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जब तक मैं ज़िंदा हूं, बाल विवाह नहीं होने दूंगा', असम विधानसभा में विपक्ष पर बरसे सीएम सरमा

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असम की हिमंता सरकार ने हाल ही में मैरिज एक्ट पर बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में मुस्लिम मैरिज एंड डाइवोर्स एक्ट 1935 को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था। जिसके बाद सीएम सरमा लगातार विपक्ष के निशान पर थे। इसी बीच मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा असम विधानसभा में विपक्षियों पर भड़क गए। विधानसभा में ‘मुस्लिम मैरिज एंड डाइवोर्स एक्ट 1935’ के खत्म किए जाने पर सवाल उठा रही कांग्रेस के नेताओं को उन्होंने जमकर खरी-खोटी सुनाई।उन्होंने सदन में दो टूक कहा, ‘जब तक मैं जिंदा हूं, असम में छोटी बच्चियों का विवाह नहीं होने दूंगा।

असम सरकार की ओर से मुस्लिम विवाह कानून को निरस्त किए जाने के बाद कांग्रेस और एआईयूडीएफ जैसी विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर निशाना साधा है। इसका जवाब सोमवार को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने विधानसभा में दिया। बाल विवाह के मुद्दे पर हो रही चर्चा के दौरान गुस्से में आते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने चुनौती दे डाली। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि जब तक वह जिंदा हैं, असम में बाल विवाह नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि मैं आपको राजनीतिक चुनौती देता हूं कि मैं इस दुकान को 2026 से पहले बंद कर दूंगा।

इस बयान के वीडियो को सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, कांग्रेस के लोग सुन लें, जब तक मैं, हिमंता बिस्वा सरमा ज़िंदा हूं, तब तक असम में छोटी बच्चियों का विवाह नहीं होने दूंगा। आप लोगों ने मुस्लिम समुदाय की बेटियों को बर्बाद करने की जो दुकान खोली है, उन्हें पूरी तरह से बंद किए बिना हम चैन से नहीं बैठेंगे।

बता दें कि दो दिन पहले ही असम सरकार ने राज्य में बाल विवाह पर रोक के लिए मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून, 1935 खत्म कर दिया। इसे लेकर शुक्रवार देर रात हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया था। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा था कि '23 फरवरी को असम कैबिनेट ने एक अहम फैसला लेते हुए वर्षों पुराने असम मुस्लिम विवाह एवं तलाक पंजीकरण कानून को वापस ले लिया गया है। इस कानून में ऐसे प्रावधान थे कि अगर दूल्हा और दुल्हन शादी की कानूनी उम्र यानी लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल के नहीं हुए हैं, तो भी शादी को पंजीकृत कर दिया जाता था। यह असम में बाल विवाह रोकने की दिशा में अहम कदम है।'

बता दें कि असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने 15 अगस्त 2023 को ऐलान किया था कि वह राज्य में होने वाले बाल विवाह को 2026 तक खत्म कर देंगे। बाल विवाह के खिलाफ असम सरकार ने 2023 में विशेष अभियान चलाकर हजारों लोगों को गिरफ्तार किया था। अब मुस्लिम विवाह कानून भी खत्म कर दिया गया है, जिसके तहत कम उम्र के लड़कों और लड़कियों की शादी भी करवाई जा सकती थी।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र, बोले-अग्निपथ योजना देश के युवाओं के साथ घोर अन्याय

#congress_president_mallikarjun_kharge_wrote_letter_to_president 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अग्निपथ योजना को लेकर एक पत्र लिखा है।इस पत्र के जरिए खड़गे ने कहा है कि अग्निपथ योजना के कारण सशस्त्र बलों में नियमित रोजगार चाहने वाले देश के युवाओं के साथ हुए "घोर अन्याय" हुआ है। उन्होंने उनसे उनके लिए न्याय सुनिश्चित करने का आग्रह किया।उन्होंने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि उन करीब दो लाख नौजवानों के साथ न्याय किया जाए, जिनका चयन सेना की नियमित सेवा में होने की बावजूद उनकी भर्ती नहीं की गई है।

खरगे ने राष्ट्रपति को पत्र में लिखा, 'हाल ही में मैं इन नौजवानों से मिला। उन्होंने मुझे बताया कि 2019 और 2022 के बीच लगभग दो लाख अभ्यर्थियों को सूचित किया गया था कि उन्हें तीनों सशस्त्र सेवाओं- सेना, नौसेना और वायु सेना में चयनित कर लिया गया है। इन युवाओं ने कठिन मानसिक और शारीरिक परीक्षण तथा लिखित परीक्षा पास करने के लिए कड़ा संघर्ष किया था।' खरगे ने लिखा , '31 मई 2022 तक उन्हें विश्वास था कि उन्होंने अपने सपने पूरे कर लिए हैं और उन्हें केवल अपने नियुक्ति पत्र का इंतजार था। उस दिन भारत सरकार द्वारा इस भर्ती प्रक्रिया को समाप्त करने और इसके स्थान पर अग्निपथ योजना लागू करने के निर्णय से उनके सपने चकनाचूर हो गये।'

कांग्रेस नेता के मुताबिक, "अग्निपथ योजना के साथ कई मुद्दे जुड़े हैं।" खरगे ने कहा, "इसके अलावा, यह योजना सैनिकों के समानांतर कैडर बनाकर हमारे जवानों के बीच भेदभाव पैदा करने वाली है। चार साल की सेवा के बाद अधिकतर अग्निवीरों को नौकरी ढूंढने के लिए छोड़ दिया जाएगा। इसके बारे में कुछ लोगों का तर्क है कि इससे सामाजिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।"

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा, ''अपने सपने को पूरा करने में उन्हें (अभ्यर्थी) न केवल कई साल लग गए बल्कि 50 लाख आवेदकों में से प्रत्येक को 250 रुपये जमा करने पड़े, जो इन युवाओं से लिए गए 125 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि है। हमारे युवाओं को इस तरह से पीड़ा झेलने नहीं दिया जा सकता। मैं आपसे यह सुनिश्चित करने की अपील करता हूं कि न्याय हो।''

बता दें कि जून 2022 में, सरकार ने तीनों सेवाओं की आयु प्रोफ़ाइल को कम करने के उद्देश्य से सशस्त्र बलों में कर्मियों को अल्पकालिक शामिल करने के लिए अग्निपथ भर्ती योजना शुरू की। इसमें साढ़े 17 साल से 21 साल की आयु वर्ग के युवाओं को चार साल के लिए भर्ती करने का प्रावधान है। 4 साल बाद 75 फीसदी युवाओं को घर भेज दिया जाएगा और सिर्फ 25 फीसदी युवाओं को ही स्थायी भर्ती दी जाएगी

पाकिस्तान में एक महिला की लिंचिंग की कोशिश, अरबी प्रिंट वाले कपड़े पहने देख भीड़ ने घेरा

#pakistan_woman_mobbed_for_wearing_attire_with_arabic_prints

पाकिस्तान के लाहौर में एक महिला के कुर्ती को लेकर बवाल मच गया। भीड़ ने महिला को घेर लिया और “तन सर से जुदा” करने के नारे लगने लगे। जिसके बाद एक महिला पुलिस अधिकारी ने बीच-बचाव करते हुए उस महिला को सुरक्षित निकाला।सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है।

पाकिस्तान के लाहौर में एक महिला की भीड़ ने जान लेने की कोशिश की। शहर के अचरा बाजार में एक होटल में खाना खाने आई महिला की ड्रेस पर अरबी भाषा में प्रिंट था। इसे कुरान की आयत बताते हुए कुछ लोगों ने महिला पर ईशानिंदा का आरोप लगा दिया। इसके बाद देखते ही देखते भीड़ जमा हो गई। महिला को चारों ओर से घेर लिया गया और उसे कुरान का अपमान करने वाली कहा गया।यहां तक कि उन्होंने महिला को सरेआम कुर्ती उतार देने को कह डाला। जैसे ही लोगों ने उस पर कुर्ती उतारने का दबाव बनाया तो वो डर गई। इस बीच उसके पति ने पुलिस को इस बारे में सूचना दी। जिसके बाद इलाके की एएसपी सैयदा शहरबानो नकवी मौके पर पहुंच गईं और महिला को भीड़ के बीच से निकालकर उसे थाने ले आईं।

घटना के जो वीडियो सामने आए हैं, उनमें देखा जा सकता है कि भीड़ ने महिला को घेरा हुआ है। महिला बेहद डरी हुई होटल के एक कोने में बैठी है। भीड़ में से कुछ लोग महिला के कपड़ों पर प्रिंट अरबी शब्दों को कुरान की आयतें कहते हुए गुस्सा कर रहे हैं। कुछ लोग उसे इस्लाम का मजाक उड़ाने वाली कहते हुए गोली मार देने की बात कह रहे हैं।

घटना के बारे में बात करते हुए महिला पुलिस अधिकारी ने एक अन्य वीडियो में कहा, महिला ने एक कुर्ता पहना था, जिस पर कुछ शब्द लिखे थे। जब कुछ लोगों ने देखा तो उन्होंने उससे कुर्ता उतारने को कहा। उन लोगों को गलतफहमी हुई थी।पुलिस ने पाया है कि महिला ने जो कपड़े पहने थे, उसमें अरबी के कुछ शब्द लिखे थे ना कि कुरान की आयतें लिखी थीं।

वहीं पीड़ित महिला ने बाद में इस घटना के लिए माफी भी मांगी है। ऑनलाइन साझा किए गए वीडियो में महिला को यह कहते हुए सुना गया, मैंने कुर्ता इसलिए खरीदा था, क्योंकि उसका डिजाइन अच्छा लगा। मैंने नहीं सोचा था कि लोग इस तरह सोचेंगे। मेरा कुरान का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था। मैं इस घटना के लिए माफी मांगती हूं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घटना का वीडियो पोस्ट करते हुए पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने लिखा, गुलबर्ग लाहौर की बहादुर एसडीपीओ एएसपी सैयदा शहरबानो नकवी ने एक महिला को हिंसक भीड़ से बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी। इस साहसिक कार्य के लिए, पंजाब पुलिस ने प्रतिष्ठित कायद-ए-आजम पुलिस पदक (क्यूपीएम) के लिए उनके नाम की सिफारिश की है, जो पाकिस्तान में कानून प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

पाकिस्तान में एक महिला की लिंचिंग की कोशिश, अरबी प्रिंट वाले कपड़े पहने देख भीड़ ने घेरा

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पाकिस्तान के लाहौर में एक महिला के कुर्ती को लेकर बवाल मच गया। भीड़ ने महिला को घेर लिया और “तन सर से जुदा” करने के नारे लगने लगे। जिसके बाद एक महिला पुलिस अधिकारी ने बीच-बचाव करते हुए उस महिला को सुरक्षित निकाला।सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है। 

पाकिस्तान के लाहौर में एक महिला की भीड़ ने जान लेने की कोशिश की। शहर के अचरा बाजार में एक होटल में खाना खाने आई महिला की ड्रेस पर अरबी भाषा में प्रिंट था। इसे कुरान की आयत बताते हुए कुछ लोगों ने महिला पर ईशानिंदा का आरोप लगा दिया। इसके बाद देखते ही देखते भीड़ जमा हो गई। महिला को चारों ओर से घेर लिया गया और उसे कुरान का अपमान करने वाली कहा गया।यहां तक कि उन्होंने महिला को सरेआम कुर्ती उतार देने को कह डाला। जैसे ही लोगों ने उस पर कुर्ती उतारने का दबाव बनाया तो वो डर गई। इस बीच उसके पति ने पुलिस को इस बारे में सूचना दी। जिसके बाद इलाके की एएसपी सैयदा शहरबानो नकवी मौके पर पहुंच गईं और महिला को भीड़ के बीच से निकालकर उसे थाने ले आईं। 

घटना के जो वीडियो सामने आए हैं, उनमें देखा जा सकता है कि भीड़ ने महिला को घेरा हुआ है। महिला बेहद डरी हुई होटल के एक कोने में बैठी है। भीड़ में से कुछ लोग महिला के कपड़ों पर प्रिंट अरबी शब्दों को कुरान की आयतें कहते हुए गुस्सा कर रहे हैं। कुछ लोग उसे इस्लाम का मजाक उड़ाने वाली कहते हुए गोली मार देने की बात कह रहे हैं। 

घटना के बारे में बात करते हुए महिला पुलिस अधिकारी ने एक अन्य वीडियो में कहा, महिला ने एक कुर्ता पहना था, जिस पर कुछ शब्द लिखे थे। जब कुछ लोगों ने देखा तो उन्होंने उससे कुर्ता उतारने को कहा। उन लोगों को गलतफहमी हुई थी।पुलिस ने पाया है कि महिला ने जो कपड़े पहने थे, उसमें अरबी के कुछ शब्द लिखे थे ना कि कुरान की आयतें लिखी थीं। 

वहीं पीड़ित महिला ने बाद में इस घटना के लिए माफी भी मांगी है। ऑनलाइन साझा किए गए वीडियो में महिला को यह कहते हुए सुना गया, मैंने कुर्ता इसलिए खरीदा था, क्योंकि उसका डिजाइन अच्छा लगा। मैंने नहीं सोचा था कि लोग इस तरह सोचेंगे। मेरा कुरान का अपमान करने का कोई इरादा नहीं था। मैं इस घटना के लिए माफी मांगती हूं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घटना का वीडियो पोस्ट करते हुए पाकिस्तान की पंजाब पुलिस ने लिखा, गुलबर्ग लाहौर की बहादुर एसडीपीओ एएसपी सैयदा शहरबानो नकवी ने एक महिला को हिंसक भीड़ से बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी। इस साहसिक कार्य के लिए, पंजाब पुलिस ने प्रतिष्ठित कायद-ए-आजम पुलिस पदक (क्यूपीएम) के लिए उनके नाम की सिफारिश की है, जो पाकिस्तान में कानून प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

मालदीव में भारतीय सैन्यकर्मियों की तैनाती को लेकर दिए बयान पर घिरे मुइज्जू, पूर्व विदेश मंत्री ने यूं “धोया”

#maldives_former_minister_abdulla_shahid_claim_president_muizzu_statement_on_indian_troops

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारतीय सैनिकों को लेकर के गए दावों के बाद अपने ही देश में धिरते नदर आ रहे हैं। मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने इसको लेकर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर जमकर निशाना साधा है।उन्होंने कहा कि मुइज्जू ने कई झूठ जनता के सामने परोसे हैं, जिनमें एक ये भी है कि मालदीव में हजारों भारतीय सैन्यकर्मी तैनात हैं।इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनके देश में कोई भी सशस्त्र विदेशी सैनिक तैनात नहीं है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के प्रमुख और देश के सीनियर नेताओं में शुमार अब्दुल्ला शाहिद ने लिखा, "मोहम्मद मुइज्जू के बतौर राष्ट्रपति 100 दिन पूरे करने के बाद यह साफ है कि उन्होंने कई झूठ बोले हैं। हजारों भारतीय सैन्यकर्मियों के होने का दावा भी उनके झूठों की सीरीज का एक हिस्सा थे। इस समय प्रशासन की विदेशी सैन्यकर्मियों की संख्या ना बताया जाना, उनके झूठ के बारे में बहुत कुछ कहती है। इस समय देश में कोई भी सशस्त्र विदेशी सैनिक तैनात नहीं हैं। मुइज्जू को ये समझना चाहिए कि पारदर्शिता बहुत मायने रखती है और सच्चाई कायम रहनी चाहिए।"

बता दे कि वर्तमान में, मालदीव में डोर्नियर 228 समुद्री गश्ती विमान और दो एचएएल ध्रुव हेलीकॉप्टरों के साथ लगभग 70 भारतीय सैनिक तैनात हैं। फिलहाल दोनों देश इसे लेकर बातचीत कर रहे हैं। पिछले दिसंबर में मुइज्जू ने दावा किया था कि भारत सरकार के साथ बातचीत के बाद भारतीय सैन्यकर्मियों को वापसी पर सहमति बन गई है। उन्होंने कहा था कि वार्ता में इस बात पर सहमति बनी है कि तीन विमानन प्लेटफार्मों में से एक पर सैन्यकर्मियों को 10 मार्च, 2024 से पहले वापस बुलाए जाएगा। बाकी दो प्लेटफार्मों से सैन्यकर्मियों को 10 मई, 2024 से पहले वापस भारत भेज दिया जाएगा।

गौरतलब है कि मालदीव में भारतीय सैनिकों को हटाना मुइज्जू की पार्टी का मुख्य अभियान था। उनके चुनाव प्रचार का एक अहम हिस्सा भारत विरोध रहा था। उन्होंने इंडिया आउट की बात अपने चुनाव के समय कई बार दोहराई थी। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों की वापसी का एलान कर दिया था।

रेलवे की तरफ से मिनिमम किराया में किया गया बदलाव, न्यूनतम किराया अब 30 रुपए की जगह हो जाएंगे 10 रुपए

ट्रेन में सफर करने वालों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। अब रेलवे की तरफ से मिनिमम किराया में कुछ बदलाव किया गया है। रेलवे कोरोना काल से पहले मिनिमम किराया 10 रुपये लेता था लेकिन कोरोना काल के बाद इसे बढ़ाकर 30 रुपये कर दिया गया था। रेलवे ने अब यात्रियों को राहत देते हुए न्यूनतम किराए को 30 रुपये की जगह 10 रुपये करने का फैसला लिया है।

यात्र‍ियों की सुव‍िधाओं पर लगातार काम कर रहे रेल मंत्रालय ने प‍िछले कुछ सालों में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में तेजी से बदलाव क‍िया है। इससे यात्र‍ियों को तमाम नई सुव‍िधाएं भी म‍िली हैं। अब रेलवे बोर्ड की तरफ से दैन‍िक यात्र‍ियों के ल‍िए रेल क‍िराये को घटाकर बड़ी राहत दी गई है। बोर्ड ने रेलगाड़ी के म‍िन‍िमम क‍िराये को घटाकर एक त‍िहाई कर द‍िया है।

प‍िछले तीन सालों के दौरान म‍िन‍िमम क‍िराये को 10 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये कर द‍िया गया था। लेक‍िन अब बोर्ड ने इसे फ‍िर से घटाकर 10 रुपये कर द‍िया है। न्‍यूनतम क‍िराया बढ़ने से यात्र‍ियों को एक स्‍टेशन से दूसरे स्‍टेशन तक जाने के ल‍िए भी 30 रुपये का भुगतान करना होता था।

पहले मिनिमम किराया था 10 रुपये

क‍िराये बढ़ने के बाद कई बार यात्र‍ियों को एक्‍सप्रेस ट्रेनों में सफर करना पड़ता था। रेलवे बोर्ड के इस फैसले का फायदा दिल्ली-एनसीआर समेत देश के लाखों डेली पैसेंजर को होगा। रेलवे को हमेशा से ही ट्रांसपोर्ट का सस्‍ता साधन माना गया है। इसी कारण रोजाना लाखों दैन‍िक यात्री ट्रेनों से सफर करते हैं। साल 2020 में कोरोना महामारी के दस्‍तक देने से पहले ट्रेन का न्‍यूनतम क‍िराया 10 रुपये था। लेक‍िन कोरोना के बाद जब रेलगाड़‍ियों का संचालन शुरू क‍िया गया तो इसे बढ़ाकर 30 रुपये कर द‍िया गया। क‍िराया बढ़ने से यात्र‍ियों को पहले के मुकाबले तीन गुना राश‍ि का भुगतान करना पड़ रहा था।

यात्री संगठनों ने की थी किराया कम करने की मांग

यात्री संगठनों ने कई बार रेलवे बोर्ड से बढ़ाए गए किराये को कम करने की मांग की। अब रेलवे बोर्ड ने अपने आदेश में कहा क‍ि यात्रियों से न्यूनतम किराया 10 रुपये के ह‍िसाब से लिया जाएगा। लोकल टिकट बुक‍िंग ऐप, सॉफ्टवेयर और यूटीएस ऐप में भी घटाए गए क‍िराये से जुड़ी जानकारी को अपडेट कर दिया गया है। कोरोना के बाद रेलवे की तरफ से ज‍िन रेल गाड़‍ियों को चलाया जा रहा है, उन्‍हें मेल और एक्‍सप्रेस ट्रेन बताया गया। इस तरह की ट्रेनों का न्‍यूनतम क‍िराया 30 रुपये होता है। इस समय लोकल गाड़‍ियों का पर‍िचालन बंद कर द‍िया गया था।

लेक‍िन अब लोकल गाड़‍ियों का पर‍िचालन फ‍िर से शुरू होने के बाद न्यूनतम किराये को घटाकर 10 रुपये कर द‍िया गया है। इस फैसले के लागू होने के बाद दिल्ली-एनसीआर समेत देश के लाखों रोजाना यात्रा करने वाले यात्र‍ियों को फायदा म‍िलेगा।

चुनाव में जीत के लिए खुद को मोदी समझ कर हर बूथ पर खड़े रहें', BJP कार्यकर्ताओं से भोपाल में बोले अमित शाह

 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ संवाद किया। इस के चलते उन्होंने लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं से हर बूथ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में खड़े होने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि पार्टी मध्य प्रदेश की सभी 29 संसदीय सीटों पर जीत हासिल करेगी।

विधानसभा चुनाव के पश्चात् शाह पहली बार राजधानी भोपाल में थे। उनकी रणनीति उन तमाम फैक्टर में से एक थी, जिसने बीजेपी को भारी बहुमत से जीत दिलाई। खजुराहो में 23,000 बीजेपी बूथ समिति कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, 'यह सम्मेलन 18वीं लोकसभा में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 400 से ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाने का संकल्प है।' हफ्ते के आरम्भ में कांग्रेस-समाजवादी पार्टी के सीट-बंटवारे के समझौते के पश्चात्, खजुराहो - उत्तर प्रदेश से सटे बुंदेलखंड क्षेत्र में - एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र है, जहां सपा मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस इस सीट पर एसपी को समर्थन देगी तथा बाकी 28 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जहां उसे एसपी का समर्थन मिलेगा। 

2014 में, भारतीय जनता पार्टी ने 29 में से 27 सीटें जीतीं एवं 2019 में 28 सीटें जीतीं, छिंदवाड़ा में कांग्रेस की एकमात्र जीत रही। छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश में कांग्रेस का आखिरी किला है। कांग्रेस के दिग्गज नेता कमल नाथ ने 1980 के पश्चात् से 9 बार लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, सिर्फ एक बार 1997 में बीजेपी के सुंदरलाल पटवा से हारे हैं। अब, नाथ के बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं, जिन्होंने 2019 में तकरीबन 37,000 वोटों से सीट जीती थी। इस बार छिंदवाड़ा को जीतने और 29-0 करने के लिए भाजपा पूरी ताकत लगा रही है।

व्यासजी के तहखाने में जारी रहेगी पूजा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ख़ारिज की मुस्लिम पक्ष की याचिका

 व्यासजी तहखाने में पूजा को लेकर इलाहबाद उच्च न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा है कि तहखाने में पूजा जारी रहेगी। बता दें कि बीते दिनों वाराणसी जिला जज ने व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति दी थी। तत्पश्चात, मुस्लिम पक्ष उच्च न्यायालय गया था। वहीं उच्च न्यायालय से याचिका खारिज करने के पश्चात् अब मुस्लिम पक्ष सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है। 

उच्च न्यायालय ने आदेश सुनाते हुए कहा कि वाराणसी जिला जज ने जो बीते दिनों पूजा करने का आदेश दिया था, वह जारी रहेगा। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्‍यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली संस्‍था अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की थी तथा अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। वहीं इस मामले में ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा, "आज इलाहबाद उच्च न्यायालय ने अंजुमन इंतजामिया की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दी है, इसका मतलब है कि जो पूजा चल रही थी वह वैसे ही चलती रहेगी। यदि वे सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे तो हम भी उच्च न्यायालय में अपनी बात रखेंगे।"

दिसंबर 1993 के पश्चात् ज्ञानवापी के प्रांगण में बेरिकेट वाले क्षेत्र में प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई थी जिसके पश्चात् से व्यास जी के तहखाने में पूजा नहीं हो रही थी। राग-भोग संस्कार भी रुक गए थे। हिंदू पक्ष ने अदालत में इस बात का भी दावा किया कि ब्रिटिश शासन काल में भी यहां पूजा होती थी। सनातन धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री एवं बहुत सी प्राचीन प्रतिमाएं एवं धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री उक्त तहखाने में उपस्थित है।

आखिर अजित पवार ने क्यों लिया एनसीपी से अलग होने का फैसला? जनता को लिखे पत्र में बताई एनडीए में शामिल होने की वजह

#Ajit_pawar_clarify_his_reasons_for_switching_sides_joining_hands_with_bjp

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने जनता के नाम एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में अजीत पावर ने पाला बदलने और बीजेपी और शिवसेना से हाथ मिलाने के अपने कारणों को स्पष्ट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ये पत्र जारी किया है। अजित पवार ने पत्र में लिखा है कि भाजपा और शिवसेना में शामिल होते समय अलग तरह से सोचा। यह पत्र मेरी सही स्थिति और सोच के बारे में राज्य के लोगों को बताने के उद्देश्य से लिखा गया है।

अजित पवार ने अपने पत्र के जरिए महाराष्ट्र की जनता को बताया कि, अपने सियासी सफर में कुछ समय तक वह सत्ता में रहे और कुछ समय तक विपक्ष में रहे। सत्ता में रहते हुए काम की गति और विपक्ष में रहते हुए रुके हुए काम, दोनों का अनुभव किया। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यदि कोई जनता के प्रतिनिधि के रूप में काम करना चाहता है, तो उसके पास शक्ति होनी चाहिए। विचारधारा और लक्ष्यों से कोई समझौता किए बिना विकास कार्यों को गति देने के उद्देश्य से एक अलग रुख अपनाया गया। 

चाचा शरद पवार का नाम लिए बिना अजीत पवार ने कहा कि किसी का अपमान करने, किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने, किसी के साथ विश्वासघात करने या किसी की पीठ में छुरा घोंपने का बिल्कुल भी इरादा नहीं था और न ही कभी होगा। मेरे मन में हमेशा बड़ों के प्रति सम्मान, साथियों को साथ लेकर चलने और युवाओं को जगह-जगह अवसर देने की भावना रही है।

पवार ने आगे लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में इस देश में किए जा रहे विकास कार्य महत्वपूर्ण हैं। मुझे उनके गुण पसंद आए जैसे तेज नेतृत्व और सही निर्णय लेने की प्रक्रिया। मेरी कार्यशैली और उनकी शैली बहुत समान है। हमें काम के प्रति अधिक प्यार है और मैं उनके साथ अपनी भविष्य की विकास योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू कर पाऊंगा।

बता दें कि अजित पवार जुलाई 2023 में एनसीपी के 8 विधायकों के साथ महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। प्रदेश में इस सियासी घटनाक्रम के बाद शरद पवार गुट ने स्पीकर से पार्टी तोड़ने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी। 6 फरवरी चुनाव आयोग ने भी अजित पवार गुट को असली एनसीपी करार दिया था। आयोग ने कहा था कि बहुमत के आधार पर अजित गुट ही असली है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने अजित गुट वाली एनसीपी को चुनाव चिह्न घड़ी के इस्तेमाल का अधिकार दिया था। वहीं, विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने विधायकों की अयोग्यता को लेकर 15 फरवरी को फैसला सुनाते हुए अजित गुट को ही असली एनसीपी करार दिया था और उनके गुट के 41 विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया था।

आज भी ईडी के सामने पेश नहीं होंगे सीएम केजरीवाल, आप ने कहा-इस तरह दवान ना बनाए मोदी सरकार

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं होंगे। उन्हें ईडी ने 7वां समन जारी कर पेश होने के लिए कहा था। आम आदमी पार्टी ने बताया कि मामला कोर्ट में है और अगली सुनवाई 16 मार्च को है। ऐसे में केजरीवाल ईडी के सामने पेश नहीं हो रहे हैं। 

दिल्ली शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सातवां समन भेजा था। केजरीवाल को बीती 22 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने सातवां समन जारी कर सोमवार 26 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था।हालांकि केजरीवाल ने जिस तरह से अब तरक 6 समन की अनदेखी की उसी तरह सातवें समन को भी इग्नोर कर दिया।आम आदमी पार्टी ने ईडी के सातवें समन पर कहा कि सोमवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल ईडी के ऑफिस नहीं जाएंगे। क्योंकि अभी मामला कोर्ट में लंबित है। जिसकी सुनवाई 16 मार्च को होगी। आप ने आगे कहा कि रोज समन भेजने के बजाय कोर्ट के फैसले का इंतजार करें। हम इंडिया गठबंधन का साथ नहीं छोड़ेंगे। हमारे ऊपर इस तरह से मोदी सरकार दबाव न बनाए। 

छह समन के बावजूद ईडी के सामने पेश नहीं हुए हैं केजरीवाल

दिल्ली शराब घोटाले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं और इसी मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया है। इससे पहले बीती 14 फरवरी को भी ईडी ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा था, लेकिन केजरीवाल छठे समन पर भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। इससे पहले बीती साल 2 नवंबर, 21 दिसंबर और इस साल 3 जनवरी, 18 जनवरी और 2 फरवरी को भी ईडी केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन जारी कर चुकी थी।

बार-बार समन की कर रहे अनदेखी

दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बार-बार समन भेजकर पूछताछ के लिए बुला रही है, लेकिन वह पूछताछ के लिए ईडी के समक्ष पेश नहीं हो रहे हैं। छठवें समन पर भी सीएम अरविंद केजरीवाल ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। सीएम केजरीवाल ने कहा था कि ईडी के समन ग़ैरक़ानूनी है और ईडी के समन की वैधता का मामला अब कोर्ट में है। केजरीवाल ने कहा कि ईडी इसे लेकर ख़ुद कोर्ट गई है और अब उन्हें बार बार समन भेजने की बजाय कोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करना चाहिए।

क्या है पूरा मामला?

आरोप है कि दिल्ली सरकार ने 2021-22 के लिए एक्साइज नीति के तहत जिन शराब व्यापारियों को लाइसेंस जारी किए थे, उन्होंने इसके लिए रिश्वत दी थी और साथ ही मनपसंद शराब व्यापारियों को ही लाइसेंस जारी किए गए। दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021/22 को बनाने और उसके क्रियान्वयन में घोटाले के आरोपों के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 20 जुलाई, 2022 को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। जिसके बाद 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने शिकायत दर्ज की थी। जिसमें तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया था।सीबीआई के बाद ईडी ने 22 अगस्त, 2022 को आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एंगल पर जांच शुरू की।