उज्जैन महाकाल मंदिर में लगी आग को लेकर एक्शन में मानवाधिकार आयोग, उज्जैन कलेक्टर और मंदिर प्रशासक से 15 बिंदुओं पर मांगी जांच रिपोर्ट
महाकाल मंदिर के गर्भगृह में भस्म आरती के दौरान आग लगने की घटना को लेकर अब मानव अधिकार आयोग भी एक्शन में आया है। उसने स्वतः ही संज्ञान लेकर उज्जैन कलेक्टर तथा महाकाल मंदिर प्रशासक से 15 बिंदुओं पर एक जांच रिपोर्ट मांगी है। महाकाल मंदिर में आग लगने की घटना देशभर में सुर्खियों में रही थी। अब मानवाधिकार आयोग ने इस पर जवाब मांगा है। पूछा गया है कि घटना वाले दिन यानी 25 मार्च 2024 को महाकाल मंदिर उज्जैन के गर्भगृह में भस्म आरती के लिए कितने व्यक्तियों को जाने की अनुमति थी और घटना के समय कितने व्यक्ति मौजूद थे।
गर्भगृह के अलावा भस्म आरती के समय शेष व्यक्ति/भक्तगण आदि गर्भगृह के दरवाजे से कितनी दूरी पर थे। भस्म आरती के समय गर्भगृह में गुलाल किस प्रकृति का उपलबध कराया गया था और यह व्यवस्था किसके द्वारा की गई थी। गर्भगृह में भस्म आरती के समय गुलाल से आग किस प्रकार और किन परिस्थितियों में लगी थी।
गर्भगृह में गुलाल से लगी ऐसी आग के कारण गर्भगृह और उसके बाहर मौजूद कितने व्यक्ति झुलसे। उन सभी का पूर्ण विवरण और इलाज एवं वर्तमान स्थिति के संबंध में स्पष्ट प्रतिवेदन। आग में झुलसे ऐसे सभी व्यक्तियों के इलाज आदि पर व्यय की महाकाल मंदिर प्रबंधन और मध्यप्रदेश शासन की ओर से क्या व्यवस्था की गई। आग से झुलसे ऐसे व्यक्तियों को महाकाल मंदिर प्रबंधन एवं मध्यप्रदेश शासन की ओर से कोई आर्थिक मुआवजा राशि दी गई है अथवा नहीं।
गर्भगृह या उसके पास गुलाल के साथ ही बताए अनुसार प्रेशर पम्प या रंग उड़ाने वाली छोटी स्प्रेगन किन परिस्थितियों में पहुंची थी। क्या उन्हें मंदिर के अंदर लाए जाने की अनुमति मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा दी गई थी। इस प्रकार की घटना महाकाल मंदिर के गर्भगृह या अन्य कहीं परिसर में न हो इसके लिए भविष्य में क्या सावधानियां और निर्देश प्रस्तावित हैं। इस पूरे मामले में कलेक्टर नीरज सिंह का कहना था कि गुरुवार को मजिस्ट्रीयल टीम द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी, उसके बाद जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान हुई आगजनी की घटना ने इस सवाल को भी जन्म दे दिया है कि भस्म आरती के दौरान नियम अनुसार पात्र लोग ही गर्भगृह में मौजूद रहते हैं या फिर नियमों की अनदेखी होती है? महाकालेश्वर मंदिर समिति भी इस प्रश्न को लेकर मंथन करने में जुट गई है। भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में मौजूद रहने को लेकर भी नियम बना हुआ है। इस नियम का पालन सभी को करना होता है। सोर्स बताते है कि जिस पुजारी की भस्म आरती होती है, वह अपने साथ तीन अन्य पुजारी को रखता है। इसके अलावा महाकालेश्वर मंदिर समिति के दो कर्मचारी भी मौजूद रहते हैं। कुछ सेवक भी पिछले कई साल से लगातार भस्म आरती में आकर सेवा दे रहे हैं। वे भी गर्भगृह में मौजूद रहते हैं। उन्होंने बताया कि संख्या के मान से लगभग 17 लोग भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में मौजूद रहते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर में सबसे पहले अलसुबह भगवान महाकाल के दरबार के पट खोले जाते हैं, जिसके बाद भगवान को जल, दूध, दही, शहद, शक्कर आदि से स्नान कराया जाता है। इसके पश्चात मंदिर के पंडित और पुरोहित भगवान का भांग, सूखे मेवे, अबीर गुलाल आदि से शृंगार करते हैं। श्रंगार होने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े के गादीपति महंत द्वारा भस्म चढ़ाई जाती है। भस्म स्नान होते ही धूप, घी और कपूर की अलग-अलग आरती होती है।
Mar 28 2024, 13:38