तक पिछले 9 सालों में वाराणसी शहर का रूप और रंग पूरी तरह से बदल चुका है। साल 2014 में नरेंद्र मोदी जब गुजरात मॉडल को यूपी की धार्मिक नगरी वाराणसी में लाने के मिशन से पहुंचे तो शुरुआत उन्होंने सफाई अभियान के साथ की। 2014 में वाराणसी की यात्रा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झाड़ू हाथ में थामा और अस्सी घाट के पास जगन्नाथ गली में स्वच्छता अभियान चलाया। एक तरह से इसी दिन वाराणसी के कायाकल्प को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने संकल्प ले लिया। वह कार्य अब तक जारी है।

2014 से लेकर 2021 तक वाराणसी में 310 योजनाएं शुरू की गईं। वहीं 162 परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ। इसके बाद प्रधावनमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 जुलाई 2021 को 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इनमें अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कन्वेंशन सेंटर ‘रुद्राक्ष’ का भी उद्घाटन किया। बीएचयू में 100-बेड एमसीएच विंग, गोदौलिया में बहुस्तरीय पार्किंग, वाराणसी-गाजीपुर राजमार्ग पर तीन-लेन फ्लाईओवर पुल सहित अनेक सार्वजनिक परियोजनाएं थीं। साथ ही इनमें शहरी क्षेत्र के सड़क कार्यों के लिए 3.32 करोड़, तालाब और पार्क के सौंदर्यीकरण के लिए 2.86 करोड़़, ट्रांस वरुणा प्रोजेक्ट के लिए 19.49 करोड़ रुपये, गंगा पेयजल योजना के लिए 46.49करोड़ आदि भी शामिल हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर का विस्तारीकरण और सौन्दर्यीकरण योजना पीएम नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रॉजेक्ट था। 13 दिसंबर 2021 को काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का लोकार्पण भी कर दिया। मंदिर परिसर के नए और भव्य स्वरूप से काशी नगरी खिल उठी। साल 2023 में वाराणसी में पर्यटकों की संख्या में 7.3 करोड़ की वृद्धि हुई। निवेशक स्थानीय पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। पिछले साल 40 से अधिक निवेशकों ने पर्यटन विभाग के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।

इस साल 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब वाराणसी पहुंचे तो उन्होंने 1800 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी। यहां उन्होंने देश में पहली बार रोप-वे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का भी उद्घाटन किया। इस दिन प्रधानमंत्री ने शहरवासियों को 28 परियोजनाओं सौंपी और 19 प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया।

नरेंद्र मोदी के बनारस का सांसद और देश का प्रधानमंत्री बनने से पहले तक बनारस में भी दुश्वारियों का पहाड़ था। दूसरे शहरों की तरह यहां भी बदइंतजामी थी, सड़कें जर्जर, बिजली-पानी का संकट, कुंड-तालाब कब्जे में वगैरह-वगैरह। समय ने करवट ली, पीएम मोदी की चाहत के अनुरूप विकास की ओर बढ़े कदमों ने शहर में लटकते बिजली के तारों को गायब कर दिया। आईपीडीएस की सौगात से शहर की कई कालोनियों और मुहल्लों में बिजली के तार भूमिगत हो गए। काशी की प्राचीनता से मेल खाते लैंप पोस्टों से निकलती दूधिया रोशनी आपको पूरे शहर में दिखेगी। वर्तमान में बदलते बनारस की तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती है कि आज जो है, वो कल से बेहतर है।

कंगना रनौत पर टिप्पणी कर बुरी फंसी सुप्रिया श्रीनेत, कांग्रेस ने काटा टिकट

#congress_canceled_ticket_of_supriya_shrinet 

बॉलीवुड अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी कंगना रनौत पर टिप्पणी को लेकर विवादों में घिरी कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत को एक और झटका लगा है। अब कांग्रेस पार्टी ने भी उनपर सख्ती बरती है। कांग्रेस ने बुधवार को देर रात आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की 8वीं लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में 14 प्रत्याशियों के नाम शामिल हैं। पार्टी ने झारखंड, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के लिए प्रत्याशी घोषित किए हैं। कांग्रेस की लिस्ट के अनुसार, कांग्रेस ने अपनी महिला प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत का टिकट काट दिया है।पार्टी ने सुप्रिया का उस निर्वाचन क्षेत्र से टिकट काट दिया है, जहां से वो उम्मीदवार के रूप में 2019 का चुनाव लड़ीं थी। इस लिस्ट में पार्टी ने उत्तर प्रदेश की महराजगंज लोकसभा सीट से भी अपने प्रत्याशी का ऐलान किया है, जहां से पिछली बार 2019 में सुप्रिया श्रीनेत ने लोकसभा चुनाव लड़ा था।

सुप्रिया श्रीनेत ने महाराजगंज सीट से 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी उनका टिकट तय माना जा रहा था, लेकिन टिकट घोषणा से पहले सुप्रिया श्रीनेत ने अपने ऑफिसियल एक्स अकाउंट से कंगना रनौत को लेकर बेहद अमर्यादित पोस्ट लिख दी। जिसके बाद बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाते हुए महिला सम्मान से जोड़ दिया। जिसके बाद कांग्रेस ने महराजगंज से श्रीनेत को हटाकर वीरेंद्र चौधरी को इस सीट से टिकट दिया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने डैमेज कण्ट्रोल करते हुए सुप्रिया श्रीनेत को टिकट नहीं दिया।

बता दें कि बीजेपी की ओर से हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से कंगना रनौत को अपना उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी की तरफ से इस घोषणा के बाद कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत के इंस्टाग्राम अकाउंट से रनौट की तस्वीर और अपमानजनक कैप्शन के साथ एक आपत्तिजनक पोस्ट डाला गया था। सुप्रिया की इस टिप्पणी पर कंगना रनौत ने कहा था कि हमें महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, भले ही वह किसी भी क्षेत्र से जुड़ी हुई। कंगना के समर्थन में भी बड़ा अभियान चला था और सुप्रिया श्रीनेत की इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई थी। विरोध के बाद यह पोस्ट हटा दिया गया था और सुप्रिया श्रीनेत ने इस मामले में सफाई पेश की थी। उन्होंने ट्विटर पर एक ट्वीट लिख कर अकाउंट का एक्सेस किसी और के हाथ में होने और साथ ही एक पैरोडी अकाउंट पर दोष मढ़ने का प्रयास किया था। हालांकि इस मामले को लेकर चुनाव आयोग ने श्रीनेत को उनके पोस्ट पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

दिल्ली के सीएम केजरीवाल को बड़ी राहत, बने रहेंगे मुख्यमंत्री, पद से हटाने की मांग वाली याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज

#petition_to_remove_arvind_kejriwal_from_post_of_cm_was_rejected 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग की थी।

अदालत ने मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा क‍ि अगर संवैधानिक सवाल है, तो उपराज्‍यपाल (एलजी) देखेंगे, वो ही राष्ट्रपति के पास ले जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने कहा क‍ि हां, इसमें कुछ प्रैक्टिकल दिक्‍कत होगी, लेकिन हम कैसे एलजी या राष्ट्रपति को कुछ कह सकते हैं। केंद्र सरकार का काम है, हम कैसे दखल दें।

कोर्ट ने कहा आज के समाचार पत्रों में कहा गया है कि एलजी इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट ने कहा कि आप हमें व्यावहारिक कठिनाई दिखा रहे हैं, लेकिन हमें कोई ऐसा प्रतिबंध दिखाइए जो इसे रोकता हो। कोर्ट ने कहा कि आप हमें व्यावहारिक कठिनाई दिखा रहे हैं, लेकिन हमें कोई ऐसी बाधा दिखाइए जो इसे रोकती हो।

बता दें कि सुरजीत यादव नाम के शख्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल कर कहा था कि आबकारी मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 21 मार्च को गिरफ्तारी हुई। वह ईडी की हिरासत में हैं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए।उन्होंने कहा कि उनका कारावास में होना न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में बाधा डालता है, बल्कि राज्य की संवैधानिक मशीनरी को भी कमजोर करता है। याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 का हवाला देते हुए दावा किया है कि एक कैदी केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में अक्षम बनाती है।

पीलीभीत की जनता के नाम वरुण गांधी का पत्र, बोले-एक परिवार के तौर पर नाता अंतिम सांस तक खत्म नहीं होगा

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पीलीभीत से मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का पिछले 35 साल से चला आ रहा सियासी रिश्ता बुधवार को खत्म हो गया। 1989 के बाद यह पहली बार हुआ कि जब दोनों में से किसी ने भी पीलीभीत सीट से पर्चा नहीं भरा। दरअसल, बीजेपी ने इस बार पीलीभीत से वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया है। पार्टी ने उनकी जगह जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है।बुधवार को नामांकन का आखिरी दिन था। ये प्रक्रिया खत्म होने के बाद ये भी साफ हो गया कि वरुण गांधी पीलीभीत से निर्दलीय भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके बाद उन्होंने पीलीभीत की जनता के नाम एक पत्र लिखा है। 

पीलीभीत से सियासी रिश्ता टूटने पर वरुण गांधी ने भावुक पत्र लिखा है। उन्होंने लिखा है कि मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है। वरुण गांधी ने पीलीभीत के लोगों को प्रणाम करते हुए लिखा, मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे वर्षों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत में मिले आदर्श, सरलता, और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। 

वरुण गांधी ने पत्र में अपनी बचपन की यादें भी साझा की है। उन्होंने लिखा है कि मैं 1983 में 3 साल का था जब अपनी मां की उंगली पकड़कर पीलीभीत आया था। उस वक्त पता नहीं था कि पीलीभीत उसकी कर्मभूमि और परिवार बन जाएगा। वरुण गांधी ने लिखा है कि एक सांसद की तौर पर उनका कार्यकाल भले समाप्त हो रहा है, लेकिन एक परिवार के तौर पर पीलीभीत से नाता अंतिम सांस तक खत्म नहीं होगा। मेरा और पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है जो किसी भी राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है।

पीलीभीत से सांसद रहने को वरुण गांधी ने खुदके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान बताया है। उन्होंने कहा, ‘आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई है।उन्होंने आगे कहा कि सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं और मेरे दरवाजे आपके लिये हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूं कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

बता दें कि इस बार वरुण गांधी का टिकट बीजेपी ने काटकर यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया है। वरुण गांधी कृषि कानून, बेरोजगारी और अग्निवीर जैसे मुद्दों पर लगातार अपनी ही सरकार पर हमलावर रहे थे, जिसके बाद उनका टिकट कटना तय माना जा रहा था।

उज्जैन महाकाल मंदिर में लगी आग को लेकर एक्शन में मानवाधिकार आयोग, उज्जैन कलेक्टर और मंदिर प्रशासक से 15 बिंदुओं पर मांगी जांच रिपोर्ट

 महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भस्म आरती के दौरान आग लगने की घटना को लेकर अब मानव अधिकार आयोग भी एक्शन में आया है। उसने स्वतः ही संज्ञान लेकर उज्जैन कलेक्टर तथा महाकाल मंदिर प्रशासक से 15 बिंदुओं पर एक जांच रिपोर्ट मांगी है। महाकाल मंदिर में आग लगने की घटना देशभर में सुर्खियों में रही थी। अब मानवाधिकार आयोग ने इस पर जवाब मांगा है। पूछा गया है कि घटना वाले दिन यानी 25 मार्च 2024 को महाकाल मंदिर उज्जैन के गर्भगृह में भस्म आरती के लिए कितने व्यक्तियों को जाने की अनुमति थी और घटना के समय कितने व्यक्ति मौजूद थे। 

गर्भगृह के अलावा भस्म आरती के समय शेष व्यक्ति/भक्तगण आदि गर्भगृह के दरवाजे से कितनी दूरी पर थे। भस्म आरती के समय गर्भगृह में गुलाल किस प्रकृति का उपलबध कराया गया था और यह व्यवस्था किसके द्वारा की गई थी। गर्भगृह में भस्म आरती के समय गुलाल से आग किस प्रकार और किन परिस्थितियों में लगी थी।

गर्भगृह में गुलाल से लगी ऐसी आग के कारण गर्भगृह और उसके बाहर मौजूद कितने व्यक्ति झुलसे। उन सभी का पूर्ण विवरण और इलाज एवं वर्तमान स्थिति के संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन। आग में झुलसे ऐसे सभी व्यक्तियों के इलाज आदि पर व्यय की महाकाल मंदिर प्रबंधन और मध्यप्रदेश शासन की ओर से क्या व्यवस्था की गई। आग से झुलसे ऐसे व्यक्तियों को महाकाल मंदिर प्रबंधन एवं मध्यप्रदेश शासन की ओर से कोई आर्थिक मुआवजा राशि दी गई है अथवा नहीं। 

गर्भगृह या उसके पास गुलाल के साथ ही बताए अनुसार प्रेशर पम्प या रंग उड़ाने वाली छोटी स्प्रेगन किन परिस्थितियों में पहुंची थी। क्या उन्हें मंदिर के अंदर लाए जाने की अनुमति मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा दी गई थी। इस प्रकार की घटना महाकाल मंदिर के गर्भगृह या अन्य कहीं परिसर में न हो इसके लिए भविष्य में क्या सावधानियां और निर्देश प्रस्तावित हैं। इस पूरे मामले में कलेक्टर नीरज सिंह का कहना था कि गुरुवार को मजिस्ट्रीयल टीम द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, उसके बाद जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान हुई आगजनी की घटना ने इस सवाल को भी जन्म दे दिया है कि भस्म आरती के दौरान नियम अनुसार पात्र लोग ही गर्भगृह में मौजूद रहते हैं या फिर नियमों की अनदेखी होती है? महाकालेश्वर मंदिर समिति भी इस प्रश्न को लेकर मंथन करने में जुट गई है। भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में मौजूद रहने को लेकर भी नियम बना हुआ है। इस नियम का पालन सभी को करना होता है। सोर्स बताते है कि जिस पुजारी की भस्म आरती होती है, वह अपने साथ तीन अन्य पुजारी को रखता है। इसके अलावा महाकालेश्वर मंदिर समिति के दो कर्मचारी भी मौजूद रहते हैं। कुछ सेवक भी पिछले कई साल से लगातार भस्म आरती में आकर सेवा दे रहे हैं। वे भी गर्भगृह में मौजूद रहते हैं। उन्होंने बताया कि संख्या के मान से लगभग 17 लोग भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में मौजूद रहते हैं। 

महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले अलसुबह भगवान महाकाल के दरबार के पट खोले जाते हैं, जिसके बाद भगवान को जल, दूध, दही, शहद, शक्कर आदि से स्नान कराया जाता है। इसके पश्चात मंदिर के पंडित और पुरोहित भगवान का भांग, सूखे मेवे, अबीर गुलाल आदि से शृंगार करते हैं। श्रंगार होने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के गादीपति महंत द्वारा भस्म चढ़ाई जाती है। भस्म स्नान होते ही धूप, घी और कपूर की अलग-अलग आरती होती है।

उत्‍तराखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की बढ़ी मुश्किलें, ईडी ने फ‍िर जारी किया समन

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पीएमएलए के तहत उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत को एक बार फिर समन जारी कर दो अप्रैल को पूछताछ के लिए बुलाया है।

ईडी ने वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जे और कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में हरक सिंह रावत को समन जारी किया है। पिछले समन पर हरक सिंह रावत ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे।

दूसरे समन पर भी पेश नहीं हुए थे हरक

कार्बेट नेशनल पार्क के पाखरो रेंज घोटाला मामले में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ईडी के दूसरे समन पर भी पेश नहीं हुए थे। उनके पूर्व जन संपर्क अधिकारी विजय चौहान ने बताया कि लोकसभा चुनाव की तैयारियों में वह दिल्ली में थे।

उन्होंने एक महीने का समय मांगा था। दूसरी ओर पूर्व मंत्री हरक सिंह की पत्नी व पौड़ी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दीप्ति रावत ईडी के समक्ष पेश हुई थीं। जहां उनसे पूछताछ की गई।

इस मामले में होनी है पूछताछ

सूत्र के अनुसार, हरक सिंह रावत से 14 फरवरी को छापेमारी के दौरान ईडी की ओर से बरामद दस्तावेज, नकदी व गहनों के संबंध में पूछताछ की जानी है।

इससे पहले ईडी ने पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत, उनके रिश्तेदारों और वन अधिकारियों के उत्तराखंड समेत दिल्ली व हरियाणा में 17 जगह छापेमारी कर 1.10 करोड़ रुपये की नकदी, करीब 80 लाख रुपये का 1.30 किलोग्राम सोना आदि जब्त किया था।