क्या है हिजबुल्लाह? जिसने हमास के खिलाफ इजराइल की बढ़ा रखी है टेंशन
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इजरायल और हमास के बीच युद्ध बढ़ता ही जा रहा है। आने वाले दिनों में जंग के और तेज होने की आशंका है।दरअसल, हमास के बाद हिजबुल्लाह ने भी इजरायल पर हमला कर दिया है।बता दें कि हमास फिलिस्तीन तो हिजबुल्लाह लेबनान का आतंकी संगठन है।
हमास, इजराइल पर हुए हालिया हमले के लिए जिम्मेदार उग्रवादी संगठन है। यह गाजा पट्टी को नियंत्रित करता है और इज़राइल के स्थान पर फ़िलिस्तीनी राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमास एक सुन्नी फिलिस्तीनी संगठन है, जबकि ईरान समर्थित हिजबुल्लाह एक शिया लेबनानी पार्टी है।हाल के वर्षों में, हमास और हिजबुल्लाह के बीच सीरियाई गृहयुद्ध को लेकर मतभेद रहा है, हिजबुल्लाह सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन कर रहा है और हमास उन्हें सत्ता से बेदखल करने का समर्थन कर रहा है। भले ही सीरिया को लेकर दोनों संगठनों के विचार अलग-अलग हैं लेकिन इजरायल को दोनों ही अपना दुश्मन नंबर एक मानते हैं। इज़राइल के अस्तित्व के प्रति उनके साझा विरोध ने ही उन्हें सामरिक सहयोगी बना दिया है।
2020 और 2023 के बीच, दोनों समूहों के नेताओं ने इज़राइल के साथ संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन जैसे अरब देशों के बीच हुए समझौतों का विरोध किया था।दोनों ही संगठनों के नेताओं ने इन समझोतों के बाद उठे बवंडर पर चर्चा करने के लिए कम से कम दो बैठकें कीं थी। हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने हाल ही में अप्रैल में लेबनान में हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह से मुलाकात की थी। 2020 में अपनी यात्रा के दौरान, जब हनियेह ने देश के सबसे बड़े फ़िलिस्तीनी शरणार्थी शिविर, ऐन अल-हेलवे का दौरा किया, तो उन्हें एक नायक के स्वागत से सम्मानित किया गय था।
हिज़बुल्ला का उदय कब हुआ, इसकी सटीक तारीख बताना मुश्किल है। लेकिन वर्ष 1982 में फ़लस्तीनी चरमपंथियों के हमले के जवाब में दक्षिणी लेबनान में इजराइल की घुसपैठ के बाद हिज़बुल्ला के पहले रहे संगठन का उदय हुआ था। उस समय चरमपंथी हमले का समर्थन कर रहे शिया नेताओं ने अमाल आंदोलन से खुद को अलग कर लिया था। इन नेताओं ने एक नया संगठन 'इस्लामिक अमाल' का गठन किया। इस संगठन को ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स से अच्छी-खासी सैन्य और संगठनात्मक मदद मिली। ये संगठन सबसे प्रभावी और बड़े शिया मिलिशिया के तौर पर उभरा और आगे चलकर यही हिज़बुल्लाह बना। इस संगठन ने इजराइल सेना और उसके सहयोगी साउथ लेबनान आर्मी के साथ ही लेबनान में मौजूद विदेशी बलों पर हमले शुरू किए।
ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1983 में अमेरिकी दूतावास और यूएस मरीन बैरक्स पर बमबारी की। इन हमलों में कुल 258 अमेरिकियों और 58 फ़्रेंच नागरिकों की जान गई थी। इसके बाद लेबनान से पश्चिमी देशों की शांति सेना पीछे हट गई। वर्ष 1985 में हिज़बुल्लाह ने औपचारिक तौर एक 'खुली चिट्ठी' प्रकाशित करते हुए स्थापना का ऐलान किया। इस पत्र में अमेरिका और सोवियत संघ को इस्लाम के सिद्धांतों का दुश्मन बताया गया और इसराइल को 'ख़त्म' करने का आह्वान किया। हिज़बुल्लाह का कहना था कि इजराइल मुसलमानों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर रहा है। हिज़बुल्लाह ने ये भी आह्वान किया कि "लोगों के मुक्त और सीधे चयन के आधार पर इस्लामी व्यवस्था को अपनाया जाए, न कि इसे ज़बरदस्ती थोपा जाए।"
Oct 19 2023, 16:16