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*ठंड में स्कूलों को बंद रखने को लेकर शिक्षा विभाग और पटना डीएम मे ठनी, जिलाधिकारी ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को लिखा कड़ा पत्र*

डेस्क : इस कड़ाके की ठंड में स्कूलों को खोलने के शिक्षा विभाग के आदेश को लेकर शिक्षा विभाग और पटना जिलाधिकारी के बीच ठन गई। पटना के डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह स्कूलों को बंद रखने पर अड़ गए हैं। डीएम 23 जनवरी तक आठवीं कक्षा के स्कूलों को बंद रखने के अपने आदेश पर कायम हैं। माध्यमिक शिक्षा निदेशक को उन्होंने इस संबंध में कड़ा पत्र लिखा है।

डीएम ने अपने पत्र में कहा है कि कड़ाके की ठंड के मद्देनजर आठवीं तक स्कूल बंद किए गए हैं। स्कूल बंद करने से पहले शिक्षा विभाग की अनुमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है।

माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे जवाबी पत्र में जिलाधिकारी ने कहा है कि पटना जिले में शीतदिवस की स्थिति और कम तापमान के हालात बने हुए हैं। इसके मद्देनजर दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत जिले में आठवीं तक के सभी निजी और सरकारी स्कूलों के साथ आंगनबाड़ी केंद्र और कोचिंग संस्थान को भी बंद किया गया है। धारा 144 के तहत ऐसे मामले में जिलाधिकारी के पास कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त आधार हैं। इस आदेश की अवहेलना या उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 में दंडात्मक कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।

गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सोमवार को ही पटना डीईओ को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने पटना के सभी स्कूलों को खुला रखने का निर्देश दिया। कहा कि पटना डीएम ने स्कूलों को 23 जनवरी तक बंद करने का आदेश जारी किया है। जबकि,अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने 20 जनवरी को पत्र जारी कर कहा था कि किसी भी स्कूल को बंद करने के पूर्व विभागीय अनुमति जरूरी है। पटना जिलाधिकारी के स्कूलों को बंद रखने के निर्णय पर नाराजगी जताते हुए विभाग ने इसके विपरीत आदेश जारी किया है।

एलन मस्क ने की संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्‍थायी सदस्‍यता की वकालत, बोले-ताकतवर देश नहीं चाहते पावर छोड़ना

#elon_musk_supported_india_permanent_membership_in_unsc 

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की कवायद में काफी समय से जुटा है। कई वैश्विक नेता भी भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने के पक्ष में हैं। इसी बीच दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने भी भारत की वकालत की है। टेस्‍ला और स्‍पेसएक्‍स कंपनी के मालिक मस्‍क ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है और उसे संयुक्‍त राष्‍ट्र में स्‍थायी सदस्‍यता न देना हास्‍यास्‍पद है। 

अफ्रीका को संयुक्‍त राष्‍ट्र की स्‍थायी सदस्‍यता देने की मांग को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस के एक ट्वीट के जवाब में पूछे गए एक सवाल के जवाब में एलन मस्‍क ने यह बड़ा बयान दिया है। उन्‍होंने कहा कि हमें संयुक्‍त राष्‍ट्र के निकायों में समीक्षा की जरूरत है। इतना ही नहीं, उन्होंने स्थायी सदस्यों को भी फटकार लगाई।

टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने अपने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, संयुक्त राष्ट्र निकायों में संशोधन की आवश्यकता है। समस्या यह है कि जिनके पास अधिक शक्ति है वे इसे छोड़ना नहीं चाहते। धरती पर सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट न मिलना बेतुका है। मेरे विचार में अफ्रीका को सामूहिक रूप से एक स्थायी सीट भी मिलनी चाहिए।

एलन मस्क का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष भारत आए हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस अभी पांच दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं और ऐसी संभावना जताई जा रही है कि भारत सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए कदम उठाने को लेकर इस दौरान उन पर दबाव बनाएगा।

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्‍थायी सदस्‍यता को लेकर बड़ा बयान दिया था। जयशंकर ने कहा था, 'दुनिया कोई भी चीज आसानी से नहीं देती है, कभी कभी लेना भी पड़ता है।'

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषःआज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?

#subhashchandrabosebirthanniversary 

क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।

औरंगाबाद मे हुई अनेखी शादी, जानिए क्या रहा इसमे खास

औरंगाबाद : शादी को दो आत्माओं का मिलन माना जाता है। लोग अपनी शादी को यादगार बनाने के तरह - तरह तरीके अपनाते है। लेकिन औरंगाबाद के हसपुरा में सोमवार को संपन्न यह शादी सिर्फ यादगार ही नहीं एक मिशाल है। 

वैसे तो हसपुरा के अनीश और आरा के सिमरन की शादी आम शादियों के तरह ही संपन्न हुआ। लेकिन एक बात इस शादी को खास बनाता है कि इस शादी के माध्यम के सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचाने का मुहिम छेड़ दिया गया है। 

आम तौर शादी में आकर्षक सजावट, बैंड और खाना पर ध्यान दिया जाता है लेकिन अनीश और सिमरन ने अपनी शादी में रक्तदान शिविर का आयोजन किया। जिसमें दूल्हा - दुल्हन के साथ दोनों पक्ष के रिस्तेदार सहित शादी में शामिल होने आए लोगों ने रक्तदान किया।

अनीश इलाके में रक्तवीर के रूप में पहचाने जाते है। अपनी शादी के मौके पर चौदहवीं बार रक्तदान किया। वहीं सिमरन ने नौंवी बार। 

सिमरन और अनीश ने तय किया था कि वे अपनी शादी के माध्यम से रक्तदान के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे उसके साथ शादी में शामिल होने वाले लोगों से सगुन के रूप में रक्तदान करने के लिए कहेंगे।अपनी शादी के कार्ड भी उन्होंने रक्तदान का संदेश छपवाया था। 

अनीश के इस पहल से दर्जनों लोग रक्तदान के लिए आगे आये और शगुन के रूप में रक्तदान किया।

आमतौर पर लोग शादियों में उपहार लेकर जाते है वहीं इस शादी में उपहार के रूप में किसी के जिंदगी बचाने का खूबसूरत एहसास लेकर जा रहें है।

अनीश - सिमरन के शादी पर लगे रक्तदान शिविर में दुल्हन के भाई हिमेश केशरी, बहन सुनीता केशरी, भाभी रेखा केशरी भईया अभिषेक केशरी ने रक्तदान कर कहा कि जितनी खुशी मुझे आज हो रहा है कभी नहीं हुआ।शादी में रक्तदान करने का एहसास मैं कभी भूल नहीं पाऊंगी। 

भाभी रेखा ने बताया कि मैं साधारण गृहणी हूँ।जीवन मे पहली बार रक्तदान कर रहीं हूँ। अपनी ननद के शादी में इससे बड़ा गिफ्ट मैं नहीं दे सकती थी यह एहसास मुझे बार - बार गुदगुदा रहा है की मेरा खून दूसरे के रगों में मेरे बाद भी जीवित रहेगा।

रक्तदान शिविर को संचालित करने आये निरामया ब्लड बैंक पटना के डायरेक्टर डॉ.राकेश रंजन ने बताया कि मैं अबतक सैकडों ब्लड डोनेशन कैम्प आयोजित करवा चुका हूँ।लेकिन शादी के अवसर पर रक्तदान मैं पहली बार देख रहा हूँ। मेरी जानकारी में बिहार ही नहीं भारत में पहला ब्लड डोनेशन कैम्प है जो शादी समारोह के बिच हो रहा है। 

इस कैम्प में बिहार राज्य में रक्तदान के क्षेत्र में काम करने वालें रक्तवीर सुबोध कुमार यादव,प्रिन्स सिंह, राजेश गुप्ता,विवेक मिश्रा व इनकी पत्नी कविता मिश्रा इस अनोखे शादी का गवाह बनने आये थें। 

ब्लड बैंक के गणेश कुमार भगत और इनकी टीम ने कहा की अबतक 70 से ज्यादा लोगों ने रक्तदान किया है और करने वाले का नंबर लगा हुआ है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

*अयोध्या में श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा : बिहार के सीतामढ़ी की जानकी जन्मभूमि में उत्सव, सीता मैया का नैहर निहाल*

डेस्क : बीता कल 22 जनवरी देश के लिए बड़ा दिन रहा। 500 साल का इंतजार खत्म हुआ और अयोध्या में एकबार फिर श्रीराम अपने जगह पर लौटे। पूरे देश में हर्ष और उत्सव का माहौल व्याप्त है। इधर श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा पर जानकी जन्मभूमि पर उत्सव हो रहा है। सीतामढ़ी से जनकपुर तक लोग निहाल हैं। अंतर्मन में उल्लास है। हृदय भाव विभोर है। घर-घर में रंगोली सजी है। दीपक जल रहे हैं। गांव-गांव में कीर्तन-भजन हो रहे हैं। अष्टयाम हो रहा है। मिठाइयां बंट रही हैं। भंडारे का आयोजन हो रहा है। 

बीते सोमवार से मठ-मंदिरों में सुबह से ही विशेष पूजा का आयोजन हो रहा है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी की जुबां से जय सियाराम के जयकारे लग रहे हैं। अयोध्या के उत्सवी माहौल की गूंज सीतामढ़ी व जनकपुरधाम सहित पूरे मिथिला में लोगों की जुबां पर सुनाई पड़ रही है। जनकपुर का जानकी मंदिर सवा लाख दीये की रोशनी से दमक रहा है।

पुनौराधाम व रजतद्वार जानकी मंदिर में सुबह से देर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। रामजानकी मंदिर व मठ के साथ ही देवी-देवताओं के मंदिर को भी दीपकों की रोशनी व रंगीन बल्बों की लड़ियों से सजाया गया। अपने पाहुन की खुशी में सब सराबोर हो रहे थे।

जनकपुरधाम स्थित जानकी मंदिर में फूलों की रंगोली बनाई गई सवा लाख दीप प्रज्वलित होने के बाद जानकी मंदिर का नजारा देखने लायक था। राम मंदिर, राजदेवी मंदिर, सुंदर सदन, झूलन कुंज, गायत्री पीठ, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी सहित सभी मठ-मंदिरों में भी बड़ी संख्या में राम दीप प्रज्वलित किए गए। अयोध्या के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को जानकी मंदिर सहित अन्य जगहों पर लाइव प्रसारण किया गया। श्रद्धालु जय श्रीराम का जयघोष कर रहे थे। बाद में शोभायात्रा भी निकाली गयी। सभी मठ-मंदिरों में अखंड रामधुन, सुंदरकाण्ड का पाठ तथा भंडारे आयोजित किए गए हैं। पुनौराधाम स्थित सीता कुंड में महाआरती की गयी। आरती की भव्यता इतनी थी कि पैर रखने के लिए घाट पर जगह नहीं थी।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़

#ram_mandir_darshan_started

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।

*अयोध्या में श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा : राजधानी पटना में दिनभर रामनवमी तो शाम को रहा दिवाली जैसा उल्लास*

डेस्क : बीता कल 22 जनवरी देश के लिए बड़ा दिन रहा। 500 साल का इंतजार खत्म हुआ और अयोध्या में एकबार फिर श्रीराम अपने जगह पर लौटे। पूरे देश में हर्ष और उत्सव का माहौल व्याप्त है। इधर राजधानी पटना में अयोध्या में निर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पुण्य अवसर पर लोगों के नेत्र सजल थे और कंठ से निकल रहा हर स्वर भाव से भरा हुआ। सुबह रामनवमी सा नजारा रहा, दोपहर में दशहरे का उत्सव तो शाम ढलते दिवाली मनती रही। भगवान राम अयोध्या में ही नहीं, पटना के रामभक्तों के मन में विराज चुके थे।

इस पावन मौके पर पटना के श्रीराम भक्तों की दिनचर्या ही बदली रही। सुबह नींद से जगे तो उस सर्वार्थसिद्धि योग के पल की प्रतीक्षा थी जिस पल भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी। सुबह सुबह मंदिरों में भक्तों तांता लगा रहा। छोटे बच्चे नहा-धोकर नए कपड़ों में सजे थे। बड़े बुजुर्ग पूजा पाठ में जुटे थे। कई लोग व्रत और उपवास पर रहे। महावीर मंदिर, राजवंशी नगर मंदिर, खाजपुरा मंदिर व राजधानी के कई मंदिरों के आगे भगवान राम के भक्त लड्डू बांट रहे थे। भजन, कीर्तन का दौर दिन भर चलता रहा।

दोपहर बाद सड़कों पर उमड़ी भक्तों की भीड़ 

सोमवार को अचानक राजधानी का मौसम भी सुधर गया। धूप निकल चुकी थी और कोहरा छंट चुका था। रामलहर के आगे शीतलहर फीका पड़ चुका था। भक्तों की टोली रामनाम का ध्वज लेकर सड़कों पर आ गई। जय हनुमान, जय सीताराम की गूंज हर जगह सुनाई देने लगी। सबके कदम थिरक रहे थे। रामधुन में पटना रम चुका था। डाकबंगला चौराहा सहित शहर के कई चौराहों पर रंगोली सजी थी। वाहनों पर भी भगवान राम और रामभक्त हनुमान के ध्वज तने थे। माथे पर चंदन तिलक से लिखे श्रीराम विराजे थे।

शाम ढलते ही रंगीन रोशनी से जगमगा उठा पटना 

शाम ढलते घर, अपार्टमेंट, चौक-चौबारे रंगीन रोशनी से जगमगा उठे। हमारे राम आए हैं, प्रभु श्रीराम आए हैं के संकीर्तन के बीच घरों के बच्चे, महिलाएं बुजुर्ग दीयों को सजाने में लगे थे। आसमान आतिशबाजियों से पटा था। महिलाएं मंगल गान गा रही थीं। घरों में पकवान बन रहे थे। मन से लेकर खान-पान तक मधुरता बनी रही।

*शीतलहर की चपेट में बिहार के 15 शहर, सोमवार को 5.5 डिग्री रहा राजधानी पटना का तापमान*

डेस्क : पूरा बिहार इन दिनों कड़ाके के ठंड की चपेट में है। भीषण ठंड ने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। पूरा जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. पटना सहित प्रदेश के 15 शहर सोमवार को भीषण शीत दिवस और शीत दिवस की चपेट में रहे। वहीं सूबे के 24 शहरों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री के नीचे पहुंच गया गया। इसी वजह से लोगों को सुबह और शाम के वक्त हाड़ कंपकंपाने वाली ठंड का एहसास हुआ। 

इस सीजन में पहली बार सोमवार को पटना का न्यूनतम तापमान 5.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। इसके चलते शीतलहर जैसे हालात रहे। प्रदेश का सबसे ठंडा शहर 4.1 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान के साथ गया और 20 डिग्री सेल्सियस के अधिकतम तापमान के साथ मोतिहारी सबसे गर्म शहर रहा। पटना और गया में घना कोहरा भी छाया रहा। 

वहीं पश्चिम चंपारण के बाल्मीकि नगर में हल्के से मध्य स्तर की बारिश हुई। मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को प्रदेश के कुछ शहरों में शीत दिवस जैसी स्थिति बन सकती है। कोहरा भी छाए रहने की संभावना है।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने की प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना की घोषणा, 1 करोड़ घरों पर लगेगा रूफटॉप सोलर

#pm_modi_announces_pradhan_mantri_suryoday_yojana 

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पीएम मोदी दिल्ली वापस आ गए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” का ऐलान किया, जिसके अंतर्गत 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर लगाए जाएंगे। पीएम मोदी ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

अयोध्या के राम मंदिर में अभूतपूर्व आयोजन के बाद दिल्ली लौटते ही पीएम मोदी ने पहले बड़े फैसले की जानकारी सोशल मीडिया पर दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने गरीबों के घरों को रोशन करने के लिए प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के तहत एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगवाने का निर्णय लिया है। इससे गरीब और मध्यम वर्ग का बिजली बिल तो कम होगा ही, साथ ही भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनेगा।

उन्होंने लिखा, “सूर्यवंशी भगवान श्री राम के आलोक से विश्व के सभी भक्तगण सदैव ऊर्जा प्राप्त करते हैं। आज अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर मेरा ये संकल्प और प्रशस्त हुआ कि भारतवासियों के घर की छत पर उनका अपना सोलर रूफ टॉप सिस्टम हो।

इससे पहले पीएम मोदी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा को एक नए युग के आगमन का प्रतीक करार दिया है और लोगों से अगले 1000 वर्षों के मजबूत, भव्य और दिव्य भारत की नींव बनाने का आह्वान किया। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद ‘सियावर रामचंद्र की जय’ और ‘जय श्री राम’ के उद्घोष के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अवसर केवल जीत का नहीं बल्कि विनम्रता का है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर समृद्ध और विकसित भारत के उदय का गवाह बनेगा। प्रधानमंत्री ने संतों, नेताओं, उद्योगपतियों, फिल्मी सितारों, कवियों, साहित्यकारों और खिलाड़ियों की एक चुनिंदा सभा को संबोधित करते हुए कहा, हमें आज से, इस पवित्र समय से अगले 1,000 साल के भारत की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर हम सभी देशवासी इस पल से समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं।

*जदयू को लगा बड़ा झटका, वरिष्ठ नेता डॉ. सुनील कुमार ने पार्टी छोड़ने का किया एलान*

डेस्क : जदयू को आज बड़ा झटका लगा है। जदयू के वरिष्ठ नेता डॉ सुनील कुमार ने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर जदयू से इस्तीफा देने सम्बंधी पोस्ट में लिखा है, ‘ॐ, श्री गणेशाय नमः।।आज पूरा भारतवर्ष राममय है। जय श्री राम के उद्घोष से, गीत-संगीत से सर्वत्र हर्षोल्लास है। जिनके नाम के जयकारे मात्र से हम भारतवासी स्वयं को धन्य अनुभव कर रहे है। मैं अकिंचन भी उन प्रभु श्री राम के समक्ष नतमस्तक हूँ।

आज के पावन दिन प्रभु श्री राम जी के आदर्शों का अनुसरण करते हुए प्रभु श्री राम जी के आदेश से मैं अपनी जदयू की प्राथमिक सदस्यता एवं प्रवक्ता पद से त्यागपत्र को सार्वजनिक करता हूँ। आगे कर्तव्य पथ का दिशा निर्देश प्रभु श्री राम करेंगे। जय श्री राम !’

वहीं जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा को भेजे इस्तीफा में डॉ सुनील ने लिखा है। ‘मैं डॉ. सुनील कुमार सिंह व्यक्तिगत कारण से पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ प्रदेश प्रवक्ता के पद से इस्तीफा देता हूं। पार्टी के सर्वमान्य नेता मुख्यमंत्री बिहार, श्री नीतीश कुमार जी, बिहार प्रदेश अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा जी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आरसीपी सिंह जी, पूर्व बिहार प्रदेश अध्यक्ष श्री बशिष्ठ नारायण सिंह जी (दादा) के मार्गदर्शन में काम करने का और बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।

कोविड 19 जैसे विषम काल के समय चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते पार्टी के बैनर तले समाज सेवा करने का मौका मिला। टीकाकरण शिविर, जागरूकता अभियान, निःशुल्क टेली कंसल्टेशन, वेबिनार, जागरूकता रथ सहित अनको काम किया जिस से राज्य की जनता को लाभ मिला। पार्टी के बैनर तले इस पुनीत कार्य को हम कभी भूल नहीं सकते। पार्टी के सभी प्रवक्ता गण, नेता और कार्यकर्ता का प्यार और साथ देने के लिय शुक्रिया। पार्टी के विभिन्न पदों पर रह कर काम किया, मेरे लिए सुखद अनुभव रहा।‘