धनबाद जिला के मैथन से सटे बंगाल स्थित मां कल्याणेश्वरी मंदिर जहां नि:संतानों की होती है मुरादें पूरी
धनबाद : जिले से 45 किलोमीटर दूर झारखंड-पश्चिम बंगाल सीमा पर मैथन डैम से सटे प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बंगाल स्थित पांच सौ साल से भी अधिक पुराना विख्यात मां कल्याणेश्वरी मंदिर में चहल-पहल बढ़ गई है.
श्रद्धालु इस मंदिर में विराजमान मां कल्याणेश्वरी के चरणों में माथा टेक कर नये साल की शुरुआत करते हैं. मान्यता है कि यहां भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती है. नए साल के आगमन पर मंदिर प्रबंधन कमेटी ने सारी तैयारी पूरी कर ली है. उम्मीद की जा रही है कि इस नये वर्ष पर मंदिर में बड़ी संख्या में झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे और मां के आशीर्वाद से नए साल की शुरुआत करेंगे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदिर का निर्माण पंचकोट के महाराज हरि गुप्त ने तीसरी शताब्दी में कराया था. मान्यता है कि इस मंदिर में नि:संतान महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए मन्नत मांगती हैं और उनकी मुरादें पूरी भी होती है. मंदिर के पुजारी पवित्रो बनर्जी कहते हैं कि नए साल के लिए मंदिर पूरी तरह तैयार है. भक्तों के लिए मां के दरवाजे खुले हैं.
उन्होंने बताया कि देवी लाल रंग के कपड़े पहने हाथ में एक बच्चा लिये मंदिर की एक छोटी सी गुफा में विराजमान हैं. गुफा के बाहर एक छोटी सी अष्टधातु की मां की मूर्ति है, जिसकी पूजा-अर्चना की जाती है. उन्होंने बताया कि यहां संध्या आरती नहीं होती, सिर्फ सुबह की आरती होती है.
पवित्रो बनर्जी बताते हैं कि देवनाथ देवहरिया ने यहां कठिन साधना की थी. उनकी साधना से द्रवित होकर मां ने उन्हें दर्शन दिये. दर्शन के बाद साधक देवनाथ देवहरिया ने मां को शंखा भी पहनाया था. माता के दर्शन के बाद ही साधक देवनाथ ने मां को यहां स्थापित किया. माता जगत का कल्याण करती हैं, इसलिए मंदिर का नाम कल्याणेश्वरी पड़ा.
मंदिर के पुजारी ने बताया कि जिस नीम के पेड़ के नीचे साधक देवनाथ ने साधना की थी.
उसी में श्रद्धालु पत्थर बांधकर मां से अपनी मुराद पूरी होने की कामना करते हैं. मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु फिर से माता के दर्शन करते हैं. उसके बाद नीम में बांधे गए पत्थर को खोलकर नदी में प्रवाहित कर देते हैं.
Dec 29 2023, 09:09