प्रेम के वशीभूत होते हैं भगवान -आचार्य राजनारायण
नवाबगंज (गोंडा)। महंगूपुर गाँव में आयोजित आठ दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिवस पर कथा मर्मज्ञ आचार्य राजनारायण ने प्रहलाद चरित्र की कथा का बखान किया।
कथा व्यास ने भक्त प्रहलाद की कथा वर्णन करते हुए बताया कि असुर कुल में जन्म लेकर भी प्रहलाद सदआचरण करते हुए कृष्ण भक्ति करते हैं। किन्तु यह बात हिरनाकस्यपु को तनिक नहीं भाती। अंततः प्रहलाद को मारने के लिए कई प्रयत्न किये किन्तु जिसपर साक्षात् हरि की कृपा हो उसका बाल भी बांका नहीं हो सकता। ईश्वर से द्वेष रखने के चलते हिरनाकश्यपु ने पुत्र को स्वयं मारने का प्रयास किया और भक्त के सामने भगवान को ललकारा।
प्रहलाद की निष्काम भक्ति व प्रेम के वशीभूत नारायण खम्भे से प्रगट होकर भक्त की रक्षा किये तथा पापी को परलोक भेज दिया। कथा व्यास ने कहा कि संतानो में संस्कार का अभाव हो रहा है जो हर परिवार के लिए चिंताजनक है। ग्रंथ, रामायण हमें सदकर्म सिखाते हैं। बच्चों को धार्मिक मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है। भौतिक सुखों की चाह वाली शिक्षा हितकारी नहीं है। इसके साथ धर्म, संस्कार आधारित ज्ञान अति आवश्यक है। कथा विश्राम के समय सभी को विष्णु शस्त्रनाम की पुस्तिका यजमान की तरफ से वितरित की गयी। कथा में क्षितिज चंद्र मिश्र, सुशील पांडेय, बड़कू मिश्र,अभयनारायण मिश्र, पुरुषोत्तम पांडेय लल्लू, नरसिंह मिश्र, नंदू यादव, दिव्यांशु, मुट्टूर आदि लोग उपस्थित रहे।
Mar 15 2024, 16:20