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मथुरा के शाही ईदगाह के सर्वे की इजाजत पर भड़के असदुद्दीन ओवैसी, बोले-मैंने कहा था संघ परिवार की शरारत बढ़ेगी

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मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद के एएसआई सर्वे को मंजूरी दी है और हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार किया है। ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड की दलीलें को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रिया सामने आई है।ओवैसी ने इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि कानून का मजाक बना दिया है।

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की इजाजत दे दी। बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद मैंने कहा था कि संघ परिवार की शरारत बढ़ेगी। ओवैसी ने कहा कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद कमेटी और मंदिर ट्रस्ट ने आपसी सहमति से सुलझा लिया था। काशी, मथुरा या लखनऊ की टीले वाली मस्जिद हो। कोई भी इस समझौते को पढ़ सकता है। इन विवादों को एक नया ग्रुप उछाल रहा है।लोकसभा सांसद ने अपने ट्वीट में दो पेज का समझौता लेटर भी शेयर किया हैष

ओवैसी ने आगे कहा कि पूजा स्थल अधिनियम अभी भी लागू कानून है। लेकिन इस नए गुट ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है। उन्होंने सवाल किया कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी, तो ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वे का आदेश देना पड़ा? उन्होंने कहा कि कानून अब कोई मायने नहीं रखता। मुसलमानों से उनकी गरिमा लूटना ही अब एकमात्र लक्ष्य है। 

बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई शाही ईदगाह मस्जिद के एएसआई सर्वे को मंजूरी दे दी है। हाई कोर्ट में इस संबंध में अलग-अलग 18 याचिका दायर की गई थी। सर्वे के लिए कितने वकीलों को कमिश्नर बनाया जाएगा, सर्वे का काम कितने दिनों तक चलेगा, इस पर फैसला 18 दिसंबर को होगा। हाई कोर्ट ने सर्वे के लिए सिर्फ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने के आदेश दिए हैं।

कांग्रेस के 9 सांसदों समेत लोकसभा से कुल 14 सदस्य निलंबित, गलत बर्ताव के चलते हुई कार्रवाई

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लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग करते हुए बृहस्पतिवार को भारी हंगामा किया।हंगामेदार रहे इस दिन में कुल 15 सांसदों को निलंबित किया गया। जिसमें 14 लोकसभा के और एक राज्यसभा से हैं। अब ये सांसद लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।इन सभी सांसदों को आसन की अवमानना करने के मामले में सत्र की शेष अवधि के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया।

इन सांसदों को किया गया निलंबित

गुरुवार को हंगामे के बीच पहले कांग्रेस के पांच सांसदों- टी एन प्रतापन, हिबी इडेन, जोतिमणि, रम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस को निलंबित किया गया था। हालांकि, हंगामा जारी रहा जिसके बाद कांग्रेस के बेनी बेहनन, वीके श्रीकंदन, मोहम्मद जावेद और मनिकम टैगोर को भी निलंबित कर दिया गया। सीपीआईएम के पीआर नटराजन और एस वेंकटेशन पर भी कार्रवाइ की गई है। इसके अलावा डीएमके के कनिमोझी करुणानिधि और एसआर पार्थिबन और सांसद के सुब्रमण्यम को भी पूरे शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव रखा था जिसे स्वीकार कर लिया गया।

प्रह्लाद जोशी ने कल की घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि हम सब सहमत हैं कि कल (बुधवार, 13 दिसंबर) की दुर्भाग्यपूर्ण घटना लोकसभा सदस्यों की सुरक्षा में गंभीर चूक थी और इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश पर उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर किसी भी सदस्य से राजनीति की अपेक्षा नहीं की जाती, हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। संसद में सुरक्षा में चूक की इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं और उस समय के लोकसभा अध्यक्षों के निर्देशानुसार कार्यवाही चलाई जाती रही है।

राज्यसभा से सस्पेंड हुए डेरेक ओ ब्रायन

इससे पहले आज ही राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेंड कर दिया गया। संसद में सुरक्षा चूक के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के दौरान ओ ब्रायन प्रदर्शन करते हुए सभापति के पास तक आ गए। इसके बाद उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा से डेरेक ओ ब्रायन को निलंबित करने का प्रस्ताव भाजपा की तरफ से सासंद पीयूष गोयल ने पेश किया। बताया गया है कि संसद में सुरक्षा में चूक के मुद्दे को लेकर ब्रायन प्रदर्शन करते हुए सभापति के पास वेल तक पहुंच गए थे। इस दौरान उन्होंने नारेबाजी की और सदन की कार्यवाही को स्थगित करने की कोशिश की। इसी के बाद टीएमसी सांसद को निलंबित करने का प्रस्ताव सदन में लाया गया।

ज्ञानवापी के बाद मथुरा के शाही ईदगाह का भी होगा सर्वे, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

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श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने श्रीकृष्‍ण जन्‍मभूमि विवाद में विवादित परिसर का सर्वे करने का आदेश दे दिया है। विवादित परिसर का सर्वेक्षण एडवोकेट कमिश्नर से कराए जाने की मांग इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है। एडवोकेट कमिश्नर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के जरिए सर्वेक्षण कर सकेंगे। एडवोकेट कमिश्नर कौन होगा और कब से सर्वेक्षण शुरू होगा, इस पर हाईकोर्ट 18 दिसंबर को सुनवाई करेगा।

सर्वे ज्ञानव्यापी से थोड़ा अलग होगा

एएसआई सर्वे की मांग की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर हुई थी। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई जो मस्जिद है, उसमें किसी एडवोकेट से सर्वे कराने की मांग की गई थी। इसमें अलग-अलग 18 याचिका डाली गई थीं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में एक साथ सुनवाई की। ज्ञानवापी की तर्ज पर मथुरा के विवादित परिसर का भी सर्वे होगा। हालांकि, यह सर्वे ज्ञानव्यापी से थोड़ा अलग होगा। क्योंकि वहां पर कोर्ट ने साइंटिफिक सर्वे कराया था, जो कि शाही ईदगाह मस्जिद पर यह सर्वे अभी नहीं होगा।

किसने दायर की थी याचिका?

यह याचिका भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी। इस याचिका में दावा किया गया था कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है।

कितना पुराना है श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद

शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। 12 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया। समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है। पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है। इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी। अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है। 

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह का इतिहास

ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई। इसमें मराठा जीते। जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया। 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी। 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली।

टीएमसी सांसद के बाद लोकसभा से कांग्रेस के पांच सांसद निलंबित, संसद की सुरक्षा में चूक को लेकर जारी हंगामे के बीच किए गए सस्पेंड

#lok_sabha_suspending_five_congress_mps

संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। गुरुवार को कांग्रेस के 5 सांसदों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। उन्हें लोकसभा से सस्पेंड कर दिया है। वे सत्र के बचे हुए हिस्सा में भाग नहीं ले पाएंगे। संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में विपक्षी सांसद गृह मंत्री के बयान और आरोपियों के पास जारी करने के वाले बीजेपी सांसद के खिलाफ एक्शन की मांग कर रहे हैं। हंगामा करने और चेयर का अपमान करने के आरोप में लोकसभा के पांच सांसदों को सस्पेंड किया गया है। इससे पहले राज्यसभा से टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को सस्पेंड किया गया है।

इन्हें किया गया सस्पेंड

लोकसभा में हंगामे के चलते कांग्रेस के पांच सांसदों को पूरे शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उनमें टीएन प्रथापन, हीबी एडेन, एस जोथीमनी, राम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस शामिल हैं। लोकसभा में गलत बर्ताव के लिए इन सांसदों पर कार्रवाई हुई है। इन सांसदों के निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी द्वारा लाया गया था। जिसे स्पीकर की कुर्सी पर विराजमान भर्तृहरि महताब ने पारित किया।

इस मुद्दे पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि हम सब सहमत हैं कि कल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना लोकसभा सदस्यों की सुरक्षा में गंभीर चूक थी और इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश पर उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, इस मुद्दे पर किसी भी सदस्य से राजनीति की अपेक्षा नहीं की जाती, हमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। संसद में सुरक्षा में चूक की इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं और उस समय के लोकसभा अध्यक्षों के निर्देशानुसार कार्यवाही चलाई जाती रही है।

डेरेक ओ ब्रायन को भी किया गया निलंबित

इससे पहले राज्यसभा से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन को निलंबित कर दिया गया। उनके निलंबन को लेकर विपक्षी दलों के सांसदों ने राज्यसभा में जमकर हंगामा किया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन राज्यसभा से सस्पेंड, जानें क्यों की गई कार्रवाई

#tmc_mp_derek_obrien_suspended_the_current_session_of_rajya_sabha

तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन को ‘अशोभनीय आचरण’ के लिए गुरुवार को मौजूदा संसद सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।ब्रायन गुरुवार को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में हुई सुरक्षा चूक को लेकर राज्यसभा में नारेबाजी कर रहे थे। नारेबाजी करते हुए वो सभापति के आसन तक पहुंच गए थे। इसके बाद सभापति ने उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया। ब्रायन को पिछले मानसून सत्र से भी सस्पेंड कर दिया गया था। तब राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें निलंबित कर दिया था। हालांकि, बाद में इस मुद्दे पर वोटिंग न कराने को लेकर सभापति धनखड़ ने अपना आदेश वापस ले लिया था और उन्हें डेरेक को सदन की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दे दी थी

विपक्षी सांसद और डेरेके लगातार संसद में घुसपैठ की घटना पर ‘जवाब दो जवाब दो’ के नारे लगा रहे थे. चेयरमैन ने डेरेक को उनके इस व्यवहार के चलते उन्हें राज्यसभा से बाहर जाने के लिए भी कहा लेकिन वो सभापति के बार-बार कहने के बाद भी वो बाहर नहीं गए. इसके बाद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें पूरे सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया।

एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे उच्च सदन की कार्यवाही होते ही सभापति जगदीप धनखड़ ने ओब्रायन का नाम लिया और उनके निलंबन की कार्यवाही शुरू की। सभापति द्वारा जब किसी सदस्य का नाम लिया जाता है तो इसका अर्थ सदस्य के निलंबन की कार्रवाई का आरंभ होना होता है। ऐसा तब होता है जब कोई सदस्य पीठ के प्राधिकार का अनादर कर रहे हों अथवा सभा के कार्य में लगातार और जानबूझ कर बाधा डालते हुए सभा के नियमों का दुरुपयोग कर रहे हों। नियम के मुताबिक, चेयरमैन जिस सांसद को बाहर जाने के लिए कहते हैं, उसे बाहर जाना पड़ता है। लेकिन डेरेक उनके बार बार कहने के बावजूद भी बाहर नहीं गए। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे धवनि मत से पारित कर दिया गया। इसके बाद धनखड़ ने घोषणा की, ‘‘डेरेक ओब्रायन इस सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए जाते हैं।’’

इस घोषणा के बाद विपक्षी दलों के नेता सभापति के आसन के नजदीक आकर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ और ‘डेरेक का निलंबन नहीं सहेंगे’ जैसे नारे लगाने लग गए। हंगामे के बीच ही सभापति ने प्रश्नकाल शुरू करने की कोशिश की। हालांकि विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। लिहाजा, सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।इससे पहले, उच्च सदन की कार्यवाही आरंभ होने पर विपक्षी सदस्यों ने संसद पर आतंकी हमले की बरसी के दिन बुधवार को हुई सुरक्षा में चूक को लेकर भारी हंगामा किया, जिसके बाद उच्च सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग जांच को मंजूरी, बेटे हंटर के अंतरराष्ट्रीय सौदों के बचाव पर घिरे

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।अमेरिकी हाउस ने बुधवार को उनके बेटे हंटर बाइडन के अंतरराष्ट्रीय सौदों को लेकर उनके खिलाफ महाभियोग जांच को मंजूरी दे दी। अमेरिकी सदन में राष्ट्रपति पर महाभियोग जांच बिठाने को लेकर वोटिंग की गई। महाभियोग जांच के पक्ष में 221 वोट पड़े जबकि विरोध में 212 वोट पड़े हैं। 

राष्ट्रपति ने बुधवार को मतदान के तुरंत बाद एक बयान में कहा, ‘जरूरी काम के बजाय, वे इस आधारहीन राजनीतिक स्टंट पर समय बर्बाद करना पसंद कर रहे हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन पर महाभियोग की जांच को औपचारिक रूप देने के लिए सदन में होने वाले मतदान को ‘निराधार राजनीतिक स्टंट’ बताया। उन्होंने कहा, ‘अमेरिकियों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए कुछ भी करने के बजाय, वे झूठ के साथ मुझ पर हमला करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

यह मामला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बेटे हंटर बाइडन के व्यापारिक सौदों से जुड़ा हुआ है। वहीं रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि अभी तक की जांच में कोई सबूत पेश नहीं किए किए गए हैं, ऐसे में नहीं लगता है कि राष्ट्रपति ने किसी तरह का कदाचार किया है। 

बता दें कि रिपब्लिकन पार्टी के सदस्ट हंटर बाइडन के व्यापारिक सौदों की जांच कर रहे हैं। इसी मामले में उन्हें पेश होने के लिए अमेरिकी सांसद ने नोटिस जारी किया था। हंटर बाइडन ने सदन के बाहर यह बात जोर देकर कही कि वे बंद कमरे में नहीं बल्कि सार्वजनिक तौर पर गवाही देने को तैयार है। हंटर ने बंद कमरे में किसी भी तरह का ब्योरा देने से इनकार कर दिया है।

आपको बता दें अब तक तीन अमेरिकी राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चलाया गया है - [1868 में एंड्रयू जॉनसन, 1998 में बिल क्लिंटन, और 2019 और 2021 में ट्रंप] - लेकिन सीनेट द्वारा किसी को भी पद से नहीं हटाया गया. जबकि रिचर्ड निक्सन ने 1974 में वाटरगेट घोटाले के चलते लगभग निश्चित महाभियोग की स्थिति में इस्तीफा दे दिया था

कहां सेट होंगे शिवराज, वसुंधरा और रमन? जेपी नड्डा ने कर दिया साफ

#jp_nadda_on_future_of_vasundhra_raje_shivraj_raman_singh 

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे चर्चा में हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी ने नए चेहरों पर दांव खेला है। डॉक्टर मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। छत्तीसगढ़ को भी विष्णुदेव साय के रूप में नया मु्ख्यमंत्री मिल गया है। राजस्थान में भी भजनलाल शर्मा के रूप में मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय हो चुका है। तीनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शिवराज सिंह चौहान, डॉक्टर रमन सिंह और वसुंधरा राजे जैसे कद्दावर नेताओं को दरकिनार कर मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरों पर दांव लगाया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि शिवराज सिंह, वसुंधरा राजे और रमण सिंह कहां सेट होंगे? 

शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और रमन सिंह के राजनीतिक भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों के बीच भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का जवाब सामने आया है। बीजेपी चीफ ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मैंने उनसे कहा है कि नए काम में लग जाइए।' क्या काम मिलेगा? क्या दिल्ली बुलाएंगे? भाजपा अध्यक्ष ने इस सवाल पर मुस्कुराते हुए कहा कि वो तो हम सब मिलकर तय करेंगे। अभी तो हम नए फॉर्मेशन में लगे हैं लेकिन इनको हम नया काम देंगे और ये सब हमारे इतने वरिष्ठ नेता 15 साल -16 साल के अनुभव वाले चीफ मिनिस्टर हैं। भारतीय जनता पार्टी एक साधारण कार्यकर्ता का उपयोग करने में पीछे नहीं रहती है। तो इन लोगों का उपयोग करने से हम कहां पीछे रहेंगे। इनको काम देंगे।इनके कद के अनुसार देंगे। इनको अच्छे तरीके से काम में लगाएंगे।

बीजेपी अध्यक्ष ने आगे बताया कि उनकी पार्टी न केवल वरिष्ठ पदों पर बल्कि जमीनी स्तर पर भी किसी नेता का चयन करने के लिए गहन रिसर्च करती है। बीजेपी में सभी कार्यकर्ताओं पर गहराई से नजर रखी जाती है। उनके इतिहास, उनकी गतिविधियों और उनकी प्रतिक्रियाओं पर हमारे पास एक विशाल डेटा बैंक है और हम समय-समय पर इसका अध्ययन करते हैं।

मुख्यमंत्री के चयन पर जेपी नड्डा ने कहा, यह प्रक्रिया उस समय शुरू हुई जब चुनाव की तारीखें घोषित की गईं और पार्टी ने टिकट देना शुरू किया। जब से हमने उम्मीदवारों को टिकट दिए हमारा नेता कौन होगा, विपक्ष या सत्ता पक्ष के लिए कौन अच्छा नेता होगा, तभी से चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई। यह एक सतत प्रक्रिया है। चुनाव नतीजे आने के बाद यह सिलसिला तेज हो गया है। गहन मंत्रणा होती है। यही बात कैबिनेट चयन के लिए भी लागू होती है।

आठ हजार की बंदूक, 22 लाख की कार...', जानिए कितनी संपत्ति के मालिक हैं मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री

डॉ. मोहन यादव मध्य प्रदेश के नए सीएम बन गए हैं। बुधवार को डॉ. मोहन यादव ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। सीएम के साथ उनकी कैबिनेट के दो उप-मुख्यमंत्रियों राजेंद्र शुक्ला तथा जगदीश देवड़ा ने भी शपथ ली। 58 वर्षीय मोहन यादव उम्र में अपने दोनों सहयोगियों से छोटे हैं। चुनावी हलफनामे के अनुसार, उप-मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला की आयु 59 वर्ष है तो दूसरे उप-मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा 66 साल के हो चुके हैं। 

कितनी दौलत 

हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन जिले की उज्जैन दक्षिण सीट से पर्चा भरा था। 58 वर्षीय सीएम डॉ. मोहन यादव ने अपने शपथ पत्र में कुल 42.04 करोड़ रुपये की संपत्ति बताई है। 2018 के चुनाव में उन्होंने कुल 31.97 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति बताई थी। दस वर्षों पहले यानी 2013 में सीएम के पास कुल 16.95 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। इस प्रकार से पिछले 10 वर्षों में उनकी संपत्ति में लगभग 25 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। वही कमाई की बात करें तो 2018-19 में नए मुख्यमंत्री की कुल कमाई 27.78 लाख रुपये थी। अगले वित्त वर्ष में उनकी कमाई में भारी बढ़ोतरी हुई। 2019-20 में ये बढ़कर 31.21 लाख रुपये हो गई। 2020-21 में डॉ. मोहन यादव की कमाई में कमी आई तथा ये 21.31 लाख रुपये हो गई। वहीं, 2021-22 में सीएम की कमाई में भारी कमी हुई और ये घटकर 12.35 लाख रुपये हो गई। 2022-23 में इसमें दुगुनी बढ़ोतरी हुई और ये 24.20 लाख रुपये हो गई। 

मुख्यमंत्री की पत्नी की आय में आई है कमी

डॉ. मोहन यादव की पत्नी सीमा यादव की कमाई 2018-19 में 20.76 लाख रुपये थी। अगले वित्त वर्ष 2019-20 में उनकी कमाई घटी तथा यह 17.16 लाख रुपये हो गई। हलफनामे के मुताबिक, 2020-21 में सीमा को 21.06 लाख रुपये की कमाई हुई। वहीं, 2021-22 में सीएम की पत्नी की कमाई में भारी कमी आई ततः ये 9.99 लाख रुपये रह गई। 2022-23 में सीमा को दोबारा नुकसान हुआ और यह 7.07 लाख रुपये ही रही। 

इतनी है नकदी 

शपथ पत्र में सीएम डॉ. मोहन यादव ने बताया है कि उनके पास 1,41,500 रुपये नकदी के रूप में हैं। उनकी पत्नी के पास 3,38,200 लाख रुपये नकद हैं। डॉ. मोहन यादव, पत्नी सीमा यादव और आश्रितों के कुल 17 बैंक खाते हैं। इन खातों में कुल 28.68 लाख रुपये जमा हैं। इसके अतिरिक्त इनके नाम पर 6.42 लाख रुपये बतौर बांड, डिबेंचर और शेयर कंपनियों में जमा हैं। वहीं, 13.52 लाख रुपये बीमाओं की प्रीमियम के रूप में जमा है। 2.50 करोड़ रुपये व्यक्तिगत ऋण या अग्रिम दिया गया है। 

दो वाहनों के मालिक

हलफनामे के अनुसार, स्वयं सीएम के नाम पर दो वाहन हैं। उनके नाम पर इनोवा कार है जिसकी कीमत 22 लाख रुपये बताई गई है। इसके अतिरिक्त 72 हजार रुपये की सुजुकी असेस स्कूटर रखते हैं। सीएम अपने पास 8.4 लाख रुपये मूल्य का 140 ग्राम गहने रखे हुए हैं। वहीं, पत्नी सीमा के पास 15 लाख रुपये का 250 ग्राम सोना और 78 हजार रुपये की 1.2 किलो ग्राम चांदी है। 

रिवॉल्वर और बंदूक भी रखते हैं मोहन यादव 

नए सीएम अपने पास एक रिवॉल्वर भी रखते हैं जिसकी कीमत उन्होंने 80 हजार रुपये बताई है। इसके अतिरिक्त 8 हजार रुपये की एक 12 बोर वाली बंदूक है। मोहन यादव के पास 1.52 लाख रुपये कीमत का घरेलू सामान तथा 2.15 रुपये कीमत का घरेलू फर्नीचर है। इस प्रकार से सीएम डॉ. मोहन यादव के पास कुल 9.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति है। इसमें से स्वयं मुख्यमंत्री के नाम 5.66 करोड़ रुपये, पत्नी सीमा के नाम 1.09 करोड़ रुपये और आश्रितों के नाम लगभग एक करोड़ रुपये की चल संपत्ति है। 

उज्जैन से लेकर भोपाल तक में जमीन और घर

इसके साथ ही सीएम के पास तीन जगह खेती की जमीन है जबकि सीमा यादव के नाम दो भूखंड हैं जिनकी कुल कीमत 15.88 करोड़ रुपये बताई गई है। सीएम के नाम पर उज्जैन में तीन गैर खेतिहर जमीन हैं, जिनका कुल दाम 8.66 करोड़ रुपये है। सीमा के नाम दो वाणिज्यिक भवन हैं, जिनकी कीमत 1.43 करोड़ रुपये बताई गई है। इसके अतिरिक्त डॉ. मोहन यादव और पत्नी के नाम कुल दो रिहायशी मकान हैं, जिनकी कीमत 6.14 करोड़ रुपये है। इस तरह से मोहन यादव लगभग 19.02 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। वहीं पत्नी के नाम पर 21.98 रुपए की दौलत है। 

कमाई का जरिया 

डॉ. मोहन यादव एम.एल.ए. (मंत्री) के रूप में वेतन और भत्ते, किराया, कृषि, व्यवसाय, अन्य स्रोतों से होने वाली कमाई को अपनी आमदनी का माध्यम बताया है। वहीं, पत्नी सीमा यादव को व्यवसाय, किराया और किसानी से कमाई होती है। बता दे कि डॉ. मोहन यादव ने 2010 में उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय से पीएचडी की है। इससे पहले उन्होंने एलएलबी, बीएससी और एमए की पढ़ाई की।

आप बलवान हैं, तो 2024 चुनाव से पहले PoK लेकर दिखाइए..', अमित शाह को संसद में कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने दी चुनौती, पढ़िए, क्या मिला जवाब

 जम्मू-कश्मीर और पुडुचेरी की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने वाले बिल को लोकसभा ने मंगलवार (12 दिसंबर) को हरी झंडी दे दी। इस दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोलते हुए पुछा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को कब भारत के साथ लाया जाएगा? उनके इस सवाल पर सदन में अमित शाह ने जवाब भी दिया। 

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, 'कांग्रेस के नेता हमसे सवाल कर रहे हैं, ये पूछ रहे हैं कि अक्साई चीन कब वापस लिया जाएगा। PoK कब आएगा। बिल तो पास हो चुके हैं, नहीं तो मैं जवाब देता। अभी भी दूंगा, मैं पूछना चाहता हूं कि PoK और अक्साई चीन किसके शासन में भारत से अलग गया। ये जवाब दे दें।'' इस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने (कांग्रेस काल में) 3 युद्ध लड़े हैं। इंदिरा गांधी आयरन लेडी थीं। इतिहास को मत बिगाड़िए। नेहरू के बारे में इस प्रकार का आरोप नहीं लगाइए। आपने क्लासीफाइड क्यों किया है।

इस दौरान कांग्रेस नेता चौधरी ने अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सोमवार (11 दिसंबर) को दिए गए ऐतिहासिक फैसले का जिक्र किया। चौधरी ने कहा कि, ''जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होना चाहिए। चुनाव सरकार को करवाना चाहिए। हम पहले से इसकी मांग करते रहे हैं। आपने सदन में वादा किया था कि चुनाव कराएंगे"। चौधरी ने कहा कि, 'जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए। इससे जम्मू-कश्मीर की जनता को लगेगा कि उनकी बात सुनी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यही फैसला दिया है।'

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि, ''अमित शाह सदन में सीना ठोककर कहते हैं कि हम PoK वापस लेकर आएंगे। आज क्या हो रहा है। PoK का सीना चीरकर चीन कॉरिडोर बना रहा है। हम कह रहे हैं कि कुछ करके दिखाओ, मान लीजिए कि कांग्रेस ने कुछ नहीं किया। आप तो पहलवान हो, बलवान हो, आप PoK को छीनकर लाइए, हम देखना चाहते हैं।'' उन्होंने आगे कहा कि, ''आप कहते हैं सियाचीन को हासिल करके रहेंगे। आपने लद्दाख में क्या किया? अक्साई चीन कब वापस लाएंगे। आप लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हो। चुनाव से पहले ये सब करके दिखाइए। चीन वहां सड़क बना रहा है।''

बता दें कि, इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 11 दिसंबर को निचले सदन में जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक को लेकर बहस के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) भारत का हिस्सा है और इसलिए जम्मू-कश्मीर विधानसभा में इस क्षेत्र के लिए 24 सीटें आरक्षित की गई हैं।

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