केन्द्र सरकार ने नई ईवी नीति को दी मंजूरी, टेस्ला की भारत में एंट्री होगी आसान
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केंद्र सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने देश को इलेक्ट्रिक वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करने के लिए एक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दे दी है। नई नीति के तहत अब देश में कंपनियां न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये के निवेश से इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए प्लांट लगा सकती हैं। इसके लिए उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों में कम से कम 25 प्रतिशत स्थानीय रूप से निर्मित कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करना होगा।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को जानकारी दी कि देश में नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दी गई है। इस नीति के तहत भारत की कोशिश होगी कि दुनिया की बड़ी ईवी कंपनियां भारत में निवेश करें।नई नीति के हिसाब से अगर कोई इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग या असेंबलिंग प्लांट लगाना चाहती है, तो उसे कम से कम 50 करोड़ डॉलर (यानी 4,150 करोड़ रुपए) का निवेश करना जरूरी होगा। जबकि इस सेगमेंट में अधिकतम निवेश की कोई सीमा तय नहीं है। ज्यादा से ज्यादा कंपनियां भारत आएं, इसके लिए सरकार उन्हें कई तरह की टैक्स छूट का फायदा देगी
मोदी सरकार का इस फैसले से देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में तेजी आएगी।वाहन निर्माण क्षेत्र की उन कंपनियों को जो नई वाहन नीति में उल्लिखित शर्तों को पूरा करेंगी उन्हें 35 हजार डॉलर या उससे अधिक महंगी कारों पर 15 फीसदी से कम आयात शुल्क लगेगा। अभी भारत आयातित कारों पर 70 से 100 फीसदी तक कर वसूलता है। कार के मूल्य के आधार पर वाहन कंपनी को हर साल 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों को आयात करने की अनुमति दी जाएगी। अगर कोई कंपनी भारत में 80 करोड़ डॉलर यानी करीब 6630 करोड़ रुपए या उससे अधिक का निवेश करती है, तो उसे हर साल अधिकतम 40,000 इलेक्ट्रिक व्हीकल के इंपोर्ट की इजाजत होगी।0 हालांकि इसमें भारत के हितों का ख्याल रखा गया है। कंपनी को उसकी इंवेस्टमेंट कमिटमेंट के बदले जो टैक्स छूट मिलेगी, वह बैंक गारंटीड होगी। ऐसे में कंपनी के इंवेस्टमेंट कमिटमेंट पूरी नहीं करने की स्थिति में भी नुकसान नहीं होगा। सरकार द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस कदम से नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करने और ईवी इकोसिस्टम को बढ़ाने और मेक इन इंडिया पहल में समर्थन मिलने की उम्मीद है। इम्पोर्ट किए जा सकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर शुल्क छूट वार्षिक पीएलआई प्रोत्साहन (6,484 करोड़ रुपये) या मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा किए गए निवेश, जो भी कम हो, तक सीमित है।
सरकार की इस नीति से एलन मस्क की टेस्ला की राह काफी आसान हुई है। टेस्ला भारत में अपनी मैन्यूफैक्चरिंग शुरू करने से पहले कुछ समय के लिए गाड़ियों को इंपोर्ट करना चाहती थी। साथ ही इस पर इंपोर्ट शुल्क में छूट भी चाहती थी। जबकि सरकार का पक्ष था कि कंपनी भारत में ही उत्पादन करे। हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान एलन मस्क से मुलाकात की थी और उसके बाद से ही देश में नई तरह की ईवी पॉलिसी की जरूरत बढ़ गई थी। अब इस नई पॉलिसी में बीच का रास्ता निकाला गया है। इससे टेस्ला जैसी कंपनियों को भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ अपनी गाड़ियों को रियायती दर पर इंपोर्ट करने में भी आसानी होगी।


 
						









 
 
 
  
  
 
Mar 16 2024, 10:18
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