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जातिगत गणना के रिपोर्ट पर बनारस वाला इश्क फेम के चर्चित लेखक प्रभात बांधुल्य की आई त्वरित प्रतिक्रिया, जानिए...

औरंगाबाद : 'बनारस वाला इश्क' फेम बिहार के चर्चित लेखक प्रभात बांधुल्य की त्वरित प्रतिक्रिया आई हैं। प्रतिक्रिया के लिए औरंगाबाद के रहने वाले इस लेखक ने कविता का सहारा लिया है। काव्य की शैली में लेखक ने व्यंग्यात्मक प्रतिक्रिया दी है।हालांकि प्रतिक्रिया के पहले उन्होने भूमिका भी बांधी है।

कविता के पहले लेखक ने बांधी तार्किक भूमिका-

भूमिका में लेखक ने कहा है कि जब जातीय गणना की बात आई थी तो मैंने कहा था कि दशरथ मांझी के इस राज्य में जात कोड की जरूरत नही, प्रेम के कोड की जरूरत है। मुहब्बत की जरूरत है। आपसी भाईचारें और प्रेम की जरूरत है और भव्य बिहार बनाने की जरूरत है। खैर, सरकार का अपना दलील है। आज जातीय आंकड़ा, जातीय गणना का आंकड़ा हम सभी के सामने आ चुका है। तो ऐसी स्थिति में जो मैं समझ पा रहा हूं, जातीय गणना के इस आंकड़ा से, आंकड़ा के सामने आ जाने से हमारा और आपका क्या बदलेगा। राजा को सबकुछ मिलेगा।

कविता के पहले अपनी ही कविता की भूमिका में लेखक ने की चर्चा-

कविता के पहले लेखक ने अपनी ही कविता की चर्चा भूमिका में की। कहा कि मेरी एक कविता है। दो लाइन है कि "नेताजी का बेटा लंदन पढ़ रहा है। लाठी ले के सोनुआं इहां लंठ बन रहा है।

पढ़े लेखक की जातीय गणना के आंकड़े के आने के बाद की यह कविता-

अपनी पुरानी कविता की दो लाइन कहने के बाद लेखक ने कहा है:, तो आम जन को क्या मिल रहा है। यहा मेरी एक कविता है-

"यहाँ एक राजा रहता है,

राजा की जात,

कुम्हार, लोहार, यादव,

कुर्मी, कायस्थ,

ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत नहीं है...

राजा की जात है "राजगद्दी"

वह राजा था और रहेगा

हर जाति का अपना एक राजा है

जिसने अपने लिए महल बनवाए..

चार-पाँच बड़े मॉल

कुछ पेट्रोल-पम्प,

कुछ शहरों में अपना फार्म हाउस

देश और राज्य की राजधानी में अपना रंगीन ठिकाना!!

राजा का बेटा "राज कुँवर" अब तैयार है,

तुम किसी भी जात के हो,

तुम भी तैयार रहो

ताली बजाने के लिए

झंडा उठाने के लिए

और नारा लगाने के लिए

खूब ज़ोर से "राजगद्दी ज़िंदाबाद"

कविता के बाद निष्कर्ष की भी चर्चा-

लेखक ने कविता के बाद निष्कर्ष पर भी चर्चा की। कहा कि मेरा कहना है कि जो भी आंकड़ा आ जाएं, जातिगत आंकड़ें आ जाएं, आर्थिक सर्वेक्षण कर लिया जाए, लेकिन सत्ता के इर्द गिर्द वही राजा नजर आएगा। अब हर

जात में एक राजा है, जो पूंजीपति है, बाहुबलि है और वही राजा आपको सत्ता के केंद्र में नजर आएगा और आम जनमानस सोनुआं जैसे लोग सिर्फ ताली बजा सकते है, लाठी उठा सकते है, नारा लगा सकते है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

बिहार सरकार की ओर से जारी जाति जनगणना की रिपोर्ट पर सियासत जारी, बीजेपी ने विपक्ष पर लगाया यह गंभीर आरोप

औरंगाबाद: बिहार सरकार की ओर से जारी जाति जनगणना की रिपोर्ट पर सियासत जारी है।इस सियासी विवाद के बीच भाजपा नेता आदित्य श्रीवास्तव ने प्रेस बयान जारी करते हुए विपक्ष पर देश को जाति के नाम पर बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने जनगणना की रिपोर्ट और किसी पार्टी का नाम लिए बगैर विपक्ष पर गरीबों की भावनाओं के साथ खेलने का आरोप लगाया है।

आदित्य श्रीवास्तव ने कहा- वे तब भी गरीबों की भावनाओं से खेलते थे और आज भी वही खेल खेल रहे हैं। पहले उन्होंने देश को जाति के नाम पर बांटा... आज भी वही पाप कर रहे हैं।

पहले भ्रष्टाचार किया, आज इसमें और डूबे गए हैं। नीतीश कुमार अपनी सत्ता के सुख के लिए समाज को जाति समीकरण में बाट कर तोड़ना चाहते हैं। जातीय जनगणना कर के समाज में उन्माद फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।

बिहार की गिरती शिक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य व्यवस्था और बिहार मे बढ़ते अपराध पर लगाम लगाना चाहिए। बिहार में बड़े-बड़े उद्योग लगाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जिससे बिहार के युवाओं को रोजगार मिल सके दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत ना हो।

जदयू जातीय समीकरण की राजनीति कर के जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।

कांग्रेस ने वादा किया है कि यदि वह देश की सत्ता में लौटती है तो जाति आधारित जनगणना कराएगी। राहुल गांधी लगातार जाति जनगणना की जरूरत बता रहे हैं।

उन्होंने हाल ही में कहा था कि सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस सबसे पहले जाति-आधारित जनगणना कराएगी। जाति के आधार पर समाज में विभाजन के प्रयास को 'पाप' करार दिया।

उन्होंने कहा- कुछ लोगों को देश की प्रगति और विकास से नफरत है। वो तब भी जात-पात के नाम पर समाज को बांटते थे, आज भी यही पाप कर रहे हैं। वो तब भी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे रहते थे, आज तो एक से बढ़कर एक घोर भ्रष्टाचारी हो गए हैं। वो पहले एक परिवार का गौरव गान करते थे, आज भी वही कर रहे हैं।

ये केवल अपना भविष्य देखते हैं इसलिए उनको देश का गौरव गान पसंद नहीं आता है,जिनके पास सोच नहीं वे विकास नहीं कर सकते हैं। उनके (विपक्ष के) पास कोई सोच या 'रोडमैप' नहीं है। भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में देश की प्रगति उनको (विपक्ष) अच्छी नहीं लगती है। उनको (विपक्ष) वैश्विक मंचों पर देश की प्रशंसा पसंद नहीं है।

मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया भारत का गौरव गान कर रही है। मौजूदा वक्त में दुनिया को भारत में भविष्य नजर आता है, लेकिन वे (विपक्ष) राजनीति में इस कदर उलझे हैं कि कुर्सी के सिवाय उनको कुछ नजर नहीं आता है। उन्हें (विपक्ष) हिंदुस्तान का डंका बजना भी नहीं अच्छा लगता है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

सनातन धर्म शास्त्रों में पित्तरों को मोक्ष दिलाने के लिए पितृपक्ष में पिंडदान किए जाने धार्मिक विधान की सदियों से चली आ रही परंपरा

औरंगाबाद: सनातन धर्म शास्त्रों में पित्तरों को मोक्ष दिलाने के लिए पितृपक्ष में पिंडदान किए जाने का धार्मिक विधान सदियों से चला आ रहा है। इसी धार्मिक विधान के तहत श्रद्धालु पित्तरों को मोक्ष दिलाने के लिए पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान किया करते है। 

पुनपुन नदी में पित्तरों को प्रथम पिंड देने के बाद ही श्रद्धालु मोक्षदायिनी अंतर्राष्ट्रीय धर्म नगरी गया जाकर श्राद्ध तर्पण का कर्मकांड विधि विधान से पूरा किया करते है। 

इसी वजह से पुराणों में पुनपुन नदी को गया श्राद्ध का प्रवेश द्वार कहा गया है। यह भी कहा गया है कि पुनपुन नदी में पित्तरों को प्रथम पिंड दिए बिना गयाजी में पूरक विधान से कराया गया पितृ तर्पण अपूर्ण रह जाता है और पित्तरों को भी वह स्वीकार नही होता है। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि गया श्राद्ध करने के पहले हरहाल में पुनपुन में पित्तरो को प्रथम पिंडदान करना अनिवार्य है। यह अनिवार्यता भी सदियों से चली आ रही है।

बात त्रेतायुग की है। अयोध्या के राजकुमार श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास दे दिया गया था। श्रीराम के वनवास के दौरान ही पुत्र वियोग में राजा दशरथ की मृत्यु हो गई। इसकी सूचना श्रीराम को आकाशवाणी से मिली। पिता की मौत की सूचना के बाद वनवासी जीवन जी रहे श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता से इच्छा जाहिर किया कि उन्हे अपने पिता राजा दशरथ की आत्मा की शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए ब्रह्माजी के आशीर्वाद से उत्पन्न हुई पुनपुन नदी में पिंडदान करना है। तब प्रभु श्रीराम ने पुनपुन नदी के तट पर आकर अपने पिता राजा दशरथ का सर्वप्रथम पिंडदान किया था। इसके बाद दूसरा पिंडदान माता सीता ने गया में किया था। हालांकि सनातन धर्म में पिता को पुत्र के हाथों ही पिंडदान का विधान है। इसके बावजूद गया में सीता द्वारा बहु की हैसियत से अपने ससुर महाराज दशरथ के लिए पिंडदान किया जाना परिस्थितिजन्य रहा है, जिसकी चर्चा वाल्मिकी रामायण में है। 

वाल्मिकी रामायण में जिक्र है कि सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था और उनकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। कहा गया है कि प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ पितृपक्ष के दौरान पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने गया पहुंचे थे। इस बीच श्राद्ध की जरूरी सामग्री जुटाने के लिए भगवान राम और लक्ष्मण नगर की ओर चले गए। इसी दौरान माता सीता ने दशरथ का पिंडदान किया था। एक पौराणिक कहानी के मुताबिक राजा दशरथ की मौत के बाद भरत और शत्रुघ्न ने अंतिम संस्कार की हर विधि को पूरा किया था लेकिन राजा दशरथ को सबसे ज्यादा प्यार अपने बड़े बेटे राम से था। इसलिए अंतिम संस्कार के बाद उनकी चिता की बची हुई राख उड़ते-उड़ते गया में नदी के पास पहुंची। 

इसी राख में माता सीता को राजा दशरथ के दर्शन हुए। उन्होंने सीता से कहा कि वे स्‍वयं उन्ही के हाथों अपने लिए पिंडदान करवाना चाहते हैं। राजा दशरथ की इस इच्‍छा को पूरा करने के लिए माता सीता ने फल्गु नदी, वटवृक्ष, केतकी फूल और गाय को साक्षी मानकर बालू का पिंड बनाया और अपने पिता समान ससुर राजा दशरथ का पिंडदान कर दिया। इससे राजा दशरथ अत्‍यंत प्रसन्‍न हुए और उन्‍हें आशीष देकर मोक्ष को प्राप्‍त हो गए। 

गरूड़ पुराण में कहा गया है कि पितरों को मोक्ष दिलाने के निमित्त किया जाने वाला श्राद्ध पूर्वजों के प्रति श्रद्धा है। पूर्वज आपके भोजन के नहीं बल्कि श्रद्धाभाव के भूखे हैं। शास्‍त्रों में श्राद्ध का पहला अधिकार पुत्र को दिया गया है लेकिन जिस परिवार में कोई पुत्र नहीं है, उस परिवार की कन्‍या पित्तरों के श्राद्ध को अगर श्रद्धापूर्वक करती है और उनके निमित्त पिंडदान करती है तो पित्तर उसे स्वीकार कर लेते हैं। इसके अलावा पुत्र की अनुपस्थिति में बहू या पत्नी को भी श्राद्ध करने का अधिकार है। इसी अधिकार से माता सीता ने अपने ससुर का पिंडदान परिस्थितिवश किया था।

गरूड़ पुराण में कहा गया है कि प्राचीन काल में कीकट(मगध) प्रदेश के दक्षिण भाग(वर्तमान झारखंड) के पलामू जंगल में सनक, सनन्दन, सनातन, कपिल और पंचषिख ऋषि घोर तपस्या कर रहे थें। तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हूए। ऋषियों ने ब्रह्माजी का चरण धोने के लिए पानी खोजा। पानी नही मिलनें पर ऋषियों ने अपने स्वेद्(यानी अपने शरीर का निकला हुआ पसीना) जमा किया। जब पसीना कमंडल में रखा जाता तब कमंडल उलट जाता था। 

इस तरह बार-बार कमंडल उलटने से ब्रह्मा जी के मुंह से अनायास निकल गया पुनः पुना। इसके बाद वहां से अजस्र जल की धारा निकली। इसी से ऋषियों ने नाम रख दिया पुनः पुना, जो अब पुनपुन के नाम से मशहूर है। उसी समय ब्रह्माजी ने कहा था कि इस नदी के तट पर जो पिंडदान करेगा, वह अपने पूवजों को स्वर्ग पहुंचाएगा। ब्रह्माजी ने पुनपुन नदी के बारे में कहा था कि ‘‘पुनःपुना सर्व नदीषु पुण्या, सदावह स्वच्छ जला शुभ प्रदा’’। इसके बाद से ही पितृपक्ष में पुनपुन नदी के तट पर ही प्रथम पिंडदान का विधान सदियों से चला आ रहा है।  

झारखंड की सीमा पर पुराणों में पुनपुन नदी को आदि गंगा कहा गया है। मान्यता हैं कि यह पवित्र गंगा नदी से भी प्राचीन है। इसका वर्णन पुराणों में-"आदि गंगा पुनै-पुनै ......." के रूप में मिलता है, जो इसे गंगा से भी प्राचीन होने को बल प्रदान करता है। यह आदि गंगा यानि पुनपुन नदी औरंगाबाद से ही निकली है और बिहार की राजधानी पटना के पास गंगा इस नदी से जा मिली है। गंगा बड़ी नदी है। 

इस कारण वहां से पुनपुन को गंगा अपने आगोश में समेट लेती है। वहां से इस नदी का अस्तित्व समाप्त हो जाता है और गंगा की अविरल धारा आगे की ओर बढ़ जाती है। औरंगाबाद में पुनपुन नदी का उद्गम स्थल झारखंड की सीमा पर नबीनगर के टंडवा के इलाके में जंगलों में अवस्थित है। अब चूंकि पुनपुन नदी औरंगाबाद में अवस्थित है तो यह स्वाभाविक है कि पितृपक्ष में पितृ तर्प विधान के अनुसार पित्तरो को प्रथम पिंड देने के लिए लोगो को पुनपुन नदी के घाटों की शरण लेनी होगी।

 इसी वजह से लोग पितृ पक्ष में औरंगाबाद से लेकर पटना तक जहां-जहां से होकर पुनपुन नदी गुजरी है, वहां गया श्राद्ध के लिए पितृ तर्पण की प्रथम वेदी पुनपुन नदी में अपनी सुविधा के अनुरूप घाटों पर पित्तरो को प्रथम पिंडदान कर ही गया की पिंडदान वेदियों की ओर रुख करते है। अयोध्या-गया का पौराणिक जंगली रास्ते के बीच औरंगाबाद से ही पुनपुन नदी गुजरी है। इस कारण पिता का श्राद्ध करने जाने गया के दौरान पितृ तर्पण के लिए श्रीराम का औरंगाबाद से होकर गुजरना तथा यहां अपने पिता राजा दशरथ को पुनपुन नदी में प्रथम पिंड देना, तथ्यामक और तार्किक रूप से समीचीन प्रतीत होता है। 

हालांकि राम की पत्नी सीता द्वारा परिस्थितिवश राजा दशरथ को पिंडदान किए जाने का वर्णन वाल्मिकी रामायण में मिलता है लेकिन श्रीराम द्वारा पुनपुन नदी में पिता को प्रथम पिंडदान करना इतिहास का ओझल पहलु है। 

यह पहलु परिस्थितिजन्यता और पितृ तर्पण विधान में गया श्राद्ध के पहले पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान के प्रावधान के रूप में उजागर होता है। तार्किक रूप से यह स्थापित है कि पुनपुन नदी में जम्होर के घाट पर ही श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ को प्रथम पिंडदान किया था। इसके बाद ही गया जाकर श्राद्ध तर्पण का विधान संपन्न किया था। गया में सीता द्वारा पिंडदान किया जाना वाल्मिकी रामायण में वर्णित है। वही पितृ तर्पण विधान में गया श्राद्ध के पूर्व पुनपुन नदी में प्रथम पिंडदान की अनिवार्यता है। 

चूंकि वनवास के दौरान श्रीराम बक्सर के जंगल से होकर ही पिता का श्राद्ध करने गया गए थे और पुनपुन नदी का जम्होर घाट इसी रास्ते के बीच पड़ता है। इस स्थिति में विधान के अनुरूप श्रीराम द्वारा जम्होर में पुनपुन नदी के घाट पर पिता को प्रथम पिंडदान करना सत्य के करीब प्रतीत होता है।

पितृपक्ष में जम्होर के पुनपुन नदी घाट पर पिंडदान और श्राद्ध तर्पण कराने के काम में लगे पंडित कुंदन पाठक कहते है कि उनके पूर्वज उन्हे बताते थे कि जहां पर बाहर से आनेवाले पिंड़दानियों के ठहरने के लिए कोलकात्ता के सेठ सुरजमल बड़जात्या द्वारा बनवाएं गए धर्मशाला के सामने स्थित पुनपुन नदी के घाट का दो हिस्सा राम घाट और सीता घाट के नाम से जाना जाता रहा है। राम ने इसी स्थान पर राजा दशरथ को विधान के अनुसार प्रथम पिंडदान किया था। पिंडदान के पहले राम और सीता ने अगल बगल ही दो घाटों पर स्नान किया था। 

इसी वजह से दोनो घाट आज भी राम घाट और सीता घाट के नाम से जाने जाते है। 1976 के प्रलयंकारी बाढ़ के पहले तक पित्तरों को प्रथम पिंडदान करने आने वाले श्रद्धालु इसी प्राचीन राम घाट और सीता घाट पर पिंडदान किया करते थे। उस वक्त तक यहां पत्थर के दो पक्के घाट बने हुए थे, जो प्रलयंकारी बाढ़ में बह गए लेकिन उसके अवशेष आज भी वहां मौजूद है। 

बारिश और बाढ़ का समय होने के कारण वे अवशेष बरसात के दिनों में नदी के पानी में ही ड़ूबे होते है लेकिन बरसात का मौसम खत्म होते और पानी कम होते ही ये अवशेष दिखने लगते है। 

राम घाट और सीता घाट के बाढ़ में बह जाने के बाद से यहां बने वैकल्पिक घाट पर ही पिंडदानी पित्तरों को प्रथम पिंड दिया करते है। साथ ही राम द्वारा अपने पिता को यही पिंड दिए जाने की बात जानने पर उस राम घाट और सीता घाट की भी खोज करते है।

बजरंग दल की शौर्य जागरण यात्रा का औरंगाबाद जिले में हुआ भव्य स्वागत

औरंगाबाद: बजरंग दल की शौर्य जागरण यात्रा का औरंगाबाद जिले में भव्य स्वागत हुआ। यात्रा ने दाउदनगर से जिले में प्रवेश किया। इसके बाद यात्रा ओबरा से होती हुई औरंगाबाद जिला मुख्यालय पहुंची। यात्रा में शामिल विहिप- बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और साधु संतों ने रास्ते में पड़ने वाले मंदिरों में पूजा अर्चना की। 

इस दौरान यात्रा का जगह जगह स्वागत किया गया। यात्रा के यहां पहुंचने पर आयोजित प्रेसवार्ता में विश्व हिंदु परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री आनंद कुमार ने हिंदुत्व एकता पर जोर दिया। 

कहा कि यात्रा का उद्देश्य लव जिहाद लैंड जिहाद और अलगाववाद को समाप्त करना और हर व्यक्ति में रामत्व जगाना है। उन्होने हिन्दू समाज के संस्कार, आदर्शो के पालन एवं संस्कृति और मानबिंदुओ की रक्षा के लिए अपील की। 

हिन्दू समाज की वर्तमान स्थिति, समाज पर हो रहे लव जेहाद, धर्मांतरण जैसी गतिविधियों से धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा के प्रति जागरुकता की आवश्यकता जताई। प्रेसवार्ता में अधिवक्ता सिद्धेश्वर विद्यार्थी, एवं आदित्य श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।

जिला विधिक सेवा प्राधिकार औरंगाबाद के अन्तर्गत मुफ्त कानूनी बचाव पक्ष सहायता प्रणाली का हुआ उद्घाटन

          

     

औरंगाबाद: राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार, औरंगाबाद वैसे लोगों जो अत्यन्त ही गरीब वंचित, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला इत्यादि जो विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के धारा 12 के अधीन आते हैं, उन्हें उनके वादों में सशक्त एवं बेहतरीन बचाव हेतु एक नई प्रणाली की शुरूआत किया गया है जिसका ई-उद्घाटन माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  सह बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के मुख्य संरक्षक के0 बिनोद चन्द्रा के द्वारा किया गया। इस अवसर पर माननीय बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री चक्रधारी शरण सिह द्वारा इसके उद्देष्यों पर विशेष प्रकाश डाला गया। 

इस अवसर पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार अध्यक्ष श्री सम्पूर्णानन्द तिवारी, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय श्री पुनीत कुमार गर्ग, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री प्रणव शंकर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुश्री मितु सिंह, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव श्री सुकुल राम मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी श्री आनन्द भूषण, अनुमण्डलीय न्यायिक दण्डाधिकारी श्री योगेश मिश्रा, न्यायकर्ता, श्रीमती शोभा सहित जिला विधि संघ के अध्यक्ष श्री रसिक बिहारी सिंह, महासचिव, श्री नागेन्द्र सिंह, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष श्री संजय कुमार सिंह के साथ साथ कई पैनल अधिवक्ता तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सभी कर्मी उपस्थित रहें।  

जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री सम्पूर्णानन्द तिवारी द्वारा इस अवसर पर बताया गया कि मुख्य विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता उप विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता एवं सहायक विधिक सहायता बचाव अधिवक्ता द्वारा बचाव पक्ष की ओर से अब सशक्त तरीके से उनकी बात को न्यायालय के समक्ष रखेंगें और उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक बचाव की मुफ्त कानूनी सहायता इस प्रणाली के अन्तर्गत प्रदान होगी, जो विधिक सेवा प्राधिकार के अन्तर्गत उपलब्ध वादों में न्यायालय के समक्ष अपना सश क्त रूप से पक्ष रखेंगें साथ ही सम्बन्धित के वाद में हर स्तर पर कार्यवाही एवं निगरानी रखेंगें।

औरंगाबाद: चेक बाउंस मामले में फरार वारंटी को अम्बा पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल

औरंगाबाद: अंबा थाना पुलिस ने लंबे समय से फरार चल रहे एक वारंटी को गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया वारंटी दिलीप सिंह थाना क्षेत्र के बलिया गांव का रहने वाला है।

 पुलिस ने उक्त कार्रवाई गुप्त सूचना के आधार पर उसके घर पर छापेमारी कर की है। थानाध्यक्ष रमेश कुमार सिंह ने बताया कि चेक बाउंस मामले में उसके विरुद्ध औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय से वारंट निर्गत था। 

कई बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद भी वह कोर्ट के समक्ष हाजिर नहीं हो रहा था। इसके बाद गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार किया गया है।

डायन बिसाही का आरोप लगाकर एक महिला की लाठी-डंडे से बेरहमी से पिटाई

औरंगाबाद: मदनपुर प्रखंड में सलैया थाना के एक गांव में डायन बिसाही का आरोप लगाकर एक महिला को लाठी-डंडे से बेरहमी पीट कर लहुलुहान कर देने का मामला प्रकाश में आया है। पीड़िता की हालत गंभीर बनी हुई है। उसका औरंगाबाद सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है। 

पीड़िता का आरोप पड़ोसी ने डायन बिसाही का आरोप लगाकर बेरहमी से पीटा

पीड़िता ने बताया कि उसी के गांव में पड़ोसी अवधेश पासवान के बेटे की तबीयत खराब थी। उसका इलाज भी चल रहा है। उसके घर में जब किसी की तबीयत खराब होती है, तो वह मुझ पर आरोप लगाता है कि तुम डायन हो, तुम्ही ने कुछ कर दिया है। वह हर बार चेतावनी देती थी कि मुझे डायन कहना बंद करो। इस बार जब उसके बेटे की तबीयत खराब हुई तो उसने फिर से डायन हाेने का आरोप लगाया।

 कहा कि तुमने ही 'जोग टोटमा' कर मेरें बेटें को बीमार करा दिया है। कहा कि पिछले महीने तुम्हारे ही जादू टोना करने से पत्नी की तबीयत खराब डुई थी। अवधेश के आरोपों पर आपत्ति जताते हुए जब मैंने विरोध किया तो उसने लाठी-डंडे से मुझे निर्दयतापूर्वक लाठी-डंडें से जमकर पिटाई कर दी।

सदर अस्पताल में चल रहा पीड़िता का इलाज

लाठी-डंडे से की गई बेरहम पिटाई से महिला गंभीर रूप से घायल हो गई है। परिजनों ने पीड़िता को इलाज के लिए औरंगाबाद सदर अस्पताल में भर्ती कराया है।

 इलाज के बाद पीड़िता की हालत खतरे से बाहर बताई जाती है।  पीड़िता ने बताया कि सोमवार को वह अकेले ही अपने खेत की ओर जा रही थी। इसी दौरान डायन बिसाही का आरोप लगाया। इसे लेकर उसकी अवधेश से कहासुनी हो गई। 

बात इतनी बढ़ गई कि उसने लाठी-डंडे से जमकर पिटाई कर दी।महिला ने बताया कि अवधेश के आरोपों पर उसने सफाई भी दी। उसने यहां तक कहा कि अगर आरोप साबित हो जाता है, तो वह सजा भुगतने को भी तैयार है। इसके बाद भी उसकी नहीं सुनी गई और लाठी-डंडे से जमकर पिटाई कर दी गई। इस दौरान पीड़िता की ननद ने भाभी को पिटते देख शोर मचाया। शोर सुनकर पास में मौजूद ग्रामीणों ने बीच बचाव कर उसकी जान बचाई।     

 परिजनों ने की सलैया थाना में शिकायत

घटना के बाद परिजन घायल महिला को लेकर सबसे पहले सलैया थाना पहुंचे। थाना में मौजूद पुलिसकर्मियों ने पहले इलाज कराने की बात कही। इसके बाद परिजन गंभीर हालत में इलाज के लिए औरंगाबाद लाकर सदर अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में महिला का इलाज चल रहा है और उसकी हालत खतरे से बाहर बताई जाती है।  

पीड़िता ने सलैया थानाध्यक्ष से की शिकायत-

मामले में पूछे जाने पर सलैया थानाध्यक्ष वेंकटेश्वर ओझा ने बताया कि पीडिता की ओर अभी तक किसी तरह का शिकायत आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। आवेदन मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

औरंगाबाद: बेटे के इलाज के लिए ओपीडी स्लिप कटाने सदर अस्पताल में लाईन में लगी थी मां, जेबकतरें ने काट लिया पर्स

औरंगाबाद: सदर अस्पताल में सोमवार को दोपहर जेबकतरों ने बेटे का इलाज कराने आई एक मां का पर्स उड़ा लिया। 

बताया जाता है कि पीड़िता सदर अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड के पास स्थित काउंटर पर ओपीडी स्लिप कटाने के लिए कतार में खड़ी थी। इसी दौरान जेबकतरें ने उसका पर्स उड़ा लिया। 

पीड़िता गायत्री देवी औरंगाबाद नगर थाना क्षेत्र के तेंदुआ दान गांव निवासी शंभू यादव की पत्नी है। महिला ने बताया कि उसके दो बेटे है। बड़े बेटे चीकू(4) की तबीयत खराब थी। वह बुखार से तप रहा है। वह बेटे को लेकर इलाज कराने सदर अस्पताल आई। 

गांधी जयंती के कारण सदर अस्पताल का पेशेंट रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद था। इस वजह से मरीजों का ओपीडी स्लिप इमर्जेंसी वार्ड में ही कट रहा था। वह दोनों बच्चों को लेकर ओपीडी स्लिप कटवाने के लिए लाइन में खड़ी थी।

 इसी दौरान किसी जेबकतरें ने हाथ में ले रखे पॉलीथिन थैले में ब्लेड मारकर उसमें रखा पर्स उड़ा लिया। पर्स कटने की जानकारी उसे तत्काल हो गई, लेकिन तबतक जेबकतरा मौके से फरार हो गया था। पीड़िता ने बताया कि पर्स में सोने की जिउतिया एवं दो हजार रुपयें रखे थे। अब उसके पास बच्चें की दवा खरीदने और घर जाने के लिए भी पैसे नहीं है। 

महिला के पास बेटे के लिए दवा खरीदने और घर जाने तक के लिए पैसे नही होने की बात सुनकर वहां पर मौजूद एक सहृदय इंसान ने उसकी मदद की। बेटे की दवा खरीदने और उसे घर जाने के किराया के लिए पैसे दिए।

 पीड़िता ने मामले की शिकायत औरंगाबाद नगर थाना में की है। नगर थानाध्यक्ष पंकज कुमार सैनी ने कहा कि पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। दवा खरीदने और थाना में शिकायत करने के बाद महिला घर लौट गई है।

भीषण सड़क हादसें में आरएलजेडी के वरीय नेता व गोह के पूर्व विधायक डॉ. रणविजय कुमार घायल

औरंगाबाद()। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल(आरएलजेडी) के वरीय नेता व औरंगाबाद के गोह के पूर्व विधायक डॉ. रणविजय कुमार भीषण सड़क हादसे में घायल हो गए है।

वें बाल बाल बचें है। उन्हे साधारण चोटें आई है। उनका गया के निजी अस्पताल में इलाज कराया गया है। दुर्घटना गया में ही घटी है। घटना रविवार को देर रात की है।

गया से विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व विधायक अपनी कार में सवार थे। इसी दौरान उनके वाहन के सामने एक बाइकर आ गया। चालक द्वारा बाइक सवार को बचाने के चक्कर में वाहन सड़क के डिवाइडर से जा टकराया। टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि कार के दाहिने साइड के टायर का एक्सेल अलग हो गया।

दुर्घटना में वाहन का दाहिना साइड क्षतिग्रस्त हुआ है। वही पूर्व विधायक घायल हो गए। वें बाल बाल बचें है। उन्हे साधारण लेकिन अंदरूनी चोटें आई है। उनका गया के एक निजी अस्पताल में इलाज कराया गया है। इलाज के बाद उनकी हालत अभी ठीक है

बिहार के सभी वार्ड आगामी 3 अक्टूबर तक सरकारी कार्य में नहीं लेंगे भाग

वार्ड सदस्य महासंघ बिहार प्रदेश के आहवान पर बिहार के सभी वार्ड आगामी 3 अक्टूबर तक सरकारी कार्य में भाग नहीं लेंगे। 

यह निर्णय रविवार को शहर के दानी बिगहा में आयोजित बैठक के दौरान वार्ड सदस्य संघ ने ली। जिलाध्यक्ष अभय पासवान ने कहा कि 3 अक्टूबर को जिला मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना कार्यक्रम आयोजित है। वार्ड सदस्यों के हक और अधिकार में कटौती किया गया है। सात निश्चय पार्ट टू में वार्ड सदस्यों को शामिल नहीं किया गया है। मुखिया एवं पंचायत स्तर से लेकर जिलास्तर के पदाधकारी योजना क्रियान्वयन में मनमानी कर रहे हैं।

सरकारी पैसे को मुखिया एवं पदाधिकारी मिलकर लूट रहे हैं। बैठक में महाधरना कार्यक्रम को सफल बनाने पर जोर दिया गया। इस मौके पर प्रमंडल अध्यक्ष अजय कुमार सिंह, अरविंद सिंह, विजय सिंह, युगल किशोर सिंह, नीतीश कुमार, रौशन कुमार, संतोष कुमार, हरेद्र कुमार, पप्पू शर्मा, धीरेन्द्र सिंह, ज्योति प्रकाश, मेघनाथ, अमित, मुकेश, राजू, शंकर साव सहित अन्य मौजूद रहे।