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जम्मू कश्मीर से क्यों हटाया अनुच्छेद 370 , पढ़िए, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या क्या तर्क रखे

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए अनुच्छेद 370 को खत्म करना जरूरी था। सरकार ने कहा कि इसकी (अनुच्छेद-370) वजह से जम्मू कश्मीर के लोग केंद्र की योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे जो देश के अन्य हिस्सों के नागरिकों को मिल रहा था।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष 10वें दिन की सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र द्वारा अनुच्छेद-370 खत्म करने को सही ठहराते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह दलील दी। उन्होंने पीठ से कहा कि अनुच्छेद-370 खत्म करके जम्मू-कश्मीर के लोगों को देश के बाकी हिस्सों के लोगों की तरह मौलिक और अन्य अधिकारों और विशेषाधिकारों का आनंद लेने की अनुमति दी है। संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अलावा, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल हैं।

लोगों को नहीं मिल रहा था सरकारी लाभ

एसजी तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि यह कई मायनों में ऐतिहासिक मामला है। उन्होंने कहा कि यह अदालत 75 वर्षों में पहली बार जम्मू-कश्मीर के लोगों को दिए गए विशेषाधिकारों के मामले पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत यह भी परखेगी कि कैसे अनुच्छेद-370 की वजह से घाटी तक पहुंचने वाली केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने से लोग वंचित हो रहे थे। एसजी ने कहा कि भारत के एक वर्ग को उन अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता जो दूसरों को प्राप्त हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसकी वजह से जम्मू कश्मीर में एक मनोवैज्ञानिक द्वंद्व व्याप्त था जो इसके (अनुच्छेद-370) के निरस्तीकरण से समाप्त हो गया है।

मिलेंगे मौलिक अधिकार

एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अब जम्मू-कश्मीर के लोगों को बड़ी संख्या में मौलिक अधिकार और अन्य अधिकार प्रदान किए जाएंगे और वे देश के अन्य हिस्सों में रह रहे लोगों (भाइयों और बहनों) के बराबर होंगे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 अस्थायी है या नहीं, इस पर चल रहे भ्रम के कारण, जम्मू-कश्मीर के निवासियों के मन में मनोवैज्ञानिक द्वंद्व था और इसे भारत के हितों से दूर रखा गया था। उन्होंने दलील को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अब तक इस कोर्ट को कई तथ्यों से अवगत नहीं कराया गया है, मैं आपको उन तथ्यों को दिखाऊंगा जो संविधान पीठ के समक्ष नहीं रखा गया है।

विलय के साथ ही खत्म हो जाती है संप्रभुता

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान पीठ से कहा कि जिस वक्त विलय पूरा होता है तो उसी क्षण संप्रभुता खो जाती है और संप्रभुता बड़े संप्रभु के अधीन हो जाती है। उन्होंने कहा कि ऐसा जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय के साथ भी हुआ। शीर्ष न्यायालय को बताया कि भारत में विलय के साथ ही, जम्मू कश्मीर की संप्रभुता, भारत की संप्रभुता के अधीन हो गई। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि ‘विलय का महत्व क्या है? कृपया 1935 अधिनियम की धारा-5 के प्रावधान को देंखे, यह महत्वपूर्ण है। विलय का परिणाम महासंघ में एकजुट होना था। इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि ‘यह संप्रभुता खोने का पहला कदम है।’ इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने अगला सवाल किया कि ‘लेकिन उन्होंने (याचिकाकर्ताओं के वकील) तर्क दिया है कि संप्रभुता का आंतरिक और बाहरी पहलू होता है और बाहरी पहलू खो गया है लेकिन आंतरिक पहलू नहीं।’ इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसको लेकर हम सचेत हैं और हम इसका समाधान करेंगे, इस बारे में पक्ष रखेंगे।

जम्मू-कश्मीर को शुरू से ही विशेष दर्जा प्राप्त था, यह अवधारणा गलत

एसजी तुषार मेहता ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि ‘यह अवधारणा पूरी तरह से गलत है कि जम्मू-कश्मीर को शुरू से ही विशेष दर्जा प्राप्त था। उन दिनों के प्रख्यात वकील रियासतों को अपना संविधान बनाने में मदद करने में शामिल थे। उन्होंने पीठ से कहा कि विलय के समझौते का मसौदा सभी राज्यों के लिए समान था और यह परिग्रहण दस्तावेज उन सभी राज्यों के लिए समान था, जो इसमें शामिल हुए थे।’ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को यह भी बताया कि ये सभी राज्य जो भारत का हिस्सा बन गए और विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, उनके कुछ अलग शब्द थे जैसे कर राज्य के पास होंगे आदि समय के साथ बदल गए और एक संघीय इकाई बन गए। ये राज्य स्वेच्छा से संविधान निर्माण की प्रक्रिया में शामिल हुए। पंडित नेहरू ने स्पष्ट कर दिया था कि हम राजाओं के दैवीय अधिकार स्वीकार नहीं करेंगे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल का जिक्र

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष कोर्ट को तारीखों की सूची के माध्यम से अदालत को बताया कि प्रत्येक रियासत को अनुच्छेद-1 के साथ विलय के दस्तावेजों में अपने नियम और शर्तें डालने की अनुमति दी गई थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि ‘यह इन रियासतों को आत्मविश्वास की भावना देने के लिए था ताकि वे कुछ विषयों को अपने पास रख सकें या संघीय विधायिका के पास अपना सकें। इसके पीछे का इरादा यह था कि राज्यों का भारत में विलय हो जाए। कृपया हमें दिखाएं कि क्या विलय पत्र का कोई मसौदा था और इसे किसने तैयार किया था।’ इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जो प्रावधान अस्थायी था, वह 75 वर्षों से अधिक समय से लागू है। जिन्ना ने कश्मीर समस्या पर चर्चा के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू को पाकिस्तान बुलाया गया था। लॉर्ड माउंटबेटन, नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल को गांधी जी से मिलने के लिए बिड़ला हाउस बुलाया गया क्योंकि सरदार पटेल जिन्ना से मिलने जाने के खिलाफ थे, जबकि लॉर्ड माउंटबेटन इच्छुक थे। बाद में पता चला कि चूंकि नेहरू को तेज बुखार था, इसलिए वे नहीं जा सकते और इसलिए केवल माउंटबेटन को जाना पड़ा। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कभी-कभी तेज बुखार चढ़ना भी कूटनीति का काम है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने भी कहा कि बेशक यह इस मामले में था।

जान बचाने को अंग काटे जा सकते हैं, अंग बचाने को जान नहीं दी जाती : एजी

जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 के खत्म किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर केंद्र की ओर से बहस की शुरुआत करते हुए अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणी ने कहा कि अक्सर ऐसा होता है कि किसी की जान बचाने के लिए उसका एक अंग काट दिया जाता है, लेकिन किसी अंग को बचाने के लिए जान नहीं दी जाती।

जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद-370 का प्रावधान, अन्य के लिए नहीं : मुख्य न्यायाधीश

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि जम्मू-कश्मीर के लिए संविधान में अनुच्छेद-370 का प्रावधान किया, लेकिन अन्य राज्यों के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं था और उनका विलय हो गया। उन्होंने सभी सूचियां स्वीकार कर लीं और पूरी तरह से संघ में शामिल हो गए।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि, यह कहना कि अनुच्छेद-370 एक विशेषाधिकार है जिसे कभी समाप्त नहीं किया जा सकता, पूरी तरह से गलत है। ऐसे अनेक विशेषाधिकार अन्य राज्यों को भी दिए गए थे।

पीठ के सवाल 

 पीठ ने सवाल किया कि वे अपनी इच्छा से शामिल हुए, लेकिन जम्मू-कश्मीर ने उस नियम को नजरअंदाज कर दिया और अनुच्छेद-370 में शामिल हो गया। तो आप कह रहे हैं कि विभिन्न रियासतों के विलय के दस्तावेज में ऐसी कई आरक्षण और शर्तें हैं और यह भारत सरकार अधिनियम की धारा-6 के अनुरूप है और भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के धारा-9 के तहत अपनाई गई है।

केंद्र के तर्क : सरकार ने कहा कि कई राज्यों ने हस्ताक्षर नहीं किए।

पीठ ने कहा : यदि हमारे पास राज्यों की सूची, उनके विलय के दस्तावेज, परिग्रहण के पूरक दस्तावेज और विलय समझौते की सूची हो।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुझे नहीं पता कि रिकॉर्ड है या नहीं, 562 राज्यों में से कितने राज्यों ने वास्तव में विलय समझौते निष्पादित नहीं किए? तब हम कह सकते हैं कि विलय समझौते का निष्पादन भारत की अंतिम संप्रभुता की स्वीकृति के लिए सर्वोत्कृष्ट नहीं था। उन्होंने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आपकी दलील दोतरफा है, विलय के दस्तावेज में आरक्षण की अभिव्यक्ति महाराजा हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षरित एक के लिए अद्वितीय नहीं थी और अगला विलय समझौते पर हस्ताक्षर करना भारत की अंतिम संप्रभुता की स्वीकृति के लिए अनिवार्य नहीं था।

केंद्र की दलील 

 सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था कि भविष्य केंद्र सरकार की ताकत पर निर्भर करेगा।

यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार, दो महीने बाद होगी सुनवाई

डेस्क : यूपी के चर्चित कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड मामले में जेल में बंद यूपी के पूर्व मंत्री अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को 20 साल बाद रिहाई मिल रही है। इधर मधुमिता शुक्लाऔ की बहन निधि शुक्लाव ने यूपी सरकार के इस आदेश पर हैरानी जताते हुए अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कंटेम्ट्यू ऑफ कोर्ट की याचिका लगाई थी। 

जिसपर आज 25 अगस्ते को सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि त्रिपाठी की गोरखपुर जेल से रिहाई पर रोक लगाने से इन्का र सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत इस अर्जी पर दो महीने बाद सुनवाई करेगा।

मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने बताया कि हमारे तरफ से इस मामले में पिछले 15 दिनों से उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल महोदय को अवगत कराया जा रहा है। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है और स्वीकार भी हो चुकी है जिस पर 25 अगस्त को सुनवाई होना है। मेरा अनुरोध है कि सुप्रीम कोर्ट के की जाने वाली सुनवाई तक रिहाई का आदेश रोक दिया जाए।

दरअसल मधुमिता हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की रिहाई के आदेश हुए हैं। पति-पत्नी गोरखपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। दोनों आज जेल से बाहर आ सकते हैं। गुरुवार रात कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने रिहाई के आदेश जारी किए हैं। 

अमरमणि त्रिपाठी को मधुमिता हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वह करीब 19 साल से जेल में बंद हैं। 66 वर्ष के अमरमणि के अच्छे आचरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कारागार प्रशासन औऱ सुधार विभाग ने यह आदेश जारी किया है।

विद्यार्थियों के लिए है महत्वपूर्ण, पढ़ लें, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने 21 भर्तियों का नया कैलेंडर किया जारी, दिसंबर में पांच बड़ी भर्तियों

 उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने पूर्व के कैलेंडर के हिसाब से भर्तियां शुरू न हो पाने के बाद अब दोबारा भर्तियों का नया कैलेंडर जारी किया है। इसमें जहां अक्तूबर, नवंबर व दिसंबर में परीक्षाएं कराने का निर्णय लिया गया है तो दूसरी ओर नई भर्तियों का भी जगह दी गई है।

आयोग नौ भर्तियों के प्रस्तावों (अधियाचन) का परीक्षण कर रहा है जबकि 18 प्रस्ताव कमियां होने पर शासन को लौटाए गए थे। आयोग के सचिव गिरधारी सिंह रावत ने बताया कि 21 पुरानी व नई भर्तियों को इस कैलेंडर में स्थान दिया गया है। उन्होंने बताया कि नौ विभागों के प्रस्ताव आ चुके हैं, जिनका परीक्षण करने के बाद उन्हें कैलेंडर में शामिल किया जाएगा।

प्रधानाचार्य श्रेणी-2 की भर्तियां शामिल

इसमें अपर निजी सचिव, पुलिस कांस्टेबल, सहायक शोध अधिकारी, प्रवक्ता राजकीय पॉलिटेक्निक, अपर निजी सचिव, औषधि निरीक्षक ग्रेड-2, पुलिस उपाधीक्षक, प्रधानाचार्य राजकीय पॉलिटेक्निक, कर्मशाला अधीक्षक, प्रधानाचार्य श्रेणी-2 की भर्तियां शामिल हैं।

इनके अलावा 18 ऐसी भर्तियां हैं, जिनके प्रस्ताव आए थे लेकिन कुछ बिंदुओं को लेकर शासन को भेजे गए थे। जब ये वापस आ जाएंगे तो उनकी तिथियां भी जारी की जाएंगी। इनमें फॉरेस्ट स्केलर, लौगिंग अधिकारी, रेंजर जैसी भर्तियां शामिल हैं।

कौन से भर्ती की परीक्षा कब

-भर्ती का नाम- परीक्षा तिथि

-पीसीएस-जे मुख्य परीक्षा- हाईकोर्ट के आदेश के बाद

-सहायक लेखाकार परीक्षा 2022- 28 अगस्त से टाइपिंग परीक्षा

-फॉरेस्ट गार्ड भर्ती 2022- अक्तूबर माह में

-जेल बंदीरक्षक भर्ती 2022- 15 अक्तूबर

-संभागीय निरीक्षक परीक्षा 2022- 16-17 अक्तूबर

-मानचित्रकार-प्रारूपकार परीक्षा 2022- 05 नवंबर

-सहकारिता पर्यवेक्षक पर्यावरण पर्यवेक्षक 2023- 19 नवंबर

-अधिशासी अधिकारी, कर व राजस्व निरीक्षक भर्ती 2023- 26 नवंबर

-सफाई निरीक्षक परीक्षा 2023- 03 दिसंबर

-पशुचिकित्साधिकारी ग्रेड-2 परीक्षा 2023- 10 दिसंबर

-समीक्षा-सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2023- 17 दिसंबर

-सहायक नियोजक एवं वास्तुविद नियोजक परीक्षा 2023- 20 दिसंबर

-कंबाइंड जेई भर्ती परीक्षा 2023- 23, 24, 26 व 27 दिसंबर

-गन्ना-दुग्ध पर्यवेक्षक परीक्षा 2023- 28 जनवरी 2024

-आईटीआई अनुदेशक समूह-ग परीक्षा 2023- 03 फरवरी 2024

-सहायक कृषि, उद्यान पर्यवेक्षक परीक्षा 2023- 10 फरवरी 2024

-व्यवस्थाधिकारी परीक्षा 2023- 02 मार्च 2024

-व्यवस्थापक राज्य संपत्ति परीक्षा 2023- 16 मार्च 2024

-प्रयोगशाला सहायक(विधि विज्ञान) परीक्षा 2023- 31 मार्च 2024

-अन्वेषक कम संगणक परीक्षा 2023- 31 मार्च 2024

-प्रयोगशाला सहायक(उच्च शिक्षा) परीक्षा 2023- 23-26 अप्रैल 2024

द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से पीएम मोदी पहुंचे यूनान, 40 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की है यह पहली यात्रा

दक्षिण अफ्रीका के 15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहली बार यूनान पहुंचे ,भारत के किसी भी प्रधानमंत्री की 40 साल बाद यहां यह पहली यात्रा है। इससे पहले इंदिरा गांधी ने यहां का आधिकारिक दौरा किया था। 

द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर होगी बात

भारतीय प्रधानमंत्री मोदी यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस के निमंत्रण पर यहां आए हैं। वे यहां द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से यूनान के शीर्ष नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे। आज शुक्रवार को वे इस यूरोपीय देश पहुंचे हैं। 

दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया और विश्व के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं ताकि उनके देशों के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत बनाया जा सके।

यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस का मिला था निमंत्रण

पीएम मोदी को यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस के निमंत्रण मिला था।उनके निमंत्रण पर वे यहां आए हैं। मोदी ने कहा था, ''मुझे 40 साल बाद यूनान का दौरा करने वाला पहला भारतीय प्रधानमंत्री होने का सम्मान मिला है।'' 

यूनान की आखिरी उच्च-स्तरीय यात्रा सितंबर 1983 में हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश की यात्रा की थी।

भारत और यूनान की सभ्यताओं के बीच रहा है संबंध

भारत और यूनान की सभ्यताओं के बीच प्राचीन काल से संबंध रहा है । जो हाल के वर्षों में समुद्री परिवहन, रक्षा, व्यापार एवं निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग और लोगों के बीच आपसी संबंधों के माध्यम से मजबूत हुआ है। 

प्रधानमंत्री मोदी संबंधों को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री मित्सोताकिस के साथ बातचीत करेंगे। मोदी के यूनान की राष्ट्रपति कैटरीना सकेलारोपोलू से भी मुलाकात करने की उम्मीद है। वह अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के व्यापारिक दिग्गजों के साथ-साथ यूनान में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे।

जिस नेता का कमलनाथ-पायलट ने किया था प्रचार, इंटरनेट पर वायरल हुआ उसका अश्लील वीडियो, BJP ने माँगा कांग्रेस से जवाब

 मध्य प्रदेश के डबरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के MLA सुरेश राजे का एक वीडियो इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहा है। 6 मिनट 37 सेकेंड के इस वीडियो में सुरेश राजे किसी होटल में एक शख्स के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रहे हैं। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह वीडियो कब का है। इस वीडियो को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस से जवाब माँगा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वीडियो की शुरुआत में युवक विधायक राजे से कहता है कि ‘आप कभी मौका दीजिए। आप मुझे अपना बना लो। हम आपको खुश कर देंगे’। तत्पश्चात, वीडियो में पोर्न ऑडियो सुनाई देने लगता है। उनका वीडियो वायरल होने के पश्चात् जब मीडियाकर्मियों ने उनसे प्रतिक्रिया पूछी, तो उन्होंने कहा कि ये वीडियो एडिटेड है।

वही यह वीडियो होटल में बनाया जाता नजर आ रहा है। युवक जब बाथरूम जा रहा होता है, उस समय भी वीडियो शूट किया जाता रहा है। रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि विधायक को वीडियो बनने की जानकारी है, मगर वे इसका विरोध नहीं करते हैं। सुरेश राजे 2020 के उपचुनाव में मंत्री इमरती देवी को हराकर विधायक बने थे। इमरती देवी सिंधिया कैंप की मानी जाती थीं। इन्होंने इस्तीफा देकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी का दामन थामा था। उनके इस्तीफा देने से यहाँ उपचुनाव हुए थे। हालाँकि, उपचुनाव में उन्हें सुरेश राजे ने हरा दिया था। चुनाव से पहले ही राजे कांग्रेस में सम्मिलित हुए थे। प्राप्त एक रिपोर्ट के अनुसार, सुरेश राजे पहले भी चुनाव लड़ चुके थे, लेकिन तीन चुनावी हार के बाद उन्होंने बीजेपी छोड़ दिया तथा कांग्रेस की टिकट पर अपनी किस्मत को आजमाया था। उनके लिए चुनाव प्रचार में कमलनाथ एवं सचिन पायलट जैसे दिग्गज पहुँचे थे। उस चुनाव में सुरेश राजे ने इमरती देवी को हरा दिया था। चूँकि इमरती देवी मंत्री थी, ऐसे में उनकी जीत को बड़ा माना गया। 

हालाँकि, आगामी चुनाव से पहले उनका वीडियो वायरल होना उनके लिए मुसीबत लेकर आ सकता है। कांग्रेस MLA सुरेश राजे ने मीडिया से चर्चा में बताया कि ये वीडियो एडिटेड है। उनसे लोगों ने 50 लाख की वसूली करने का प्रयास किया था तथा कहा था कि पैसे नहीं देने पर वीडियो वायरल कर दिया जाएगा। अब वो पुलिस को पूरी जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें इस वीडियो के बारे में उड़ती-उड़ती खबर पहले से मिल रही थी, मगर अफवाहों के आधार पर उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया। अब वो पुलिस के सामने सबूत रखेंगे तथा जिन्होंने ऐसा काम किया है, उनके खिलाफ स्टैंड लेंगे। वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने इस वीडियो को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है। एक्स पर पोस्ट में उन्होंने कहा, "कांग्रेस के एक MLA का अश्लील वीडियो वायरल हो रहा है। कांग्रेस नेताओं को जवाब देना होगा कि क्या यही उनकी पार्टी के संस्कार हैं? इनके कई और बड़े नेताओं के इसी तरह के कुकर्मों की चर्चा बाजार में जोरों पर है।"

भारत-चीन संबंधों में सुधार साझा हितों के लिए महत्वपूर्ण..', पीएम मोदी से बोले राष्ट्रपति जिनपिंग


 चीन ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता पर एक बयान जारी कर कहा कि बैठक में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा हुई है। चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच वर्तमान चीन-भारत संबंधों और साझा हित के अन्य सवालों पर "स्पष्ट और गहन विचारों का आदान-प्रदान" हुआ।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान में कहा गया है कि, 'राष्ट्रपति शी ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के साझा हितों को पूरा करता है, और दुनिया और क्षेत्र की शांति, स्थिरता और विकास के लिए भी अनुकूल है।' आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों के समग्र हितों को ध्यान में रखना चाहिए और बॉर्डर विवाद को ठीक से संभालना चाहिए ताकि "सीमा क्षेत्र में संयुक्त रूप से शांति और स्थिरता की रक्षा की जा सके।''

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को गुरुवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका में मंच साझा करते समय साथ-साथ चलते और संक्षिप्त बातचीत करते देखा गया। भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि संक्षिप्त बैठक के दौरान, पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) के साथ अनसुलझे मुद्दों के बारे में भारत की चिंताओं से अवगत कराया।

'भारत-चीन संबंधों में सुधार साझा हितों के लिए महत्वपूर्ण..', पीएम मोदी से बोले राष्ट्रपति जिनपिंग


 चीन ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय वार्ता पर एक बयान जारी कर कहा कि बैठक में भारत-चीन संबंधों पर चर्चा हुई है। चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय आदान-प्रदान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच वर्तमान चीन-भारत संबंधों और साझा हित के अन्य सवालों पर "स्पष्ट और गहन विचारों का आदान-प्रदान" हुआ।

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान में कहा गया है कि, 'राष्ट्रपति शी ने इस बात पर जोर दिया कि चीन-भारत संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के साझा हितों को पूरा करता है, और दुनिया और क्षेत्र की शांति, स्थिरता और विकास के लिए भी अनुकूल है।' आधिकारिक बयान में कहा गया है कि दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों के समग्र हितों को ध्यान में रखना चाहिए और बॉर्डर विवाद को ठीक से संभालना चाहिए ताकि "सीमा क्षेत्र में संयुक्त रूप से शांति और स्थिरता की रक्षा की जा सके।'' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को गुरुवार को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका में मंच साझा करते समय साथ-साथ चलते और संक्षिप्त बातचीत करते देखा गया। भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि संक्षिप्त बैठक के दौरान, पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LaC) के साथ अनसुलझे मुद्दों के बारे में भारत की चिंताओं से अवगत कराया।

भाजपा नेत्री सना खान का डीएनए टेस्ट के लिए। दफनाया गया शव दोबारा खोदकर निकाला, नागपुर पुलिस ने निकाली

मध्यप्रदेश: नागपुर: भाजपा नेत्री सना खान की हत्या के मामले को लेकर फिर नागपुर पुलिस गुरुवार को हरदा पहुंची। यहां पर डीएनए के लिए दोबारा सैंपल लिया गया। फारेंसिक टीम द्वारा पुलिस को दोबारा सैंपल लेने के लिए हरदा भेजा गया था इसके लिए मुक्तिधाम में दफनाया गया शव निकाला गया सैंपल लेने के बाद फिर शव दफना दिया गया। नागपुर पुलिस के पीएसआइ नरेंद्र सनके ने बताया कि 9 अगस्त को हरदा जिले के सिराली थाना क्षेत्र के ग्राम महेंद्रगांव में किसान के खेत में महिला का शव मिला था।

इसके बाद 16 अगस्त काे सना खान का भाई मोहस‍िन एवं नागपुर पुलिस जिला अस्पताल पहुंची थी। जहां पर सना के भाई मोहस‍िन ने शव सना का होने से इंकार कर दिया। इसके बाद नागपुर पुलिस ने शव का डीएनए के लिए सैंपल लिया था, लेकिन सैंपल फैल होने के कारण दोबारा पुलिस सैंपल लेने पहुंची।

गौरतलब है कि सना खान की हत्या का आरोप जबलपुर के अमित पर है। उस पर डंडों से हमला कर हत्या करने का आरोप है। पिछले दिनों महिला के शव को देखने सना का भाई मोहस‍िन आया था। जिसने यह उसकी बहन का शव नहीं होने की बात कही थी। इसके बाद शव का डीएनए सैंपल लिया था।

यात्रा : बेहद खूबसूरत है केरल का कन्नूर शहर, मालाबार तट पर स्थित यह स्मारकों, प्राचीन मंदिरों और पिकनिक स्पॉट के लिए देश भर में है प्रसिद्ध

कन्नूर : केरल के मालाबार तट पर स्थित, कन्नूर, भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। समुद्र तटों, स्मारकों, प्राचीन मंदिरों और पिकनिक स्पॉट जैसे दर्शनीय विकल्पों के ढेरों से घिरा यह केरल एक सुंदर शहर है। प्राचीन समय में इसे कैनानोर के नाम से जाना जाता था। डचों, पुर्तगालियों, अंग्रेजों और मैसूर सल्तनत के गहरे पैरों के निशान अभी भी कस्बे में फैले हुए हैं और चारों तरफ देखे जा सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको कन्नूर के प्रसिद्ध पर्टयन स्थलों के बारे में बताएंगे - 

सेंट एंजेलो किला

कन्नूर में सबसे ऐतिहासिक स्थलों में शामिल , सेंट एंजेलो किले का निर्माण भारत के पहले पुर्तगाली वाईसरॉय द्वारा किया गया था। किला आकार में त्रिकोणीय है और एक विशाल विशाल भव्य संरचना के रूप में दिखाई देता है, जो समुद्र के किनारे पर खड़ा है। पत्थर से बनी लेटराइट दीवारें इसे और भी अधिक हवादार बनाने का काम करती हैं। यह किला वास्तुकला के छात्रों के लिए एक ज़रूरी गंतव्य है। समुद्र से किले को अलग करने वाली समुद्र की दीवार मोपिला खाड़ी के लुभावने दृश्य प्रदान करती है। 

पेयाम्बलम बीच

सुनहरे रेत की चादर से सजा यह समुद्र तट कन्नूर का एक बड़ा आकर्षण है। पेयाम्बलम बीच, भारत में सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है। यह केरल के खूबसूरत समुद्र तटों में से एक है और इसकी एक अनोखी आभा है। आप यहाँ आकर आराम कर सकते हैं और प्रकृति के साथ कुछ समय बिता सकते हैं। समुद्र तट तक पहुंचने के लिए, आपको एक छोटे से पुल को पार करना होगा जो एक संकीर्ण नहर के ऊपर बनाया गया है। पुल के दाईं ओर आप राजनीतिक हस्तियों के कई महत्वपूर्ण स्मारक देख सकते हैं। किनारे की ओर ताड़ के पेड़ों से सजी है, जो न केवल यहां प्राकृतिक तत्व को जोड़ते हैं बल्कि इसे और भी अधिक प्राचीन बनाते हैं। आप इस समुद्र तट पर साहसिक गतिविधियों जैसे तैराकी और बोटिंग का आनंद भी ले सकते हैं। एक किलोमीटर लंबा वॉकवे है जो हाल ही में इस समुद्र तट के साथ बनाया गया है। आप इसका इस्तेमाल समुद्र तट पर टहलने और ठंडी हवा और लहरों की आवाज़ को महसूस करने के लिए कर सकते हैं।

पलक्कयम थाटु

पल्क्कायम थाटु, पश्चिमी घाटों के पास कन्नूर में समुद्र के स्तर से लगभग 3350 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह केरल राज्य के सबसे अधिक देखे जाने वाले हिल स्टेशनों में से एक है। घने जंगलों और कई पहाड़ियों से घिरा यह हिल स्टेशन, ट्रेकिंग के शौक़ीन लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। प्रकृति प्रेमियों के लिए पलक्कयम थाटु एक प्राकृतिक स्वर्ग है जो अचरज भरी शांति प्रदान करता है। यदि आप अपने जीवन की रोजमर्रा की हलचल से बचना चाहते हैं, तो यह हिल स्टेशन आपके लिए एक आदर्श स्थान है।

 

कन्नूर लाइटहाउस

75 फीट की ऊंचाई पर स्थित कन्नूर लाइटहाउस, केरल में निर्मित होने वाला पहला लाइटहाउस है। पहली बार 1903 में निर्मित इस स्थान का इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व भी है। यह लाइटहाउस अरब सागर के विशाल विस्तार, बेबी बीच और कन्नूर के पूरे जिले के शानदार और विस्मयकारी दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ पर्यटक बगीचों में आराम से टहलने और शाम को पानी के फव्वारे के शो का आनंद ले सकते हैं।

एझिमाला

286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, एझिमाला पहाड़ी कन्नूर पर्यटन स्थलों में सबसे आकर्षक है। एझिमाला पहाड़ियों के एक अलग समूह का एक हिस्सा है और चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य प्रस्तुत करता है। इस स्थान का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। यह स्थान चोल-चेरा युद्धों के दौरान एक युद्धक्षेत्र था। बौद्ध इस स्थान को पवित्र मानते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने एझीमाला का दौरा किया था।

यहां उन पय्यानूर पर्यटन स्थलों की सूची दी गई है, जिन्हें आप अपनी यात्रा के दौरान देख सकते हैं!

श्री सुब्रमण्य स्वामी मंदिर ...

राजराजेश्वर मंदिर ...

मीनकुलम श्रीकृष्ण मंदिर ...

कव्वायी द्वीप ...

वी-प्रा कय्याल फ्लोटिंग पार्क ...

सेंट एंजेलो किला

कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव को एनजीटी अध्यक्ष के रूप में किया गया नियुक्त

नई दिल्ली : कलकत्ता Bउच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

इस आशय का नियुक्ति आदेश सोमवार को जारी कर दिया गया. न्यायमूर्ति श्रीवास्तव (62) इस सप्ताह एनजीटी में अपना कार्यभार संभालेंगे।

इससे पहले, जुलाई में तत्कालीन एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की सेवानिवृत्ति के बाद न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

न्यायमूर्ति श्रीवास्तव को जनवरी 2008 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

 वह दो साल बाद स्थायी न्यायाधीश बन गए। उन्हें अक्टूबर, 2021 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। वह इस साल मार्च में वहां से सेवानिवृत्त हुए थे।

2 फरवरी, 1987 को वकील के रूप में नामांकित हुए, 18 जनवरी, 2008 को मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कर, नागरिक और संवैधानिक पक्षों पर अभ्यास किया।