*भागवत कथा श्रवण से आते हैं संस्कार और दूर होते हैं दुःख: आशुतोष महाराज*
रायबरेली। राही ब्लाक के परडी गणेशपुर में भागवत कथा के चौथे दिन सीतापुर से आए महराज आशुतोष त्रिपाठी ने समुद्र मंथन की कथा विस्तार से कही। इसी के साथ उन्होंने गज ग्राह की कथा का भी भगवत प्रेमियों को श्रवण कराया। नशा नाश का द्वार होता है जो नशे में रहेगा उसका विकास नही विनाश होता है।
नशा बुद्धि को बिगाड़ देता है इससे इससे हम सामाजिक ,आर्थिक रुप से पीछे रह जाते हैं। भागवत कथा श्रवण से संस्कार आते है और दुखों का नाश होता है।लक्ष्मी के बिना मनुष्य श्री हीन किसी कार्य का नही रहता उसकी सारी शक्ति क्षीण हो जाती है।लक्ष्मी दो तरह की होती है एक भाग्य लक्ष्मी दूसरी श्रम लक्ष्मी यदि भाग्य लक्ष्मी रुठ जाए तो श्रम से लक्ष्मी को घर लाते हैं श्रम लक्ष्मी कहलाती हैं।
समुद्र के मंथन में जब सबसे पहले विष निकला तो संकट आ गया अब क्या होगा, क्योंकि उससे सारे संसार को दिक्कत होने लगी। तब जाकर देवताओं ने महादेव जी से अनुनय की तब उन्होंने विष को कंठ में धारण कर लिया तब से वह नीलकंठ कहलाए। इसके बाद कामधेनु गाय निकली जिसे साधुवो को प्रदान किया गया।फिर एक उच्चैश्रवा घोड़ा निकला।जिसे दैत्यों की ओर राजा बलि को दिया गया।हाथी इंद्र को दिया गया। इस तरह जो भी वस्तुएं थी वह बराबर बांट दी गई।
कल्पवृक्ष निकला जिसे स्वर्ग में स्थान मिला। बाद में निकली लक्ष्मी जिन्हे लेकर विवाद हो गया की सभी लोग चाहते थे ये हमें मिले तब उनके हाथों में वरमाला दी गई और उन्होंने विष्णु भगवान को वरण कर लिया। इसके बाद मदिरा निकली जिसका पान असुरों को करा दिया गया। देवताओं ने अमृत आने से पहले इनका विवेक नष्ट कर देना चाहिए।फिर आया अमृत जिसके लिए विद्रोह शुरु हो गया।
छीना झपटी में यह अमृत हरिद्वार,प्रयाग,नासिक,उज्जैन में गिरा।इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहिनी का रुप धारण कर इस समस्या को दूर किया और देव और असुरों को बिठा कर अमृत पिलाने की युक्ति बनाई और चतुराई से देवताओं को अमृत तो असुरों को मदिरा का पान कराने लगे। राहु नामक दैत्य देवताओं की पक्ति में बैठ गया। उसने अमृत पी लिया इसका इशारा भगवान विष्णु को सूर्य और चंद्रमा ने बता दिया। भगवान ने चक्र से उसका वध कर दिया और यह राहु सर और केतु धड़ के रुप में जीवित रह गया।इसके बाद उन्होंने अन्य कथाओ का श्रवण भक्तों को कराया।मौके पर यजमान राकेश मिश्र,चंद्रेश मिश्र,राजदुलारे मिश्र,वीरभद्र प्रसाद द्विवेदी,विनोद कुमार बाजपेई,आशुतोष मिश्र,बाबूलाल यादव,विजय गुप्ता,रामदेव आदि भक्त गण उपस्थित रहे।
Feb 09 2024, 20:55