उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पेश, जानें बिल में क्या-क्या
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उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी बिल को पेश कर दिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में आज समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश कर दिया। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में विधायकों ने "वंदे मातरम और जय श्री राम" के नारे लगाए गए। अब यूसीसी पर आज केवल चर्चा होगी। एक दिन के लिए यूसीसी का पारण टल सकता है। कल यूसीसी बिल पास हो सकता है। विधानसभा से पास होने के बाद इसको राज्य में लागू कर दिया जाएगा। उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा।
बिल पेश करने से पहले क्या बोले सीएम धामी?
आज सुबह ही सीएम धामी ने बिल को पेश किए जाने से पहले कहा कि देवभूमि उत्तराखंड के नागरिकों को एक समान अधिकार देने के उद्देश्य से आज विधानसभा में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया जाएगा। यह हम सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण है कि हम यूसीसी लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने वाले देश के पहले राज्य के रूप में जाने जाएंगे।
करीब ढाई लाख सुझावों के बाद तैयार हुआ ड्राफ्ट
इससे पहले, 2 फरवरी को सीएम पुष्कर सिंह धामी को यूसीसी ड्राफ्ट सौंप दिया गया था। 740 पन्नों के यूसीसी ड्राफ्ट को तैयार करने में दो साल लग गए। 27 मई 2022 को धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। उत्तराखंड राज्य में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने का इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री धामी ने समिति का तीन बार कार्यकाल बढ़ाया। अब समिति ने करीब ढाई लाख सुझावों और 30 बैठकों में रायशुमारी के बाद ड्राफ्ट तैयार हुआ। जिसे 2 फरवरी 2024 को पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया था।
यूसीसी बिल में ये हैं प्रावधान
-तलाक के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।
-तलाक के बाद भरण पोषण का नियम एक होगा।
-पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्री के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग अलग ग्राउंड हैं।
-गोद लेने के लिए सभी धर्मों का एक कानून होगा।मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार।गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
-संपत्ति बटवारे में लड़की का समान हक सभी धर्मों में लागू होगा।
-अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
-सभी धर्मों में विवाह की आयु लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य होगी।
-शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नही मिलेगा. ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
-लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण जरूरी होगा।
-उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक।
-नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्री को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा।
-एक पति पत्नी का नियम सब पर लागू होगा।
Feb 06 2024, 14:17