सरायकेला :रजनी हाथी बना पर्यटको के सेल्फी पॉइंट, सबके लिए यह हाथी आज भी है प्यारा

सरायकेला : कोल्हान के चांडिल अनुमंडल स्थित दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के मकुलाकोचा मुख्य चेकनाका में रजनी नामक हथनी आज पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा ।
झारखंड राज्य के साथ पश्चिम बंगाल ,उड़ीसा ,छत्तीसगढ़, बिहार,नेपाल आदि राज्यों से पर्यटकों की भीड़ प्रतिदिन सैकडो की संख्या में दलमा गज परियोजना घूमने और भ्रमण के लिए पहुंच रहे हैं। सभी देश और विदेश के पर्यटकों के लिए रजनी हाथी आकर्षण का केंद्र है।
सैलानी में छोटे हो बड़े सभी के साथ रजनी हाथी घुलमिल जाती है ओर रजनी के साथ इस यादगार पल को लोग अपने मोबाईल में सेल्पी लेकर खुशी जाहिर करते हैं।पर्यटकों का कहना है। दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एक आदर्श
ओर मनोरम दृश्य से भरपूर क्षेत्र है।यहां के जंगल के वादियों में विभिन्न प्रकार के जल स्रोत के साथ छोटे बड़े बांध मिलता है।
बस पर्यटक को दुःख है कि दलमा सफारी करने के दौरान जंगल में एक भी हाथी की झुंड देखने को नहीं मिलता जिसके कारण लोग मायुस हो जाते हैं।
दलमा भ्रमण आने के समय सभी के चेहरे में खुशी देखी जाती है। परंतु जंगल में सफ़ारी से घूमने के दौरान करने के प्रश्चात् जंगल की बिहरों में हाथी नदारत है।
हाथी प्रेमी द्वारा दो वर्षो से दलमा सेंचुरी में भ्रमण करने दौरान एक भी जलस्रोत या बांध में हाथी को विचरण अथवा जलक्रीड़ा करते नही देखा गया।
पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम चाकुलिया होते हाथी की झुंड बहरागोड़ा,घाटशिला पहुंचते है,उसके बाद हाथी की झुंड दलमा सेंचुरी में एंट्री नही करते है इसी कारण इस बर्ष 2023 को 15 दिसंबर के आसपास एक हाथी की 25 / 30 की झुंड साथ नाला पटमदा होते सेंचुरी में प्रवेश किया और विचरण करते हुए झुंड कोंकादासा, गुमानडीह , बाधडीह होते हुए झुंड बातकोमकोचा ओर टेंगाडीह बिट की और पहुंचे ।
आज मुख्य सेंचुरी से गजराज की झुंड नही रहने के कारण दो वर्षो से इस क्षेत्र में हाथी की झुंड को पर्याप्त भोजन की कमी है। पहले की अपेक्षा सेंचुरी में पोष्टिक भोजन की अपेक्षा देखने को मिल रहा है। पहले गलगल,पांजन ,ओर दुधिलोता,घास की कमी देखने को मिला ।
इस सेंचुरी में एक दशक पूर्व था जो रॉयल बंगाल टाईगर के बहुल क्षेत्र माना जाता था, अब गज परियोजना से जाना जाता ,इस जंगल की बिहरों में हाथी की मुख्य प्रज्जन केंद्र माना जाता हे, पश्चिम बंगाल ओर उड़ीसा राज्य आदि से हाथी की झुंड गर्मी के समय पानी भोजन की प्रज्जापत मात्रा में मिलता था, ओर बड़े मजे से झुंड विभिन्न जलस्रोत में पर्यटकों आसानी से देखने को मिलता था, आज के दौर में इस जंगल में प्रतिबर्षो आग लगना ,शिकार होना ,अबैध रूप से जंगल की पेड़ की कटाई और पश्चिम बंगाल ओर जमशेदपुर शहर में धड़ल्ले से तस्करी होना यह आम बाते हो गया, जिसके कारण इस क्षेत्र में हाथी की झुंड रखने की नाम नही लेता है। प्रत्येक वर्ष वन एवं पर्यावरण विभाग को केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपया मुहैया करते है।
जंगल और जंगली जीवजंतु की सुरक्षा के लिए । इस सेंचुरी में विभिन्न प्रकार के पंछी ओर जीवजंतु देखने को मिलता था आज विलुप्त की कगार पर है ।
दूसरी ओर पर्यटन विभाग द्वारा इस ईको एंसेटिव जून को बड़ावा देने के लिए जोर सौर में प्रयारत हे। प्रत्येक बर्ष गज परियोजना में गजो जनगणना हो था परंतु कोई वर्षो से जनगणना नही हुआ है।एक समय था सेंचुरी के अंदर बारों महीना हाथी की झुंड देखने को मिलता था ।
सवाल यह उठता है कि सेंचुरी में हाथी की झुंड पलायन क्यों कर रहा है । इस संबंध में पूछे जाने पर वन विभाग के पदाधिकारी रहे मौन,
एक हाथी रजनी है उसे भी पोष्टिक भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता । सेंचुरी में पर्यटकों से लाखो रुपया रेविंयु उठता, फिर भी एक मात्र हथनी को भरपेट भोजन नहीं मिलने के कारण स्वास्थ्य गिरते जा रहा हे। जो उच्च स्तरीय जांच की विषय बने है।
Dec 21 2023, 20:59
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