आजमगढ़:: रंग का त्यौहार कब और कैसे मनाया जाता है, जानिए
उपेन्द्र कुमार पांडेय
आजमगढ़।होली का पर्व एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक पर्व है। लगभग पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है। होली भाई चारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का पर्व है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं।
होली हिंदू सनातन धर्म का प्रमुख पर्व है। बसंत का महीना लगने के बाद से ही इसका इंतजार शुरू हो जाता है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है।
नारायण ज्योतिष परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र फूलपुर प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक पर्व है। पूरे भारत में इसका अलग ही जश्न और उत्साह देखने को मिलता है।
होली भाईचारे, आपसी प्रेम और सद्भावना का पर्व है इस दिन लोग एक दूसरे को रंगों में सराबोर करते हैं। घरों में गुझिया और पकवान बनते हैं। लोग एक दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 09 बजकर 42मिनट से शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर होगा।
होलिका दहन 2024
24 मार्च को होलिका दहन है। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 09 मिनट से लेकर 12 बजकर 24 मिनट तक है
कब है होली
होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाती है, इसलिए इस साल 25 मार्च को होली है। इस दिन देशभर में धूमधाम से होली मनाई जाएगी इस दिन दुश्मनी तो मिटा कर दोस्ती में बदल जाते हैं इस लिए इस पर्व को हम प्रेम का पर्व भी कहते हैं ।
होलिका दहन पूजा की विधि
होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना जरूरी है।
स्नान के बाद होलिका की पूजा वाले स्थान पर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं।
पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं।
वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी,.मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
इसके बाद इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें शुभकारी होगा.
ज्योतिषाचार्य
पंडित ऋषिकेश शुक्ल
9450 591 477
Mar 22 2024, 18:34