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प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा फरार घोषित, अदालत ने पुलिस को दिया गिरफ्तार करने का आदेश, जानिए पूरा मामला

रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री और पूर्व सांसद जया प्रदा को फरार घोषित कर दिया। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के दो मामलों में उनका नाम शामिल है। 2019 में जया प्रदा रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रही थीं। चुनाव प्रचार के दौरान, उन पर आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे।

जया प्रदा के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे, जिनकी सुनवाई रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत में चल रही थी। जया प्रदा को कई बार अदालत में पेश होने के लिए समन भेजा गया था, लेकिन वे कभी भी पेश नहीं हुईं। 27 फरवरी को, अदालत ने उन्हें फरार घोषित कर दिया और पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

पुलिस जया प्रदा को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी करेगी। यदि उन्हें गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा।

अदालत उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई करेगी। यह घटना जया प्रदा के राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका हो सकती है।

जया प्रदा एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री हैं जिन्होंने हिंदी, तेलुगु, और तमिल फिल्मों में काम किया है। वे 1990 के दशक में राजनीति में शामिल हुईं और रामपुर से सांसद और विधायक दोनों के रूप में कार्य किया है। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य हैं।

राजीव गांधी की हत्या के दोषी संथान का निधन, रिहाई के बाद घर वापसी की उम्मीद रह गई अधूरी

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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए संथान की दिल का दौरा पड़ने से बुधवार को मौत हो गई। संथान ने राजीव गांधी अस्पताल में अंतिम सांस ली। संथन का लिवर फेल होने के कारण 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उससे पहले तिरुचिरापल्ली के एक शिविर में वह रिहाई के बाद रह रहा था। 55 वर्षीय संथन उर्फ टी. सुतेनदिराराजा एक श्रीलंकाई नागरिक था और उन सात लोगों में से एक था जिसे पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के जुर्म में 20 वर्ष से ज्यादा की जेल की सजा काटने के बाद 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया था।

राजीव गांधी गवर्नमेंट जनरल हॉस्पिटल के डीन ई थेरानिरजन ने बताया कि संथन की मौत सुबह सात बजकर 50 मिनट पर हुई। संथन का यकृत खराब था और उसका उपचार किया जा रहा था। थेरानिराजन ने संवाददाताओं से कहा कि संथन को बुधवार तड़के करीब चार बजे दिल का दौरा पड़ा, इसके बाद उसे सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दिया गया और वेंटिलेटर पर रखा गया था। उन्होंने कहा कि संथन पर उपचार का कोई असर नहीं हुआ और आज (बुधवार) सुबह सात बजकर 50 मिनट पर उसकी मौत हो गई।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2022 को राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था। आदेश के अगले दिन नलिनी, श्रीहरन, संथन, रॉबर्ड पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को 32 साल बाद जेल से रिहा किया गया था, लेकिन यहां एक पेंच फंस गया था। नलिनी और रविचंद्रन को अपने परिवार के पास मिलने की अनुमति दी गई लेकिन बाकी चार को त्रीची सेंट्रल जेल के स्पेशल कैंप में रख दिया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ये चारों श्रीलंकाई नागरिक थे। 2022 में रिहाई के आदेश के बाद उसने घर वापसी की अपील करते हुए एक लेटर भी लिखा था।

संथन ने त्रीची जेल के स्पेशल कैंप से लिखे पत्र में कहा था कि वह धूप तक नहीं देख सकता। पत्र के जरिए उसने दुनिया भर के तमिलों से आवाज उठाने की अपील की थी ताकि वह अपने देश लौट सकेय़ चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) ने पिछले शुक्रवार को एक आदेश जारी कर संथन उर्फ सुथेनथिराजा को श्रीलंका वापस जाने की अनुमति दे दी थी, लेकिन बीमारी की वजह से वह नहीं जा सका।

दिल्ली के केजरीवाल सरकार को एक और झटका, एलजी ने अब सोलर पॉलिसी पर लगाई रोक

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी विनय सक्सेना के बीच तनातनी नई बात नहीं है। एक बार फिर सरकार और एलजी के बीच का गतिरोध सामने आया है। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार को झटका दिया है। एलजी विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार की सोलर पॉलिसी पर रोक लगा दी है। दरअसल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस कर सोलर पॉलिसी का एलान किया था। दिल्ली सरकार ने दावा किया था कि इस सोलर पॉलिसी के तहत दिल्ली में बिजली के बिल जीरो हो जाएंगे।

क्या होगा केजरीवाल के वादे का?

केजरीवाल ने कुछ दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस कर के सोलर पॉलिसी का ऐलान किया था। सोलर पॉलिसी से दिल्ली में बिजली के बिल जीरो होते हैं। अरविंद केजरीवाल ने नई सोलर नीति की घोषणा करते हुए बिलजी का बिल जीरो करने का वादा किया था। केजरीवाल ने नई सोलर पॉलिसी का ऐलान करते हुए अपने अधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी देते हुए लिखा था कि जो भी नई नीति के तहत अपने छत पर सोलर पैनल लगाएंगे, उनके बिजली का समूचा बिल जीरो हो जाएगा। केजरीवाल से वादा करते हुए कहा कि सोलर पैनल लगाने वालों को हर महीने 700 रुपये से लेकर 900 रुपये तक के फायदे की बात कहीं थी। लेकिन, दिल्ली के विनय कुमार सक्सेना के रोक लगाने के बाद अब ये मामला ठंडे बस्ते में जाता हुआ नजर आ रहा है। नई सोलर पॉलिसी के तहत सरकारी इमारतों पर सोलर पैनल लगाना अनिवार्य किया जाना था जो कम से कम 500 स्क्वायर मीटर के दायरे में फैली हैं।

200 से 400 यूनिट बिजली वालों का बिल भी जोरो

आपको बता दें कि दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली फ्री है। 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वालों से आधा और 400 से ज्यादा यूनिट खर्च करने वालों से पूरा बिजली का बिल वसूला जाता है। लेकिन इस सोलर पॉलिसी के तहत घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने वालों का बिजली बिल जीरो करने की बात कही गई। इस पॉलिसी के लागू होने से 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वालों का बिजली बिल जीरो किया जाता। इसके अलावा सौर ऊर्जा उत्पादक पैसा भी कमा सकते थे। लेकिन अब एलजी की तरफ से इस पॉलिसी को रोके जाने का आदेश दिया गया है।

बीजेपी का दावा-कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस समर्थकों ने लगाए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे, पुलिस में की शिकायत

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कांग्रेस ने कर्नाटक में राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नासिर हुसैन ने राज्यसभा चुनाव में जीत दर्ज की। इसके बाद कर्नाटक बीजेपी ने मंगलवार देर रात नसीर हुसैन के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। पार्टी ने आरोप लगाया कि हुसैन के समर्थकों ने राज्यसभा चुनाव में उनकी जीत का जश्‍न मनाते हुए विधानसभा परिसर में कथित तौर पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए।

बीजेपी एमएलसी एन. रविकुमार और पार्टी विधायक व मुख्य सचेतक डोड्डानगौड़ा पाटिल ने हुसैन और उनके समर्थकों के खिलाफ विधान सौध पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया है, “27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव के बाद नसीर हुसैन और उनके कई समर्थक शाम को मतगणना क्षेत्र के पास एकत्र हुए थे। पता चला कि शाम करीब 7 बजे रिटर्निंग ऑफिसर ने घोषणा की कि नसीर हुसैन विधिवत निर्वाचित हो गए हैं।“ इसके बाद कांग्रेस नेता के कहने पर नसीर हुसैन के समर्थकों ने अचानक अपने नेता की जय-जयकार करते हुए जोर-जोर से 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे लगाए।

बीजेपी नेता आर अशोक ने शेयर किया वीडियो

बीजेपी के विधायक और कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए आरोप लगाया है कि नासिर हुसैन के समर्थकों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि ये सीधे तौर पर सीएम सिद्दारमैया की तुष्टिकरण राजनीति का नतीजा है। उन्होने कहा कि ये राजनीतिक का खतरनाक खेल है जिसने टुकड़े-टुकड़े गैंग और राष्ट्रविरोधी तत्वों को बढ़ावा दिया है।

नसीर ने दी सफाई

नसीर हुसैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट की। उन्होंने कहा, आज, जब हमारी पार्टी के कुछ समर्थक, कार्यकर्ता और कुछ लोग तीन उम्मीदवारों की जीत का जश्न मना रहे थे तब मैं उनके बीच में था। कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा 'नसीर हुसैन जिंदाबाद', 'नसीर खान जिंदाबाद', 'नसीर साहब जिंदाबाद' और 'कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद' जैसे नारे लगाए गए।उन्होंने आगे कहा, 'अचानक जब मैं वहां से अपने घर के लिए निकल रहा था तो मुझे मीडिया ने फोन कर बताया कि किसी ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए हैं। मैं यहां यह कहना चाहूंगा कि जब मैं लोगों के बीच था तो बहुत सारे नारे लगाए जा रहे थे, लेकिन मैंने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा कभी नहीं सुना, लेकिन जो कुछ भी है हमने पुलिस से कहा है कि वे इसकी जांच करें।

चार में से तीन सीटें कांग्रेस के खाते में

गौरतलब है, कर्नाटक की चार सीटों पर हुए मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के नतीजों में तीन सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है, जबकि एक सीट भाजपा के खाते में गई। कर्नाटक में कांग्रेस के तीनों उम्मीदवार अजय माकन, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और जीसी चन्द्रशेखर क्रमश: 47, 46 और 46 वोटों से जीते। हालांकि, अब जीत के जश्न को लेकर अब बवाल मच गया है।

हिमाचल में सियासी संकटः क्या लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी बनाने जा रही सरकार?

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राज्यसभा चुनाव में हार के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार संकट में है। हिमाचल के राज्यसभा चुनाव में 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। कांग्रेस के 6 बागी, 3 निर्दलियों ने बीजेपी उम्मीदवार को वोट दिया और इस तरह कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी चुनाव हार गए।इसके बाद आनन-फानन में बैठक का दौर कांग्रेस की तरफ से शुरू किया गया। सीएम सुक्खू ने विधायकों के साथ बैठक की। वहीं बागी विधायकों ने पार्टी के आलाकमान को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वो पार्टी से नहीं बल्कि सीएम सुक्खू से नाराज हैं।

कांग्रेस को सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं-जयराम ठाकुर

इधर, भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की और सदन में वित्तीय बजट के लिए मत विभाजन की मांग की। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्यपाल से मिलकर हमने मौजूदा घटनाक्रम की जानकारी दी। इस सरकार को सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। जयराम ठाकुर ने कहा, 'पिछले कुछ समय से विधानसभा में जो घटनाक्रम चल रहा है उसकी जानकारी हमने राज्यपाल को दी है। राज्यसभा चुनाव में जो परिणाम आया, जो वर्तमान स्थिति है उसे देखें तो कांग्रेस को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। कांग्रेस हमारी वजह से नहीं, अपनी वजह से संकट में है।'

हिमाचल प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि विधानसभा में हमारी बात नहीं सुनी जा रही है। जब भी हम वित्तीय विधेयक के दौरान मतविभाजन की मांग करते हैं तो इसकी अनुमति नहीं दी जाती है। हमारी अनुमति के बिना सदन को स्थगित कर दिया जा रहा है।

बीजेपी बनाएगी सरकार-हर्ष महाजन

हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव जीतने वाले बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कहा कि बीजेपी राज्य में अपनी सरकार बनाने जा रही है। कांग्रेस के कुछ और विधायक हमारे संपर्क में हैं। मुझे उनके कुछ विधायकों और मंत्रियों के फोन आए। अगले कुछ घंटों में स्थिति बदलने वाली है और आप देखेंगे कि बीजेपी जल्द ही अपनी सरकार बनाएगी। अगले 10-20 सालों तक कांग्रेस यहां सत्ता में नहीं आने वाली है।

विधानसभा में भाजपा-कांग्रेस का नंबरगेम

हिमाचल में विधानसभा की कुल 68 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 40 और भाजपा के पास 25 विधायक हैं। 3 निर्दलीय जीते थे। कल राज्यसभा चुनाव में 6 कांग्रेसी विधायकों ने भाजपा कैंडिडेट को वोट किया था। साथ ही निर्दलीय भी भगवा दल के साथ गए। बहुमत का आंकड़ा 35 है। अगर कांग्रेस के 6 विधायक भाजपाई हुए तो सुक्खू सरकार अल्पमत में आ जाएगी। इसके लिए फिलहाल बजट पास कराना ही अग्निपरीक्षा की तरह है। अगर डिविजन का फैसला होता है यानी बजट को पास कराने के लिए सदन पक्ष और विपक्ष के वोट में बंटता है तो सुक्खू सरकार गिर सकती है। इसकी वजह कांग्रेस के 6 बागी विधायक हैं जो फिलहाल उसकी पहुंच से बाहर और भाजपा शासित हरियाणा में बैठे बताए जा रहे हैं।

क्या कहता है नियम?

दरअसल, हिमाचल विधानसभा में अभी बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान नो कॉन्फिडेंस मोशन यानी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। ऐसे में बीजेपी का फोकस बजट पास न होने देने पर है। अगर किन्हीं कारणों से बजट पास नहीं होता है तो सरकार अपने आप गिर जाती है। ऐसी स्थिति पैदा होने पर मंत्रिमंडल को इस्तीफा देना पड़ता है और सरकार गिर जाती है।

इस वर्ष आठ मार्च को मनाया जाएगा महाशिवरात्रि का त्योहार, यहां जानिए शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर

सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के त्योहार को बहुत विशेष माना जाता है। महाशिवरात्रि का त्योहार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। वही इस साल 8 मार्च के दिन महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाएगा। इस व्रत को स्त्री या पुरुष कोई भी रख सकता है हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि का व्रत अमोघ फल देने वाला माना जाता है।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर

1. तिथि:

शिवरात्रि: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि: यह साल में एक बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है।

2. महत्व:

शिवरात्रि: यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।

महाशिवरात्रि: यह सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि मानी जाती है।

3. मान्यताएं:

शिवरात्रि: इस दिन भगवान शिव का तांडव नृत्य हुआ था।

महाशिवरात्रि: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।

4. पूजा:

शिवरात्रि: इस दिन भक्त भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और भजन गाते हैं।

महाशिवरात्रि: इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की पूजा करते हैं।

5. व्रत:

शिवरात्रि: इस दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं।

महाशिवरात्रि: इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है।

6. उत्सव:

शिवरात्रि: इस दिन कई शिवालयों में विशेष उत्सव आयोजित किए जाते हैं।

महाशिवरात्रि: यह सबसे बड़ा शिव उत्सव होता है।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि दोनों ही भगवान शिव को समर्पित महत्वपूर्ण दिन हैं। महाशिवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण शिवरात्रि मानी जाती है।

मार्च में लागू हो सकता है “सीएए”, आचार संहिता लागू होने से पहले मोदी सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला

#caawillbeimplementedinmarchnotificationwillbeissuedbefore_elections

भारतीय नागरिकता (संशोधन) अधिनियम संसद में पांच साल पहले पास हो चुका है, लेकिन बाद में देश भर में विरोध प्रदर्शन के चलते इसे लागू नहीं किया गया था। हालांकि अब चर्चा है कि केन्द्र सरकार जल्द ही सीएए देश में जल्द ही लागू कर सकती है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लगने से पहले इसकी अधिसूचना जारी हो सकती है। आदर्श आचार संहिता जारी होने से पहले गृह मंत्रालय किसी भी समय सीएए नियमों को अधिसूचित कर सकता है।

हाल ही में केंद्रीय गृह मत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि आम चुनाव से पहले सीएए लागू होगा। अमित शाह ने कहा था, ''लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लागू करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। मैं ऐसे मैं साफ कर देना चाहता हूं कि सीएए से किसी भी शख्स की नागरिकता नहीं ली जाएगी। बता दें कि सीएए के तहत केंद्र की मोदी सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों – हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई – को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहती है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे।

सीएए लागू करने को लेकर तैयारी पूरी

बता दें कि सीएए लागू करने को लेकर पूरी तैयारी की जा चुकी है। इसके लिए एक पोर्टल भी तैयार कर लिया गया है।पात्र पड़ोसी देशों से आने वाले विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी और आवेदक अपने मोबाइल फोन से भी आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। गृह मंत्रालय इसकी जांच कर नागरिकता जारी कर देगा। बता दें कि नागरिकता देने का अधिकार पूरी तरह से केंद्र सरकार के पास है।

क्या है सीएए

सीएए यानी नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को 2019 में संसद से पारित किया गया है। इसका उद्देश्य 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देना है। इसका फायदा उन हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को मिलेगा जो इन तीनों पड़ोसी देशों में प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए हैं। खास बात ये है कि इन्हें भारतीय नागरिकता लेने के लिए किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होगी। कानून के तहत नागरिकता मिलते ही ऐसे व्यक्तियों को देश के मौलिक अधिकार भी मिल जाएंगे। मुस्लिमों को इस कानून से बाहर रखा गया है।

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भी नहीं हुआ लागू

दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित किये जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसमें कई मौतें हुईं। असम में पहली बार विरोध प्रदर्शन 4 दिसंबर, 2019 को शुरू हुआ, जब विधेयक संसद में पेश किया गया था। जल्द ही यह दिल्ली सहित प्रमुख शहरों में फैल गया। विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप 27 मौतें हुईं, इनमें से 22 मौतें अकेले उत्तर प्रदेश में हुईं। एक हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया और आंदोलनकारियों के खिलाफ 300 से अधिक मामले दर्ज किये गये।

क्या एक और राज्य “हाथ” से गया? हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के कई विधायकों के गायब होने की खबर

#himachal_big_breaking_nine_mla_including_6_congressmen_in_touch_with_bjp

क्या कांग्रेस के हाथ से एक और राज्य निकल जाएगा? ये सवाल हम नहीं हालात उठा रहे हैं।दरअसल हिमाचल प्रदेश की राज्यसभा की एक सीट पर हो रहे चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो कि कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया है। इसी बीच बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि अगर मैं राज्यसभा चुनाव जीत गया तो हिमाचल में कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी।

ऐसे में हिमाचल प्रदेश में सियासी हलचल बढ़ गई है। क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के 6 विधायक इंद्रजीत लखनपाल, चैतन्य शर्मा, सुधीर शर्मा,राजेंद्र राणा, देवेंद्र सिंह भुट्टो, रवि ठाकुर और तीन निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा, के एल ठाकुर और होशियार सिंह हैं। सूत्रों के हवाले से यह खबर है कि ये 9 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।

बताया जा रहा है कि राज्यसभा के लिए वोटिंग के बाद सीएम सुक्खू सहित अन्य कांग्रेस विधायक बजट सत्र में पहुंचे थे। यहां पर वित्त विधेयक पास होना था। लेकिन इस बीच स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही को बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। क्योंकि कांग्रेस के कई विधायक कार्यवाही में नहीं पहुंचे थे। बड़ी बात है कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सादौन सिंह बीते दो दिन से शिमला में डेरा डाले हुए थे।

कांग्रेस की आपसी कलह किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेस के कई विधायक सीएम सुक्खू से नाराज है। वहीं हिमाचल के पूर्व सीएम और नेता विपक्ष जय राम ठाकुर ने भी कहा कि सरकार अल्पमत में हैं। उन्होंने कहा कि वित्त बिल को विधानसभा में वोटिंग के आधार पर नहीं पास किया गया। केवल वॉयस नोट के आधार पर इसे पास किया गया। इस तरह के हालात के बीच कांग्रेस में लगातार हो रही टूट के बाद इस तरह के कयाल लगने लाजमी है।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कुल 68 सीटें हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40, बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली थी।वहीं तीन निर्दलीय उम्मीदवारों को भी कामयाबी मिली थी।राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 35 विधायकों की जरूरत होती है। राज्यसभा चुनाव की तरह की अगर कांग्रेस के ये छह विधायक आगे भी बागी रुख अपनाते हैं तो सुक्खू की सरकार संकट में आ सकती है।सूत्रों के मुताबिक अगर 6 कांग्रेस विधायकों ने पार्टी से बगावत की है तो अब कांग्रेस के पास 34 विधायक ही बचेंगे। वहीं बागी विधायकों ने बीजेपी के साथ जाने का मन बनाया तो पार्टी के विधानसभा सदस्यों की संख्या 31 हो जाएगी। इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायकों का भी साथ मिला तो यह संख्या 34 पहुंच जाएगी। इससे दोनों ही दलों के पास 34-34 का आंकड़ा हो जाएगा और कांग्रेस की सरकार अल्पमत में आ जाएगी। बीजेपी उन कांग्रेस विधायकों को भी टारगेट पर रखे हुए हैं, जो लंबे वक्त से अपनी ही सरकार से नाराज चल रहे हैं। यहां पार्टी के कुछ विधायक टूटे तो फिर कांग्रेस की सरकार भी गिर सकती है। यही वजह है कि विधायकों के बगावत से कांग्रेस के पास सरकार बचाने की चुनौती सामने होगी।

प्रधानमंत्री मोदी केरल में आज करेंगे ISRO की प्रमुख तकनीकी इकाइयों का उद्घाटन, गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की भी होगी समीक्षा

पीएम नरेन्द्र मोदी आज यानी मंगलवार को केरल में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की 3 प्रमुख तकनीकी इकाइयों का उद्घाटन करेंगे. पीएम मोदी तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) की अपनी यात्रा के चलते गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की भी समीक्षा करेंगे. कहा जा रहा है कि आज गगनयान परियोजना के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के नामों का खुलासा हो सकता है.

प्रधानमंत्री मोदी VSSC में एक ‘ट्राइसोनिक विंड टनल’, तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रणोदन परिसर (इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स) में सेमी-क्रायोजेनिक इंटीग्रेटेड इंजन संबंधी इकाई तथा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SHAR) श्रीहरिकोटा में पीएसएलवी एकीकरण इकाई का उद्घाटन करेंगे. VSSC इसरो का प्रमुख केंद्र है जो प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी (लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी) के डिजाइन एवं विकास के लिए अहम इकाई है.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक, ‘ट्राइसोनिक विंड टनल’ के माध्यम से रॉकेट एवं विमानों के मॉडलों पर वायुगतिकीय विशेषताओं का मूल्यांकन एवं डिजाइन विकसित करने के लिए नियंत्रित वायु प्रवाह किया जाता है. महेंद्रगिरि में ‘सेमी-क्रायोजेनिक इंटीग्रेटेड इंजन स्टेज टेस्ट’ इकाई विश्वस्तरीय अत्याधुनिक केंद्र है जो प्रणोदक के बड़े प्रवाह का प्रबंधन करता है. बीजेपी सूत्रों के अनुसार, आधिकारिक समारोहों के पश्चात् मोदी भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई द्वारा आयोजित पदयात्रा के समापन कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगे.

एस जयशंकर और निर्मला सीतारमण लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, अब तक सीट पर फैसला नहीं

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लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीनों का वक्त बचा है। चुनाव की तारीखों के ऐलान की चर्चा के बीच सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों का चयन करना शुरू कर दिया है। इस लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार के कई मंत्री पहली बार ताल ठोकतें नजर आएंगे। यह चर्चा बहुत पहले से चल रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसका संकेत दे चुके हैं।बीजेपी ने अपने दो दिग्गज मंत्रियों को चुनावी मैदान में डेब्यू कराने का फैसला किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसका खुलासा भी कर दिया है।

कर्नाटक के हुबली में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा, यह लगभग तय है कि वे चुनाव लड़ेंगे। लेकिन पार्टी ने अभी इस बात पर फैसला नहीं किया है कि उनमें से किसको कर्नाटक से लड़ना चाहिए या दोनों को बाहर से लड़ना चाहिए।

दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बेंगलुरु में शानदार प्रदर्शन किया था। पार्टी ने यहां की सभी तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी अपने पिछले प्रदर्शन को एक बार फिर से दोहराना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी अपने दो बड़े नेताओं को मैदान में उतार सकती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में निर्मला सीतारमण और जयशंकर दोनों ही सबसे दिग्गज मंत्रियों में से एक हैं। वे अपने तेज-तर्रार बयानों की वजह से हमेशा ही सुर्खियों में रहते हैं। वर्तमान में सीतारमण और जयशंकर संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा के सदस्य हैं। दोनों नेता लंबे समय से सांसद की भूमिका में हैं, लेकिन उनकी एंट्री राज्यसभा के रास्ते हुई है। ऐसे में उन्होंने अभी तक आम चुनाव का सामना नहीं किया है। ऐसे में अब वे अब चुनावी मैदान में उतरने वाले हैं।