*जांच के नाम पर मरीजों के सेहत से हो रहा खिलवाड़, स्वास्थ्य विभाग बेखबर*
जय सिंह
बलरामपुर । स्वास्थ विभाग के मानक और नियमों के पालन व जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यकुशलता की बात की जाय तो शासन के निर्देशों और नियमों का स्वास्थ्य महकमा शत प्रतिशत पालन करने और कराने के दावे तो करता है लेकिन सिर्फ कागजों में बाकी तस्वीरों में जो सच सामने दिखता है वह भृष्ट अधिकारियों व जिम्मेदारों के पोल खोलने के लिए पर्याप्त साबित हो रहा है ।जिसकी बानगी जनपद बलरामपुर तहसीलों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रो में फैले प्राइवेट नर्सिंगहोम व अल्ट्रासाउंड पैथालॉजी के हजारों की संख्या में फैले मकड़जाल से ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
फर्जी तरीके से बड़े पैमाने पर संचालित हो रही नर्सिंग होम व पैथालॉजी सेंटर
जिसमें सिर्फ मरीजों के साथ जांच ,दवा व अन्य सुविधाओं के नाम पर धन अर्जित करने का खुला खेल हो रहा है साथ ही स्वास्थ विभाग के मिलीभगत से कितने नर्सिंगहोम व पैथालॉजी का संचालन बिना किसी वैध चिकित्सक और वैध प्रपत्र के सहारे अप्रशिक्षित व्यक्तियों के द्वारा इलाज किया किया जाता है ।जिसमे मरीजों को जान से हाथ धोने की घटना आम सी बात हो गई है। जिससे आये दिन मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ता है लेकिन स्वास्थ महकमा सिर्फ कागजी शेर साबित हो रहा और उसके यहां मौसम गुलाबी की बात होती है जबकि धरातल पर कई ऐसे उदाहरण मौजूद है ।
झोलाछापों के इलाज से लगातार हो रही लोगों की मौत
जिसमें अप्रशिक्षत चिकित्सकों के इलाज से कई जाने अबतक जा चुकी उसके बाद भी स्वास्थ विभाग बलरामपुर मौन धारण किये हुए है जबकि इस विषय पर जिलाधिकारी बलरामपुर का जिम्मेदारों के संग इस विषय पर मंथन लगातार चल रहा और बिना मानक के संचालन किया जा रहा नर्सिंगहोम व पैथालॉजी पर कड़ा कार्यवाही किये जाने का निर्देश भी दिया जा रहा लेकिन कार्यवाही के नाम पर जिम्मेदार अधिकारियों का सिर्फ कागजी खानापूर्ति करते देखे जा रहे की तस्वीर सिर्फ नजर आती है बाकी संरक्षण का खुला खेल चल रहा ।
जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से की जा रही खानापूरी
जिसकी जानकारी अक्सर सूत्रों से मिल रही जिसमे जांच के नाम पर वसूली का खेल चल रहा और हफ्ता वसूलने की बात देखी जा रही है जबकि नर्सिंगहोम व पैथालॉजी संचालन के नियमां का कितने संस्थानों में पालन किया जा रहा जांच का विषय है जिसकी अगर निष्पक्षता से किसी अन्य एजेंसी द्वारा जांच हो जाये तो कितने संचालको पर गाज गिरेगी और कितने सेंटर बन्द होंगे और कितने सलाखों के पीछे होंगे लेकिन यहां कहावत चरितार्थ हो रही कि बिल्ली के गले मे घण्टा आखिर बांधे तो कौन ।
सरकारी अस्पताल से प्राइवेट में मरीजों को ले जाने का चल रहा खेल
वही सूत्र बताते है कि सरकारी चिकित्सकों के कई ऐसे सेंटर खुले हुए है जंहा सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को अच्छे इलाज के लालच देकर अपने नर्सिंगहोम में आने को बताया जाता है । जिसमे सरकारी कर्मचारियों के साथ आशा व एनएम तक शामिल होकर बड़ी कमाई का खेल खेल रही और लगातार कमीशन खोरी का खेल फलफूल रहा जिस पर अंकुश लगाया जाना अति आवश्यक है ।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते मरीजों को नहीं मिल पा रहा बेहतर उपचार
इसके साथ सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाले सुविधाओं के स्थान पर बाहर भेजने और बाहर की जांच और दवा की कवायद भी होते देखी जा रही। जिसमें मरीजों को लंबा चपत लगाया जा रहा और इसमें हुए आमदनी में सरकारी अस्पताल के चिकित्सको तक का कमीशन होने की बात सामने आती है जबकि अस्पतालों में सारी सुविधाओं के होने की बात की जाती है लेकिन कहीं दवा नही तो कही जांच नही का खेल अक्सर होता है ।
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Dec 15 2023, 15:10