क्या सीएए पर लगेगी रोक? सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, दायर हैं 200 से ज्यादा याचिकाएं
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सुप्रीम कोर्ट आज यानी मंगलवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिसमें केंद्र को नागरिकता संशोधन नियम, 2024 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ए न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। पिछले हफ्ते 11 मार्च (सोमवार) को भारत सरकार सीएए के तहत नागरिकता देने वाले नियमों होले से लेकर आई जिसका अर्थ था कि चार बरस से लटका हुआ विवादित कानून सीएए लागू हो चुका है।
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इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग ने 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 और 11 मार्च, 2024 को सरकार द्वारा अधिसूचित इसके नियमों पर रोक लगाने के लिए तत्काल सुनवाई की मांग की थी। लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सीएए के प्रावधानों को लागू करने पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
केंद्र की ओर से सीएए के तहत नियम जारी करने के एक दिन बाद केरल के राजनीतिक दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। आईयूएमएल ने मांग की कि विवादित कानून और नियमों पर रोक लगाई जाए और मुस्लिम समुदाय के उन लोगों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए जो इस कानून के लाभ से वंचित हैं। आईयूएमएल के अलावा अन्य पार्टियों और व्यक्तियों जैसे डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई), असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका, असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने भी आवेदन दायर किया है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने अर्जी दायर कर सीएए को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन बताया गया है। कई याचिकाकर्ताओं का दावा है कि सीएए मनमाने तरीके से धर्म के आधार पर कुछ खास समुदाय के लोगों को फायदा पहुंचाता है जबकि औरों को, खासकर मुस्लिम समुदाय को नागरिकता की सहूलियत से महदूद रखता है। कोर्ट के सामने ये सवाल होगा कि सीएए अनुच्छेद 14 और 15 उल्लंघन है या नहीं?
याचिकाकर्ताओं की मांग यह भी है कि कोर्ट मुस्लिम समुदाय के उन लोगों को लेकर सरकार को दिशानिर्देश जारी करे जिनको सीएए कानून के तहत नागरिकता से वंचित रखा गया है। याचिकाकर्ता मुस्लिम समुदाय के इन लोगों के खिलाफ किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई को रोकने की मांग कर रहे हैं।
गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों के कार्यान्वयन को अधिसूचित किया था। संसद से पास होने के चार साल बाद सीएए को देश में लागू किया गया था। यह कानून अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शरणार्थियों के लिए इन देशों के वैध पासपोर्ट या भारतीय वीजा के बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।






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Mar 19 2024, 10:49
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