जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को लेकर फैसला आज, कश्मीर में हाई अलर्ट
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आज जम्मू कश्मीर, लद्दाख समेत पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की तरफ है।जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को निरस्त करने और दो केन्द्र शासित प्रदेश में बांटने के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज यह फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिनों की बहस के बाद 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आने वाले इस बड़े फैसले को देखते हुए आज कश्मीर घाटी में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह हाई अलर्ट पर है।इस दौरान किसी भी तरह के वीआईपी मूवमेंट तक की मनाही है।सीआरपीसी 144 के तहत सोशल मीडिया को लेकर साइबर पुलिस ने एक गाइडलाइन जारी की है और इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही हैं ताकि किसी भी तरह के भड़काऊ पोस्ट पर समय रहते कार्रवाई की जा सके।सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों को को सलाह दी गई है कि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का जिम्मेदारी से उपयोग करें और अफवाहें, फर्जी खबरें, नफरत फैलाने वाले भाषण शेयर न करें। साथ ही ऐसी कोई भी मैसेज मिलने पर दूसरों के साथ साझा करने के बजाय तुरंत साइबर पुलिस कश्मीर को सूचित करें।
श्रीनगर जिले के सभी इलाको में जो भी डेप्यूटी मजिस्ट्रेट तैनात हैं, उनको सरकार की तरफ से खासी हिदायत दी गई है। हिदायत में यह है कि हर इलाके में एक अधिकारी को तैनात किया गया है जिससे कानून व्यवस्था को बनाया रखा जा सके।
जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के 2019 के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थी। सितंबर माह में लगातार 16 दिनों तक सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 16 दिन में सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र और हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं- हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरि और अन्य को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बचाव करते हुए सुना था। वकीलों ने इस प्रावधान को निरस्त करने के केंद्र के 5 अगस्त 2019 के फैसले की संवैधानिक वैधता, पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने वाले जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की वैधता, 20 जून 2018 को जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने, 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति शासन लगाए जाने और 3 जुलाई 2019 को इसे विस्तारित किए जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे थे।
इस अनुच्छेद के जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ था। कोर्ट यह तय करेगी कि जम्मू और कश्मीर की स्वायत्तता छीनने वाले केंद्र सरकार के पांच अगस्त, 2019 को संसद में पारित कराए इस फैसले की संवैधानिक वैधता क्या है, इसको स्पष्ट किया जाएगा।
Dec 11 2023, 10:14