राघव चड्ढा पर सदन में फर्जी हस्ताक्षर कराने का आरोप, आप सांसद के खिलाफ लाया जा सकता है विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव
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लोकसभा के बाद अब दिल्ली सेवा बिल सोमवार को राज्यसभा से भी पास हो गया। सोमवार देर शाम तक इस पर चर्चा हुई और यह बिल पास हो गया। इस दौरान दिल्ली सेवा बिल के पक्ष में कुछ 131 वोट डाले गए, जबकि इसके विरोध में विपक्षी सांसदों की तरफ से महज 102 वोट पड़े। अब इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगना बाकी है। इसके बाद यह बिल कानून का रूप ले लेगा।आम आदमी पार्टी इस बिल का कड़ा विरोध कर रही थी, इसके बावजूद बिल पास हो गया। इस दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा विवाद में घिर गए। उन पर पाँच राज्यसभा सांसदों ने फ़र्ज़ी हस्ताक्षर कराने का आरोप लगाकर विशेषाधिकार हनन की शिकायत की है।
दरअसल, राघव चड्ढा इस विधेयक को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने का प्रस्ताव लेकर आए थे। 7 अगस्त को आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा पर आरोप लगा कि उन्होंने गलत तरीके से पांच सांसदों के नाम का प्रस्ताव दिल्ली ट्रांसफर-पोस्टिंग बिल को सेलेक्ट कमेटी में शामिल किया। राघव चड्ढा ने सदन में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें दिल्ली से जुड़े बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की सिफारिश की और इस प्रस्ताव में उनके अलावा 4 अन्य सांसदों के हस्ताक्षर थे। लेकिन जब चेयर की तरफ से हरिवंश ने सांसदों के नाम पढ़े तो सांसदों ने अपना नाम सलेक्ट कमेटी में देने इनकार कर दिया।
बिना जानकारी के डाला गया नाम?
सलेक्ट कमेटी के लिए आप सांसद राघव चड्ढा ने सुधांशु त्रिवेदी, नरहरि अमीन, थम्बी दुरई, सस्मित पात्रा और नागालैंड की सांसद पी कोन्याक के नाम का प्रस्ताव रखा था।बीजेपी सांसद नरहरी अमीन ने कहा कि राघव चड्ढा ने मेरा नाम इस लिस्ट में लिया, उन्होंने इस बारे में मुझसे बात नहीं की और ना ही मैंने किसी तरह की सहमति दी है। राघव चड्ढा ने जो किया है वह पूरी तरह से गलत है। उनके अलावा अन्य सांसदों ने भी इस मसले की जांच की बात कही है।
संसद के अंदर फर्जीवाड़ा-अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में इसका जिक्र किया। अमित शाह ने कहा कि इन सदस्यों ने खुद कहा है कि उन्होंने कोई हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ये जांच का विषय है कि इनके साइन कहां से आए, ये मामला अब सिर्फ दिल्ली में फर्जीवाड़े का नहीं है बल्कि संसद के अंदर फर्जीवाड़े का हो गया है। अमित शाह ने मांग करते हुए कहा कि सदस्यों का बयान रिकॉर्ड किया जाए और इसकी जांच भी की जाए।
राघव चड्ढा ने कोर्ट में लड़ाई लड़ने की कही बात
अब भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी व नरहरि अमीन द्वारा यह विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जा सकता है।हालांकि आप सांसद राघव चड्ढा का कहना है, ''नोटिस आने दीजिए मैं जवाब दे दूंगा।'' राघव ने कहा कि इस बिल पर हम संसद में हार गए, लेकिन कोर्ट में लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ फिर से अरविंद केजरीवाल के पक्ष में फैसला सुनाएगी।
क्या है पूरा मामला?
इस साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफ़र और पोस्टिंग के अधिकार को लेकर केजरीवाल सरकार के समर्थन में फ़ैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि ज़मीन, पुलिस और सार्वजनिक आदेश को छोड़कर अधिकारियों के ट्रांसफ़र और पोस्टिंग का अधिकार समेत सभी मामलों पर दिल्ली सरकार का पूरा अधिकार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एम आर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे। हफ़्ते भर बाद, केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी से संबंधित संविधान के विशेष प्रावधान अनुच्छेद- 239एए के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफ़र और पोस्टिंग को लेकर एक अध्यादेश जारी किया था। अध्यादेश के ज़रिए सेवाओं के नियंत्रण को लेकर आख़िरी फैसला लेने का अधिकार उपराज्यपाल को वापस दे दिया गया था।
Aug 08 2023, 11:30