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मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा, न केंद्र सरकार से डरते, न NDA की पॉलिसी मानेंगे, म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेजने से भी कर दिया मना

मिजोरम के सीएम जोरमथांगा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमारी सरकार को निर्देश दिया था कि म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेज दिया जाए, लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया।

मिजोरम के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के प्रमुख जोरमथांगा ने कहा कि भले ही वह केंद्र में सत्तारूढ़ NDA के पार्टनर हों लेकिन वह एनडीए की हर नीति मानने को बाध्य नहीं हैं। सीएम जोरमथांगा ने कहा कि उनकी राज्य सरकार और एमएनएफ पार्टी केंद्र की एनडीए सरकार से नहीं डरती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने म्यांमार से शरणार्थियों को वापस भेजने से इनकार कर दिया है, जो म्यांमार में जुंटा के सैन्य शासन संभालने के बाद यहां आ गए थे।

पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधन

राजधानी आइजॉल में एमएनएफ पार्टी कार्यालय (ह्नम रन) में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जोरमथंगा ने कहा, “भारत में राजनीतिक दल भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए या हाल ही में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया के नाम पर बने गठबंधन में शामिल हो रहे हैं, और एमएनएफ एनडीए का गठबंधन भागीदार है। हालांकि हम एनडीए के साथ हैं लेकिन हम एनडीए की हरेक नीति और उद्देश्यों से सहमत नहीं हैं।"

वापस नहीं भेजेंगे शरणार्थी- जोरमथांगा

जोरमथांगा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हमारी सरकार को निर्देश दिया था कि म्यांमार के सभी शरणार्थियों को वापस भेज दिया जाए, लेकिन हमने ऐसा करने से मना कर दिया। मैंने विधानसभा को बताया है कि हम उन्हें (म्यांमार के शरणार्थियों को) वापस नहीं भेज रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने यहां आश्रय और खाना देंगे। 

UCC का भी विरोध

मिजोरम के मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएनएफ के अलावा किसी अन्य पार्टी ने एनडीए की बैठकों में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का कड़ा विरोध नहीं किया है क्योंकि उनमें से अधिकांश केवल प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए जाते रहे हैं। बता दें कि जोरमथांगा ने 4 जुलाई को विधि आयोग को चिट्ठी लिखकर समान नागरिक संहिता को देश के सभी नस्ली अल्पसंख्यक और खासकर मिजो लोगों के हितों के खिलाफ बताया था।

उन्होंने कहा, "मैंने केंद्र को बताया कि 1971 में पश्चिम बंगाल में शरण लेने वाले पूर्वी पाकिस्तान के लाखों शरणार्थियों का भारत सरकार ने ख्याल रखा था और मैंने केंद्र सरकार पर कड़ा दबाव बनाया है।" मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी एमएनएफ तभी तक एनडीए के कार्यक्रमों और नीतियों का साथ देगी, जबतक वे जनता और खासकर देश के नस्ली अल्पसंख्यकों के हित में होंगी।

दिसंबर तक विधानसभा चुनाव

उन्होंने कहा कि केंद्र में सरकार बदलने पर एमएनएफ कभी अपना रुख नहीं बदलता। पार्टी ने प्रस्तावित यूसीसी का कड़ा विरोध किया क्योंकि एमएनएफ ने ऐसी किसी भी चीज़ का विरोध किया जो उसके आदर्श वाक्य - "भगवान और देश के लिए" के लिए हानिकारक हो। बता दें कि मिजोरम में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। 

मिजोरम में 36,000 शरणार्थी

म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के कारण म्यांमार से आए। लगभग 35,000 शरणार्थियों को मिजोरम पनाह दे रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी इलाकों में सेना की कार्रवाई के कारण 1,000 से अधिक आदिवासियों को अपने गांव छोड़कर मिजोरम में बतौर शरणार्थी मिजोरम में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस बीच,मिजोरम सरकार ने गृह और आपदा प्रबंधन मंत्री लालचमलियाना की अध्यक्षता में हिंसाग्रस्त मणिपुर से विस्थापित होकर मिजोरम में आए व्यक्तियों (आईडीपी) पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

जान लीजिए, क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव, कैसे होती है वोटिंग और क्या हैं इस प्रक्रिया के नियम, प्रस्ताव पास हुआ तब सरकार क्या उठाती है कदम


मॉनसून सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की है। इसके लिए कांग्रेस की तरफ से नोटिस भी दे दिया गया है, जिसे लोकसभा ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि, बहस की तारीख का अब तक ऐलान नहीं हुआ है। कहा जा रहा है कि इस दांव के जरिए INDIA गठबंधन के विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बयान देने के लिए मजबूर करना चाहती है।

क्या है अविश्वास प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव एक संसदीय प्रक्रिया है, जिसके तहत विपक्ष सरकार को चुनौती दे सकता है। अगर प्रस्ताव पास हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। हालांकि, यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है। सरकार के खिलाफ खड़े होने वाले दलों को पहले नोटिस दाखिल करने समेत कई चरणों से गुजरना होता है।

क्या कहता है नियम

लोकसभा का कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है। इस प्रस्ताव को सदन के 50 सदस्यों का समर्थन मिलना जरूरी है। अगर प्रस्ताव को सदन में स्वीकार कर लिया जाता है, तो चर्चा के लिए दिन तय किया जाता है। इतना ही नहीं सरकार को बहुमत साबित करने के लिए भी कहा जा सकता है। अगर सरकार ऐसा करने में असफल होती है, तो इस्तीफे का दौर शुरू होता है।

नोटिस के बाद की प्रक्रिया

लोकसभा स्पीकर तय करेंगे कि नोटिस के बाद इसपर चर्चा की जानी है या नहीं। स्वीकार होने के बाद स्पीकर चर्चा के लिए दिन और समय तय करते हैं। लोकसभा में प्रस्ताव पर चर्चा होती है और सरकार को इसका जवाब भी देना होता है।

कैसे होता है वोट

चर्चा के बाद लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग की जाती है। अगर सदन के अधिकांश सदस्य इसका समर्थन करते हैं, तो प्रस्ताव पास हो जाता है। वहीं, अगर सरकार जीत जाती है, तो सत्ता में बनी रहती है।

ताजा आंकड़े

लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा 272 का है। जबकि, NDA सरकार के पास 331 सदस्य हैं। इतना ही नहीं सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के पास ही 303 सांसद हैं। विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल दलों के सांसदों की संख्या 144 है। इनके अलावा तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति, आंध्र प्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस और ओडिशा की बीजू जनता दल के पास मिलाकर संख्या 70 है।

आप सांसद राघव चड्ढा को संसद के बाहर चोंच मार गया कौआ, सोशल मीडिया पर तस्वीरें हुईं वायरल, बीजेपी ने कसा तंज

#raghav_chadha_attacked_pecked_by_a_crow

संसद में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा पर कौए चोंच मार गया।इस घटना की तस्वीरें आज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।राघव चड्ढा पर कौए के चोंच मारवे वाली तस्वीर दिल्ली भारतीय जनता पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी साझा की है।बीजेपी ने इन तस्वीरों को शेयर कर राघव चड्ढा पर तंज कसा है।

दिल्ली बीजेपी ने तंज कसते हुए लिखा है कि- झूठ बोले कौवा काटे. आज तक सिर्फ सुना था, आज देख भी लिया कौए ने झूठे को काटा! बीजेपी दिल्ली ने ट्वीट कर जो तस्वीरें शेयर की हैं, उनमें देखा जा सकता है कि राघव चड्ढा सदन के बाहर फोन पर बात कर रहे हैं।इसी दौरान एक कौआ उन्हें चोंच मार जाता।बीजेपी ने फोटो शेयर करते हुए लिखा, झूठ बोले कौवा काटे, आज तक सिर्फ सुना था, आज देख भी लिया कौवे ने झूठे को काटा!

बता दें कि इस ट्वीट को अब तक 7000 से अधिक लोग लाइक कर चुके हैं। इसके अलावा करीब 2000 से ज्यादा लोग इसे रिट्वीट कर चुके हैं। सोशल मीडिया कई लोग इस तस्वीर पर अलग अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने विपक्षी दलों के गठबंधन को 'ईस्ट इंडिया कंपनी' कहने पर पीएम मोदी को घेरा, उठाए कई सवाल

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने विपक्षी दलों के गठबंधन, इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इक्लूसिव अलायंस यानि इंडिया को ईस्ट इंडिया कंपनी कहने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। सोशल मीडिया पर सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि यह माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं जिन्होंने विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदीन से की है।

सीएम ने कहा, "नीरव मोदी और ललित मोदी जिन्होंने भारतीय करदाताओं के सैकड़ों करोड़ रुपये लूट लिए और देश से भाग गए, आपका नाम भी मोदी है? क्या उनकी तुलना आपसे की जा सकती है?"सिद्दारमैया ने आगे कहा, "ललित और नीरव के सरनेम पूछने को लेकर राहुल गांधी पर मानहानि का मुकदमा किया गया, दो साल की सजा सुनाई गई और लोकसभा से अयोग्य ठहराया गया।

अब आपने 'इंडिया' की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन मुजाहिदीन से की है, क्या राहुल गांधी के खिलाफ की गई कार्रवाई यहां लागू नहीं होती? सीएम सिद्दारमैया ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आपको 'इंडिया' के सुंदर, मधुर और पवित्र नाम से इतनी नफरत क्यों है? इंडिया नाम से क्या आप अपने ही सरकारी कार्यक्रमों जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया आदि का नाम बदल देंगे?

उत्तराखंड : कई जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट, बदरीनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे बंद, 296 सड़कें भी बंद

उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है। राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के कई इलाकों में दिन की शुरुआत बारिश के साथ हुई। वहीं, मौसम विभाग ने आज कुछ जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

मौसम विभाग के अनुसार आज चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, चंपावत और नैनीताल जिले के कई इलाकों में बिजली चमकने के साथ ही भारी बारिश हो सकती है। केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि अगले कुछ दिन पूरे राज्य में तेज बारिश और बिजली चमकने के आसार हैं। बारिश से होने वाले भूस्खलन से संवेदनशील इलाकों में सड़क मार्ग और राजमार्ग अवरुद्ध हो सकते हैं। ऐसे में मौसम की सटीक जानकारी लेने के बाद ही यात्रा की योजना बनाए।

उफान पर बह रही नदियां

यमुनोत्री धाम सहित यमुना घाटी में रात से हो रही बारिश से यमुना नदी, हनुमान गंगा, बडियार नदी उफान पर चल रही है। उधर, पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में काली नदी चेतावनी स्तर से ऊपर बह रही है।

बदरीनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री हाईवे समेत 296 सड़कें बंद

प्रदेश में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग सहित 296 सड़कें बंद हैं, जिन्हें खोलने के लिए 240 जेशीबी मशीनों को लगाया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 94 बड़कोट में डाबराकोट, खराड़ी और किशाला में तीन जगह बंद है। इसके अलावा 12 स्टेट हाईवे, आठ मुख्य जिला मार्ग, तीन जिला मार्ग, 139 ग्रामीण सड़कें और 133 पीएमजीएसवाई की सड़कें बंद हैं।

प्रदेशभर में कुल 277 सड़कें एक दिन पहले से बंद थीं। मंगलवार को 91 सड़कें और बंद हुईं। कुल 368 बंद सड़कों में से मंगलवार शाम तक 72 सड़कों को ही खोला जा सका था। लोनिवि के प्रमुख अभियंता दीपक यादव ने बताया कि बंद सड़कों को खोलने के लिए प्राथमिकता के तहत कार्यवाही की जा रही है।

 

यमुनोत्री हाईवे पर रानाचट्टी में कई भवनों को खतरा

भारी बारिश के चलते यमुनोत्री हाईवे से लगे गीठ पट्टी के राना गांव, बाडिया गांव में कई आवासीय भवनों को खतरा पैदा हो गया है। बाडिया गांव में दो परिवारों ने घर छोड दिए। वहीं, राना गांव के मुकेश चौहान ने बताया कि गांव के बीचों-बीच आने वाले गदेरे व निर्माणाधीन राना निषणी सड़क के मलबे ने गांव साथ ही यमुनोत्री हाईवे व राना चट्टी के होटल व्यवसायियों की नींद उड़ा दी है। मलबा होटल, घरों, हाईवे पर पसरा हुआ है।

गंगोत्री हाईवे का पांच मीटर हिस्सा धंसा

मनेरी-सिलकुरा के समीप गंगोत्री हाईवे पर भू- कटाव शुरू हो गया है। हाईवे का करीब पांच से सात मीटर हिस्सा धंस गया है। वहीं सड़क के अंदर से पानी रिस रहा है।

बदरीनाथ हाईवे कई जगह बंद

मंगलवार रात भारी बारिश से कर्णप्रयाग सहित पिंडर घाटी में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। कर्णप्रयाग में उमा महेश्वर आश्रम के पास बदरीनाथ हाईवे पर रात नौ बजे पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा आने के कारण सड़क बंद है। यहां पर करीब 30 से 40 वाहन फंसे हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़कों पर मलबा आने से वाहनों की आवाजाही में दिक्कत हो रही है।

बदरीनाथ हाईवे पर कमेड़ा में सड़क खोलने का काम जारी है। कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे नलगांच, नारायणबगड़ में परखाल तिराहा, हरमनी, मल्यापौड़ व बैनोली बैंड में मलबा आने से बंद है। उधर, नादायणबगड़ में अस्पताल के सामने मलबा भर गया है । साथ ही चार दुकानों के अंदर मलबा व पानी चला गया है।

ईडी चीफ के कार्यकाल बढ़ाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची मोदी सरकार, शीर्ष अदालत सेवा विस्तार को पहले ही ठहरा चुकी है अवैध

#modi_govt_reached_to_supreme_court_in_case_of_ed_chief_tenure_extension 

केंद्र सरकार ने सोमवार को ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था। अदालत गुरुवार (27 जुलाई) को केंद्र के आवेदन पर सुनवाई के लिए सहमत हुई है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को दिए गए एक फैसले में 2021 में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन करने के लिए ईडी प्रमुख संजय कुमार मिश्रा के विस्तार को अवैध करार दिया था। 11 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ईडी प्रमुख के रूप में संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल का तीसरा विस्तार अवैध था और 2021 में उसके फैसले का उल्लंघन था।हालांकि, शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें 31 जुलाई तक पद पर बने रहने की अनुमति दी थी।

2020 में मिला था पहला कार्यकाल विस्तार

बता दें कि संजय कुमार मिश्रा को नवंबर 2018 में प्रवर्तन निदेशालय के पूर्णकालिक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। केंद्र सरकार ने सबसे पहले 2020 में उनको एक साल का सेवा विस्तार दिया था। तब उन्हें 18 नवंबर, 2021 तक एक साल के लिए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। फिर 2021 में कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले ही उन्हें दोबारा सेवा विस्तार दिया गया। ये दूसरी बार था। वहीं, 17 नवंबर 2022 को संजय कुमार मिश्रा का दूसरा सेवा विस्तार खत्म होने से पहले ही कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक वर्ष (18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक) के लिए तीसरे सेवा विस्तार को मंजूरी दे दी थी।  

मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से पहले सरकार ने किए थे संशोधन

नवंबर 2021 में, मिश्रा के सेवानिवृत्त होने से तीन दिन पहले, भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 और केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में संशोधन करते हुए दो अध्यादेश जारी किए गए थे। ये अध्यादेश अंततः उन विधेयकों में परिणत हुए जिन्हें दिसंबर में संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था। इन संशोधनों के बल पर अब सीबीआई और ईडी दोनों निदेशकों का कार्यकाल प्रारंभिक नियुक्ति से पांच साल पूरा होने तक एक बार में एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईटीपीओ परिसर में किया हवन-पूजन, जी 20 मिटिंग के लिए कॉम्पलैक्स बनकर तैयार

#itpo_complex_ready_for_g20_meeting_in_delhi 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को सुबह नई दिल्ली के प्रगति मैदान पहुंचे। पीएम मोदी ने यहां नए बनकर तैयार हुए भव्य आईटीपीओ कॉम्प्लेक्स के हवन और पूजन कार्यक्रम में हिस्सा लिया। बुधवार शाम को साढ़े छह बजे नए प्रगति सेंटर का प्रधानमंत्री उद्घाटन करेंगे।हवन और पूजा के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने कॉम्प्लेक्स तैयार करने में जुटे मजदूरों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने श्रमिकों से बात भी की।

2700 करोड़ की लागत का प्रोजेक्ट

कॉम्प्लेक्स जी20 नेताओं की बैठकों की मेजबानी करेगा। इस कन्वेंशन सेंटर में 9 से 10 सितंबर तक 18वीं G-20 बैठक होगी। इस इंटरनेशनल एग्जीबिशन-कम-कन्वेंशन सेंटर (आईआसीसी) कॉम्प्लेक्स का रीडेवलपमेंट 2,700 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है।

टॉप 10 कन्वेंशन सेंटर में शामिल

लगभग 123 एकड़ में फैला यह परिसर कई बड़े आयोजनों की मेजबानी कर चुका हैं। आयोजनों के लिए उपलब्ध कवर किए गए स्थान के संदर्भ में, पुनर्विकसित और आधुनिक आईईसीसी कॉम्प्लेक्स दुनिया के शीर्ष 10 प्रदर्शनी और सम्मेलन परिसरों में अपना स्थान पाता है, जो जर्मनी में हनोवर प्रदर्शनी केंद्र, शंघाई में राष्ट्रीय प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर (एनईसीसी) जैसे विशाल नामों को टक्कर देता है।

सिडनी के ओपेरा हाउस से बड़ा

कॉम्प्लेक्स के ‘लेवल-3’ पर 7,000 लोगों के बैठने की क्षमता है, जो इसे ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक सिडनी ओपेरा हाउस से भी ज्यादा बड़ा बनाता है, जहां तकरीबन 5,500 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। अधिकारियों के अनुसार, यह विशेषता आईईसीसी को वैश्विक पैमाने पर बड़े सम्मेलन, अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए सही जगह है।

अविश्वास प्रस्ताव पर सच साबित हुई पीएम मोदी की 4 साल पुरानी भविष्यवाणी, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
कांग्रेस पार्टी आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। ऐसे समय में पीएम मोदी का एक पुराना वीडियो ट्विटर पर वायरल हो रहा है। यह वीडियो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पूरे होने के समय का है। जिसमें उन्होंने 2023 में अविश्वास प्रस्ताव आने की भविष्यवाणी की थी। दरअसल, साल 2018 में किसानों से जुड़े बिल के मसले पर मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. इसपर सदन में करीब 11 घंटे की बहस हुई थी, बहस के बाद वोटिंग हुई थी जिसमें विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी थी। अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में तब 126 और विपक्ष में 325 वोट पड़े थे, यानी मोदी सरकार ने आसानी से इस लड़ाई में विपक्ष को मात दी थी। लोकसभा में 2018 में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा था, मैं आपको अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं कि आप इतनी तैयारी करें कि 2023 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का आपको मौका मिले। पीएम मोदी ने इस दौरान विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ये अहंकार का परिणाम है कि 400 से 40 हो गए और सेवाभाव का परिणाम है कि हम 2 से यहां आकर बैठ गए। आप कहां से कहां पहुंच गए। मिलावटी दुनिया में जीना पड़ रहा है। आप कोई लंबी बात करोगे तो शोभा नहीं देगी। भाजपा की ओर से ये वीडियो जारी किया गया है। आज से करीब पांच साल पहले ही पीएम ने भविष्यवाणी कर दी थी कि विपक्ष 2023 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाएगा। आज वह बात सच साबित होने जा रही है। जी हां, आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय में नोटिस दिया जा चुका है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसे स्वीकार करते हुए चर्चा के लिए मंजूरी दे दी।यह प्रस्ताव कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा सदन में लाया गया है।

कांग्रेस पार्टी आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। ऐसे समय में पीएम मोदी का एक पुराना वीडियो ट्विटर पर वायरल हो रहा है। यह वीडियो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पूरे होने के समय

वैज्ञानिकों का दावा- चीन के वुहान के बाद अब अमेरिका के मीट बाजार से फैल सकती है वैश्विक महामारी


रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

चीन के वुहान के बाद अब अमेरिका के मीट बाजार से कोविड-19 से भी घातक वैश्विक महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। हार्वर्ड वैज्ञानिकों ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन्सान, जानवरों और जंगली जानवर के आपसी संपर्क के कारण इसका खतरा बढ़ेगा। ये रिपोर्ट हार्वर्ड लॉ स्कूल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी ने जारी की है। हार्वर्ड लॉ स्कूल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि कई अमेरिकी अकसर सोचते हैं कि उनके देश में ऐसा नहीं हो सकता है, लेकिन इस देश में नियम इतने कमजोर हैं कि कोई एक वायरस या दूसरी कोई संक्रामक बीमारी आसानी से अमेरिका में जानवरों से लोगों तक पहुंच सकती है। यही बीमारी महामारी में तब्दील हो सकती है। रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम के सदस्य एन लिंडर ने कहा कि वास्तव में सुरक्षा की यह झूठी भावना और निराधार विश्वास है कि जेनेटिक रोग कुछ ऐसा है जो बाकी जगहों पर है और अमेरिका में नहीं हो सकता।

तेजी से बढ़ेगा संक्रमण

हार्वर्ड लॉ स्कूल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में जोखिम के कई बिंदुओं पर भी बात की गई है। जिसमें जानवरों का आयात-निर्यात भी शामिल है। इस दौरान लाखों जानवर एक-दूसरे और उनके संचालकों के संपर्क में आते हैं। इस कारण जंगली जानवरों से कोई भई संक्रमण आसानी से इन्सानों में आ सकता है।

आसानी से जानवरों का आयात

एन लिंडर ने कहा कि हर साल अमेरिका में पालतू जानवरों और बाकी दूसरे उद्देश्यों के लिए करीब 22 करोड़ जीवित जंगली जानवरों का आयात किया जाता है। उन्होंने बताया कि अगर कोई देश में कुत्ता या बिल्ली लाना चाहता है तो एक प्रक्रिया है। लेकिन कोई आयातक दक्षिण अमेरिका से 100 जंगली स्तनधारियों को आसान नियमों के साथ ला सकता है।

लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी, जाने मोदी सरकार के लिए कितना खतरा?

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संसद के मॉनसून सत्र का आज पांचवां दिन है। लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। मणिपुर मुद्दे पर कांग्रेस और बीआरएस ने अलग-अलग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इसे स्वीकार करते हुए चर्चा के लिए मंजूरी दे दी।यह प्रस्ताव कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा सदन में लाया गया है। 

स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की इजाजत दी। उन्होंने कहा कि इसपर विस्तृत चर्चा के बाद तारीख का एलान करूंगा। ओम बिरला ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने कहा, मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है।बिरला ने कहा, इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है। मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा।

लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मणिपुर हिंसा मामले पर हमारे पास अविश्वास प्रस्ताव का सहारा लेने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा, क्योंकि मोदी सरकार मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी दलों की मांग स्वीकार नहीं कर रही है. विपक्ष यही मांग कर रहा है कि कम से कम पीएम मोदी को संसद में आकर बयान देना चाहिए, लेकिन इसके लिए वो तैयार नहीं है। ऐसे में विपक्षी दलों ने अविश्वास प्रस्ताव लाने का कदम उठा रही है।विपक्षी के अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है।

अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना लगभग तय

विपक्षी अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद सरकार को साबित करना होगा कि उनके पास बहुमत है. मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का औंधे मुंह गिरना लगभग तय है। इसके बावजूद पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्षी दल क्या सियासी संदेश देना चाहते हैं?

मोदी सरकार के लिए कितना खतरा?

इस वक्त लोकसभा में एनडीए के पास 333 सांसद हैं, जिनमें बीजेपी के पास ही अकेले 301 सांसद है। इसके अलावा दूसरे 12 दलों के 32 सांसद सरकार के साथ हैं। वहीं विपक्षी दलों के पास 142 सांसद हैं, जिनमें कांग्रेस के पास 50 तो टीएमसी के पास 23 सांसद हैं। इसके अलावा डीएमके के पास 24 और जेडीयू के पास 16 सासंद हैं। इस तरह से 12 पार्टियों के कुल 142 सांसद हैं जो एनडीए से नंबर गेम में बहुत पीछे हैं। यानी बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है।