गया कॉलेज गया में दो दिवसीय अंतर अनुशासनिक संगोष्ठी का हुआ आयोजन, वक्ताओ ने शिक्षा समेत कई विषयों पर रखे अपने विचार
गया - शहर के गया कॉलेज गया के मुंशी प्रेमचंद सभागार में आइ.क्यू.एसी सेल द्वारा दो दिवसीय अंतर अनुशासनिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि प्रो. रमेश शरण, गया कॉलेज गया के प्राचार्य सतीश सिंह चंद्रा, कर्नल प्रणव कुमार एवं डा कल्पना पुरोहित ने दीप प्रज्वलित कर किया।
अतिथियों का स्वागत संबोधन में गया कॉलेज गया के प्राचार्य डॉ. सतीश सिंह चंद्र ने कहा कि ऐसे आयोजनों से हमारा कॉलेज का गौरव बढ़ता है और इन 75 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचरि परिवर्तन आए हैं। गुरुकुल की शिक्षा से आज हम अंतरिक्ष की शिक्षा तक पहुंच चुके हैं। समन्वयक आई.क्यू.एसी सेल डॉ0 अरुण गर्ग ने कहा कि आज डिजिटल लर्निंग का युग है। भारतीय ज्ञान परंपरा से हम सब को अवगत होना चाहिए।
अपने संबोधन में. डॉ. रमेश शरण ने कहा कि इन 75 वर्षों में राष्ट्र ने अभूतपूर्व प्रगति की है. आजादी के आरंभ से यदि बात करें तो विकास राष्ट्र के मुख्य अजंडे में शामिल रहा. पहले आधुनिकीकरण और औद्योगीकरण राष्ट्र विकास का पैमाना रहा स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी हम. तथाकथित विकसित राष्ट्रों को आधार मानते हुए अपने विकास का मॉडल प्रतिस्थापित करते रहे थे परंतु आज देश में चाहे वह साक्षरता दर की बात हो महिला शिक्षा की बात हो। ऐतिहासिक परिवर्तन हुए और सकारात्मक बदलाव आया है।
डॉ. शरण्या ने कहा कि आज हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है और जनमानस की शिक्षा इस देश में सभी वर्गों के लिए समान शिक्षा प्रणाली हम सबो के लिए सबसे बड़ी चुनौती है भारत ने अनेक चुनौतियों पर विजय प्राप्त की है। जिसमें गरीबी भुखमरी. बालिका शिशु मृत्यु दर ऐसे अनेक क्षेत्र हैं। जहां भारत ने अभूतपूर्व आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। हम सबों के समेकित प्रयास से जल्दी भारत विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में अग्रणी रूप से प्रतिस्थापित होगा।
विशिष्ट अतिथि के रूप में मगध विश्वविद्यालय के भूत पूर्व कुल सचिव वर्तमान में आई एम एस यूनीसन विश्वविद्यालय देहरादून उत्तराखंड के कुल सचिव कर्नल प्रणय कुमार ने कहा कि 75 वर्षों में सामाजिक सुरक्षा को एक बड़ी चुनौती रही हैं। उसके बाद के परिदृश्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज से 75 वर्ष पहले का जो परिदृश्य था और जिस प्रकार से सेना को आधारभूत संरचना के साथ-साथ निर्णय लेने की क्षमता दोनों ही पर्याप्त नहीं थी वहां आज बड़ा परिवर्तन आया है। देश की सेना आत्मनिर्भर हुई है। आधारभूत संरचना इतनी विकसित हुई है कि ऊंचे ऊंचे पर्वतों पर भी आज बैकअप पहुंचने में समय नहीं लगता है और सेना आज अपने फैसले लेने में स्वयं सक्षम हुई है। इस प्रकार से देश के सुरक्षा में आत्मनिर्भरता आई हैं विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से जूझने में भी उन्होंने देश के विभिन्न संगठनों और सेना के सराहनीय पहल की चर्चा की. प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए उन्होंने जन सहभागिता का अपील किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कल्पना पुरोहित संकाय अध्यक्ष कला एवं सामाजिक विज्ञान राजस्थान ने अपने संबोधन में कहा कि आज युवाओं में राष्ट्र चेतना का भाव जगाने की आवश्यकता है और समस्त राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने व युवाओं में राष्ट्रीय चेतना की भावना को जगाने में उसे देश के साहित्य और संस्कृति का बहुत बड़ा महत्व है मै युवाओं से अपील करती हूं कि वह साहित्य का अध्ययन करें चाहे वह देश के आजादी के से संबंधित साहित्य का अध्ययन हो देश के इतिहास का अध्ययन हो देश के संस्कृति का अध्ययन हो या फिर देश के क्रमिक विकास का अध्ययन हो.
राष्ट्र की आजादी में भी साहित्य का अभी स्मरणीय योगदान है और उसे समय के कवियों की रचनाओं ने युवाओं को प्रेरित किया था मां भारती के स्वतंत्रता के सपने को साकार करने में वसुधैव कुटुंबकम की चर्चा करते उन्होंने कहा कि इन 75 वर्षों में हमारे देश की जो नीतियां रही है उसमें समस्त विश्व को हमने एक गांव समझा है और समस्त विश्व को हम एक कुटुंब अर्थात अपना परिवार समझते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को कोई भी भाषा सीखने बोलने या पढ़ने का अधिकार है परंतु प्रत्येक व्यक्ति को अपने मातृभाषा से प्रेम करना चाहिए।
तकनीकी शत्र के संचालन के क्रम में वक्त के रूप में डॉ. सिद्धार्थ सिंह पाली विभाग बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी, डॉ. प्रवेश कुमार चौधरी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से रंजन श्रीवास्तव, रांची विश्वविद्यालय रांची, डॉ रविकांत विभागाध्यक्ष एवं संकाय अध्यक्ष शिक्षा संकायक दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया, मधुकर मुख्य संपादक दूरदर्शन केंद्र रांची आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ. रूनु रवि, सहायक प्राध्यापिका अंग्रेजी विभाग, आशुतोष कुमार सहायक प्राध्यापक भौतिक विभाग एवं श्रुति प्रिया सहायक प्राध्यापिका अर्थशास्त्र विभाग ने संयुक्त रूप से मिलकर किया।
गया से मनीष कुमार
Feb 13 2024, 18:10