आज का पंचांग :-17 अक्टूबर 23, आज आश्विन का तृतीया, शुक्ल पक्ष,जानिए ग्रह नक्षत्र का योग और मुहूर्त
तृतीया, शुक्ल पक्ष, आश्विन """""(समाप्ति काल)
तिथि-------------- तृतीया 25: 25:57 तक
पक्ष---------------------------- शुक्ल
नक्षत्र----------------- विशाखा 20:30:13
योग--------------------- प्रीति 09:20:25
करण-------------------- तैतुल 13:22:46
करण----------------------- गर 25:25:57
वार--------------------------- मंगलवार
माह-------------------------- आश्विन
चन्द्र राशि---------------- तुला 14:18:43
चन्द्र राशि---------------------- वृश्चिक
सूर्य राशि---------------- कन्या 25:29:17
सूर्य राशि---------------------- तुला
रितु--------------------------- शरद
आयन------------------------- दक्षिणायण
संवत्सर----------------------- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर) ------------- पिंगल
विक्रम संवत------------------- 2080
गुजराती संवत---------------- 2079
शक संवत--------------------- 1945
कलि संवत-------------------- 5124
वृन्दावन
सूर्योदय----------------------- 06:21:12
सूर्यास्त------------------------ 17:47:35
दिन काल--------------------- 11:26:22
रात्री काल--------------------- 12:34:12
चंद्रोदय------------------------ 08:34:22
चंद्रास्त------------------------ 19:22:23
लग्न------------ कन्या 29°13', 179°13'
सूर्य नक्षत्र--------------------- चित्रा
चन्द्र नक्षत्र--------------------- विशाखा
नक्षत्र पाया--------------------- रजत
पद, चरण
तू--------------------- विशाखा 08:05:32
ते----------------------विशाखा14:18:43
तो-------------------- विशाखा 20:30:13
ना-------------------- अनुराधा 26:40:03
ग्रह गोचर
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
सूर्य= कन्या 9:30, चित्रा 2 पो
चन्द्र=तुला 25:30 , विशाखा 2 तू
बुध =कन्या 26 °:53' चित्रा, 2 पो
शुक्र=सिंह 12°05, मघा ' 4 मे
मंगल=तुला 08°30 ' स्वाति' 1 रू
गुरु=मेष 18°30 ' भरणी , 2 लू
शनि=कुम्भ 06°50 ' शतभिषा ,1 गो
राहू=(व) मेष 00°47 अश्विनी , 1 चू
केतु=(व) तुला 00°47 चित्रा, 3 रा
शुभ मुहूर्त
राहू काल 14:56 - 16:22 अशुभ
यम घंटा 09:13 - 10:39 अशुभ
गुली काल 12:04 - 13:30अशुभ
अभिजित 11:42 - 12:27 शुभ
दूर मुहूर्त 08:38 - 09:24 अशुभ
दूर मुहूर्त 22:49 - 23:35 अशुभ
वर्ज्यम 24:37 - 26:15 अशुभ
चोघडिया, दिन
रोग 06:21 - 07:47 अशुभ
उद्वेग 07:47 - 09:13 अशुभ
चर 09:13 - 10:39 शुभ
लाभ 10:39 - 12:04 शुभ
अमृत 12:04 - 13:30 शुभ
काल 13:30 - 14:56 अशुभ
शुभ 14:56 - 16:22 शुभ
रोग 16:22 - 17:48 अशुभ
चोघडिया, रात
काल 17:48 - 19:22 अशुभ
लाभ 19:22 - 20:56 शुभ
उद्वेग 20:56 - 22:30 अशुभ
शुभ 22:30 - 24:05 शुभ
अमृत 24:05 - 25:39 शुभ
चर 25:39 - 27:13 शुभ
रोग 27:13 - 28:48 अशुभ
काल 28:48 - 30:22 अशुभ
होरा, दिन
मंगल 06:21 - 07:18
सूर्य 07:18 - 08:16
शुक्र 08:16 - 09:13
बुध 09:13 - 10:10
चन्द्र 10:10 - 11:07
शनि 11:07 - 12:04
बृहस्पति 12:04 - 13:02
मंगल 13:02 - 13:59
सूर्य 13:59 - 14:56
शुक्र 14:56 - 15:53
बुध 15:53 - 16:50
चन्द्र 16:50 - 17:48
होरा, रात
शनि 17:48 - 18:50
बृहस्पति 18:50 - 19:53
मंगल 19:53 - 20:56
सूर्य 20:56 - 21:59
शुक्र 21:59 - 23:02
बुध 23:02 - 24:05
चन्द्र 24:05 - 25:08
शनि 25:08 - 26:10
बृहस्पति 26:10 - 27:13
मंगल 27:13 - 28:16
सूर्य 28:16 - 29:19
शुक्र 29:19* - 30:22
उदयलग्न प्रवेशकाल
कन्या > 03:16 से 05:28 तक
तुला > 05:28 से 07:42 तक
वृश्चिक > 07:42 से 09:56 तक
धनु > 09:56 से 11:40 तक
मकर > 11:40 से 13:50 तक
कुम्भ > 13:50 से 15:32 तक
मीन > 15:32 से 16:44 तक
मेष > 16:44 से 18: 32 तक
वृषभ > 18:32 से 20:30 तक
मिथुन > 20:30 से 22:38 तक
कर्क > 22:38 से 01:00 तक
सिंह > 01:00 से 03:00 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
 लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट--------- जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट------ अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट------------ मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट--------बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54-----जैसलमेर -15 मिनट
नोट- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये, उद्वेगे थलगार।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे, लाभ में करो व्यापार॥
रोग में रोगी स्नान करे, काल करो भण्डार।
अमृत में काम सभी करो, सहाय करो कर्तार॥
अर्थात- चर में वाहन, मशीन आदि कार्य करें।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।
शुभ में स्त्री श्रृंगार, सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें।
लाभ में व्यापार करें।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें।
दिशा शूल
ज्ञान----------------उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते हैl
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु चl
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय:ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं।।
महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत्।।
3 + 3 + 1 = 7 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक हैl
ग्रह मुख आहुति ज्ञान
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
3 + 3 + 5 = 11 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं, पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
विशेष जानकारी
नवरात्रि तृतीय दिवस चंद्रघंटा पूजन
तुला में सूर्य 25:30 रात्रि
शुभ विचार
एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वन्हिना।
दह्यते तद्वनं सर्व कुपुत्रेण कुलं यथा ।। चा o नी o।।
जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता वृक्ष सम्पूर्ण वन को जला देता है उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सरे कुल के मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है.
सुभाषितानि
गीता -: अर्जुनविषाद योग अo-01
तत्रापश्यत्स्थितान् पार्थः पितृनथ पितामहान्। आचार्यान्मातुलान्भ्रातृन्पुत्रान्पौत्रान्सखींस्तथा॥
श्वशुरान् सुहृदश्चैव सेनयोरुभयोरपि।,
इसके बाद पृथापुत्र अर्जुन ने उन दोनों ही सेनाओं में स्थित ताऊ-चाचों को, दादों-परदादों को, गुरुओं को, मामाओं को, भाइयों को, पुत्रों को, पौत्रों को तथा मित्रों को, ससुरों को और सुहृदों को भी देखा॥,26-27॥,
Oct 17 2023, 09:08