अननैचरल सेक्स और एडल्ट्री सरकार ने नहीं मानी संसदीय पैनल की बात, पेश की नई भारतीय न्याय संहिता
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संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन (12 दिसंबर) गृह मंत्री अमित शाह ने मानूसन सत्र में पेश किए तीनों क्रिमिनल बिल वापस ले लिए। इनकी जगह कुछ सुधारों के साथ तीनों नए विधेयक फिर लोकसभा में पेश किए। विधेयक के नए संस्करण में भी संसदीय समिति की सिफारिश को दरकिनार करते हुए अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने और व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है।केंद्र सरकार ने संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक, 2023 से धारा 377 और धारा 497 को बाहर रखने का फैसला किया है।धारा 377 अप्राकृतिक यौन संबंध यानी अननेचुरल सेक्स से संबंधित है, इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में व्यभिचार यानी एडल्ट्री को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था, इसके आधार पर तलाक होते रहे हैं। उसी साल कोर्ट ने समलैंगिक कपल के बीच सहमति से सेक्स को भी अपराध से मुक्त कर दिया था। हालांकि भारतीय न्याय संहिता विधेयक में रेप और यौन अपराधों से पीड़ित लोगों की पहचान जाहिर होने से रोकने के लिए एक नई धारा 73 जोड़ी गई है। इसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित मामलों से निपटने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को पहली बार 11 अगस्त को संसद में पेश किया गया था। बाद में इन बिलों को संसदीय पैनल के पास भेजा गया। शाह ने कहा कि संसदीय पैनल ने विधेयकों में सुधार की सिफारिश की थी। सरकार ने संशोधन लाने के बजाय बदलावों को शामिल करते हुए नए विधेयक लाने का फैसला किया। ये नए बिल भारतीय न्याय (सेकेंड) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (सेकेंड) संहिता और भारतीय साक्ष्य (सेकेंड) संहिता हैं। इनमें सरकार ने अननेचुरल सेक्स और एडल्ट्री (व्यभिचार) को अपराध नहीं माना। वहीं मॉब लिंचिंग में मौत की सजा बरकरार रखी है।
Dec 13 2023, 12:05