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हमास पर इजरायल के पलटवार के बाद फ्रांस में निशाने पर यहूदी, स्कूल में बम रखे जाने की सूचना से हड़कंप, कराया खाली

डेस्क: हमास पर इजरायल के भीषण पलटवार के बाद से ही विदेशों में बसे यहूदी आतंकियों के निशाने पर हैं। फ्रांस के एक स्कूल में कुछ दिन पहले शिक्षक की चाकू मार कर हत्या किए जाने के बाद से ही पुलिस और नागरिकों को अलर्ट पर रखा गया है। मगर उसी स्कूल में अब बम रखे जाने की सूचना ने खलबली मचा दी है। लिहाजा आनन-फानन में स्कूल को खाली करवा दिया गया है। 

फ्रांस के अधिकारियों का कहना है कि जिस स्कूल में पिछले सप्ताह एक शिक्षक को चाकू मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था, वहीं बम रखे जाने की खबर मिली है। उसे बम की सूचना मिलने के बाद खाली कराया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, फ्रांस के राष्ट्रपति ने सोमवार को एक सुरक्षा बैठक के लिए विदेश की अपनी यात्रा योजनाओं में कटौती की है। उत्तरी पास डे क्लाएस क्षेत्र के प्रान्त कार्यालय ने बताया कि पुलिस को अपनी वेबसाइट पर बम की सूचना प्राप्त हुई थी, जिसके बाद अर्रास में स्थित हाई स्कूल को खाली कराने का निर्णय लिया गया।

बम निरोधक दस्ता कर रहा जांच

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंच गया है। बम की सूचना के बाद से ही स्कूली छात्र-छात्राओं में हड़ंकप मच गया है। कार्यालय के मुताबिक, जब तक स्थिति पूरी तरह से साफ नहीं हो जाती तब तक के लिए सभी प्रकार के एहतियाती और सुरक्षा कदम उठाए जा रहे हैं। फ्रांस में चाकू मारने की घटना के बाद आतंकवादी घटनाओं को लेकर दहशत का माहौल है। इसलिए फ्रांस में सभी प्रमुख स्कूलों और बाजारों की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

इजराइली हमले में मारा गया हमास का एक और बड़ा कमांडर, इजराइल पर अटैक में था अहम रोल

डेस्क: इजराइल पर 7 अक्टूबर को हमास ने तीन ओर से घातक हमले किए। इस हमले से इजराइल कराह उठा। इस हमले में हमास केस कमांडर मुएताज ईद की अहम भूमिका था। इजराइल के गाजा पट्टी पर किए गए पलटवार में यह हमास कमांडर भी मारा गया। इजराइल को इस कमांडर के 7 अक्टूबर को इजराइल पर अटैक के मामले में वांछित होने की खुफिया जानकारी मिली थी। सटीक खुफिया जानकारी पर गाजा के ​दक्षिण जिले में इस कमांडर मुएताज ईद को मारकर अंजाम तक पहुंचा दिया गया।

 

चुन-चुनकर हमास से बदला ले रही इजराइली सेना

दरअसल, इजरायल की सेना अपने देश पर हुए हमास के अटैक के बाद चुन-चुनकर हमास से बदला ले रही है। बड़ी ख़बर है कि इजरायली एयरस्ट्राइक में हमास का एक और बड़ा कमांडर मारा गया है। इस कमांडर का नाम मुएताज ईद था। मुएताज़ ईद ने 7 अक्टूबर के हमले में बड़ी भूमिका अदा की थी। इजरायल की खुफिया एजेंसी उसी दिन से इसके पीछे थी। सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर इजरायली एयरफोर्स ने गाज़ा के दक्षिणी ज़िले में एयरस्ट्राइक करके मुएताज़ को उसके अंजाम तक पहुंचा दिया है। इजरायइ की इस एयरस्ट्राइक में हमास का मिलिट्री बेस पूरी तरह से तबाह हो गया है, जिसका वीडियो भी जारी हुआ है।

24 घंटे में हमास के 250 ​ठिकानों को किया तबाह, कई कमांडर मारे गए

इससे पहले कल रात में भी गाजा पर भीषण हवाई हमले हुए थे। इस हमले में हमास के कई आतंकी मारे गए। कई मिलिट्ट्री ठिकाने ध्वस्त हो गए। इजरायल साफ कर चुका है कि हमास को पूरी तरह से मिटाकर रहेंगे। उसके एक एक आतंकी को ढेर कर देंगे। इसी कड़ी में अब तक हमास के कई टॉप कमांडर मारे जा चुके हैं, जिसमें बिलाल अल केदरा, अली कादी, मुराद अबू मुराद का नाम भी शामिल हैं। पिछले 24 घंटे में इजरायली एयफोर्स ने हमास के करीब 250 ठिकानों को तबाह कर दिया है।

निठारी कांड: लड़कियों-बच्चों के साथ हैवानियत की वो दास्तां, जिसे सुनकर आंखों में उतर आएगा खून

डेस्क: नोएडा के निठारी गांव की कोठी D-5, जो मोनिंदर सिंह पंढ़ेर की थी और उसके साथ उसका नौकर सुरेंद्र कोली रहता था। वह कोठी एक ऐसे कांड, ऐसी हैवानियत की गवाह है, जिसे सुनकर आज भी आपकी आंखों में खून उतर आएगा। साल 2006 में निठारी के कोठी नंबर D-5 के बगल वाले नाले से एक-एक कर कई नरकंकाल मिले थे। इस कांड ने ऐसा खुलासा किया था जिसे सुनकर पूरे देश में खलबली मच गई थी। पंढेर के नौकर सुरेंद्र कोली पर आरोप लगा था कि वह कोठी पर लड़कियों को लाता था औऱ उनसे रेप करता था और फिर उनकी हत्या कर लाश के टुकड़े खाता था और हड्डियां बाहर नाले में फेंक देता था। यह खुलासा तब हुआ था जब निठारी गांव की दर्जनों लड़कियां गायब हो गईं और उनका कुछ पता नहीं चल सका था। 

साल-2005 और 2006 में 19 बच्चियों, युवतियों और महिलाओं की रेप के बाद हत्या का खुलासा हुआ था और हैवानियत की ये बात सामने आई थी कि उनकी हत्या कर हत्यारों ने खा लिया। खुलासे के बाद इस केस में कुल 19 मुकदमे दर्ज हुए थे। इस जुर्म में निचली अदालत ने सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई थी। इसमें तीन मुकदमों में पुलिस ने साक्ष्य के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। 16 मुकदमों में CBI कोर्ट गाजियाबाद का फैसला आ चुका है। 13 मुकदमों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत सुनाई और तीन में बरी किया गया।

जानिए कौन हैं मोनिंदर पंढ़ेर और सुरेंद्र कोली

मोनिंदर सिंह मूल रूप से पंजाब का रहने वाला था और साल 2000 में दिल्‍ली आया था। वहीं, सुरेंद्र कोली, जो उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला था दि्ली में एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था। कहा जाता है कि कोली खाना बेहतरीन बनाता था। साल 2003 में वह पंढे़र से मिला और उसके घर पर नौकर बनकर का काम करने लगा। सुरेंद्र कोली के आने के बाद मोनिंदर सिंह की फैमिली उसे छोड़कर पंजाब चली गई। तब से वह कोली के साथ रहने लगा। मोनिंदर सिंह अक्सर इस कोठी पर कॉलगर्ल बुलाता रहता था। एक बार उसके नौकर सुरेंद्र कोली ने वहां आई एक कॉलगर्ल से रिलेशन बनाने को कहा तो कॉलगर्ल ने उससे ऐसा कुछ कह दिया कि सुरेंद्र नाराज हो गया और उसने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और लाश को कोठी के पासवाले नाले में फेंक दिया। यह निठारी गांव की D-5 कोठी में पहला मर्डर था।

लड़कियों-बच्चों से रेप के बाद कर देता था हत्या

इसके बाद ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) से आई एक लड़की दीपिका उर्फ पायल नौकरी की तलाश में 7 मई 2006 को मोनिंदर सिंह पंढेर के पास गई थी, वो भी कोठी में जाते ही गायब हो गई थी। पायल के गायब होने के बाद 24 अगस्त 2006 को नोएडा पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर जांच शुरू की तो दीपिका का मोबाइल सुरेंद्र कोली के पास से मिला।उसके बाद कोठी में काम करने वाली 25 साल की आनंदा देवी गायब हो गई थी। इस तरह से कई लड़कियां-महिलाएं और बच्चे गायब हो गए थे। पायल के गायब होने के केस में पुलिस ने जब कोली और पंढे़र से सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने दीपिका उर्फ पायल की रेप के बाद हत्या कर लाश कोठी के बराबर में नाले में फेंकने की बात कुबूल ली। उसके बाद 29 और 30 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने कोठी के पास के नाले से बड़ी संख्या में मानव कंकाल बरामद किए, जो सिर्फ लड़कियों के थे।

हुआ था चौंकाने वाला खुलासा

इसके बाद जो खुलासा हुआ वो काफी चौंकाने वाला था। पुलिस को पता चला कि मोनिंदर पंधेर और सुरेंदर कोली कोठी पर लड़कियों को किसी बहाने से बुलाते थे और रेप के बाद हत्या करके उनकी लाश इस नाले में फेंक देते थे। लोगों का यह भी कहना था कि निठीरी की पंढेर की कोठी से मानव अंगों का व्यापार होता था। इतना ही नहीं हत्या के बाद शव के टुकड़ों को पका कर खाने की भी बात सामने आई थी। कहा जाता है कि मामले का आरोपी सुरेंद्र कोली नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित था और वह बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा था। वह कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता और फिर उनकी हत्या कर देता था।

सुनाई गई थी फांसी की सजा

पुलिस ने मोनिंदर और सुरेंद्र के खिलाफ रेप और हत्या के कुल 19 मामले दर्ज किए। इस केस में CBI ने सुरेंद्र कोली को हत्या, अपहरण, रेप और सबूत मिटाने के केस में आरोपी बनाया था. जबकि, मनिंदर को मानव तस्करी का भी आरोपी बनाया था। सीबीआई ने 46 गवाहों को पेश करके उनके बयान दर्ज कराए थे जबकि बचाव पक्ष की तरफ से महज 3 गवाह पेश किए गए। आरोप तय होने के बाद दोनों दोषी करार दिए गए और इस जघन्य अपराध के मामले में कोली और मोनिंदर को फांसी की सजा सुनाई गई थी। लेकिन अब उनको सजा से बरी कर दिया गया है। बचे हुए मामलों में केस जारी रहेगा।

इंदौर के व्यापारी के पास से बरामद हुआ 3 करोड़ का सोना, जाँच में जुटी पुलिस

मध्य प्रदेश के जबलपुर में पुलिस ने इंदौर के एक व्यक्ति को सवा 5 किलो सोने के साथ पकड़ा है। बरामद सोने का भाव तकरीबन 3 करोड़ रुपये है। बरामद सोना तथा युवक को जांच के लिए आयकर विभाग के सुपुर्द कर दिया है। गढ़ा थाना प्रभारी बृजेष मिश्रा से मिली जानकारी के मुताबिक, रविवार की रात लगभग साढ़े आठ बजे खबर मिली कि एक युवक बैग में संदिग्ध सामान लेकर बायपास से शहर की ओर आ रहा है। 

पुलिस को युवकों को त्रिपुरी चौराहा के पास ऑटो में बैठा मिला। शख्स ने स्वयं का नाम सौरभ जैन आयु 38 निवासी इंदौर बताया था तथा बैग की तलाशी देने से मना कर दिया था। युवक को थाने लाकर बैग की तलाशी ली गयी तो उसमें 5 किलो 274 ग्राम सोने के आभूषण थे। जिनका दाम 3 करोड़ रुपये से ज्यादा था।

 पूछताछ में युवक ने बताया कि वह सोने-चांदी के आभूषण का व्यापार करता है। स्थानीय कारोबारियों को आभूषण के सैम्पल दिखाने आया था। युवक आभूषण के संबंध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया। आभूषण व युवक को जांच के लिए आयकर विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है।

World Anaesthesia Day: एनेस्थीसिया क्या है और कब दिया जाता है? जानें इसके बारे में कुछ जरूरी बातें

डेस्क: एनेस्थीसिया के बारे में आपने खूब सुना होगा। जैसे कि सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया लगाया गया । एनेस्थीसिया लगाने के बाद कुछ महसूस नहीं हुआ और व्यक्ति सो गया। ये सब एनेस्थीसिया से जुड़ी बातें जबकि ज्यादातर लोगों को इसके बारे में सही जानकारी ही नहीं होती। ज्यादातर लोग नहीं जानते कि ये है क्या। डॉक्टर इसका इस्तेमाल कब और क्यों करते हैं। शरीर पर एनेस्थीसिया के उपयोग का क्या प्रभाव पड़ता है। आइए, जानते हैं इन तमाम चीजों के बारे में विस्तार से। साथ ही जानेंगे एनेस्थीसिया के प्रकार।

एनेस्थीसिया क्या है-

एनेस्थीसिया एक ऐसी दवा है जिसे मरीज को दर्द से बचाने के लिए दिया जाता है। हर सर्जरी पहले मरीज को ये दिया जाता है ताकि उसे मालूम ही न पड़े कि सर्जरी के दौरान उसके साथ क्या हुआ। एनेस्थीसिया से रोगी गहरी नींद में चला जाता है। इससे शरीर की संवेदानाएं सुन्न हो जाती हैं और किसी चीज का अहसास नहीं हो पाता है। एनेस्थीसिया के लिए जिन दवाओं का उपयोग किया जाता है उन दवाओं को एनेस्थेटिक कहा जाता है। इनमें शामिल हो सकते हैं 

-गैस एनेस्थीसिया

-इंजेक्शन 

-त्वचा या आंखों पर लगाने वाले टॉपिकल एनेस्थीसिया। 

एनेस्थीसिया कब दिया जाता है-

आमतौर पर एनेस्थीसिया का इस्तेमाल सभी सर्जरी के दौरान किया जाता है। सिर, छाती और पेट के हिस्से की सर्जरी में मुख्य रूप से इस्तेमाल तकिया जाता है क्योंकि इन हिस्सों में सर्जरी बड़ी और दर्दनाक हो सकती है। इसके अलावा कहीं पर टांके लगाने और खोलने के दौरान भी डॉक्टर एनेस्थीसिया देता है। इसके अलावा वो तमाम चीजें जिनमें शरीर और नसों के बीच दर्द को सर्कुलेट हो सकता है, एनेस्थीसिया देकर ब्रेन से शरीर का कनेक्शन काट दिया जाता है ताकि व्यक्ति को कुछ महसूस न हो।

एनेस्थीसिया के प्रकार-

एनेस्थीसिया मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं। 

1. लोकल एनेस्थीसिया-

इसके जरिए शरीर के बस एक छोटे से हिस्से को सुन्न कर दिया जाता है। ये मोतियाबिंद सर्जरी, डेंटल सर्जरी या स्किन बायोप्सी के दौरान दिया जाता है। 

2. जेनेरल एनेस्थीसिया-

लंबी और बड़ी सर्जरी के दौरान ये वाला एनेस्थीसिया दिया जाता है। ये सर्जरी किसी भी अंग की हो सकती है।

3. रीजनल एनेस्थीसिया-

रीजनल एनेस्थीसिया शरीर के हिस्से में दर्द को रोकने के लिए दिया जाता है। जैसे बच्चे के जन्म के दर्द को कम करने के लिए या सी-सेक्शन के दौरान, घुटने की सर्जरी के दौरान, हाथों और कूल्हों की सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया दिया जाता है। 

एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट क्या होते हैं

एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट हर किसी पर अलग हो सकते हैं। जैसे कि 

-मतली और उल्टी

-पीठ दर्द या मांसपेशियों में दर्द

-थकान और कमजोरी

-खुजली

-चक्कर आना

 बता दें कि एनेस्थीसिया लगने के बहाद इसका असर लगभग 12 से 18 घंटे रह सकता है। इसका अनुभव हर किसी के लिए अलग हो सकता है। इसलिए इस दौरान डॉक्टर की निगरानी में रहना और उन्हीं की बात मानना सबसे सही सुझाव है।

AAP नेता राघव चड्ढा की सदस्यता रद्द करने का मामला, राज्यसभा सचिवालय को 'सुप्रीम' नोटिस, 30 अक्टूबर को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट आज सोमवार को आम आदमी पार्टी (AAP) नेता राघव चड्ढा की राज्यसभा से अनिश्चितकालीन निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया और इस मुद्दे पर निर्णय लेने में अटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी। मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चड्ढा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और वकील शादान फरासत की दलीलों पर ध्यान दिया कि निलंबन उस विशेष सत्र से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है, जिसके दौरान सदस्य को निलंबित करने का निर्णय लिया गया था।।

शीर्ष अदालत ने केवल उस याचिका पर राज्यसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया जिस पर 30 अक्टूबर को सुनवाई होगी। चड्ढा ने राज्यसभा सचिवालय के अलावा सदन के अध्यक्ष और विशेषाधिकार समिति को अपनी याचिका में पक्षकार बनाया था। द्विवेदी ने कहा कि वह फिलहाल याचिका में कोई अंतरिम राहत नहीं मांग रहे हैं। 

राज्यसभा ने 11 अगस्त को एक प्रस्ताव पारित किया था। सदन का नेतृत्व करने वाले पीयूष गोयल द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव में AAP (आम आदमी पार्टी) नेता के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया था। AAP नेता ने कुछ राज्यसभा सदस्यों के नाम उनकी अनुमति के बिना प्रस्तावित समिति में शामिल कर दिये थे। यह समिति राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 की समीक्षा करने के लिए थी। चड्ढा को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट लंबित रहने तक "नियमों के घोर उल्लंघन, कदाचार, उद्दंड रवैया और अवमाननापूर्ण आचरण" के लिए मानसून सत्र के आखिरी दिन निलंबित कर दिया गया था।

पूरे 128 साल बाद ओलिंपिक में लौटा क्रिकेट, पढ़िए, इन चार अन्य खेलों को भी मिली मंजूरी

 क्रिकेट ने 128 साल बाद ओलंपिक में वापसी की है, जबकि फ़्लैग फ़ुटबॉल 2028 लॉस एंजिल्स खेलों में ओलंपिक में अपनी शुरुआत करने के लिए तैयार है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने बेसबॉल-सॉफ्टबॉल, लैक्रोस और स्क्वैश के साथ इन खेलों को इवेंट लाइनअप में शामिल करने की मंजूरी दे दी।

लॉस एंजिल्स के अधिकारियों द्वारा खेलों का प्रस्ताव रखने के बाद ये बदलाव हुए और IOC कार्यकारी बोर्ड ने उन्हें शामिल करने की सिफारिश की। भारत के मुंबई में IOC की पूर्ण सदस्यता बैठक के दौरान, लगभग 90 IOC सदस्यों के केवल दो "नहीं" वोटों के साथ, इन खेलों को सामूहिक रूप से अनुमोदित किया गया था। क्रिकेट का समावेश विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 1900 के बाद से ओलंपिक का हिस्सा नहीं रहा है। इस निर्णय से भारत में IOC के प्रसारण अधिकारों के मूल्य में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसमें पुरुष और महिला दोनों टीमें गतिशील टी 20 प्रारूप खेल रही हैं।

फ़्लैग फ़ुटबॉल और बेसबॉल-सॉफ़्टबॉल से NFL और MLB खिलाड़ियों को ओलंपिक चरण में लाने की उम्मीद है। पूर्ण-संपर्क फ़ुटबॉल पहले 1932 के ओलंपिक में एक प्रदर्शन खेल था। लॉस एंजिल्स आयोजन समिति के अध्यक्ष केसी वासरमैन ने इन खेलों को 2028 लॉस एंजिल्स खेलों के लिए स्प्रिंगबोर्ड के रूप में काम करने की इच्छा व्यक्त की। लैक्रोस, जो पहले ओलंपिक में खेलता था लेकिन 1908 के बाद से नहीं, सिक्स-ए-साइड प्रारूप में वापसी करेगा, जबकि स्क्वैश ओलंपिक में पदार्पण करेगा। हालांकि अगले साल पेरिस ओलंपिक में पदार्पण के लिए तैयार ब्रेकडांसिंग ने 2028 के खेलों में स्थान सुरक्षित नहीं किया।

पूरे 128 साल बाद ओलिंपिक में लौटा क्रिकेट, पढ़िए, इन चार अन्य खेलों को भी मिली मंजूरी

 क्रिकेट ने 128 साल बाद ओलंपिक में वापसी की है, जबकि फ़्लैग फ़ुटबॉल 2028 लॉस एंजिल्स खेलों में ओलंपिक में अपनी शुरुआत करने के लिए तैयार है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने बेसबॉल-सॉफ्टबॉल, लैक्रोस और स्क्वैश के साथ इन खेलों को इवेंट लाइनअप में शामिल करने की मंजूरी दे दी।

लॉस एंजिल्स के अधिकारियों द्वारा खेलों का प्रस्ताव रखने के बाद ये बदलाव हुए और IOC कार्यकारी बोर्ड ने उन्हें शामिल करने की सिफारिश की। भारत के मुंबई में IOC की पूर्ण सदस्यता बैठक के दौरान, लगभग 90 IOC सदस्यों के केवल दो "नहीं" वोटों के साथ, इन खेलों को सामूहिक रूप से अनुमोदित किया गया था। क्रिकेट का समावेश विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 1900 के बाद से ओलंपिक का हिस्सा नहीं रहा है। इस निर्णय से भारत में IOC के प्रसारण अधिकारों के मूल्य में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसमें पुरुष और महिला दोनों टीमें गतिशील टी 20 प्रारूप खेल रही हैं।

फ़्लैग फ़ुटबॉल और बेसबॉल-सॉफ़्टबॉल से NFL और MLB खिलाड़ियों को ओलंपिक चरण में लाने की उम्मीद है। पूर्ण-संपर्क फ़ुटबॉल पहले 1932 के ओलंपिक में एक प्रदर्शन खेल था। लॉस एंजिल्स आयोजन समिति के अध्यक्ष केसी वासरमैन ने इन खेलों को 2028 लॉस एंजिल्स खेलों के लिए स्प्रिंगबोर्ड के रूप में काम करने की इच्छा व्यक्त की। लैक्रोस, जो पहले ओलंपिक में खेलता था लेकिन 1908 के बाद से नहीं, सिक्स-ए-साइड प्रारूप में वापसी करेगा, जबकि स्क्वैश ओलंपिक में पदार्पण करेगा। हालांकि अगले साल पेरिस ओलंपिक में पदार्पण के लिए तैयार ब्रेकडांसिंग ने 2028 के खेलों में स्थान सुरक्षित नहीं किया।

जितनी आमदनी, उससे कहीं अधिक संपत्ति ! कर्नाटक के डिप्टी सीएम शिवकुमार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची CBI

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले पर सुनवाई की है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) उनकी संपत्ति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उनसे जांच करना चाहती है। हालाँकि, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जाँच को अस्थायी रूप से रोक दिया था। इस फैसले को सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है। 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CBI ने दलील दी कि हाई कोर्ट का फैसला गलत जानकारी पर आधारित था। इसके बाद शीर्ष अदालत ने शिवकुमार और मामले से जुड़े अन्य लोगों से जवाब देने को कहा है। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे पक्ष को सुने बिना हाई कोर्ट के आदेश को तुरंत पलटने से इनकार कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट दूसरे पक्ष की दलीलें सुनने के बाद इस मामले की 'जांच होनी चाहिए या नहीं' इसपर फैसला देगी। 

बता दें कि, मामला डीके शिवकुमार के पास ऐसी संपत्ति होने के आरोपों के बारे में है, जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से काफी अधिक है। राज्य सरकार की अनुमति से CBI ने 2019 में इस मामले की जांच शुरू की थी। 2017 में आयकर छापे और उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के बाद जांच शुरू हुई। 2020 में, CBI ने शिवकुमार पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।

शिवकुमार ने इसे कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी और कोर्ट ने अस्थायी तौर पर सीबीआई की जांच रोक दी। अब, CBI इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले आई है, जिसने नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई के लिए तारीख तय की है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस बात पर गौर कर रहा है कि क्या कर्नाटक हाई कोर्ट की अस्थायी रोक के बावजूद डीके शिवकुमार के खिलाफ CBI अपनी जांच जारी रख सकती है।

महाराष्ट्र में तेज हुआ मराठा वर्सेस ओबीसी विवाद, बीजेपी और कांग्रेस की आज बड़ी बैठकें

डेस्क: महाराष्ट्र में ओबीसी बनाम मराठा आरक्षण विवाद बढ़ता ही जा रहा है। सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए कई बिअथ्कें कर चुकी है लेकिन मामला सुलझता हुआ नहीं दिख रहा है। वहीं मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने शनिवार को जालना जिले में एक रैली का आयोजन करते हुए शिंदे सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया था। इस रैली में उन्होंने ऐलान किया था कि 10 दिन बाद या तो विजय जुलूस निकलेगा या फिर मेरी अंतिम यात्रा।

 

अब इस अल्टीमेटम के 2 दिन बीत चुके हैं और केवल आठ दिन ही शेष हैं। मराठाओं को कुणबी मराठा का दर्जा देकर ओबीसी वर्ग में आरक्षण देने की मांग कर रहें मनोज जरांगे पाटिल के अल्टीमेटम के बाद ओबीसी वर्ग में हडकंप मच गया है। ओबीसी वर्ग का आरक्षण कोटा कम होने की आशंका के बाद सभी ओबीसी संगठन एकजुट होने लगे है। इसी क्रम में आज सोमवार को मुंबई में कांग्रेस और बीजेपी ने ओबीसी सेल की बैठक बुलाई है। 

आज मुंबई में बीजेपी कांग्रेस की बड़ी बैठक 

दोपहर 12 बजे महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय में नाना पटोले कांग्रेस ओबीसी सेल के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। वहीं मुंबई बीजेपी कार्यालय में आज 12 बजे महाराष्ट्र बीजेपी ओबीसी सेल की बैठक है। इस बैठक को प्रदेशअध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले संबोधित करेंगे। जहां केंद्र सरकार द्वारा ओबीसी वर्ग के विकास के लिए जो योजनाएं शुरु की गई है, उसके लाभार्थियों की संख्या महाराष्ट्र में कैसे बढ़ाए जाए इसपर चर्चा होगी। साथ ही में ओबीसी आरक्षण, मनोज जरांगे पाटिल के अल्टीमेटम पर भी इस बैठक में चर्चा होने की संभावना है।

बीजेपी पूरे महाराष्ट्र में ओबीसी जागर यात्रा निकाल रही 

बता दें कि बीजेपी पूरे महाराष्ट्र में ओबीसी जागर यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा का समापन दिसंबर महीने में होने वाला है। महाराष्ट्र बीजेपी इस बात की योजना बना रही है की जागर यात्रा के समापन के वक्त ओबीसी महाकुंभ का आयोजन किया जाए और इस महाकुंभ में बीजेपी के बड़े ओबीसी नेताओं को आमंत्रित किया जाए। इसके अलावा अलग-अलग ओबीसी संगठन भी एकजुट हो रहें है और आरक्षण को बचाने के लिए भव्य रैली निकालने पर विचार कर रहें है।