भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने किसान शंखनाद आंदोलन सभा को किया संबोधित, राज्य सरकार को दिया यह अल्टीमेटम
औरंगाबाद - भारतीय किसान यूनियन(भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बिहार सरकार को राज्य में मंडी सिस्टम को पुर्नबहाल करने और भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण का उचित मुआवजा तय करने को लेकर अल्टीमेटम दिया है।
टिकैत ने सोमवार को यहां के गांधी मैदान में किसान संघर्ष समिति द्वारा आयोजित किसान शंखनाद आंदोलन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 2006 में नीतीश कुमार ने बिहार में कृषि उत्पादन बाजार समितियों को खत्म कर राज्य में मंडी सिस्टम को समाप्त कर दिया। इससे किसानों के लिए उपज की बिक्री की व्यवस्था बाजार के हवाले हो गई और राज्य के किसान बर्बादी के कगार पर आ गए।
कहा कि जब हम 13 माह तक आंदोलन कर केंद्र सरकार को तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने पर मजबूर कर सकते है तो यहां के किसानों के सहयोग से राज्य में मंडी सिस्टम को पुर्नबहाल करने पर मजबूर कर ही दम लेंगे।
उन्होने कहा कि दीपावली के बाद और छठ के पहले वें फिर बिहार आएंगे। 40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा(एसकेएम) की मीटिंग पटना में ही होगी। मीटिंग में सूर्य नगरी(औरंगाबाद) में बिना उचित मुआवजा दिए भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण, मंडी व्यवस्था बहाल करने, जमीनों की सरकारी लूट पर रोक लगाने और राज्य सरकार द्वारा केंद्र को एमएसपी गारंटी कानून बनाने के लिए ज्ञापन देने को लेकर आंदोलन की रणनीति तय होगी और बड़ा आंदोलन होगा। एसकेएम की मीटिंग होगी तो राज्य में हलचल होगी।
राकेश टिकैत ने कहा कि इसके पहले वें राज्य सरकार को सीधा अल्टीमेटम देते है कि मुख्यमंत्री दिसंबर 2023 तक राज्य में मंडी व्यवस्था को फिर से बहाल करे अन्यथा नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री का चेहरा नही बनने देंगे। बिहार से बाहर नही निकलने देंगे। औरंगाबाद से लेकर पटना तक ऐसा आंदोलन करेंगे कि सर्दी के मौसम में भी गर्मी का अहसास होगा।
कहा कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और चरणवार होगा। पहले चरण में किसान अपने अपने जिले के डीएम को ज्ञापन देंगे। दूसरे चरण में तीन घंटे के लिए अपने अपने गांवों की सड़कों पर बैठेंगे। तीसरे चरण में चिन्हित हाइवे पर आंदोलन होगा। चौथे चरण में किसान जीटी रोड समेत सभी हाइवे पर ट्रैक्टर लेकर उतरेंगे। इसके बाद यह आंदोलन तबतक जारी रहेगा जबतक कि सरकार किसानों की सभी मांगे मांगें नही लेती। कहा कि नीतीश कुमार के साथ उनकी उठ बैठ होती है। इसके बावजूद किसानों के हक अधिकार को छीने जाने के शर्त पर उनसे कोई समझौता करने को तैयार नही है।
पंजाब में किसानों की उपज का 30 प्रतिशत एमएसपी पर खरीद होती है जबकि बिहार में मात्र तीन प्रतिशत खरीद होती है। हकीकत यह है कि बिहार से उपजा हुआ धान व्यापारियों के माध्यम से पंजाब जाता है और वहां सरकार को इसकी बिक्री किसानों के नाम पर की जाती है। कहा कि भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजा दर में भेदभाव है। इसके लिए आंदोलन नही हुआ है। आंदोलन हुआ तो किसानों को सही मुआवजा देना ही होगा।
वही सभा को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने राज्य सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में 18 साल से जिसके हाथ में सत्ता है, वह किसानों का गुनहगार है। कहा कि सरकार का भूमि अधिग्रहण का पैमाना गलत है। किसान जब अपने लिए छोटी जोत की जमीन खरीदता है तो सरकार उसकी रजिस्ट्री का चार्ज आवासीय दर पर करती है लेकिन किसी प्रोजेक्ट के लिए सरकार जब जमीन अधिग्रहण करती है तो उसी जमीन को कृषि भूमि मानती है। यह दोहरी नीति है।
सुधाकर सिंह ने कहा कि चौसा में आंदोलन हुआ तो 17 से बढ़ाकर 28 लाख प्रति हेक्टेयर के दर से मुआवजा मिला। यहां भी आंदोलन होगा तो नबीनगर से दोगुना दर पर मुआवजा मिलेगा। आंदोलन कीजिएं राकेश टिकैत आपके साथ है।नबीनगर किसान मोर्चा के अध्यक्ष रमा पाण्डेय, सहित कई नेता मौजूद थे।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Oct 09 2023, 19:33