*आखिर भू-माफियाओं की नजर दाता सांई आश्रम पर क्यों,सांई संतो को योगी सरकार से क्यों जगी बड़ी उम्मीद,जानें पूरा मामला*
*प्रशासन अभी तक बना रहा क्यों अंजान, सोशल मीडिया पर खबर चलने के बाद मामले को लिया संज्ञान,मामला दाता सांई आश्रम पांचोपीरन का है*
*दाता सांई आश्रम की वास्तविकता की जांच करने पहुंचा लखनऊ से खुफिया तंत्र:सूत्र* सुल्तानपुर,एक ऐसा स्थान जहां,आस्था ही नही दीन-दुखियों को आश्रय भी मिलता है,जहां शांति की तलाश में लोग पहुंचते है यहां,जहा के संत विश्व शांति के लिए अपनी धून में रमते रहते है,परंतु भू-माफियाओं ने इसे भी नही बक्शा,बात करते है हम दाता सांई आश्रम की है,जो गोमती नदी के किनारे पांचोपीरन कस्बे में स्थित है।
कहा जाता है कि सैकड़ों वर्ष पुराने इस आश्रम में चंदौर आश्रम से आए महंत दाता है। जबकि पूर्व में चंदौर महंत ने कहा था कि सेवा भाव ही सच्ची पूजा है,आज बिडंबना है कि 50 बीघे का आश्रम आज भू-माफियाओं ने 10 बीघे में समेट दिया, क्योंकि कहा जाता है कि यदि किसी की बुरी नजर पड़ जाए तो वह सब नाश हो जाता है,लेकिन ऊपर वाले की कृपा रही कि कुछ हिस्सा ही जा पाई। वही सांई आश्रम के कर्ता-धर्ताओं ने प्रशासन से बहुत गुहार लगाई,लेकिन संतो की आवाज वहां तक पहुंचने से पहले ही मंद पड़ गई। जिसको लेकर मजबूरन दाता सांई आश्रम ने एक प्रेसवार्ता के माध्यम से अपनी बातें सब के सामने रखी। जिसे समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित करते हुए शासन के संज्ञान तक पहुंचाया। उसके बाद शासन ने एक टीम दाता सांई आश्रम की वास्विकता परखने के लिए भेजा,टीम ने आश्रम के मुखिया से मिलकर अभिलेखों की जांच व मौके की स्थिति देखी और परखी। परंतु प्रशासन ने आजतक जानने की कोशिश नही किया,कि आखिर सच्चाई क्या है और क्यों है ? दाता साईं आश्रम संतो की माने तो पूर्व सरकार में सत्ता के लाइजनरों ने अभिलेखीय गड़बडियां करवा कर आश्रम की जमीनों पर कब्जा कर बिक्रय शुरू कर दिया था, यह हम नही कह रहे है। यह छपी कुछ समाचार पत्रों है।जिसके बाद लगातार आश्रम द्वारा प्रशासन से भूमि बचाने की गुहार लगाई जाती रही, लेकिन परिणाम आज तक शून्य रहा,जिसका लाभ भू-माफियाओं ने खूब उठाया और अभी उठाने की भी फिराक में है। संतो की माने तो अब तो थोड़ी आस जगी है,मुझे पूरी उम्मीद है कि अब योगी राज में दाता सांई आश्रम को इंसाफ मिलने की जगी उम्मीद।
Jan 18 2024, 15:57