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बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के WFI का अध्यक्ष बनाए जाने पर विवाद, नाराज साक्षी मलिक ने किया कुश्ती से संन्यास का ऐलान

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बृजभूषण सिंह के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के नए अध्यक्ष बनाए जाने के बाद विवाद शुरू हो गया है। इस बात से नाराज पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। साक्षी ने कहा कि अगर फेडरेशन में बृजभूषण जैसे ही लोगों को जगह दी जाएगी तो आज मैं अपनी कुश्ती को छोड़ती हूं।भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव गुरुवार को संपन्न हुआ।संजय सिंह नए अध्यक्ष बने हैं। वह पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी हैं। पहलावनों ने इस साल बृजभूषण शरण के खिलाफ ही मोर्चा खोला था और दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना-प्रदर्शन किया था। अब उनके ही करीबी के अध्यक्ष बनने पर साक्षी ने संन्यास का फैसला कर लिया।

साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों ने गुरुवार को चुनाव के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। साक्षी मलिक इस दौरान रो पड़ीं। साक्षी मलिक ने कहा, मैं एक बात कहना चाहती हूं। लड़ाई लड़ी और पूरे दिल से लड़ी। लेकिन अगर प्रेसिडेंट बृजभूषण सिंह जैसा आदमी ही रहता है, जो उसका सहयोगी है, उसका बिजनेस पार्टनर है, वो अगर इस फेडरेशन में रहेगा तो मैं अपनी कुश्ती को त्यागती हूं। मैं आज के बाद कभी भी वहां नहीं दिखूंगी। सभी देशवासियों का धन्यवाद, जिन्होंने आज तक मुझे सपोर्ट किया और मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया।

बता दें कि इसी साल की शुरुआत में पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट सहित तमाम खिलाड़ियों ने डब्ल्यूएफआई के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन छेड़ दिया था। देश के दिग्गज पहलवानों ने आरोप लगाया था कि भूषण ने महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है। हालांकि इस मामले में अभी तक बृजभूषण ने अपने ऊपर लगे सभी ओरापों का खंडन करते हुए उन्हें बेबुनियाद बताया था। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार को रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का चुनाव हुआ था। चुनाव में पहलवानों को बड़ा झटका लगा और बृजभूषण के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह के पैनल की धूम रही. चुनाव में अधिकतर पदों पर उनके ही पैनल के लोगों को जीत हासिल हुई। चुनाव में संजय सिंह को 40 वोट मिले जबकि अनीता को सात वोट हासिल हुए। बता दें कि विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने सात जून को इसी शर्त पर अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया था कि डब्ल्यूएफआई के चुनाव में भूषण के परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। इसके बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन्हें इस बात का आश्वासन दिया था।

संजय सिंह बने भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष, बृजभूषण सिंह के हैं करीबी

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संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) का अध्यक्ष चुना गया है। यह पद भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के इस्तीफे के बाद खाली हुआ था, जो कई महीनों से यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे थे। चुनावों में पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह के करीबी उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय सिंह ने एकतरफा जीत हुई है। अध्यक्ष पद के चुनाव में राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण से मुकाबला था। संजय सिंह को 47 में से 40 वोट मिले। इस तरह एक तरह से देखा जाए तो बृज भूषण शरण सिंह की जीत हुई है। 

संजय सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण को मात दी है। श्योराण को पहलवानों का सपोर्ट था, क्योंकि वे छह बार के बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पहले सड़कों पर उतरे थे।

अध्यक्ष के पद के अलावा एक वरिष्ठ उपाध्यक्ष, चार उपाध्यक्ष, एक महासचिव, एक कोषाध्यक्ष, दो संयुक्त सचिव और कार्यकारी परिषद के पांच सदस्यों के लिए भी चुनाव हुए। जुलाई में शुरू हुई चुनाव प्रक्रिया में अदालत में चलने वाले मामलों के कारण लगातार विलंब हुआ। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महासंघ यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग ने भी निर्धारित समय में चुनाव नहीं कराने के कारण डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया। उच्चमतम न्यायालय ने हाल में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा चुनावों पर लगाई रोक को खारिज कर दिया जिससे चुनाव कराने का रास्ता साफ हुआ। उच्चतम न्यायालय के चुनाव का रास्ता साफ करने के बाद निर्वाचन अधिकारी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमएम कुमार ने चुनाव की तारीख घोषित की।

इसी साल की शुरुआत में बृजभूषण सिंह के खिलाफ देश के दिग्गज पहलवानों ने आंदोलन छेड़ दिया था और उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। इन पहलवानों में बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक शामिल थीं। इन सभी के आरोप थे कि भूषण ने महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण किया है। भूषण ने हालांकि अपने ऊपर लगे सारे आरोपों को गलत बताया था। लेकिन बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपना पद छोड़ना पड़ा था।

क्या राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे खरगे-सोनिया गांधी? जानें किन नेताओं को भेजा गया न्योता

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अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भव्य बनाने का पूरा इंतजाम कर लिया गया है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लकेर देश के विभिन्न क्षेत्रों को दिग्गजों को निमंत्रण भेजा जा चुका है। इस समारोह में लगभग 8,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में आयोजित होनेवाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को निमंत्रण भेजा गया है। इन नेताओं को 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है। 

दरअसल, प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होना है। इसके लिए नृपेंद्र मिश्रा और अन्य प्रमुख हस्तियों के नेतृत्व में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एच डी देवेगौड़ा और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी निमंत्रण दिया। वहीं, सीताराम येचुरी, डी राजा, मायावती और अरविंद केजरीवाल सहित अन्य नेताओं को निमंत्रण मिला है। सूत्रों ने कहा कि खरगे, सोनिया गांधी और चौधरी को व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण भेजा गया है। आने वाले दिनों में अन्य विपक्षी नेताओं को भी निमंत्रण भेजे जाने की संभावना है। ट्रस्ट का कहना है कि तमाम परंपराओं के पूज्य संतों के साथ-साथ हर क्षेत्र में देश के सम्मान में योगदान देने वाले सभी प्रमुख व्यक्तियों को निमंत्रण दिया गया है।

राम मंदिर कार्यक्रम में शामिल होने पर कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से अभी फैसला न लिए जाने की भी बात कही जा रही है। सूत्रों का कहना है कि समारोह में शामिल होने पर फैसला कार्यक्रम के पास आने पर लिया जा सकता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस से किसी नेता के इस कार्यक्रम में जाने की उम्मीद है, लेकिन अभी तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है।

ट्रस्ट का कहना है कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूज्य संतों के साथ-साथ हर क्षेत्र में देश के सम्मान में योगदान देने वाले सभी प्रमुख व्यक्तियों को निमंत्रण दिया गया है। ट्रस्ट के मुताबिक, प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में विभिन्न संप्रदायों के लगभग 4,000 संत भाग ले सकते हैं। प्राण प्रतिष्ठा में अयोध्या के हर घर को आमंत्रित किया जाएगा। संघ के स्वयंसेवक, विहिप के कार्यकर्ता प्रत्येक घर में संपर्क करके पूजित अक्षत, रामलला के विग्रह का चित्र वितरित करेंगे। 500 टोलियां गठित की जा रही हैं।

बॉक्सर विजेंद्र सिंह का सियासत से भर गया मन, ट्वीट कर बोले- राजनीति को राम-राम भाई

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अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज एवं कांग्रेस नेता बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने राजनीति को अलविदा कह दिया है? ये सवाल बॉक्सर विजेंद्र सिंह के एक ट्विट के बाद उठ रहे हैं।बॉक्सर के एक्स अकाउंट पर डली एक पोस्ट से गुरुवार सुबह राजनीति गलियारों में हलचल बढ़ गई। विजेंद्र ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि राजनीति को राम-राम भाई। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि विजेंद्र ने अब राजनीति को अलविदा कह दिया है। 

राजनीति में आने के बाद विजेंद्र सिंह ने कहा था कि उन्होंने 20 साल के बॉक्सिंग करियर में रिंग के अंदर देश का सिर हमेशा ऊंचा रखा। अब वह देशवासियों के लिए कुछ करना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस का टिकट मिलने के बाद उन्होंने तब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को धन्यवाद भी किया था। हालांकि, चुनाव में हार मिलने के बाद मुखर रूप से विजेंद्र सिंह एक्टिव नहीं रह पाए और अब फाइनली उन्होंने राजनीति से हटने का फैसला कर लिया है।

कांग्रेस के टिकट पर लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव

बता दें कि विजेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में विजेंद्र सिंह साउथ दिल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। विजेंद्र सिंह, बीजेपी उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी और आप कैंडिडेट राघव चड्ढा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे। हालांकि, विजेंद्र सिंह को इस मुकाबले में शिकस्त मिली थी और रमेश सिंह बिधूड़ी जीत गए थे।रमेश बिधूड़ी को 6 लाख 87 हजार 14 वोट मिले थे। वहीं, दूसरे नंबर पर रहे आप प्रत्याशी राघव चड्ढा को 3 लाख 19 हजार 971 वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार विजेंदर सिंह को 1 लाख 64 हजार 613 वोटों से संतोष करना पड़ा था।

2008 बीजिंग ओलंपिक में जीता था कांस्य

विजेंद्र को साल 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया था। उन्होंने 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। वे इन खेलों में पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज थे। विजेंद्र बीजिंग ओलिंपिक्स में पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय एथलीट थे।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा विवादित विधेयक संसद के दोनों सदनों में हुआ पारित, विपक्षी दलों ने किया था वॉकआउट

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 आज गुरुवार को लोकसभा में पारित हो गया। इस महीने की शुरुआत में, इसे राज्यसभा ने मंजूरी दे दी थी, भले ही विपक्ष ने वॉकआउट किया था। इस तरह ये बिल दोनों सदनों से पास हो चुका है। 

विधेयक का उद्देश्य भारत के चुनाव आयोग (ECI) के तीन सदस्यों की नियुक्ति के लिए प्रक्रियाएं स्थापित करना है। यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत है कि चुनाव आयोग का चयन प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) वाले पैनल द्वारा किया जाना चाहिए। इस साल मार्च में, न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि चुनाव आयुक्तों का चयन प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश की एक समिति द्वारा किया जाएगा, जब तक कि संसद इस चयन प्रक्रिया को निर्धारित करने वाला एक कानून नहीं बना लेती। 

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश पारित किया था। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट को चयन प्रक्रिया से दूर रखने के प्रयास में, नए विधेयक में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को चयन समिति से हटा दिया गया है। सबसे महत्वपूर्ण संशोधनों में से एक वह खंड है, जो मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) को उनके कार्यकाल के दौरान की गई कार्रवाइयों से संबंधित कानूनी कार्यवाही से बचाता है, बशर्ते कि ऐसी कार्रवाइयां आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में की गई हों। नए विधेयक के अनुसार, अदालतों को आधिकारिक कर्तव्य या कार्य के निर्वहन में किए गए कार्यों या बोले गए शब्दों के लिए वर्तमान या पूर्व-CEC या EC के खिलाफ नागरिक या आपराधिक कार्यवाही पर विचार करने से प्रतिबंधित किया गया है।

भारत में किसी अल्पसंख्यक के साथ भेदभाव नहीं होता..', पीएम मोदी ने पारसी कम्युनिटी का उदाहरण देकर समझाया

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार को ब्रिटेन स्थित एक मीडिया चैनल से बात करते हुए भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि, भारतीय समाज में देश में किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक के प्रति भेदभाव की भावना नहीं है। इसके लिए प्रधान मंत्री मोदी ने पारसी समुदाय का उदाहरण दिया और कहा कि “दुनिया में कहीं और उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद, पारसियों ने भारत में एक सुरक्षित ठिकाना पाया है।'

प्रधान मंत्री ने अपने तीसरा कार्यकाल का विश्वास व्यक्त किया और कहा कि भारत की वैश्विक मान्यता से पता चलता है कि यह "उतार-चढ़ाव के शिखर" पर है। भारत में मुस्लिम आबादी और भाजपा आलोचकों के "मुस्लिम विरोधी" दावे के बारे में सवालों का जवाब देते हुए, पीएम मोदी ने भारत में पारसियों की आर्थिक समृद्धि का जिक्र किया, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे भारत में रहने वाले "धार्मिक सूक्ष्म-अल्पसंख्यक" हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'दुनिया में कहीं और उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद, पारसी जैसी वैश्विक अल्पसंख्यक आबादी को भारत में एक सुरक्षित आश्रय मिल गया है, वे खुशी से और समृद्ध होकर रह रहे हैं। इससे पता चलता है कि भारतीय समाज में किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक के प्रति भेदभाव की कोई भावना नहीं है।'

विपक्षी दलों और आलोचकों के उनकी सरकार द्वारा असहमति को कुचलने के दावों पर एक सवाल का जवाब देते हुए, प्रधान मंत्री मोदी ने कहा कि एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र है जो आरोप लगाने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग करता है, लेकिन लोगों को तथ्यों के साथ उनका मुकाबला करने का भी अधिकार है। उन्होंने कहा है कि, 'एक पूरा इकोसिस्टम है, जो हमारे देश में उपलब्ध स्वतंत्रता का उपयोग संपादकीय, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया, वीडियो, ट्वीट्स आदि के माध्यम से हर दिन हम पर ये आरोप लगाने के लिए कर रहा है। उन्हें ऐसा करने का अधिकार है। लेकिन दूसरों को तथ्यों के साथ जवाब देने का समान अधिकार है।'

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लोगों ने पिछले दशक के दौरान अपनी उम्मीदों में बदलाव देखा है और उन्हें एहसास है कि भाजपा में उनके विश्वास के कारण हमारा देश "उन्नति के शिखर" पर है, जो देश की आकांक्षाओं को पूरा करने और प्रगति में तेजी लाने के लिए काम कर रही है। 

इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने इजराइल-हमास युद्ध पर भी बयान दिया। उन्होंने क्षेत्र में शांति प्राप्त करने के तरीके के रूप में "दो-राज्य" समाधान का आह्वान करते हुए कहा कि, भारत इज़राइल के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हुए फिलिस्तीनी मुद्दे के प्रति प्रतिबद्ध है। उन्होंने गाजा पट्टी में मानवीय सहायता की आपूर्ति का भी समर्थन किया और बताया नई दिल्ली ने क्षेत्र में युद्ध के परिणामों से जूझ रहे लोगों के लिए शिपमेंट भी भेजा है। उन्होंने कहा कि, 'मैं क्षेत्र के नेताओं के संपर्क में हूं। अगर शांति की दिशा में प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए भारत कुछ भी कर सकता है, तो हम निश्चित रूप से ऐसा करेंगे।'

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मीटिंग के बाद शिवराज सिंह चौहान ने CM मोहन यादव को लेकर कही ये बात

 मध्य प्रदेश में मोहन यादव की ताजपोशी के बात पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान को लेकर कई प्रकार की अटकलें लगाई जा रहीं थीं, मगर अब इन पर ब्रेक लगता नजर आ रहा है। शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के पश्चात् मुख्यमंत्री मोहन यादव की जमकर प्रशंसा की।

शिवराज सिंह चौहान ने मोहन यादव की प्रशंसा के बात कई और बातें कहीं। उन्होंने कहा कि "डॉ। मोहन यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तथा मैं एक विधायक हूं। ऐसे में वह मेरे भी नेता हैं। मेरी दिल से इच्छा यही है कि मैं जिन कामों को मध्य प्रदेश में आगे बढ़ाया, उसे वह और आगे ले जाएं। मध्य प्रदेश को बिमारू राज्य से विकासशील राज्य तक ले जाने का जो काम मैंने किया, उसे मोहन यादव नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।" आगे शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, "मुझे पूरा भरोसा है कि मोहन यादव इन कामों को मुझसे बेहतर तरीके से कर पाएंगे तथा राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। इस काम के लिए जो भी हो सकेगा मैं उनका पूरा सहयोग करूंगा। इसके अतिरिक्त मैं चाहूंगा कि वह जनकल्याण की योजनाएं भी चलाएं जिससे लोगों का भला हो सके। शिवराज सिंह ने मोहन यादव के लिए कहा कि, मुख्यमंत्री का दायित्व निभाने के लिए उन्हें मुझसे जो भी सहयोग चाहिए होगा, वह मैं करता रहूंगा।"

आपको बता दें कि इससे पहले शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को लेकर बताया जा रहा है कि पार्टी ने उन्हें जल्द नई जिम्मेदारी के लिए तैयार रहने को कहा है। उन्हें अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र में बड़ा रोल प्राप्त हो सकता है। दरअसल, शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में बहुत लोकप्रिय हैं।

जब तक श्रीराम मंदिर नहीं बनेगा तब तक शादी नहीं करूँगा', 32 साल बाद पूरा हुआ 'भोजपाली बाबा' का प्रण, अयोध्या से आया निमंत्रण

मध्य प्रदेश के बैतूल में हिन्दू धर्म का प्रचार कर रहे भोजपाली बाबा को अयोध्या श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण आया है। निमंत्रण आने से बाबा खुश हैं तथा उनके भक्तों में भी खुशी है। बाबा ने संकल्प लिया था कि जब तक भव्य राम मंदिर नहीं बनेगा तब तक अविवाहित रहेंगे। बाबा का संकल्प पूरा हो गया तथा ग्रामीण उन्हें अयोध्या भेजने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा- 'मुझे भरोसा नहीं था कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण आएगा तथा जब आया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।' ये शब्द हैं रविन्द्र गुप्ता उर्फ भोजपाली बाबा के।  

दरअसल, भोजपाली बाबा ने 32 वर्ष पहले जब वे 21 के थे, तब श्री राम मंदिर के भव्य निर्माण को लेकर संकल्प लिया था कि जब तक मंदिर नहीं बनेगा तब तक भी अविवाहित रहेंगे। राम मंदिर निर्माण को लेकर उन्होंने अपना परिवार त्याग दिया तथा संत बन गए। अब हिन्दू धर्म का प्रचार कर रहे हैं तथा समाज सेवा कर रहे हैं। अब भोजपाली बाबा 52 वर्ष के हो गए हैं तथा अयोध्या जाने की तैयारी कर रहे हैं। 21 वर्ष की उम्र में कर सेवकों के साथ अयोध्या गए थे तभी से उन्होंने भव्य श्री राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया था। दर्शन शास्त्र एवं एक अन्य विषय में MA करने के साथ ही उन्होंने वकालत की पढ़ाई की है। भोजपाली बाबा का परिवार संघ की पृष्ठभूमि का है। बचपन से ही उन्होंने देश भक्ति के लिए कार्य किए हैं। 1992 में भोजपाली बाबा राम मंदिर को लेकर कारसेवकों के साथ अयोध्या गए थे।

बाबा ने 21 वर्ष में भव्य राम मंदिर निर्माण को लेकर अविवाहित रहने का संकल्प लिया तथा हिन्दू धर्म के लिए संन्यासी बन गए। हालांकि, बाबा ने कुछ दिन वकालत भी की है। उनके परिवार में माता-पिता के 3 भाई और हैं। जब बाबा ने परिवार छोड़ा तो उनकी मां ने रोकने का प्रयास किया था, लेकिन बाबा नहीं रुके तथा घर से निकल गए। बाबा ने 3 बार नर्मदा परिक्रमा की है। परिक्रमा के चलते उनकी माता जी का निधन हो गया था, लेकिन वे अंतिम संस्कार में इसलिए सम्मिलित नहीं हुए कि परिक्रमा अधूरी रह जाती। भोजपाली बाबा बीते 10 वर्षों से बैतूल के मिलानपुर गांव में हैं तथा मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे हैं। बाबा विश्व हिंदू परिषद के संगठन मंत्री हैं तथा हिन्दू धर्म का प्रचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि देश मे हिन्दू धर्म को स्थापित करने ही अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी गई है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देखने का सपना साकार होते देखा बाबा भोजपाली की आंखों में भी चमक नजर आ रही है। कार्यक्रम में सम्मिलित होने को लेकर उनमें उत्साह भी नजर आ रहा है। उनके साथ ही ग्रामीणों में भी खुशी है। गांव के कृष्ण कांत गावंडे ने बताया कि बाबा को गाजे-बाजे के साथ अयोध्या के लिए रवाना किया जाएगा। साथ रहने वाले मोनू ने बताया कि बाबा ने अपना पूरा जीवन प्रभु श्री राम एवं समाज को समर्पित कर दिया है।

पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ का छलका दर्द, बोले- हमारे पड़ोसी चांद पर पहुंच गए और हम...

#nawaz_sharif_praises_india_and_targeted_pakistani_army 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत की सराहना करते हुए अपना दुख जाहिर किया है। नवाज शरीफ ने अपने देश के आर्थिक संकट की ओर इशारा करते हुए भारत की प्रगति की सराहना की है। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी चांद पर पहुंच गए जबकि हम जमीन पर भी खड़े नहीं हुए हैं।

पाकिस्तान के पूर्व पीएम बुधवार को इस्लामाबाद में पीएमएल-एन कैडर को संबोधित कर रहे थे। देश की गंभीर आर्थिक स्थिति की ओर इशारा करते हुए, पाकिस्तान मुस्लिम लीग_नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो ने कहा कि पाकिस्तान अपने पतन के लिए खुद जिम्मेदार है। शरीफ ने कहा, हमारे पड़ोसी चांद पर पहुंच गए हैं लेकिन हम अभी तक जमीन से ऊपर भी नहीं उठ पाए हैं। यह ऐसे ही जारी नहीं रह सकता।

नवाज शरीफ ने आगे कहा कि आज पाकिस्तान इकोनॉमी के मामले में जहां पहुंच गया है, वह भारत, अमेरिका या यहां तक कि अफगानिस्तान ने भी नहीं किया है। वास्तव में हमने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। 2018 के चुनावों में धांधली करके इस देश पर एक सरकार थोप दी गई। जिससे लोगों को परेशानी हुई और इकोनॉमी गिर गई।

ये पहली बार नहीं है जब शरीफ ने भारत की सराहना की आड़ में अपना देश का दुखड़ा रोया था। भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में चंद्रयान-3 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, तो शरीफ ने दोनों देशों के बीच इसी तरह की तुलना की थी। उस वक्त नवाज शरीफ ने कहा था कि ‘आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भीख मांगने के लिए देश-देश घूम रहे हैं, जबकि भारत चांद पर पहुंच गया है और जी-20 बैठकें कर रहा है। भारत ने जो उपलब्धि हासिल की, वह पाकिस्तान क्यों हासिल नहीं कर सका। यहां इसके लिए कौन जिम्मेदार है?’

भ्रष्टाचार के मामले में स्टालिन सरकार के मंत्री पोनमुडी को तीन साल की सजा, 50 लाख का जुर्माना भी लगा

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आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत तीन साल की जेल की सजा सुनाई। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत की तरफ से पोनमुडी को बरी करने के फैसले को पलटते हुए ये सजा सुनाई। न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन ने पोनमुडी की पत्नी पी विशालाक्षी को भी तीन साल जेल की सजा सुनाई। जज ने पोनमुडी और उनकी पत्नी पर 50-50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। इससे पहले तमिलनाडु के ही सेंथिल बालाजी को 14 जून को ईडी ने ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था, जब वह पूर्ववर्ती अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) शासन के दौरान परिवहन मंत्री थे।

पोनमुडी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की 13 (2)(धारा 13 (1) (ई) के साथ पढ़ी जाए) के तहत दंडनीय अपराध के संबंध में आरोप साबित हुए हैं। ऐसी धाराएं एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार और अवैध कमाई से संबंधित हैं। इसी साल जुलाई में पोनमुडी और उनके बेटे गौतम सिगामणि से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित अवैध रेत खनन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के 2011 के एक मामले में पोनमुडी और उनके बेटे से पूछताछ की थी। ईडी ने आरोप लगाया है कि पोनमुडी ने 2006 और 2011 के बीच खान और खनिज मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान तमिलनाडु लघु खनिज रियायत अधिनियम का उल्लंघन किया था। इसने पोनमुडी पर वनूर ब्लॉक के पूथुराई में लगभग 28.37 करोड़ रुपये की अवैध लाल रेत खदान आवंटित करने का भी आरोप लगाया है।

तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के रहने वाले पोनमुडी ने पीएचडी कर रखी है और उन्होंने कुछ समय तक प्रोफेसर के रूप में भी काम किया है। बाद में वह द्रमुक की ओर आकर्षित हुए और वह 1989 में विल्लुपुरम से पहली बार विधायक बने। वह छह बार के विधायक हैं। 72 वर्षीय पोनमुडी फिलहाल कल्लाकुरिची जिले के तिरुक्कोयिलुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं और विल्लुपुरम-कल्लाकुरिची बेल्ट में काफी प्रभाव रखते हैं।उन्हें अल्पसंख्यक वोटों को द्रमुक की ओर लाने में भी प्रमुख व्यक्ति माना जाता है।