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*केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अमेठी दौरे का दूसरा दिन आजख्आधा दर्जन गांवों में जन संवाद विकास यात्रा में होंगी शामिल*



अमेठी। केन्द्रीय मंत्री और सांसद स्मृति ईरानी के अमेठी दौरे का आज दूसरा दिन है।सांसद आज अमेठी के आधा दर्जन गांवों में जन संवाद विकास यात्रा कार्यक्रम में शामिल होकर ग्रामीणों की समस्यायों को सुनेंगी।

दरअसल केंद्रीय मंत्री और सांसद स्मृति ईरानी गुरुवार को देर शाम अपने दो दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुँची।कल सांसद ने जगदीशपुर में भले सुल्तान शहीद स्मारक थाने का उद्द्घाटन किया और दिव्यांगों को कृत्रिम उपकरण बांटे।आज सांसद के अमेठी दौरे का दूसरा दिन है।सांसद आज सुबह 11.15 बजे रामदयपुर गांव पहुचेंगी जहाँ वो जन संवाद विकास यात्रा में शामिल होकर लोगों की समस्याओं को सुनेंगी।दोपहर 12 बजे सरायखेमा गांव में जन संवाद विकास यात्रा में शामिल होकर ग्रामीणों की समस्यायों को सुनने के साथ ही एक सड़क का उद्द्घाटन करेंगी।

दोपहर 12.45 बजे अमेठी ब्लाक के लोनियापुर गांव में सांसद जन संवाद विकास यात्रा में शामिल होंगी।दोपहर 1.15 बजे पीठीपुर गांव में जन संवाद विकास यात्रा में शामिल होंगी।दोपहर तीन बजे सांसद धनापुर गांव में जन संवाद विकास यात्रा में शामिल होंगी।शाम चार बजे सांसद सरैया दुबान गांव में जन संवाद विकास यात्रा में शामिल होंगी।शाम पांच बजे सांसद एच ए एल गेस्ट हाउस पहुचेंगी जहाँ वो रात्रि विश्राम करेंगी।

एक दिन और बढ़ा सांसद का दौरा

बताया जा रहा है कि सांसद स्मृति ईरानी का दौरा एक दिन और बढ़ गया है।सांसद कल इंडस्ट्रियल एरिया त्रिशुण्डी में किसी बड़े प्रोजेक्ट के उद्द्घाटन कार्यक्रम में शामिल होंगी जिसका उद्द्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली माध्यम से करेंगे।

*गायिका आशा भोंसले से बात करेगी दिव्यांग छात्रा,सांसद ने दिया बात कराने के भरोसा,छात्रा को दिया प्रोत्साहन राशि और स्मार्टफोन,टैबलेट देने का वाद

अमेठी। केंद्रीय मंत्री और अमेठी सांसद स्मृति ईरानी कल देर शाम दो दिवसीय दौरे पर अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी पहुंची थी।गौरीगंज के नवोदय विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान तिलोई में स्थित दिव्यांग स्कूल की एक छात्रा ने अपनी टीम के साथ देशभक्ति गाना गाया।छात्रा के गाने से मंत्रमुग्ध हुई सांसद ने छात्रा को नगद पुरस्कार देने के साथ ही एक स्मार्ट फोन गिफ्ट किया।सांसद ने छात्रा की सुप्रसिद्ध गायक आशा भोंसले से बात करवाने का वादा करते हुए उसे एक टेबलेट देने की बात कही।

दरअसल गुरुवार की देर शाम केंद्रीय मंत्री और सांसद स्मृति ईरानी दो दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुँची।गौरीगंज के नवोदय विद्यालय में दिव्यांगजनो को कृत्रिम उपकरण वितरण के दौरान तिलोई के फूला गांव में स्थित जीवन पद्धति दिव्यांग विद्यालय की छात्रा लक्ष्मी ने देशभक्ति गीत ये मेरे वतन के लोगो गाना सुनाया।छात्रा के गाना सुनाते ही सांसद मंत्रमुग्ध होकर पूरे गाने को सुना।गाना समाप्त होने के बाद सांसद ने उसे नगद पुरस्कार देते एक स्मार्टफोन भी दिया।सांसद ने छात्रा की मांग पर सुप्रसिद्ध गायिका आशा भोंसले से बात करवाने की बात कही और जल्द ही उसे एक टेबलेट देने का वादा किया।

विद्यालय के प्रबंधक ने कहा

जीवन पद्धति दिव्यांग विद्यालय के प्रबंधक दिव्यांग चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा कि उन्होंने विद्यालय की स्थापना 26 जनवरी 2003 को किया था।तब इसमें कई प्रदेशों के बच्चे पढ़ते जो धीरे धीरे कम होते गए।इस समय विद्यालय में 22 छात्र छात्राये पढ़ते है।अभी सांसद से बात हुई तो उन्होंने विद्यालय में सोलर लाइट,दो डीजी प्लेयर,लैपटॉप और प्रोजेक्टर देने का वादा किया है।

छात्रा ने कहा

दिव्यांग छात्रा लक्ष्मी कुमारी ने कहा कि वो पढ़ाई करने के साथ ही गीत संगीत सिखाती है।उसने एमए की परीक्षा 71 प्रतिशत से पास की है।सांसद ने आशा भोसले से भी बात करवाने का वादा किया है।

*बासी सकपहिता भात....ठंडी की स्पेशल डिश...तब का बच्चों का पिज़्ज़ा*

अमेठी।पूर्वी उत्तर प्रदेश में ठंडी के दिनों में खेतों में एक पौधा साग पाया जाता था। आलू ,मटर,गेहूं आदि के बीच यह स्वयं ही उग आता था। अवधी में इसे बथुई अथवा बथुआ कहते है। अब भी कहीं कहीं देखने मिल जाता है।

 बथुई के साथ उड़द की दाल बनाई जाती। जिसे सकपहिता कहा जाता। चूंकि शीत ऋतु में यह स्वयं उग आती । इसलिए यह उसी मौसम में बनाई जाती। मेथी से मिलती जुलती शकल है इसकी। इसको खाने का आंनद ही कुछ और था। मुझे लगता है इसकी तासीर गर्म ही होगी।

प्रकृति में स्वयं से उगने वाले पौधे या फल उस वातावरण के अनुकूल ही होते है। हम जो नैसर्गिक खेती करते है। वह भी इंसानों के अनुकूल ही होती है। ठंडी में आलू,गर्मी में गेहूं,बरसात में धान यहाँ तक की साग सब्जियां भी। तो मैं सकपहिता के बारे में बता रहा था। 

सकपहिता में बथुई के साथ जब उड़द को मिला कर पकाया जाता। तो दोनों के मिलन से जो खुशबू आती घर महक उठता। उड़द और बथुई के इस मिलन में हींग बहन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती उनके बिना यह मिलना सम्भव ही न था।

यही समझो फ़िल्म " नदिया के पर ' की , अगर "गुंजा" बथुई थी तो, उड़द, "चंदन ", हींग, "भौजी "। इन तीनों व अन्य कुछ कलाकारों को मिलाकर जो सकपहिता बनता, तो उस ज़माने में भी करोड़ों का कारोबार न सही,पर करोड़ो को अपने स्वाद से मोह लेता।

थाली में जब इसे भोजन की प्रतीक रोटी, के भीतर समाकर खाने वाला, निवाला होठों के बीच से होते ,जैसे ही जीभ देखते इस पर तुरन्त टूट पड़ती। जीभ की ततपरता देखकर दांत भाई, जीभ बहन की मदद में आ जाते।

दोनों भाई बहन मिलकर इसे वही सज़ा देते,जो कभी अकबर ने अनारकली को दिया था, ठीक उसी तरह इसे पेट के भीतर भेज देते है।

बच्चें जब इसे सुबह ,अपनी अपनी थाली में ,भात के साथ मिलाकर अपने अपने बनाएं ईंट के चूल्हे पर जब सकपहिता भात की थाली को आग पर रखते।

कुछ गर्मी पाने के बाद यह छंन्न छंन्न की आवाज करता। एक विशेष प्रकार की खुशबू से घर महक उठता। 

सकपहिता का यह रुप और गंध जिसने देखा और चखा हो वह कम भाग्यशाली नही। कभी कभी आग की कुछ राख भी इस व्यंजन को सर्वोत्तम बनाने में सहायता करती। 

सकपहिता जैसा स्वाद और बासी सकपहिता की महक की कोई तुलना नही। दाल बहनों की तरह प्रयोग में लाया जाने वाला सकपहिता ठंडी के मौसम की सबसे बड़ी सौगात था.

पुरानी यादें बेटी ने बासी सकपाहिता गर्म करते फ़ोटो खींच ली. स्टील के बर्तन में वो बात कहाँ जो जस्ते के बर्तन में बासी सकपाहिता की थी.

*त्याग और सेवा भाव की मूर्ति थी पूर्व प्रधान राधा,प्रेरणा एवं गरीबों की सेवा के लिए राधा फाउंडेशन का हो रहा संचालन*

अमेठी। 1970 के दशक में जन्मी राधा श्रीवास्तव शुरू से ही सेवा भाव की प्रतिमूर्ति रही। पढ़ाई के बाद वैवाहिक एवं पारिवारिक जीवन में आने के बाद भी वह संस्कार संस्कृति और परिवार एवं समाज के लिए हमेशा चिंतनशील रही और समर्पित रही। समाज और परिवार के लिए जहां वह बढ़ चढ़कर हमेशा हिस्सा लेती रही वहीं अमेठी ब्लाक की ग्राम पंचायत लोहरता की ग्राम प्रधान रहकर उन्होंने लोगों की सेवा की। 

ग्राम पंचायत में उन्होंने जो विकास की आधारशिला रखी और विकास कार्य किए। वह आज भी लोगों के लिए पत्थर की लकीर बने हुए हैं। उनके सेवा भाव समर्पण को देखते हुए उनकी प्रेरणा से राधा फाउंडेशन की आधारशिला अरविंद श्रीवास्तव ने रखी। आज इस सेवा भाव को याद करते हुए उनकी पांचवीं पुण्यतिथि पर ग्राम पंचायत के लाल का पूर्व सोमपुर मनकठं में 9 जनवरी 2024 को उनके पैतृक आवास पर गरीबों को नेत्र एवं स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराए जाने की पहल की गई है। पुण्यतिथि पर मुंशीगंज स्थित संजय गांधी अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सक की टीम आयोजित कैंप में मौजूद रहकर लोगों का परीक्षण कर उनका उपचार करेगी।

 वहीं इसी शिविर में मुंशीगंज स्थित इंदिरा गांधी आई हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सक आंख संबंधी मरीजों का निशुल्क परीक्षण कर उनका उपचार करेंगे। कार्यक्रम को लेकर तैयारियां तेजी से की जा रही है। संस्था अध्यक्ष अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि नेत्र और स्वास्थ्य शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीज का उपचार किया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा लोगों की इस कैंप में सेवा की जा सके इस भावना के साथ कार्यकर्ता गांव-गांव प्रचार प्रसार में जुटे हैं। कार्यक्रम की तैयारी पूरी कर ली गई हैं।

आकाशीय बिजली से बचाव के लिए दामिनी ऐप्प का प्रयोग करें

अमेठी। मनीषी महिला महाविद्यालय गौरीगंज मे चल रहे आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण एवम जन जागरूकता अभियान के अंतर्गत प्रतिभागियों को जनपद अमेठी मे घटित होने वाली प्रमुख आपदाओं सर्पदंश, डूबकर होने वाली मृत्यु की घटनाओ, सड़क दुर्घटना, अग्निकांड एवम आकाशीय बिजली अर्थात् वज्रपात के बारे मे मास्टर ट्रेनर जनार्दन मिश्र एवम आपदा विशेषज्ञ प्रदीप कुमार सिंह के द्वारा विस्तारपूर्वक बताया गया कि वर्षा के समय पेड़ के नीचे तथा किसी भी जल स्रोत के पास नहीं खड़े हो क्योंकि इन स्थानों पर आकाशीय बिजली अधिकांशतः गिरती है।

जिसके प्रभाव से मनुष्य या पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है। आकाशीय बिजली के पूर्व चेतावनी एप दामिनी के प्रयोग के बारे मे बताया गया तथा प्रतिभागियों के मोबाइल मे डाउनलोड कराते हुए उसके प्रयोग की विधि भी बताई गई, इसके अतिरिक्त अपेक्षा की गई कि प्रतिभागी दामिनी एप का प्रचार प्रसार करने मे सहयोग प्रदान करेंगे। सत्र के दौरान सर्पदंश की घटना होने पर किये जाने वाले प्राथमिक प्रतिक्रिया एवम उपचार के बारे मे विडियो के माध्यम से जानकारी प्रदान की गई।

प्रदेश स्तरीय सब-जूनियर बालक,बालिका वर्ग बैडमिन्टन प्रतियोगिता का जिला स्तरीय चयन,ट्रायल्स 27 दिसम्बर को

अमेठी।जिला क्रीड़ा अधिकारी आनन्द बिहारी श्रीवास्तव ने बताया कि क्षेत्रीय खेल कार्यालय, अयोध्या के अनुपालन में वर्ष 2023-24 में आयोजित होने वाली प्रदेश स्तरीय सब-जूनियर बालक/बालिका वर्ग बैडमिन्टन प्रतियोगिता के आयोजन हेतु जिला एवं मण्डल स्तरीय चयन/ट्रायल्स निर्धारित किया गया है।

इस क्रम में उन्होंने बताया कि उपरोक्त बैडमिन्टन प्रतियोगिता हेतु जिला स्तर ट्रायल्स अमेठी में 27 दिसम्बर 2023 एवं मण्डल स्तर ट्रायल्स अयोध्या में 28 दिसम्बर 2023 तथा जिला खेल कार्यालय, पीलीभीत में 09 जनवरी 2024 से 11 जनवरी 2024 तक प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि उक्त बैडमिन्टन खेल प्रतियोगिता का जिला स्तर चयन/ट्रायल्स 27 दिसम्बर 2023 को प्रातः 10 बजे राज गौरव पब्लिक स्कूल, अमेठी में आयोजित किया जायेगा।

जिसमें प्रतिभागी खिलाड़ियों को अपने साथ आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र व पासपोर्ट साइज फोटो लाना अनिवार्य होगा तथा खिलाड़ियों की आयु 01 जनवरी 2011 या उसके बाद की होनी चाहिए।

आग की चपेट में आने से मां और नाबालिग बच्ची झुलसी

अमेठी । जिले में देर शाम खाना बनाते समय सिलेंडर लीक होने की वजह से आग लग गई।आज की चपेट में आने से मां और उसकी छोटी बच्ची झुलस गई।घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे पुलिस ने दोनों घायलों को सीएचसी में भर्ती कराया जहां दोनों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया।

दरअसल ये पूरा मामला इन्हौना थाना क्षेत्र के राजापुर गांव का है जहां गांव की रहने वाली सुदेवी पत्नी शंभू नाथ पुत्री रामसुंदर देर शाम अपने घर में खाना बना रही थी।इसी बीच अचानक सिलेंडर में लीकेज होने की वजह से आग लग गई।आग की चपेट में आने से दोनों मां बेटी झुलस गई।

आग लगने की जानकारी मिलते ही मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए और पुलिस सूचना दी।सूचना मिलते ही इन्हौना पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों घायलों को सिंहपुर सीएचसी में भर्ती कराया जहां दोनों का इलाज करने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया।पुलिस की सक्रियता से समय रहते हैं आग पर काबू पाने के कारण एक बड़ा हादसा होने से बच गया।घटना के वक्त घर मे कोई पुरुष मौजूद नही था।

एसएचओ ने कहा

पूरे मामले पर इन्हौना एसएचओ कंचन सिंह ने बताया कि घर में सिलेंडर लीक होने की वजह से आग लगने की सूचना मिली थी मौके पर पहुंचकर पुलिस बल द्वारा आग पर काबू पा लिया गया और आगा में झुलसी एक महिला सुदेवी पत्नी शंभू नाथ और उसकी नाबालिक बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया था इलाज के बाद दोनों को उनके घर भेज दिया गया।

हर्षोल्लास के साथ मनाया गया हर्ष महाराज का जन्मदिन

अमेठी।श्रीमतपरमहँस आश्रम टीकरमाफी के परमाध्यक्ष श्री हरिचैतन्य ब्रह्मचारी महाराज के सुपुत्र हर्ष चैतन्य महाराज का जन्मदिन रविवार को टीकरमाफी आश्रम में पूजा - अर्चना , दान,भण्डारे आदि के साथ मनाया गया। आश्रम पर बधाई देने वालो का तांता लगा रहा।

श्री हर्ष चैतन्य महाराज का पच्चीसवाँ जन्मदिन टीकरमाफी आश्रम पर श्री मत परमहंस जी महाराज की पूजा अर्चना के साथ मनाया गया। जन्मदिन पर हर्ष महाराज ने श्री मत परमहंस आश्रम विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को अंगवस्त्र, दक्षिणा भेंट किया। जन्मदिन पर बधाई देने वालों को भी हर्ष महाराज ने अंगवस्त्र प्रदान किया। पूजा अर्चना के बाद आश्रम पर वृहद भण्डारे का भी आयोजन किया गया।

आश्रम परिसर में भगवान शिव मंदिर पर हर्ष महाराज की लंबी आयु व स्वास्थ्य की कामना के लिए महारूद्राभिषेक भी किया गया। श्री हरिचैतन्य ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि श्रीमतपरमहँस आश्रम सैकड़ों वर्षों से लोगों की आस्था का केन्द्र है। क्षेत्र के लोग धर्मपालन के साथ अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं। हर्ष महाराज को जन्मदिन पर लंबी आयु की कामना के साथ बधाई भी महाराज ने दिया।

इस मौके पर कालिकन धाम के पीठाधीश्वर श्री महाराज, सन्तोष सिंह,राजेश तिवारी, संजय सिंह,अजीत द्विवेदी,सन्तदीन तिवारी के साथ बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी रही।

जुल्म जाति के खिलाफ हमेशा आवाज उठाती रहेगी क्षत्रिय महासभा

अमेठी ।जनपद के भेटुआ विकासखंड के मुंशीगंज में क्षत्रिय महासभा के पांचवी वर्षगांठ के बैनर तले क्षत्रियों का विशाल सम्मेलन का आयोजन किया गया और लगातार समाज पर हो रहे अत्याचार अन्याय पर चर्चा की गई इसी बीच भारत के कोने-कोने से आए हुए क्षत्रिय समाज के लोगों ने अवधी तहजीब से भी परिचित हुई है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष जितेंद्र सिंह की अगुवाई में क्षत्रिय सभा का सम्मेलन हुआ जिसमें बिहार राज्य से संजय सिंह, मुकेश सिंह मुरादाबाद, अश्वनी सिंह दिल्ली, ब्रिज किशोर सिसोदिया, सतीश सिंह बनारस रामकिशोर आजमगढ़,उमा शंकर सिंह मध्य प्रदेश से एवं अमेठी जिले से भी राम सिंह रघुवंशी गुंजन सिंह, संतोष सिंह गैरिकपुर जय बहादुर सिंह घाटमपुर आदि संभ्रांत लोगों नेआदि लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा फौजदार जौनपुरी का आल्हा गायन का भी लुफ्त लोगों ने उठाया।

" झाबर " एक पारम्परिक यादगार ग्रामीण खेल...पूर्वांचल में " बदी "...

अमेठी- वर्षों पहले अमेठी क्षेत्र और इसके आसपास के जिलों में एक खेल खेला जाता था। जिसे झाबर कहा जाता था। इस खेल में दो टीमें होती थी। उस दौर में इन टीमों को गोल कहा जाता था। आठ से दस खिलाड़ी हर गोल टीम में होते।

यह खेल बच्चें भी खेलते थे। पर युवाओं की सहभागिता प्रमुख थी। अट्ठारह साल से लेकर पचीस वर्ष आयु वर्ग के लोग ज़्यादा होते। इस खेल के भी चेम्पियन उस समय हुआ करते थे।

यह खेल गेहूं की बुआई के समय खेत में खेला जाता।तब ट्रैक्टर तो न थे,खेतों को गेहूं के लिए बैलों से जोता जाता। गेहूं के लिए कई बार जोता जाता। जब मिट्टी बिल्कुल भुर भुरी हो जाती,तब गेहूं बोया जाता। जब खेत गेहूं की बुआई के लिए तैयार हो जाया जाता, लगभग उसी समय या एक दो दिन पहले , उसी खेत में यह खेल झाबर खेली जाती। इस खेल में खेत का आकार बड़ा होना ज़रूरी था।

एक बीघे से कम विल्कुल नही। यह खेल जब चांदनी रात पूर्णिमा अंजोरिया के आस पास खेला जाता, ऊपर से चांद की शीतल चांदनी छाया नीचे जुती धरती मखमल की तरह खेतों के बीच युवा किसान ऐसे लगते मानो धरती माँ अपने लाड़ले बच्चों को गोदी में दुलार रही हो।

दो टीम गोल में से एक गोल खेत के बीचोबीच खड़ी हो जाती। गोला बनाकर। एक दूसरे से पीठ मिलाकर। दूसरी टीम गोल के खिलाड़ी " बदी अहय " कहकर खेत मे खड़ी गोल को छूने आते । आते समय " बदी अहय " यह कहते,इसका मतलब साफ था कि वह खिलाड़ी चुनौती देकर सावधान कर दूसरी गोल के खिलाड़ी को छूने आ रहा है।

छूने के बाद वह मेड़ की तरफ भागता। भागते समय " लवटी अहय " यह कहता। मेड़ को पाल्हा कहा जाता। जिस गोल या टीम के खिलाड़ी को वह छूकर लौटा है। वे लोग उसे पकड़ने के लिए खदेड़ लेते। अगर पकड़ लेते तो भागने वाला खिलाड़ी मर गया अर्थात हार गया मान लिया जाता।

यदि वह मेड़ तक पकड़ में न आता,तो जिन्हें छुआ है, वह खिलाड़ी मरे मान लिए जाते। इसमें भी एक रोचक बात और थी। जो गोल बीच मे होती,उसे छूने वाली टीम का सदस्य अगर ,खेत के बीच खड़े किसी खिलाड़ी को दो बार छू लेता ,तब भी वह मर जाता अर्थात हार जाता।एक बार छूने को " फूलि गया " कहा जाता।

लगातार दो बार छूने को " मरि गय " कहा जाता। इस तरह छूना और बचबचाकर मेड़ को छू लेना ही बहादुरी था। यह खेल कभी कभी कुछ देर तो कभी कभी कई घण्टों चलता। उस ज़माने का यह बहुत ही लोकप्रिय पारम्परिक खेल था।

इसमें काफी दमखम की ज़रूरत पड़ती थी। जब छूकर भागने वाले खिलाड़ी को दूसरी टीम पकड़ लेती,उस पकड़ने के दौरान सभी खिलाड़ी मिट्टी से नहा लेते। उस समय शरीर में मिट्टी लगना शान की बात हुआ करती थी। तब इंफेक्शन नही होता था। वही मिट्टी ही दवा थी।

जिस तरह मां के आंचल में बच्चा अपनी मां का दूध पीता हैं। अपने बच्चे के दूध पिलाती मां का दृश्य ब्रहांड में सर्वोत्तम दृश्यों में से एक है। यह अनुभूति तब भी होती है। जब किसान खेत की मिट्टी से सना होता है। यह भी धरती माँ का ही दुलार है।

यह बात अलग है कि अब आँचल बदल रहा है।आँचल की जगह कोई और ले रहा है। इसीतरह धरती को भी खाद,रसायन, कचरे से हमने दूषित कर दिया है। झाबर का खेल लगभग खत्म ही हो गया है। सम्पूर्ण व्यायाम के साथ यह खेल उस समय सिर्फ एक गांव ही नही,कई गांवों के युवाओं को एक दूसरे से जोड़ने का काम करता था।

इस खेल में ठकुरी नही होती थी। मतलब ऊंच नीच,गरीब अमीर का भेद नही होता था। सभी खेत में खेल के समय सिर्फ खिलाड़ी हुआ करते थे। मैंने इस खेल को थोड़ा बहुत खेला भी है। पर रातों को जागकर देखा बहुत है।

शाम से रात दस के पहले ही यह खेला जाता था। मेरे काका श्री रामराज तिवारी इसके माहिर खिलाड़ी थे। इस लेख को लिखने में भी अभी उनसे फोन पर बात की। हमारे गांव के ही डगरु यादव से भी बात की वे भी मझे खिलाड़ी रहे अपने समय के।

इस खेल में भागते खिलाड़ी को लंगड़ी मारकर गिराया जाता था। जिसमें कभी कभी बड़ी चोट लग जाती थी। इसलिए खेल शुरू होने के पहले ,दोनों टीमें इस बात पर सहमत हो जाती की कोई लँगड़ी मारकर नही गिराएगा। हालांकि कभी कभी जोश में इस नियम की अनदेखी हो जाया करती थी।

यह लेख आप को भारतीय गांवों के अतीत की रजत चांदनी रातों के साथ साथ एक उत्कृष्ट पारम्परिक खेल से परिचय कराएगा।