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किसानों का भारत बंद आज, शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों में झड़प, पुलिस ने जारी किया प्रदर्शनकारियों का वीडियो

#farmersprotestbharat_bandh

किसान संगठनों ने आज भारत बंद का ऐलान किया है। दिनभर चलने वाला ये विरोध प्रदर्शन सुबह 6 बजे से शुरू होकर शाम 4 बजे तक चलेगा। किसान दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक देशभर की मुख्य सड़कों पर चक्का जाम में शामिल होंगे। पंजाब में आज ज्यादातर स्टेट और नेशनल हाईवे चार घंटे के लिए बंद रहेंगे। देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन से जुड़े करोड़ों की संख्या में मजदूरों ने भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।

शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प

भारत बंद के बीच शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प की खबर आ रही है.। पुलिस ने एक वीडियो जारी किया है। इसमें प्रदर्शनकारी किसान सुरक्षाबलों पर पथराव करते नजर आ रहे हैं। इससे पहले बुधवार को भी शंभू बॉर्डर पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे। इससे किसानों में अफरा तफरी मच गई थी।

भारत बंद को लेकर नोएडा पुलिस ने जारी की ट्रैफिक एडवाइजरी

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने गुरुवार को कहा कि शुक्रवार को किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के मद्देनजर जिले भर में धारा 144 लागू की जाएगी, जिसमें अनधिकृत सार्वजनिक सभाओं पर रोक भी शामिल है। पुलिस ने दिल्ली जाने और आने वाले यात्रियों को नोएडा में किये गये यातायात परिवर्तन को लेकर आगाह किया और लोगों को असुविधा से बचने के लिए जहां तक संभव हो मेट्रो सेवा का इस्तेमाल करने की सलाह दी।

केंद्र और किसानों के बीच कोई समाधान नहीं

इससे पहले तीन केंद्रीय मंत्रियों और प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के नेताओं के बीच गुरुवार देर रात यहां मैराथन बैठक बिना किसी समाधान के समाप्त हो गई। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि चर्चा “सकारात्मक” थी और बातचीत का एक और दौर रविवार को होगा। किसान नेताओं ने कहा कि वे पंजाब और हरियाणा के बीच दो सीमा बिंदुओं पर डटे रहेंगे। हालांकि तब तक शांति बनाए रखने पर सहमति बनी है। बैठक में यह तय किया गया कि रविवार की बैठक तक शंभू बॉर्डर पर किसान आगे नहीं बढ़ेंगे और हरियाणा पुलिस और पैरामिलिट्री की तरफ से भी सीजफायर पर सहमति बनी। इससे पहले किसानों के साथ 8 और 12 फरवरी को दो बैठकें बेनतीजा रह चुकी है।

किसान संगठनों का शुक्रवार को भारत बंद का ऐलान, जानें क्या खुला, क्या रहेगा बंद

#Farmersprotestbharatbandhon16february

किसानों के 16 फरवरी को भारत बंद के ऐलान किया है।संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साथ मिलकर भारत बंद बुलाने की घोषणा की है। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बुलाए गए भारत बंद के तहत सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक विरोध प्रदर्शन चलने वाला है। केंद्र सरकार से अपनी मांगे मनवाने के लिए किसान कई दिनों से दिल्ली पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें हरियाणा बॉर्डर के पास रोका गया है। ऐसे में अपनी मांगों के समर्थन में किसानों ने बंद का आह्वान किया है।

भारत बंद का आह्वान तब किया गया है जब पंजाब से मार्च कर रहे सैकड़ों किसानों को दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर अंबाला के पास हरियाणा के साथ राज्य की सीमा पर रोक दिया गया है। हरियाणा सुरक्षा बलों ने उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश करने के लिए उन पर आंसू गैस का इस्तेमाल किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी समान विचारधारा वाले किसान संगठनों से एकजुट होने और भारत बंद में भाग लेने का आग्रह किया है।

क्या खुला, क्या बंद?

16 फरवरी को किसान संघठनों की इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल की वजह से परिवहन, कृषि गतिविधियां, मनरेगा, ग्रामीण कार्य, निजी कार्यालय, गांव की दुकानें और ग्रामीण औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के संस्थान बंद रहने की उम्मीद है। हालांकि कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया है कि हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाएं जैसे एम्बुलेंस संचालन, शादी, चिकित्सा दुकानें, बोर्ड परीक्षा के लिए जाने वाले छात्र आदि लोगों के प्रभावित होने की संभावना नहीं है।

मोर्चा के संयोजक डॉ. दर्शन पाल ने बताया है कि आपातकालीन सेवाएं, स्वास्थ्य सुविधाएं, परीक्षा के लिए छात्रों और हवाईअडडे से जाने के लिए लोगों को रास्ता दिया जाएगा। बंद के दौरान दवा की दुकानों को खुली रहने की छूट दी गई है और किसी की अंतिम यात्रा को भी बंद के दौरान रास्ता दिया जाएगा। इसके लिए पूरी तरह से समन्वय बनाया गया है। इसके अलावा सभी संस्थानों को बंद रखने का आहवान किया गया है।

बॉर्डर पर किसानों को रोका गया

बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसानों ने दिल्ली चलो मार्च निकाला है। इस समय अंबाला के पास शंभू बार्डर पर हरियाणा और पंजाब के पास किसानों को रोके रखा गया है। दिल्ली से किसान अभी 200 किलोमीटर दूर हैं। यहां किसानों पर जमकर आंसू गैस के बम छोड़े जा रहे हैं। हरियाणा-दिल्ली बार्डर पर किसानों का आंदोलन उग्र हो गया है।

शरद पवार को बड़ा झटका,विधानसभा अध्यक्ष ने भी माना अजीत पवार गुट ही असली एनसीपी

महाराष्ट्र में एनसीपी विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला आ गया है। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि अजित गुट को 41 विधायकों का समर्थन है। अजित पवार के पास शरद पवार से ज्यादा विधायकों का समर्थन है इसलिए अजित पवार का गुट ही असली एनसीपी है।बता दें कि 

शरद पवार गुट की ओर से अजित पवार समेत सभी 9 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी।

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने गुरुवार को कहा कि जुलाई 2023 में जब पार्टी में दो गुट उभरे तो अजित पवार के नेतृत्व वाला समूह ही असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी थी। नार्वेकर ने आगे कहा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज की जाती हैं। दरअसल, पार्टी में टूट के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाले विरोधी गुटों ने अयोग्यता याचिकाएं दायर की थीं।

महाराष्ट्र में नवंबर 2019 में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बनी थी। इसके घटक दल राकांपा, शिवसेना और कांग्रेस थे, लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद यह सरकार गिर गई और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा की सरकार सत्ता में आई। इसके बाद राकांपा के अजित पवार और आठ विधायक भी पिछले साल जुलाई में सरकार में शामिल हो गए थे।

विपक्षी गठबंधन "इंडिया" को एक और बड़ा झटका, अब फारूक अब्दुल्ला ने किया अलग होने का एलान

विपक्षी गठबंधन "इंडिया" की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। एक के बाद गठबंधन को झटके लग रहे हैं और गठबंधन कमजोर होती जा रही है।अब नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर की सभी 5 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं सांसद फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को श्रीनगर में कहा कि उनकी पार्टी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी।पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली में पहले ही आप और टीएमसी झटका दे चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बात बनती नहीं दिख रही है। ऐसे में फारूक अब्दुल्ला का ये फैसला गठबंधन को और कमजोर कर देगा।

इस साल जनवरी की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा कर चुकी हैं। इससे इंडिया ब्लॉक को एक बड़ा झटका लगा था। हाल ही में, यूपी में राष्ट्रीय लोक दल भी गठबंधन से बाहर हो गया और एनडीए के साथ साझेदारी कर ली है।

उधर, इंडिया ब्लॉक के प्रमुख वास्तुकारों में से एक जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन से हाथ खींच लिया और भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ फिर से गठबंधन कर लिया है।

उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से वापस ली अपनी जमानत अर्जी, दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में जेल में है बंद

#umar_khalid_withdraws_bail_petition_in_supreme_court

दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपितों में से एक उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी जमानत याचिका वापस ले ली है। खालिद के वकील कपिल सिब्बल ने इसकी पुष्टि की है। याचिका वापस लेने की वजह हालात में बदलाव को बताया गया है। 2020 में हुए दिल्ली दंगों के आरोपी जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने की आस लगाए थे। उसकी जमानत पर बुधवार (14 फरवरी) को सुनवाई होनी थी। लेकिन, इस बीच उमर खालिद ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली है।

उमर के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच को बताया कि वो परिस्थितियां बदलने की वजह से अपनी जमानत याचिका वापस लेना चाहते हैं और नए सिरे से ट्रायल कोर्ट के सामने जमानत मांगने के लिए आवेदन करेंगे। उमर की याचिका अप्रैल-2023 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी, जिसकी सुनवाई कई बार स्थगित की जा रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने उमर खालिद को याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी है. जिसके बाद उमर खालिद अब नए सिरे से अपनी जमानत के लिए याचिका दायर कर सकेगा। बताते चलें कि इस से पहले उमर खालिद की जमानत याचिका की अर्जी दिल्ली की कड़कड़डूमा सत्र अदालत मार्च 2022 में खारिज कर चुकी है। उमर खालिद ने इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अक्टूबर 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था। तब से यह माना जा रहा था कि उमर खालिद जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है। मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से उमर खालिद के केस में जवाब तलब किया था। नवंबर 2023 में दोनों पक्षों के वकीलों के मौजूद न होने की वजह से मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं हो पाई थी।

बता दें कि 2020 में सीएए और एनआरसी के विरोध-प्रदर्शनों के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा हुई थी, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक घायल हो गए थे। सितंबर 2020 में गिरफ्तार किए गए उमर खालिद दंगों की पहचान मास्टरमाइंड के रूप में की गई। उनके साथ कुछ अन्य लोगों के खिलाफ भी आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया था।

क्या है चुनावी बॉन्ड, और क्या है उसका विवाद?

लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड की कानूनी वैधता पर फैसला सुनाया है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पांच सदस्य संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर फैसला सुनाया है राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार की ओर से लागू की गई इलेक्टोरल बॉन्ड बंद की व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी है। फैसला सनाते हुए कोर्ट ने कहा कि लोगों को चुनावी चंदे के स्रोत को जानने का अधिकार है।

कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक यानी एसबीआई को 2019 से ले कर अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सारी जानकारी तीन हफ़्ते के अंदर चुनाव आयोग को सौंपने को कहा है।

क्या है चुनावी बॉन्ड?

भारत में चुनाव के वक्त बहुत सारा पैसा खर्च होता है पार्टियों को जनता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए पैसे को जरूरत होती है। ये पैसा आता है चंदे के जरिए। राजनीतिक दलों को चंदा देने के जरिए को ही चुनाव बॉन्ड कहते है। मोदी सरकार ने 2017 में चुनावी बॉन्ड लाने की घोषणा की थी। अगले ही साल जनवरी 2018 में इसे अधिसूचित कर दिया गया। उस वक्त सरकार ने इसे पॉलिटिकल फंडिंग की दिशा में सुधार बताया और दावा किया कि इससे भ्रष्टाचार से लड़ाई में मदद मिलेगी।

राजनीतिक दल को दान करने जरिया

चुनावी बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र है। इसकी खरीदारी भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं पर किसी भी भारतीय नागरिक या कंपनी की ओर से की जा सकती है। यह बॉन्ड नागरिक या कॉरपोरेट कंपनियों की ओर से अपनी पसंद के किसी भी राजनीतिक दल को दान करने जरिया है।

विवाद की शुरूआत

विवाद की शुरूआत तो 2017 में ही हो गई थी जब इसकी घोषणा हुई। योजना को 2017 में ही चुनौती दी गई थी, लेकिन सुनवाई 2019 में शुरू हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पॉलिटिकल पार्टियों को निर्देश दिया कि वे 30 मई, 2019 तक चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी चुनाव आयोग को दें। हालांकि, कोर्ट ने इस योजना पर रोक नहीं लगाई। फिर साल 2019 के दिसंबर महीने में ही इसको लेकर दो याचिकाएं दायर की गई।पहली याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और ग़ैर-लाभकारी संगठन कॉमन कॉज़ ने मिलकर दायर की थी। दूसरी याचिका, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने दायर की थी। याचिकाओं में कहा गया था कि भारत और विदेशी कंपनियों के जरिए मिलने वाला चंदा गुमनाम फंडिंग है। इससे बड़े पैमाने पर चुनावी भ्रष्टाचार को वैध बनाया जा रहा है। यह योजना नागरिकों के जानने के अधिकार का उल्लंघन करती है।

राहुल गांधी ने कहा-चुनावी बॉन्ड स्कीम नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत, जानें कोर्ट के फैसले पर किसने क्या कहा

#supreme_court_decision_on_electoral_bonds_political_reactions

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक ठहरा दिया है। अब इस मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं हैं।विपक्षी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जताई है।विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।राहुल गांधी ने आरोप लगाए हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने बॉन्ड को ‘रिश्वत और कमीशन’ लेने का जरिया बनाया था। आज इस बात पर मुहर लग गई है। इसी के साथ मल्लिकार्जुन खरगे, पवन खेड़ा और जयराम रमेश समेत वाम नेता सीताराम येचुरी एवं शिवसेना (यूटीबी) के आदित्य ठाकरे ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया दी।

कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह निर्णय नोट के मुकाबले वोट की ताकत को और मजबूत करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि इस फैसले से इस बात पर मुहर लग गई है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनावी बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को लेकर सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए कहा, "नरेन्द्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था. आज इस बात पर मुहर लग गई है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'हम आज उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं जिसने मोदी सरकार की इस 'काला धन रूपांतरण' योजना को "असंवैधानिक" बताते हुए रद्द कर दिया है। हमें याद है कि कैसे मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्रालय ने भाजपा का खजाना भरने के लिए हर संस्थान - आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष पर बुलडोजर चला दिया था। राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, कांग्रेस ने हमेशा से कहा था इलेक्टोरल बॉन्ड, खारिज किए जाना चाहिए। ये बीजेपी का स्कैम था. इलेक्टोरल बॉन्ड पर पीएम, वित मंत्री और जेपी नड्डा को जवाब देना चाहिए।

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि यह किसी राजनीतिक पार्टी के लिए नहीं बल्कि पूरे लोकतंत्र के लिए उम्मीद की किरण है। यह देश के नागरिकों के लिए उम्मीद की किरण है। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि 'यह पूरी योजना मेरे दिवंगत दोस्त अरुण जेटली के दिमाग की उपज थी, जिसे भाजपा को समृद्ध करने के लिए लाया गया था। सभी जानते हैं कि भाजपा सत्ता में है और चुनावी बॉन्ड योजना का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को ही मिलेगा। मजेदार बात ये है कि चुनावी बॉन्ड योजना का चुनाव से कोई संबंध नहीं है। यह असल में उद्योग जगत और भाजपा के बीच का संबंध है, जिसके तहत भाजपा को बड़े पैमाने पर दान मिला। बीते वर्षों में भाजपा को करीब पांच से छह हजार करोड़ रुपये का दान मिला है।

सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता को लिखा भावुक पत्र, लोकसभा चुनाव ना लड़ने की बताई वजह

#sonia_gandhi_addresses_her_parliamentary_seat_raibareli_voters

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। दरअसल, सोनिया राजस्थान से राज्यसभा जा रही हैं। उन्होंने जयपुर से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर लिया है। कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के लिए पत्र लिखा है। इसमें जनता को संबोधित करते हुए सोनिया ने बताया है कि वो क्यों नहीं लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। सोनिया ने अपने राजनीतिक जीवन को लेकर रायबरेली की जनता का आभार जताया। उन्होंने कहा कि वह भले ही आगे सीधे तौर पर उनका प्रतिनिधित्व न करें, लेकिन उनका मन-प्राण सदा वहां की जनता के साथ रहेगा।

सोनिया ने पत्र में रायबरेली की जनता से कहा, सोनिया गांधी ने पत्र में लिखा, "मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है। वह रायबरेली आकर आप लोगों में मिलकर पूरा होता है। यह नेह - नाता बहुत पुराना है और अपनी ससुराल से मुझे सौभाग्य की तरह मिला है। रायबरेली के साथ हमारे परिवार के रिश्तें की जड़ें बहुत गहरी हैं। आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में आपने मेरे ससुर फीरोज गांधी को यहां से जिताकर दिल्ली भेजा। उनके बाद मेरी सास इंदिरा गांधी को आपने अपना बना लिया। तब से अब तक यह सिलसिला जिंदगी के उतार-चढ़ाव और मुश्किल भरी राह पर प्यार और जोश के साथ आगे बढ़ता गया और इस पर हमारी आस्था मजबूत होती चली गई। 

रायबरेली से 2024 का लोकसभा चुनाव न लड़ने की वजह बताते हुए सोनिया गांधी ने पत्र में लिखा, अब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के चलते मैं अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ूंगी। इस निर्णय के बाद मुझे आपकी सीधी सेवा का अवसर नहीं मिलेगा, लेकिन यह तय है कि मेरा मन-प्राण हमेशा आपके पास रहेगा। मुझे पता है कि आप भी हर मुश्किल में मुझे और मेरे परिवार को वैसे ही संभाल लेंगे जैसे अब तक संभालते आये हैं। बड़ों को प्रणाम। छोटों को स्नेह, जल्द मिलने का वादा।

बता दें कि सोनिया गांधी ने बुधवार को राज्यसभा चुनाव के लिए राजस्थान से नामांकन दाखिल किया था। पहली बार वह संसद के उच्च सदन में सांसद के तौर पर जा रही हैं। सोनिया गांधी 1999 से लोकसभा की सदस्य हैं। वह 2004 से लगातार लोकसभा में रायबरेली का प्रतिनिधित्व करती रही हैं।

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 5 जजों की बेंच ने असंवैधानिक बताकर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार (15 फ़रवरी) को एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बांड योजना को "असंवैधानिक" करार देते हुए इसे अमान्य कर दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया, जिससे राजनीतिक फंडिंग की एक विवादास्पद पद्धति का अंत हो गया, जो शुरुआत से ही जांच के दायरे में रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को तत्काल प्रभाव से चुनावी बांड जारी करना बंद करने का निर्देश दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि, "चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है और असंवैधानिक है। कंपनी अधिनियम में संशोधन असंवैधानिक है। जारीकर्ता बैंक तुरंत चुनावी बांड जारी करना बंद कर देगा।" शीर्ष अदालत ने SBI को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को 2019 में योजना के अंतरिम आदेश से लेकर वर्तमान तिथि तक राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त सभी चुनावी बांड योगदान के विस्तृत रिकॉर्ड प्रदान करने का आदेश दिया है।

ECI को तीन सप्ताह के भीतर एसबीआई से व्यापक डेटा प्राप्त होने की उम्मीद है। एक बार जानकारी एकत्र हो जाने के बाद, ECI को सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन विवरणों को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है, जिससे जानकारी तक पारदर्शिता और सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित हो सके। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "SBI राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बांड का विवरण प्रस्तुत करेगा। एसबीआई ईसीआई को विवरण प्रस्तुत करेगा। ECI इन विवरणों को 31 मार्च, 2024 तक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।" 2018 में शुरू की गई चुनावी बांड योजना का उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता बढ़ाना था। हालाँकि, आलोचकों ने तर्क दिया कि योजना द्वारा प्रदान की गई गुमनामी ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और राजनीतिक दलों के बीच समान अवसर को बिगाड़ दिया।

चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 5 जजों की बेंच ने असंवैधानिक बताकर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार (15 फ़रवरी) को एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बांड योजना को "असंवैधानिक" करार देते हुए इसे अमान्य कर दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया, जिससे राजनीतिक फंडिंग की एक विवादास्पद पद्धति का अंत हो गया, जो शुरुआत से ही जांच के दायरे में रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को तत्काल प्रभाव से चुनावी बांड जारी करना बंद करने का निर्देश दिया। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि, "चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन है और असंवैधानिक है। कंपनी अधिनियम में संशोधन असंवैधानिक है। जारीकर्ता बैंक तुरंत चुनावी बांड जारी करना बंद कर देगा।" शीर्ष अदालत ने SBI को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को 2019 में योजना के अंतरिम आदेश से लेकर वर्तमान तिथि तक राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त सभी चुनावी बांड योगदान के विस्तृत रिकॉर्ड प्रदान करने का आदेश दिया है।

ECI को तीन सप्ताह के भीतर एसबीआई से व्यापक डेटा प्राप्त होने की उम्मीद है। एक बार जानकारी एकत्र हो जाने के बाद, ECI को सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन विवरणों को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया गया है, जिससे जानकारी तक पारदर्शिता और सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित हो सके। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "SBI राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बांड का विवरण प्रस्तुत करेगा। एसबीआई ईसीआई को विवरण प्रस्तुत करेगा। ECI इन विवरणों को 31 मार्च, 2024 तक वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।" 2018 में शुरू की गई चुनावी बांड योजना का उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता बढ़ाना था। हालाँकि, आलोचकों ने तर्क दिया कि योजना द्वारा प्रदान की गई गुमनामी ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया और राजनीतिक दलों के बीच समान अवसर को बिगाड़ दिया।