केरल के ज्ञानेश कुमार, पंजाब के सुखबीर संधू होंगे नए चुनाव आयुक्त, अधीर रंजन का दावा-सरकार ने पहले से तय कर रखे थे नाम
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ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू देश के दो नए चुनाव आयुक्त होंगे। आज पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन दोनों नामों पर सहमति बन गई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी इन नामों की जानकारी दी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी भी चयन समिति के सदस्य हैं।अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार ने पहले से ही चुनाव आयुक्तों के नाम तय कर रखे थे। अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि सरकार ने उनसे पहले से सूची साझा नहीं की थी। बता दें कि पूर्व चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय के रिटायरमेंट और अरुण गोयल के बीते दिनों इस्तीफे की वजह से चुनाव आयोग में दो चुनाव आयुक्तों के पद खाली हैं। इन्हीं पदों पर नियुक्ति के लिए आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बैठक हुई।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए आज नई दिल्ली में 7, लोककल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास में बैठक हुई। बैठक में प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी भी शामिल हुए।बैठक के बाद अधीर रंजन ने दावा किया है कि केरल के ज्ञानेश कुमार और पंजाब के सुखबीर संधू नए चुनाव आयुक्त होंगे।जल्द ही आधिकारिक रूप से नए चुनाव आयुक्तों के नामों का एलान हो सकता है
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 'सरकार जिसे चाहेगी, वो ही चुनाव आयुक्त बनेंगे।' अधीर रंजन चौधरी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 'समिति में सरकार के पास बहुमत है और इस वजह से सरकार अपने पसंद के नाम तय कर सकती है। भारत जैसे लोकतंत्र में इतने बड़े पद पर नियुक्ति इस तरीके से नहीं होनी चाहिए।
अधीर रंजन ने कहा कि मैं अपना क्षेत्र छोड़कर बैठक में शामिल होने के लिए आया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कमिटी में चीफ जस्टिस को भी रहना चाहिए था। उन्हें नहीं रखा गया। बदले में गृह मंत्री अमित शाह को बैठक में शामिल किया गया था। कांग्रेस सांसद ने कहा, मैंने बैठक के पहले ही शार्टलिस्ट उम्मीदवारों की लिस्ट मांगी थी। जिससे उनके बारे में बारीकी से पता करता। पहले, उन्होंने मुझे 212 नाम दिए थे, लेकिन नियुक्ति से 10 मिनट पहले उन्होंने मुझे सिर्फ छह नाम दिए। मुझे पता है कि मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) वहां नहीं है, सरकार ने ऐसा कानून बना दिया है कि सीजेआई दखल नहीं दे सकता और केंद्र सरकार अपनी पसंद का नाम चुन सकती है। मैं यह नहीं कह रहा कि यह मनमाना है, लेकिन जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है उसमें कुछ खामियां हैं।

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Mar 14 2024, 15:17
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