*तेरे दरबार में मैया खुशी मिलती,जिंदगी मिलती है रोते को हंसी मिलती है, तेरे दरबार में*
रायबरेली। सोमवार को शारदीय नवरात्रि का आखिरी दिन रहा इस दिन महानवमी पर मां दुर्गा की नववीं शक्ति देवी सिद्धिदात्री की उपासना की गई।माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से नवरात्रि में नौ दिन व्रत रखने के समान पुण्य मिलता है। शहर से लेकर गांव तक कन्या भोज और हवन से वातावरण भक्तिमय हो गया। मां के मंदिरों और पंडालों में भक्तों का तांता लगा हुआ था।
मां सिद्धिदात्री अपने नाम के स्वरूप सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं। स्वंय शिव जी ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से नौ सिद्धियों को प्राप्त किया था।यही वजह है कि शारदीय नवरात्रि की दुर्गा नवमी बहुत महत्वपूर्ण होती है।इस दिन माता ने महिषासुर का वध किया था।
मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व
महानवमी पर देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से हर कार्य सिद्ध हो जाते हैं।अगर कोई नौकरी या व्यापार को लेकर परेशानी झेल रहे हैं तो नवरात्रि की नवमी तिथि पर देवी को एक कमल का पुष्प श्रद्धा के साथ अर्पित किया जाता है।साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाए तो इससे सारी बाधाओं का अंत होता है और धन, नौकरी, व्यापार में सफलता मिलती है।
मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए न सिर्फ देवता बल्कि राक्षस, गंधर्व, ऋषि मुनि भी कठोर तपस्या करते हैं।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप
सामान्य रूप से मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन होती हैं, हालांकि इनका भी वाहन सिंह है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं।इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा मेंं गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है।
इस तरह हुई मां सिद्धिदात्री पूजा और लगा भोग
शारदीय नवरात्रि की नवमी पर स्नान के बाद हरा मोर रंग वाले वस्त्र पहन कर मां की पूजा की गई। यह देवी सिद्धिदात्री का प्रिय रंग है।पंचोपोचार विधि से देवी की उपासना की गई। कमल या गुलाब के फूलों की माला अर्पित किए गए। कन्या भोजन के लिए बनाए प्रसाद हलवा, चना, पूड़ी का प्रसाद चढ़ाए गए।
"ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः मंत्र का एक 108 बार जाप किया गया।कन्या पूजन किया गया।दान-दक्षिणा दे कर कन्याओं से आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा किया। भक्तों ने पूरे विधि विधान से देवी के सहस्त्रनामों का जाप करते हुए हवन किया गया।नवमी तिथि समाप्त होने के बाद ही व्रत खोलना चाहिए।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
महानवमी पर हवन का महत्व
नवरात्रि में देवी दुर्गा के निमित्त हवन करने से व्रत-पूजन संपन्न माना जाता है।कहते हैं हवन के धुएं से प्राण में संजीवन शक्ति का संचार होता है।इसके जरिए बीमारियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। हवन के लिए कुंड में आम की समधिया रख कुंड पर स्वास्तिक बनाकर नाड़ा बांध कर फिर उसकी पूजा की गई ।
अग्नि प्रज्वलित कर हवन कुंड की अग्नि में फल, शहद, घी, काष्ठ इत्यादि पदार्थों की मंत्रों के साथ आहुति दी गई।
Oct 28 2023, 20:36