सीता स्वयंबर की कथा सुन भावविभोर हुये श्रोता
शिवकुमार जायसवाल,सकरन (सीतापुर) सकरन के अम्बाई स्थित सिद्ध बाबा मंदिर पर आयोजित सात दिवशीय श्री शतचंडी महायज्ञ में नैमिष से पधारी कथा ब्यास पूजा शास्त्री ने श्रोताओं को सीता स्वयम्बर की कथा का रसपान कराते हुए कहा कि एक दिन माता जानकी अपने महल में पोंछा लगा रही थी पोंछा लगाते समय महल में रखे शिव धनुष को एक हाथ से उठाकर उसके नीेचे पोंछा लगा दिया।
उस समय महाराज जनक ने धनुष उठाते हुए देख लिया तभी प्रण कर लिया कि जो इस शिव धनुष को तोडेगा उसी के साथ सीता का विवाह किया जायेगा उसके बाद महाराज जनक ने स्वयम्बर की तैयारी कर राजाओं को आमंत्रित किया ।
स्वयंबर में बडे बडे राजा महाराजा आये भगवान राम भी गुरू विश्वामित्र के साथ पहुंच गये आये हुये सभी राजाओं ने धनुष तोडने की कोशिश की मगर वह लोग शिव धनुष को हिला तक नही पाये राजाओं द्वारा धनुष न तोड पाने पर महाराज जनक को चिंता हुयी कि अब उनकी पुत्री का विवाह कैसे होगा अन्त में गुरू विश्वामित्र ने भगवान राम को धनुष भंग करने का आदेश दिया।
गुरू का आदेश पाकर भगवान राम ने शिव धनुष को तोड दिया शिव धनुष टूटते ही स्वयम्बर में जय जय कार होने लगी उसके बाद माता सीता ने भगवान के गले में वर माला पहना दी भगवान राम ने भी सीता को माला पहनायी उसके बाद बिधि बिधान से भगवान राम व माता जानकी की शादी की अन्य रस्में पूरी करवायी गयी इस दौरान कथा ब्यास जयप्रकाश अवस्थी रामेन्द्र कुमार आयोजक बाबा गयाप्रसाद त्यागी के अलावा भारी संख्या में श्रोतागण मौजूद थे |
Feb 19 2024, 18:13