इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर जारी न करने पर एसबीआई पर भड़ा सुप्रीम कोर्ट, दिया ये बड़ा आदेश
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सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को बॉन्ड नंबर का खुलासा करने का आदेश दिया है। इलेक्टोरल बॉन्ड मामले को लेकर चुनाव आयोग की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ में आज यानी शुक्रवार को सुनवाई हुई। सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसबीआई को फिर से नोटिस जारी किया और इलेक्टोरल बॉन्ड नंबर का खुलासा करने का आदेश दिया। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार को आदेश दिया है कि वो सुप्रीम कोर्ट में जमा डाटा को कल शाम 5 बजे तक चुनाव आयोग को सौंपे।
कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया। एसबीआई ने बॉन्ड का यूनिक नंबर जारी नहीं किया गया है। कोर्ट में एसबीआई की ओर से कोई मौजूद नहीं था। अब शीर्ष अदालत ने एसबीआई से जवाब मांगा है। सोमवार को फिर होगी मामले की सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को बान्ड की खरीद और भुनाने के संबंध में पहले से बताए गए विवरणों के अलावा, चुनावी बान्ड संख्या यानी यूनिक नम्बर का भी खुलासा करना होगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनवाई के दौरान ये आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने की 15 तारीख को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम अभियान ही को असंवैधानिक करार दे दिया था. साथ ही, एसबीआई को आदेश दिया था कि वह 12 अप्रैल 2019 के बाद जारी हुए और भुनाए गए सभी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दे जिसको चुनाव आयोग को 15 मार्च की शाम 5 बजे तक अपनी वेबसाईट पर पब्लिश करना था।
चुनाव आयोग ने एसबीआई से मिली जानकारी तो पब्लिश कर दी लेकिन जानकारी में बॉन्ड का नंबर न होने से राजनीतिक तापमान गर्म हो गया। कुछ लोगों का कहना था कि प्राप्त हुई जानकारी से ये तो साफ हुआ कि किसने चंदा दिया और किसको चंदा मिला लेकिन दानदाता और दान हासिल करने वालों का मिलान करने के लिए जिस अल्फा न्यूमेरिक नंबर की जरुरत थी, एसबीआई ने उसको अब तक नहीं बताया है।


 
						
 
 





 
  
  
  
  
 
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  ओटीटी) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो घर-घर में मौजूद है। वेबसाइट्स और ऐप्स के जरिए आजकल आप घर बैठे-बैठ जो चाहे वो देख सकते हैं। लेकिन इनका गलत इस्तेमाल करने वालों की भी कोई कमी नहीं है। ऐसी कई सारी वेबसाइट्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऐप्स हैं, जो अश्लील कंटेंट लोगों तक पहुंचाते हैं। इस मामले पर सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय ने कार्रवाई करते हुए 18 ओटीटी प्लेटफॉर्म, 19 वेबसाइट और 10 ऐप को बैन कर दिया है।
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Mar 15 2024, 12:26
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