पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले इमरान खान को बड़ा झटका, गोपनीय सूचना लीक करने के मामले में 10 साल की सजा
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पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के लीडर शाह महमूद कुरैशी को सायफर केस में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। मंगलवार को रावलपिंडी में स्पेशल कोर्ट ने सजा का ऐलान किया।पाकिस्तान की अदालत ने विवादास्पद सिफर मामले में 10 साल की जेल की सजा दी है। पाकिस्तान की सरकारी मीडिया और पीटीआई के एक प्रवक्ता ने राज्य के दस्तावेज़ लीक करने के मामले में दोनों को सज़ा सुनाए जाने की पुष्टि की है।
पार्टी के एक प्रवक्ता ने एएफपी को बताया, 'पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान और पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) के उपाध्यक्ष कुरेशी को सिफर मामले में 10-10 साल जेल की सजा सुनाई गई है।' खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रवक्ता जुल्फिकार बुखारी के अनुसार, अदालत ने रावलपिंडी के गैरीसन शहर की एक जेल में फैसले की घोषणा की।
इमरान और कुरैशी की मौजूदगी में ही जज अबुल हसनत जुल्करनैन ने यह फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान जज जुल्करनैन ने पीटीआ नेताओं से कहा कि उनके वकील अदालत में पेश नहीं हुए हैं और उन्हें सरकारी वकील दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुरैशी और इमरान से धारा 342 के तहत सवाल पूछे गए थे। हालांकि, कुरैशी ने कहा कि उनके वकील मौजूद नहीं हैं तो वे अपना बयान नहीं दर्ज करा सकते हैं। पिछले साल से ही केस की सुनवाई अदियाला जेल में चल रही है।
इमरान के राजनीतिक करियर के लिए खतरा
इमरान खान फिलहाल रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। इस फैसले को पहले से ही जेल में बंद इमरान खान के लिए बड़ा झटका समझा जा रहा है। पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव हैं, इससे पहले यह सजा इमरान की पार्टी के लिए चुनावी तैयारियों के लिए भी गहरे आघात से कम नहीं है। क्योंकि इस 10 साल की सजा के साथ ही इमरान खान और उनकी सरकार में विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता बंद हो गया है। चुनाव के करीब 1 हफ्ते पहले आया यह फैसला इमरान के राजनीतिक करियर के लिए खतरनाक हो सकता है।
पीटीआई फैसले को देगी चुनौती
इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। पीटीआई ने बयान जारी कर कहा है कि उनकी कानूनी टीम इस फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया या आम जनता को शामिल नहीं होने दिया गया और जल्दबाजी में फैसला सुनाया गया है। पीटीआई ने कहा कि मार्च-अप्रैल 2022 को जो हुआ, उसे कोई भी अदालती सुनवाई नहीं बदल सकती। इस मामले में कानून का मजाक उड़ाया गया है। पार्टी ने लोगों से 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में 'हकीकी आजादी' के लिए वोट करने की अपील की।
क्या है सिफर केस
अप्रैल 2022 में सरकार गिरने के बाद इमरान की तरफ से लगातार दावा किया गया कि उनकी सरकार गिराने के लिए अमेरिका और उस वक्त के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने साजिश रची। खान का आरोप है कि उन्हें इस साजिश की जानकारी अमेरिका में उस वक्त के पाकिस्तानी ऐंबैस्डर असद मजीद खान ने एक सीक्रेट लेटर के जरिए दी थी। डिप्लोमैटिक टर्म में इसी लेटर को सिफर कहा जाता है। यह सिफर अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट यानी फॉरेन मिनिस्ट्री की तरफ से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजा गया था। इमरान इस लेटर को साल 2022 में कई चुनावी रैलियों में लहराते हुए नजर आए थे। उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार को अमेरिका के इशारे पर फौज ने गिराया। कानूनी तौर पर ये लेटर एक नेशनल सीक्रेट होता है, जिसे सार्वजनिक जगह पर दिखाया नहीं जा सकता। इसके अलावा खान का एक ऑडियो टेप भी वायरल हुआ था। इसमें इमरान, उस वक्त के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और चीफ सेक्रेटरी आजम खान की आवाजें थीं। फोरेंसिक जांच में यह साबित हुआ कि ऑडियो सही है, इससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। टेप में खान कुरैशी और आजम से कहते हैं- अब हम इस सिफर को रैलियों में दिखाकर इससे खेलेंगे।
Jan 30 2024, 15:55