संत रविदास धार्मिक कट्टरता के विरोधी और समरस समाज के निर्माण के पैरोकार थे : संतोष कुशवाहा
पूर्णिया: रविदास जी संत ही नही समाज सुधारक भी थे।उन्होंने रविदासीय पंथ की स्थापना किया था।वे धार्मिक कट्टरता के विरोधी और सामाजिक समरसता के पैरोकार थे।वे कहते थे कि कोई भी व्यक्ति जन्म और जाति से बड़ा या छोटा होता नही होता है व्यक्ति अपने कर्मों और विचारों से जाने जाते हैं।
युक्त बातें सांसद संतोष कुशवाहा ने शनिवार को बनमनखी प्रखण्ड के काझी पंचायत के दुर्गानगर में संत शिरोमणि रविदास जी के 647 वे जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही।इससे पहले सांसद श्री कुशवाहा ने संत रविदास जी मंदिर में पूजा -अर्चना किया ।
श्री कुशवाहा ने कहा कि रविदास जी ने ईश्वर के नाम पर विवाद को नकारते हुए सर्व धर्म समभाव की बात कहा था।श्री कुशवाहा ने कहा कि वे धर्म के मामले में इतने निरपेक्ष थे कि मुगल शासक बाबर और इब्राहिम लोदी के सामने भी घुटने नही टेका था।कहा कि इस जयंती की सार्थकता तब साबित होगी जब हम रविदास जी के विचारों को अपनाते हुए समरस समाज का निर्माण करेंगे। जयंती समारोह को संबोधित करते हुए भाजपा विधायक कृष्ण कुमार ऋषि ने कहा कि रविदास जी ने आत्मा की शुद्धता पर बल दिया और कहा कि अन्यत्र कहीं भटकने की जरूरत नहीं है।इसलिए अंतर्मन की शुद्धता जरूरी है।
इस मौके पर लालबिहारी यादव,हरि प्रसाद मण्डल,जेडीयू प्रदेश महासचिव अविनाश कुमार सिंह,डॉ सुदीप कुमार,योगेंद्र राम, संजय राय, शैलेन्द्र मण्डल, प्रदीप मेहता, राजेश गोस्वामी, चंदन मजूमदार,अविनाश कुशवाहा,सुधीर राम,कमलेश पासवान,रामचंद्र रविदास, शंकर ब्रह्मचारी,कंचन सिंह,मनोज पासवान,चंद्रकांत दास,अजय कुमार महतो, लालो ऋषि,सबिता देवी,रीता चौधरी,डॉक्टर विनोद साह,अशोक पोद्दार, श्यामल मंडल,सरबी ऋषि, नितीन जयसवाल,राजकुमार हेंब्रम, सहित हजारों गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
Feb 25 2024, 16:32