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पाकिस्तान चुनाव में धांधली: इलेक्शन कमीशन ने दिया फिर से मतदान कराने का आदेश, राजनीतिक दलों में हड़कंप

डेस्क: पाकिस्तान चुनाव में धांधली के आरोपों से जनता सड़क पर है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ आज देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रही है। इसके चलते जगह-जगह पुलिस की तैनाती करनी पड़ी है। पीटीआइ ने देश भर में विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों के पोलिंग बूथों पर धांधली का आरोप लगया है। 

इस बीच पाकिस्तान के इलेक्शन कमीशन ने दिया फिर से मतदान कराने का आदेश दे दिया है। इससे राजनीतिक दलों में हड़कंप मच गया है। हालांकि चुनाव आयोग का यह आदेश केवल उन सीटों के लिए है, जहां पर बड़ी धांधली होने, मतपत्र छीनने और मतदाताओं को वोट से वंचित करने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अन्य सीटों पर फिर से चुनाव नहीं होंगे। 

पाकिस्तान चुनाव आयोग के सामने कई क्षेत्रों के पोलिंग बूथों से मतदान सामग्री छीने जाने की शिकायतें आई थीं। इसके बाद चुनाव आयोग ने यह निर्देश जारी किया है। पाकिस्तान के जिओ टीवी रिपोर्ट के मुताबिक ईसीपी ने मतदान सामग्री के छीने जाने और उनके क्षतिग्रस्त होने की शिकायतों के बीच देश भर के तमाम मतदान केंद्रों पर दोबारा पोलिंग कराए जाने का आदेश जारी किया है। 

इससे पहले कड़ी मशक्तों और बमबारी के बीच ईसीपी ने 8 फरवरी को चुनाव करा पाने में सफलता पाई थी। हालांकि बड़े-बड़े दावे के बावजूद विभिन्न पोलिंग केंद्रों पर निष्पक्ष मतदान नहीं हो सका। ऐसे में ईसीपी को यह आदेश देना पड़ा। 

अभी तक नहीं हो सकी चुनाव परिणामों की घोषणा

पाकिस्तान में चुनाव आयोग मतदान संपन्न होने के चौथे दिन भी चुनाव परिणामों की सटीक घोषणा अभी तक नहीं की जा सकी है। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार इमरान खान की पीटीआइ को 100 सीटें, नवाज शरीफ की पीएमएल-एन को 73 और बिलावल की पार्टी को 52 सीटें मिलती दिख ही हैं। मगर कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां के नीतेज चौथे दिन भी धांधली के आरोपों के बीच जारी नहीं किए जा सके हैं। इन्हीं सीटों पर पुनर्मतदान है। चुनाव आयोग ने 15 फरवरी की तारीख इसके लिए तय की है।

13 फरवरी को किसानों का बड़ा विरोध प्रदर्शन, अलर्ट पर पुलिस, बॉर्डर पर शुरू की ये तैयारी

13 फरवरी को किसानों द्वारा किए जाने वाले विरोध प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस अलर्ट हो गई है। पुलिस ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को रोकने की तैयारी शुरू कर दी है।

सूत्रों के अनुसार, पुलिस को सूचना मिली है कि हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की ओर कूच कर सकते हैं। पुलिस ने दिल्ली-उत्तर प्रदेश और दिल्ली-हरियाणा सीमाओं पर बैरिकेड्स लगाकर सुरक्षा बढ़ा दी है।

पुलिस ने 5,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया है। इनमें दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ और एसएसबी के जवान शामिल हैं। पुलिस ने वाटर कैनन और अन्य सुरक्षा उपकरण भी तैनात किए हैं।

किसान संगठनों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग को लेकर 13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है।

पंजाब में भाजपा और अकाली दल गठबंधन को लेकर पिछले कुछ समय से चल रही बातचीत का नहीं निकल रहा नतीजा, पढ़िए, क्यों हुई राहे जुदा

लोकसभा चुनाव को लेकर एनडीए लगातार अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिशों में लगा हुआ है. इस कड़ी में बीजेपी और अकाली दल के बीच पंजाब में गठबंधन को लेकर पिछले कुछ समय से बातचीत चल रही थी. अब सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है जिसके मुताबिक, पंजाब में अकाली दल और बीजेपी गठबंधन की बातचीत विफल हो गई है.

पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एक साथ चुनाव ना लड़ने के ऐलान बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति बदल दी है. सूत्रों के मुताबिक, अकाली दल द्वारा किसान आंदोलन, सिख बंदियों की रिहाई के मामलों को लेकर भी बीजेपी पर दवाब बनाया जा रहा था. साथ ही पंजाब की बीजेपी लीडरशिप भी गठबंधन के हक में नहीं थी. 

इस वजह से अलग हुई थी बीजेपी-अकाली की राह

आपको बता दें कि केंद्र सरकार जब किसानों के लिए नए कृषि कानून लेकर आई थी, उसके विरोध में अकाली दल ने एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था. उसके बाद अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर ही पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा था.

इस वजह से नहीं बनी बात?

कुछ समय पहले अकाली दल के सूत्रों ने बताया था कि बीजेपी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से छह सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है, जबकि अकाली दल इतनी सीटें देने को तैयार नहीं है. जब अकाली दल एनडीए में शामिल था, तो वो 10 सीटों पर चुनाव लड़ता रहा और बीजेपी तीन सीटों पर चुनाव रही थी.

दरअसल इस समय पंजाब में अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन है. कहा जा रहा है कि वो इस गठबंधन को तोड़ना नहीं चाहते क्योंकि बीएसपी का पंजाब में अच्छा-खासा प्रभाव है. वहीं सुखदेव सिंह ढींढसा के गुट की भी अकाली दल में शामिल होने की बात चल रही है.

वहीं अकाली नेताओं का आरोप है कि बीजेपी ने पंजाब में अकाली दल को कमजोर करने की भी कोशिश की है. बीजेपी ने अकाली दल के नाराज नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया ताकि अकाली का वोटबैंक उसको ट्रांसफर हो सके. जालंधर लोकसभा उपचुनाव में भी बीजेपी ने चरणजीत सिंह अटवाल के बेटे इंदर सिंह अटवाल को अपना उम्मीदवार बनाया था.

सपा और कांग्रेस की परेशानी बढ़ाएगा भाजपा रालोद का नया अलायन्स, पढ़िए, कैसे बन और बिगड़ रहे राजनैतिक समीकरण

चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल की नजदीकियां काफी तेजी से बढ़ने लगी हैं, जो कि उनके बीच लोकसभा चुनाव में गठबंधन की ओर संकेत कर रहा है. भाजपा और रालोद का गठजोड़ कांग्रेस और सपा के लिए बड़ी चुनौती खड़ी करने जा रहा है. इसके अलावा यह गठबंधन दोनों दलों को एक बार रणनीति बदलने पर मजबूर भी करेगा. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि जयंत के पाला बदलने से सपा और कांग्रेस के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्योंकि उन्हें जाट बहुल सीटों पर मशक्कत करनी पड़ेगी. 2022 में इन सीटों पर दोनों दलों को काफी फायदा मिला था.

चुनावी आंकड़ों को देखें तो 2022 के विधानसभा में मेरठ, मुरादाबाद और साहरनपुर मंडल में जाट मुस्लिम का गठजोड़ काफी कारगर साबित हुआ था. 2017 में भाजपा ने यहां 50 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं 2022 के आंकड़ों को देखने से सामने आता है कि भाजपा को 40 सीटों पर ही कामयाबी मिली, जबकि विपक्ष की सीटें 20 से बढ़कर 31 हो गई. 2019 के संसदीय चुनाव में सपा, बसपा और रालोद के गठबंधन ने मोदी लहर होने के बाद भी सभी छह सीटों पर कब्जा किया था. इनमें बिजनौर, नगीना और अमरोहा सीटें बसपा को मिलीं, जबकि मुरादाबाद, संभल और रामपुर सीटों पर सपा काबिज हुई. रालोद किसी सीट पर नहीं लड़ी थी

राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में जाट वोट काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए भाजपा रालोद के साथ गठबंधन करने के लिए आतुर है. यूपी की 18 ऐसी सीटें हैं, जिनमे इनकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. कैराना, मुरादाबाद, अलीगढ़, मुज्जफरनगर, मेरठ, साहरनपुर, बिजनौर, संभल, नगीना, इन पर मुस्लिम वोटर भी काफी प्रभावी भूमिका में हैं. इसी कारण इनका आपसी गठजोड़ भी काफी मुफीद होता है. 2014 के बाद से जाट वोट बैंक पर भाजपा की पकड़ काफी मजबूत दिखाई दे रही है. रालोद के सपा के साथ न रहने से काफी मुश्किल हो सकती है.

रावत कहते हैं कि जयंत के आने से भाजपा में जाट वोट का विभाजन रुकेगा. जयंत के आने से पश्चिमी यूपी के साथ हरियाणा और राजस्थान की राजनीति साधेगी, क्योंकि चौधरी चरण सिंह के परिवार से बड़ा अभी तक कोई बड़ा जाट नेता नजर नहीं आ रहा है. भारत रत्न से इसकी बानगी भी दिखाई दे गई. उन्होंने कहा कि जयंत को भाजपा में आने से बहुत फायदे हैं. एक तो उनकी सीटें बढ़ेंगी और कन्वर्जन रेट भी बढ़ेगा. अगर सरकार बनती है तो उनके मंत्री बनने का भी मौका है. चाहे अनुप्रिया हो या रामदास आठवले, सभी गठबंधन में हैं और मंत्री भी हैं. सरकार में रहने पर जाट राजनीति भी भरपूर तरीके से कर पाएंगे. भाजपा के पास वैसे भी जाट नेताओं की कमी हैं, जिसे जयंत के साथ पूरा किया जा सकता है.

एक अन्य राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि अगर जयंत अखिलेश और कांग्रेस के साथ होते तो कांग्रेस को पांच से आठ से सीटों के बारे में सोचना न पड़ता, जहां पर रालोद का दबदबा है. यही वे सीटें थीं, जहां अखिलेश भी अपने को मजबूत नहीं समझते हैं. इसी कारण वे सात सीटें छोड़ने को तैयार थे. अब इन सीटों पर कांग्रेस और सपा को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि जाट बाहुल सीटों पर जयंत अपने लिए काम करेंगे. कांग्रेस पहले ही सीटों को लेकर परेशानी का सामना कर रही है. अब जयंत के जाने से उन्हें नए सिरे से माथापच्ची करनी पड़ेगी.

रतनमणि कहते हैं कि जयंत के भाजपा के साथ जाने से जाट और मुस्लिम कॉम्बिनेशन का फायदा मिलेगा. पश्चिमी क्षेत्र में जयंत और मजबूत होंगे. भाजपा पश्चिम में मजबूत होगी. इसका असर अन्य इलाकों में भी होगा. रालोद मुखिया सांसद जयंत चौधरी ने राज्यसभा में मोदी सरकार की तारीफ में कहा कि मैं 10 साल तक विपक्ष में रहा हूं, कुछ समय के लिए इस सदन के इस तरफ बैठा हूं. दस साल में मैंने देखा है कि मौजूदा सरकार की कार्यशैली में भी चौधरी चरण सिंह के विचारों की झलक मिलती है. पीएम मोदी गांव में शौचालयों के मुद्दों को संबोधित करते हैं, जब भारत सरकार महिला सशक्तिकरण को अपना मंच बनाती है और गांवों में जागरूकता पैदा करती है, तो मुझे इसमें चौधरी चरण सिंह जी की बोली याद आती है. हम लोग बंटे रहेंगे तो नेताओं को समझ नहीं पाएंगे. कुछ लोग जाटों और किसानों का नेता चौधरी चरण सिंह को मानते थे.

सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर आशुतोष वर्मा कहते हैं कि जयंत चौधरी ने अभी आधिकारिक कोई घोषणा नहीं की है कि वे भाजपा में जा रहे हैं. जिस प्रकार से पश्चिम में उन्होंने किसानों के मुद्दों पर कई लड़ाई लड़ी है, उनके ऊपर भाजपा ने लाठी बरसाई है, उसे भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने भाजपा के खिलाफ एक बड़ी मुहिम छेड़ रखी है. रालोद, सपा और कांग्रेस मिलकर भाजपा का रथ रोकने जा रही है. भाजपा, इंडिया गठबंधन से परेशान न होती तो हमारे गठबंधन में शामिल लोगों को तोड़ती नहीं. जनता सब कुछ जान चुकी है. इन्हें चुनाव मे जवाब देने को तैयार है.

कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि यूपी जातीय समीकरण में फिट है. राहुल गांधी की न्याय यात्रा जहां-जहां से गुजरेगी, भाजपा वहां साफ होती जाएगी. पश्चिमी यूपी में जाट और किसानों के मुद्दों पर कांग्रेस आगे रही है. जयंत अभी हमारे गठबंधन का हिस्सा हैं. भाजपा जानती है कि कांग्रेस ही उसे हरा सकती है, इसी कारण वह परेशान है.

भाजपा प्रवक्ता आनंद दुबे कहते हैं कि इंडिया गठबंधन, भाजपा के डर के कारण बना है. इसमें शामिल सभी दल एक दूसरे को गाली देते थे. अब उन्हें कांग्रेस ने हार का साझीदार बनाने के लिए एक साथ जोड़ा है. कांग्रेस नहीं चाहती है कि हार का ठीकरा सिर्फ राहुल गांधी के सिर पर फूटे, इसी कारण उन्होंने यह गठजोड़ तैयार किया है. यह लोग अपने सहयोगियों को संभालने में खुद असमर्थ है. अब तरह तरह के बहाने बना रहे हैं. मोदी जी एक बार फिर से प्रचंड बहुमत से जीतने जा रहे हैं. इसी कारण इंडिया गठबंधन के लोग परेशान हैं.

*दिल्ली के कई इलाकों और सीमाओं पर धारा 144 लागू, किसानों के प्रदर्शन को लेकर लिया गया फैसला

डेस्क: किसानों ने अपनी कई मांगों को लेकर एक बार फिर से दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है। हरियाणा-पंजाब से किसान दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। इन्हें रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने कई तरह के अवरोध लगा दिए हैं। सड़कों पर सीमेंटेड बैरिकेड और कीलें आदि लगा दी हैं। नहरों को खोद दिया गया है। इसके बाद भी अगर किसान दिल्ली तक पहुंचने में सफल होते हैं तो यहां दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोकने की तैयारी की है।

सीमाओं पर लगाई गई धारा 144

इसी क्रम में दिल्ली पुलिस ने राज्य के कई इलाकों और सीमाओं पर धारा 144 लगा दी है। दिल्ली पुलिस की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि किसानों के आंदोलन को देखते हुए सीमाओं पर धारा 144 लागू की जाती है। आदेश में कहा गया है कि धारा 144 रविवार 11 फरवरी से 11 मार्च तक लागू रहेगी। इसके साथ ही धारा 144 के चलते किसी भी बॉर्डर पर भीड़ इक्कठा नही हो सकेगी।

हथियार आदि लेकर आना भी प्रतिबंधित

पुलसी की तरफ जारी हुए आदेश में कहा गया है कि धारा 144 के लागू होने के चलते ट्रैक्टर, ट्रॉली, बस, ट्रक्स, कमर्शियल व्हीकल, घोड़े आदि पर प्रोटेस्टर का दिल्ली में आना प्रतिबंध होगा। इसके साथ ही किसी को भी हथियार, तलवार, त्रिशूल, लाठी या रोड आदि के साथ दिल्ली में आना प्रतिबंधित होगा। 

खट्टर सरकार ने कई जिलों में बंद किया इंटरनेट

वहीं इससे पहले हरियाणा की खट्टर सरकार ने जहां प्रदेश के सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर पाबंदी लगा दी है, तो वहीं अब पंचकूला में धारा 144 लागू कर दी गई है। पंचकूला डीसीपी सुमेर सिंह प्रताप के अनुसार, पैदल या ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ जुलूस, प्रदर्शन, मार्च निकालने और किसी भी तरह की लाठी, रॉड या हथियार ले जाने पर पाबंदी लगाई गई है।

आज से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

साल में 4 बार नवरात्रि आती हैं। दो बार गुप्त नवरात्रि और दो बार सामान्य नवरात्रि रखी जाती है। इस बार माघ महीने की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी मतलब आज से आरम्भ होने जा रही है तथा इनका समापन 18 फरवरी को होगा। हिंदू पंचांग के मुताबिक, गुप्त नवरात्रि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक चलती है। गुप्त नवरात्रि की पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि नवरात्रि के इन दिनों में, देवी दुर्गा अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी कर उन्हें हर तरह के दुःख और दर्द से निजात दिलाती है। यही मुख्य वजह है कि इस चलते विश्वभर में देवी दुर्गा के मंदिरों में, मां के भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है।

गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त

गुप्त नवरात्रि का आज घटस्थापना का मुहूर्त प्रातः 8 बजकर 45 मिनट से लेकर प्रातः 10 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. जिसकी कुल अवधि 1 घंटे 25 मिनट की रहेगी।

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त

 आज दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 58 मिनट तक

प्रतिपदा तिथि का आरम्भ 10 फरवरी यानी आज प्रातः 4 बजकर 28 मिनट तक रहेगी एवं प्रतिपदा तिथि का समापन 11 फरवरी को रात 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी।

गुप्त नवरात्रि पूजन विधि

गुप्त नवरात्रि में घट स्थापना उसी प्रकार की जाती है जिस प्रकार से चैत्र तथा शारदीय नवरात्रि में होती है। इन 9 दिनों में प्रातः-शाम मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही लौंग एवं बताशे का भोग अवश्य लगाना चाहिए। साथ ही मां को श्रृंगार का सामान भी चढ़ाएं। इसके चलते दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें। इन नौ दिनों में मां को आक, मदार, दूब एवं तुलसी बिल्कुल नहीं चढ़ाना चाहिए।

बसंत पंचमी पर करें मां सरस्वती के इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, पूरी होगी हर मनोकामना

सनातन धर्म में बसंत पंचमी का खास महत्व है। इसे बसंत पंचमी के साथ श्री पंचमी, ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है यह त्योहार प्रत्येक वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन बच्चों का उपनयन संस्कार होता था। इसके साथ ही इस दिन गुरुकुलों में शिक्षा देने का आरम्भ भी किया जाता था। इस वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा। 

बसंत पंचमी 2024 तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 42 मिनट से आरम्भ हो रही है, जो 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 08 मिनट पर खत्म हो रही है। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा।

मां सरस्वती के इन मंत्रों का करें जाप

1- इस मंत्र से दूर होगी करियर में बाधा

ॐ शारदा माता ईश्वरी मैं नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।

2- इस मंत्र से कारोबार में होगी वृद्धि

शारदा शारदांभौजवदना, वदनाम्बुजे।

सर्वदा सर्वदास्माकमं सन्निधिमं सन्निधिमं क्रियात्।

3- इस मंत्र से संकट होते हैं दूर

विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।

त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।

4- ज्ञान में वृद्धि के लिए

ऎं ह्रीं श्रीं वाग्वादिनी सरस्वती देवी मम जिव्हायां।

सर्व विद्यां देही दापय-दापय स्वाहा।

5- स्मरण शक्ति मजबूत करने के लिए

शारदायै नमस्तुभ्यं, मम ह्रदय प्रवेशिनी,

परीक्षायां समुत्तीर्णं, सर्व विषय नाम यथा।।

सोनिया गांधी ने सुपर PM की तरह काम किया जानिए क्या थी NAC, जिसे मनमोहन सरकार के ऊपर बैठाया गया था !

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (9 फ़रवरी) को कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सोनिया गांधी 'सुपर प्रधानमंत्री' थीं, जिनका नेतृत्व UPA शासन के दौरान अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन की समस्या के केंद्र में था। भारतीय अर्थव्यवस्था पर श्वेत पत्र पर चर्चा पर लोकसभा में अपने जवाब में, सीतारमण ने कहा कि पेपर में कोई भी आधारहीन आरोप नहीं है और इसमें उल्लिखित सभी चीजें सबूतों पर आधारित हैं। सीतारमण ने कांग्रेस पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने और परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी में देरी करने का आरोप लगाया और कहा कि ऐसा नेतृत्व की विफलता के कारण हुआ।

सीतारमण ने पुछा कि, "UPA के कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार से प्रेरित 10 साल की सरकार के केंद्र में नेतृत्व था। UPA युग के दौरान केंद्रीय समस्या बिंदु एक दिशाहीन और नेतृत्वहीन सरकार थी। सोनिया गांधी ने NAC (राष्ट्रीय सलाहकार परिषद) अध्यक्ष के रूप में 'सुपर प्रधान मंत्री' के रूप में काम किया। NAC के पास गैर-जिम्मेदार और असंवैधानिक शक्तियां थीं। मंजूरी के लिए फाइलें ऐसी गैर-जिम्मेदार और जवाबदेह संस्था के पास क्यों गईं?" उन्होंने कहा कि NAC के सदस्य आंदोलनजीवी (विरोध प्रदर्शन पर पलने वाले) भोजन का अधिकार और सूचना का अधिकार सहित कानून तैयार करते थे। सीतारमण ने पुछा कि "क्या यह संसद सदस्यों को स्वीकार्य होना चाहिए?" 

उन्होंने कहा कि, "जब डॉ मनमोहन सिंह दौरे पर थे, तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक प्रेस वार्ता में अध्यादेश फाड़ दिया। क्या यह देश के प्रधानमंत्री का अपमान नहीं था? उन्हें (राहुल गांधी) अपने ही प्रधानमंत्री की परवाह नहीं थी।" सीतारमण ने यह भी कहा कि UPA सरकार के तहत "रक्षा क्षेत्र में घोर कुप्रबंधन" था और इसका मुख्य आकर्षण 3,600 करोड़ रुपये का अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला था। सीतारमण ने कहा कि, "गोला-बारूद और रक्षा उपकरणों की गंभीर कमी 2014 की मुख्य विशेषता थी जब हमें अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी। हमारे सैनिकों के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट उपलब्ध नहीं थे। नाइट विजन चश्मे उपलब्ध नहीं थे।"

उन्होंने कहा कि UPA कार्यकाल के दौरान 'जयंती टैक्स' ने परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी में एक साल तक की देरी की। 2011 और 2014 के बीच परियोजनाओं को निपटाने का औसत समय 86 दिनों से बढ़कर 316 दिन हो गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 साल के समर्पित प्रयासों ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला दिया है। सीतारमण ने कहा कि, ''हमने सभी कुशासन को सुधारा और सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया।'' उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के लिए औसत पर्यावरण मंजूरी का समय घटकर 70 दिन रह गया है।

मंत्री ने कहा कि संप्रग कार्यकाल के दौरान हर साल औसतन एक बड़ा भ्रष्टाचार हुआ और आम लोगों का मोहभंग हुआ। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने रक्षा बजट को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 6.22 लाख करोड़ रुपये कर दिया है, जो 2013-14 में 2.53 लाख करोड़ रुपये था। सदस्यों के इस आरोप का जवाब देते हुए कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) एक सरकारी उपकरण बन गया है, सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार के तहत, ईडी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों को आगे बढ़ाने के लिए "स्वतंत्रता" दी गई है।

UPA बनाम NDA सरकारों के दौरान जारी सजा, पुनर्स्थापन, प्रत्यर्पण और रेड कॉर्नर नोटिस का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान यह संख्या शून्य थी। उन्होंने कहा कि मोदी शासन के दौरान ईडी ने 1,200 अभियोजन मामले दर्ज किए और 16,333 करोड़ रुपये की वसूली की और 58 लोगों को दोषी ठहराया। इसके अलावा, 24 रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी किए गए, 12 अपराधियों को भगोड़ा घोषित किया गया और भगोड़े आर्थिक अपराधियों से 906.74 करोड़ रुपये की वसूली की गई। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''अब तक, सात लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा हुई हैं। हमारी सरकार द्वारा लाई गई पीएलआई योजनाओं से चौदह क्षेत्रों को लाभ हुआ है। 24 और अधिक राज्यों में विनिर्माण स्थान आ रहे हैं। 150 से अधिक जिले।"

सरकार ने 2021-22 से शुरू होने वाले पांच वर्षों में लगभग 1.97 लाख करोड़ रुपये का वादा किया है। पीएलआई योजनाओं के तहत 1.07 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के तहत औसत मुद्रास्फीति कभी भी 8 प्रतिशत से अधिक नहीं हुई है, जबकि UPA के पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल में वार्षिक औसत मुद्रास्फीति दोहरे अंक में थी। सीतारमण ने कहा कि आधार प्रमाणित प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के कारण 2.7 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई। इससे पहले, चर्चा की शुरुआत करते हुए, सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने "परिवार को पहले" रखा था और 2014 में देश को "गंभीर स्थिति" में छोड़ दिया था, लेकिन अब वह अर्थव्यवस्था को संभालने पर मोदी सरकार को व्याख्यान दे रही है।

सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार ने "राष्ट्र को पहले" रखा और अर्थव्यवस्था को 'नाजुक पांच' से 'शीर्ष पांच' पर ले गई। उन्होंने कहा कि भारत अब तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। सीतारमण ने कहा कि, "एक सरकार के दस साल कुछ संकटों के साथ और एक अलग सरकार के 10 साल अलग संकटों के साथ। इस 'श्वेत पत्र' में दिखाई गई तुलना स्पष्ट रूप से बताती है कि अगर सरकार इसे सच्ची ईमानदारी, पारदर्शिता और राष्ट्र को पहले रखकर संभालती है, तो कैसे नतीजे सबके सामने हैं।'' 

उन्होंने यह भी कहा कि, "जब आप राष्ट्र को पहले नहीं रखते, जब आप अपने परिवार को पहले रखते हैं, और जब आपके पास पारदर्शिता के अलावा अन्य विचार होते हैं, तो परिणाम आपके सामने हैं। तो 2008 के बाद क्या हुआ जब ऐसा हुआ वैश्विक वित्तीय संकट और कोविड के बाद जो हुआ, उससे साफ पता चलता है कि अगर सरकार की मंशा सच्ची है, तो परिणाम अच्छे होंगे।'' उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का नेतृत्व राष्ट्र-प्रथम नीति अपनाने और 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए काम करने में स्पष्ट है।

मौलाना तौकीर रजा के भड़काऊ भाषण के बाद बरेली में हिंसा, शहामत गंज में हुआ पथराव, दी थी हिंसा की धमकी

 उत्तराखंड के हलद्वानी जिले में इस्लामवादियों द्वारा एक अवैध रूप से निर्मित ढांचे, जिसे उन्होंने मदरसा बताया था, को ध्वस्त करने को लेकर दंगे भड़काने के बाद, उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में तनाव फैल गया। ज्ञानवापी मामले में 'जेल भरो' का आह्वान करने पर पुलिस द्वारा इस्लामिक मौलवी को हिरासत में लिए जाने के बाद इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख तौकीर रजा खान के हजारों अनुयायी सड़कों पर उतर आए और पथराव किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, बरेली के शहामत गंज इलाके में हुए पथराव में एक शख्स घायल हो गया। यह घटना तब हुई जब गुरुवार को IMC प्रमुख ने सविनय अवज्ञा का एक रूप 'जेल भरो आंदोलन' का आह्वान किया और अपने समर्थकों को ज्ञानवापी में विवादित ढांचे पर लड़ाई शुरू करने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए उकसाया। ज्ञानवापी मामले पर 'जेल भरो' का आह्वान करने पर बरेली पुलिस ने एहतियात के तौर पर मौलाना तौकीर रजा खान को हिरासत में ले लिया। हालाँकि, पुलिस ने मौलवी को तुरंत रिहा कर दिया जिसके बाद वह अपने घर लौट आए।

हालाँकि, उनके आह्वान के अनुसार, शुक्रवार की नमाज के बाद, तौकीर रजा खान के हजारों समर्थक इस्लामिया ग्राउंड पहुंचे, जहां मौलवी ने अपने समर्थकों को इकट्ठा होने के लिए कहा था। मौलवी के अनुयायियों ने पर्चे बांटे और सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा किए, जिसमें लिखा था कि, “अदालत के फैसले से बाबरी मस्जिद हमसे छीन ली गई और अब उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करना शुरू कर दिया है। हमारी 700 साल पुरानी मस्जिद आधी रात के दौरान ढहा दी गई।”

तौकीर के समर्थकों को अपने-अपने घर लौटने के लिए मनाने में पुलिस कर्मियों को लगभग दो घंटे लग गए। लौटते समय मौलाना आजाद इंटर कॉलेज के सामने उनके कुछ समर्थकों ने दो युवकों की पिटाई कर दी, जिनकी पहचान कमल शर्मा और समीर सागर के रूप में हुई। युवकों की पिटाई और उनकी बाइकें तोड़े जाने के बाद खान के कुछ समर्थकों ने श्यामगंज बाजार इलाके में पथराव किया। घटना के बाद, बरेली पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया कि खान ने 'जेल भरो आंदोलन' का आह्वान किया था और अपने समर्थकों को शुक्रवार की नमाज के बाद इकट्ठा होने के लिए कहा था। 

पुलिस ने बताया कि कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हो गया. हालांकि, बारादरी थाना क्षेत्र के श्याम गंज बाजार में कुछ कुख्यात तत्वों ने तीन युवकों की पिटाई कर दी और उनमें से दो को मामूली चोटें आईं। पुलिस ने आश्वासन दिया कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) घुले सुशील चंद्र भान ने भी पुष्टि की कि शहर के बारादरी थाना क्षेत्र के श्याम गंज बाजार में पथराव और नारेबाजी की छिटपुट घटनाएं सामने आई हैं। उन्होंने कहा कि कुख्यात तत्वों ने उसी इलाके में सैलानी इलाके के पास तीन युवाओं की पिटाई की, और उनमें से दो को मामूली चोटें आईं। उन्होंने कहा कि स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है और स्थानीय लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च निकाला गया है।

उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व बरेली में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, "हम सोशल मीडिया पर भी नजर रख रहे हैं और लोगों को इस मुद्दे पर कुछ भी आपत्तिजनक पोस्ट करने से बचने का सुझाव दिया गया है।"

गौरतलब है कि गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विधानसभा में अयोध्या, काशी और मथुरा पर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख ने अपने समर्थकों को सड़कों पर उतरने के लिए उकसाया था। हालाँकि, यह पहली बार नहीं था कि खान ने ज्ञानवापी मुद्दे पर मुसलमानों को भड़काने की कोशिश की थी। दरअसल, वह पिछले कुछ समय से ऐसे भड़काऊ बयान देते रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में उन्होंने ज्ञानवापी में विवादित ढांचे को लेकर सड़कों पर लड़ाई शुरू करने का इरादा जताया था। मथुरा और काशी मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मुसलमान अब कोई भी मस्जिद खोने को तैयार नहीं हैं, चाहे कोई कितना भी सर्वे करा ले। उन्होंने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी बेईमानी बताया। 

तौकीर रजा भड़काऊ टिप्पणियों के लिए कुख्यात 

इससे पहले दिन में तौकीर ने हल्दावनी हिंसा के बाद बोलते हुए, जहां एक उन्मादी मुस्लिम भीड़ ने पुलिस कर्मियों और नागरिक अधिकारियों पर हमला किया था, जो बनभूलपुरा पुलिस स्टेशन के पास अवैध रूप से अतिक्रमित सरकारी भूमि पर बने मदरसे को ध्वस्त करने गए थे, उन्होंने प्रशासन को धमकी दी थी हिंसा। हल्दवानी में अवैध रूप से निर्मित ढांचे पर बुलडोजर की कार्रवाई से नाराज होकर, जिसे कुछ लोगों ने मदरसा बताया, जबकि कुछ ने इसे नमाज स्थल कहा कि, उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दोनों को हिंसा की धमकी दी। तौकीर ने ऐलान किया कि मुस्लिम समुदाय अब किसी भी तरह की बुलडोजर कार्रवाई बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने आगे कहा कि जो कोई भी उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, वे उसे मार डालेंगे क्योंकि ऐसा करना उनका संवैधानिक अधिकार है। इसी तरह 3 फरवरी को मौलाना तौकीर रजा खान ने देश में गृहयुद्ध की धमकी दी थी। उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब केंद्र सरकार ने घोषणा की कि वह अनुभवी राजनेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित करेगी।

पाकिस्तान में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं, शरीफ-इमरान दोनों ने किया सरकार बनाने का दावा

#pakistan_elections_2024 

पाकिस्तान में नेशनल असेंबली और विधानसभा चुनाव के बाद मतगणना दूसरे दिन भी जारी है।पाकिस्तान में हुए आम चुनाव के बाद धीमी गति से जारी मतगणना की प्रक्रिया शनिवार को पूरी होने के करीब है, लेकिन किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत मिलता प्रतीत नहीं हो रहा और नकदी संकट से जूझ रहे देश में राजनीतिक स्थिरता अब भी पूरा न होने वाला सपना लग रही है। पाकिस्तान में अब तक नेशनल असेंबली की 265 में से 244 सीटों के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं। इनमें से 96 सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।पीएमएल-एन को 72 सीट और पीपीपी को 53 सीट मिलती दिख रही है। बाकी 42 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार या अन्य छोटी पार्टियां आगे चल रही हैं।

पाकिस्तान में जारी काउंटिंग के बीच नवाज शरीफ ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। नवाज ने किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण गठबंधन सरकार बनाने के लिए प्रतिद्वंद्वी दलों से हाथ मिलाने का आह्वान किया है। उधर, इमरान खान की पार्टी ने भी अपने दम पर सरकार बनाने का दावा किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तानी सेना आखिर किसे सत्ता से ‘नवाज’ रही है क्योंकि दोनों शरीफ और इमरान दोनों ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है।

पीपीपी और पीएमएल-एन गठबंधन सरकार बनाने पर सहमत

पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) केंद्र और पंजाब में गठबंधन सरकार बनाने पर सहमत हो गए हैं। यह खबर पीएमएल-एन अध्यक्ष शहबाज शरीफ की ओर से पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात के बाद सामने आई है। शहबाज ने पंजाब के कार्यवाहक मुख्यमंत्री मोहसिन नकवी के आवास पर पीपीपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। पार्टी सूत्रों ने कहा कि शहबाज ने जरदारी के साथ भविष्य में सरकार गठन पर चर्चा की और पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ का संदेश भी दिया। शहबाज ने दोनों पीपीपी नेताओं से पाकिस्तान में राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता के लिए पीएमएल-एन नेतृत्व के साथ बैठने को कहा।

नई सरकार गठन के लिए 133 सीटों की दरकार

बता दें कि पाकिस्तान में नई सरकार के गठन के लिए किसी भी पार्टी को नेशनल असेंबली में 265 में से 133 सीट की जरुरत होगी। लेकिन एक उम्मीदवार की मौत के बाद एक सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया। ऐसे में बहुमत हासिल करने के लिए 336 में से 169 सीट की जरुरत है, जिसमें महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित सीट भी शामिल हैं।