पत्रकार सुरक्षा के दावे सिर्फ दावे तक सीमित आखिर पत्रकारो पर कब तक चलेगा अत्याचार
बलरामपुर ।जहां योगी सरकार पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कड़े नियमों के पालन करने हेतु संबंधित विभागीय अधिकारियों को आदेशित करती है और पत्रकारों को लेकर हो रहे उत्पीड़न व हमले को लेकर लगातार कड़े कार्यवाही की बात की जाती है और पत्रकारों के उत्पीड़न को कत्तई बर्दाश्त नही किया जाएगा कि बात की जाती है लेकिन जब जमीनी सतह पर इसकी जांच की जाती है तो सारे आदेश और दावे सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित दिखाई देता है।
और खबरों के संकलन करने वाले पत्रकारों पर आए दिन हमले होंना अब आम सी बात हो गई है। और हमेशा भृष्ट प्रशासनिक अधिकारियों, अपराधियों और दबंगो के निशाने पर रहते हैं और उन पर लगातार हमले की बात भी सामने आती है।
ऐसा ही एक मामला तुलसीपुर के वरिष्ठ पत्रकार और संपादक रमेश गुप्ता के मामले को लेकर आया जहां पत्रकार रमेश गुप्ता के द्वारा स्थानीय शक्तिपीठ देवीपाटन परिसर में स्थित वाहन पार्किंग अड्डे की खबर चलाने को लेकर हुआ जहां पर ठेकेदारों के द्वारा श्रद्धालुओं और स्थानीय ग्रामीणों के साथ वसूली और अभद्र व्यवहार के साथ उनके वाहनों में तोड़फोड़ करने की बात लिखी गई है ।
जिसको लेकर पहले तो ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा फोन से पत्रकार को खबर न चलाने और शोसल मीडिया पर वायरल खबर को डीलिट किया जाने और आकर मिलने के बात की जाती है और जब पत्रकार उनके धमकी में नहीं आता और खबरें बराबर प्रकाशित करता है तब पत्रकार पर धोखे से बुलाकर जानलेवा हमला करने की बात सामने आती है ।
इसमें उसे रमवापुर पेट्रोल पंप पर बुलाया जाता है और बताया जाता है मेरे किसी रिश्तेदार का कुछ काम है आकर उसको करवा दीजिए जिसको लेकर जब उक्त पत्रकार बताए हुए स्थान पर जाता है तो उसे वहां से वापस कर दिया जाता है और फिर जब पत्रकर अपनी बाइक से वापस आने लगता है तभी पत्रकार को फोन किया जाता है कहां गए ।
इसके साथ ही 100 मीटर की दूरी पर खड़े होकर जब रमेश गुप्त रुकते है तो पीछे से हाथ के इशारे से कहा जाता है कि मेरे रिश्तदार आ गए हैं इसके साथ ही मेरे पीछे से जब मैं अपनी बाइक से रामवापुर तिराहे के पास पहुंचता हूं तभी मुझे बाइक सवार हमलावर के द्वारा रोका जाता है और कहा जाता है कि मैं रिश्तेदार हूं और मेरे ऊपर जान लेवा हमला किया जाता है।
सहयोग वश वहां जब राहगीरों के रुकने पर हमलावर छोड़कर भाग जाते हैं। जिस के बाद पत्रकार किसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तुलसीपुर पहुंचता है और अपना इलाज कराने लगता है। इलाज के उपरांत थाना तुलसीपुर में अशोक सिंह को कार्रवाई करने की मांग की जाती है जिस पर उनके द्वारा पहले तो रंग डाल आने की बात की जाती है और बाद में मामला जब काफी वायरल हो जाता है और इसका खबर क्षेत्राधिकारी तुलसीपुर को होता है ।
तब मुकदमा पंजीकृत किया जाता है जिसमें तीन अभियुक्त जिसमे 2 नामजद और एक अज्ञात के खिलाफ 323 504 और 506 की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होता है। उसके उपरांत जब इस प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं होती है और आपराध करने वाले अभियुक्त खुले घूमते हैं फिर प्रार्थी आदर्श प्रेस क्लब के नेतृत्व में एसपी बलरामपुर को सामूहिक तौर पर एक ज्ञापन सौंप कर न्याय दिलवाने और कार्रवाई करने की मांग की जाती हैं।
जिसकी खबर प्रकाशित करने पर सहयोगी पत्रकार मसूद अनवर पर भी दबाव बनाने के लिए संजय पासवान के द्वारा फोन किया जाता है और तमाम धमकी देते हुए महिला उत्पीड़न का मुकदमा हम दोनों पर दर्ज करवाने की बात की जाती है। वही पत्रकार पर हुए जानलेवा हमले को योजना बद्ध ढंग से भ्रमित करने के उद्देश्य को लेकर मामले को नया मोड़ दिया जाता है जिसमे यह आरोप की महिला से छेड़खानी को लेकर मारपीट हुई है की बात करते है।
जिसमें किसी अज्ञात महिला को आगे कर महिला उत्पीड़न का फर्जी केस दर्ज करवाने की बात कही गई है जिसकी रिकॉर्डिंग साक्ष्य के रूप में मौजूद है । और एसपी बलरामपुर को सौंप दी गई है और शिकायती पत्र के साथ अवगत कराया गया है कि यह संगठित और शातिर लोग हैं जो कभी भी मुझको और रमेश गुप्ता पर हमला करवा सकते हैं या स्थानीय पुलिस के साथ साठगांठ कर हमें झूठे मुकदमे में फसाने की साजिश कर सकते हैं जिसको लेकर एसपी बलरामपुर को पूरे मामले से अवगत कराया गया है अगर भविष्य में कोई घटन होती है तो इसकी सारी जिम्मेदारी संजय पासवान और उनकी टीम की होगी ।
Dec 02 2023, 17:13