“प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहती थीं सोनिया गांधी”, पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने अपनी किताब में किया दावा
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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी नई किताब में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर कई रहस्योदघाटन किए हैं।शर्मिष्ठा मुखर्जी के मुताबिक उनके पिता प्रणब मुखर्जी राहुल गांधी को परिपक्व राजनेता नहीं मानते थे।शर्मिष्ठा ने अपनी किताब ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ में अपने पिता के राजनीतिक सफर के साथ ही कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर किया है. उन्होंने बताया कि 2004 में पूर्ण बहुमत से केंद्र में कांग्रेस की सरकार आई थी. इस दौरान उनके पिता का नाम भी पीएम पद की रेस में था लेकिन पिता को पहले ही एहसास हो चुका था कि सोनिया गांधी उन्हें पीएम नहीं बनाएंगी।शर्मिष्ठा मुखर्जी की पुस्तक में छपे अंश ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
शर्मिष्ठा की आने वाली किताब का नाम ‘इन प्रणब, माई फादर: ए डॉटर रिमेम्बर्स’ है जिसमें उन्होंने पिता के साथ अपनी बातों को भी साझा किया है। पुस्तक में छपे अंश के मुताबिक, जब शर्मिष्ठा मुखर्जी ने 2004 में उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि नहीं, सोनिया गांधी मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगी। 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने वाली सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद थी और उन्हें गठबंधन सहयोगियों का पूरा समर्थन प्राप्त था। लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का दावा छोड़ दिया था, जिसने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पुस्तक में लिखा, इस पद के लिए शीर्ष दावेदारों के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह और प्रणब के नामों पर चर्चा हो रही थी। मुझे कुछ दिनों तक बाबा से मिलने का मौका नहीं मिला क्योंकि वह बहुत व्यस्त थे, लेकिन मैंने उनसे फोन पर बात की। मैंने उनसे उत्साहित होकर पूछा कि क्या वह पीएम बनने जा रहे हैं। उनका दो टूक जवाब था, नहीं, वह मुझे पीएम नहीं बनाएंगी। वह मनमोहन सिंह होंगे। उन्होंने आगे कहा, लेकिन उन्हें जल्द इसकी घोषणा करनी चाहिए। यह अनिश्चितता देश के लिए अच्छी नहीं है।
किताब में पूर्व राष्ट्रपति और आजीवन कांग्रेसी की डायरी में लिखी बातों को भी आधार बनाया गया है। अपने निधन से ठीक एक महीने पहले 28 जुलाई 2020 को प्रणब मुखर्जी ने निजी नोट बुक में क्या लिखा इसका एक नमूना देखें, ‘कांग्रेस को गांधी-नेहरू परिवार के लिए संरक्षित खेल का मैदान बनाकर, कांग्रेस ने अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो दिया, जिसने देश की राजनीति को प्रभावित किया। आजादी के बाद अगर एक ही परिवार के 5 सदस्यों का कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 37 साल तक कब्जा रहा, तो यह लोकतंत्र के सबसे खराब रूप का प्रमाण है। परिवार आज संगठन को शक्ति प्रदान नहीं कर रहा है बल्कि उसकी ताकत को खत्म कर रहा है। 2004 के बाद से सोनिया गांधी और राहुल ने 2001-2003 में अर्जित आधार को आंशिक रूप से भी खो दिया है। वे बस किसी भी तरह अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाने में रुचि रखते हैं।
इस किताब में राहुल और सोनिया गांधी पर तीखे हमले किए गए हैं। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने लिखा, राहुल गांधी अक्सर राष्ट्रपति भवन में उनके पिता प्रणब मुखर्जी से मिलने जाया करते थे। एक बार प्रणब दा ने उन्हें सलाह दी कि वे देश के भावी नेता हैं। उन्हें सरकार चलाने के लिए कुछ अनुभव हासिल करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल हो जाने का सुझाव दिया लेकिन राहुल गांधी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में विशेष रूप से राहुल की आलोचना करते हुए उन्हें राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बताया। 2013 में जब राहुल ने उस अध्यादेश को खारिज कर दिया था, जिसमें दोषी राजनेताओं को बचाने की मांग की गई थी, तब तक मुखर्जी राष्ट्रपति भवन चले गए थे। उस रात, प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में लिखा, ‘राहुल गांधी ने अजय माकन की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को हाईजैक कर लिया और कैबिनेट के फैसले को ‘बकवास’ बताया। यह पूरी तरह से अनावश्यक है। उनके पास कोई राजनीतिक कौशल नहीं बल्कि अपने गांधी-नेहरू वंश का पूरा अहंकार है।
Dec 06 2023, 15:54