गया पहुंचा शहीद सिकंदर सिंह का पार्थिव शरीर पैतृक गांव वजीरगंज : गांव में पसरा मातम, बेटी बोली- मैं आईएएस बनकर इसे खत्म करुँगी
गया। झारखंड के नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए पुलिस पदाधिकारी एसआई सिकन्दर सिंह का पार्थिव शरीर गुरूवार की संध्या पहर उनके पैतृक गांव वजीरगंज का खिरियावां गांव पहुंचा। इस बीच सैंकड़ों की संख्या में ग्रामीण युवा एवं समाजसेवी भिंडस से शव वाहन के पीछे बाईक से भारत माता की जय, सिकन्दर सिंह अमर रहे नारों के साथ चलते रहे।
इस बीच बैरिया, सिंगठिया, सहिया एवं अन्य स्थानों पर ग्रामीणों ने श्रद्धांजली अर्पित की तथा नमन किया। जिला एवं स्थानीय पुलिस प्रशासन के जवानों ने खिरियावां में शहीद जवान के सम्मान में सलामी दी तथा नमन किया। नियुक्त पदाधिकारी ने तिरंगे को लपेट कर परिजन को सुपूर्द किया एवं पुष्प हार अर्पित की। जिसके बाद पारंपरिक हिन्दु रीति-रिवाज के अनुसार शव को दाह संस्कार के लिये तैयार किया गया।
घर पर पार्थिव शरीर आने के बाद उनके घर पर जिला प्रशासन के द्वारा सलामी दी गई। सलामी की प्रक्रिया पूरी होते ही सिकन्दर सिंह की कॉफिन में बन्द बॉडी को परिवार को अंतिम बार देखने के लिए खोल दिया गया। कॉफिन को खोलते ही माहौल गमगीन हो गया। शहीद की माँ कॉफिन के अंदर अपने बेटे के साथ लिपट गई। पत्नी भी कॉफिन के ऊपर हाथ-हाथ पटक कर रोने लगी। किसी तरह से लोगों ने स्थिति को काबू में किया। शहीद के ससुर ने भी अपने दामाद को अंतिम विदाई अपने कांपते हाथों से दी।
वहीं, इस मौके पर वजीरगंज डीएसपी सतीश कुमार सहित कई अधिकारी शामिल हुए। शहीद सिकंदर सिंह अपनी पत्नी एक बेटा और एक बेटी को छोड़ गए। वही, उनका अंतिम संस्कार गांव के पास ही श्मशान घाट पर किया गया।
शहीद के चाचा अनिरुद्ध सिंह ने बताया कि चार भाइयों में यह सबसे बड़ा था। यह काफी गरीब थे। लेकिन इन्होंने नौकरी की और सभी भाइयों को भी सेटल किया। गांव में कई लोग सेना में है। इनके द्वारा ही लोगों को प्रेरित किया गया था जिसके कारण आज कई लोग सेना में या फिर पुलिस में है। वही, शहीद के बेटी ने मांग की है कि जो भी नक्सली या टेररिस्ट है उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तारी की जाए और उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। उसने बताया कि मै आईएएस बनकर इसमें नक्सल व आतंकवाद को खत्म करूंगी।
रिपोर्ट: मनीष कुमार।
Feb 09 2024, 16:11