लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिछने लगी बिसात, एनडीए के 38 में से 25 दलों के पास एक सांसद भी नहीं, डिटेल में पढ़िए, 38 बनाम 26 की दिलचस्प लड़ाई
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़ दिया जाए तो अन्य 37 दलों का वोट शेयर सिर्फ 7 फीसदी था। इन 37 पार्टियों ने मिलकर लोकसभा की सिर्फ 29 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। जबकि एनडीए की बैठक में 38 दल शामिल हुए थे।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस सभी छोटे-बड़े दलों को एक साथ लाकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देना चाहती है। 18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक में कुल 26 पार्टियों ने शिरकत की। वहीं बीजेपी ने भी दिल्ली में एनडीए की बैठक बुलाई। इस बैठक में 38 पार्टियों के नेता शामिल हुए। बीजेपी 38 दलों की बैठक बुलाकर अपने गठबंधन को विपक्षी गठबंधन से अधिक मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहे है। कांग्रेस ने एनडीए की बैठक में बुलाए गए दलों पर तंज कस्ते हुए पूछा कि इनमें से सभी पार्टियों का रजिस्ट्रेशन हुआ भी है या नहीं? दरअसल एनडीए के अधिकांश दलों के पास लोकसभा की एक सीट भी नहीं है।
38 बनाम 26 की लड़ाई
राजनीति हमेशा से ही नजरिए का खेल रहा है और बीजेपी भी इस खेल में पीछे नहीं रहना चाहती है। मंगलवार को विपक्षी दल ने बेंगलुरु में बैठक बुलाई थी। इस बैठक में 26 छोटी-बड़ी पार्टियों ने भाग लिया था। विपक्षी दल ने अपने गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखा है। विपक्षी गठबंधन एक सीट- एक उम्मीदवार के समीकरण पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। वहीं बीजेपी भी अपने कुनबे को विपक्ष से बड़ा दिखाने के लिए एनडीए गठबंधन के सभी सहयोगियों को साथ लाकर विपक्ष को कड़ी टक्कर देना चाहती है।
एनडीए के 25 दलों के पास एक सांसद भी नहीं
एनडीए गठबंधन में कुल 38 पार्टियां है लेकिन अधिकांश दलों की राष्ट्रीय राजनीति में न तो कोई पकड़ है न ही उनकी कोई पहचान है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़ दिया जाए तो अन्य 37 दलों का वोट शेयर सिर्फ 7 फीसदी था। इन 37 पार्टियों ने मिलकर लोकसभा की सिर्फ 29 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। वहीं बीजेपी की बात करें तो उसने अकेले 303 सीट पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी का वोट शेयर 37% से अधिक था। आपको बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में 37 में से 9 दलों ने अपने उम्मीदवार भी नहीं उतारे थे। वहीं 16 दलों के पास एक भी सांसद नहीं है। यानी 37 में से 25 दलों के पास ना तो कोई सांसद है और ना ही राष्ट्रीय राजनीति में कोई प्रतिनिधित्व है। वहीं एनडीए गठबंधन के 7 दलों के पास सिर्फ एक ही सांसद है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) 13 सांसद के साथ एनडीए का सबसे बड़ा सहयोगी दल है। वहीं लोजपा 6 सांसदों के साथ दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी दल है। उत्तर प्रदेश में अपना दल के पास 2 सांसद हैं।
7 दलों के पास सिर्फ एक सीट
2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के 7 दलों ने सिर्फ एक-एक सीट पर ही जीत दर्ज की थी। इन दलों में मेघालय में एनपीपी, तमिलनाडु में एआईडीएमके, सिक्किम में एसकेएम, नागालैंड में एनपीएफ, झारखंड में एजेएसयू, मिजोरम में एमएनएफ शामिल है। बीजेपी दक्षिण भारत में खाता खोलने में नाकाम रही है। 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उम्मीद है कि एआईडीएमके एनडीए गठबंधन को अधिक सीटों पर जीत दिला पाएगी। सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि बीजेपी आंध्रप्रदेश में टीआरएस के साथ गठबंधन कर दक्षिण भारत में अपना पकड़ मजबूत करेगी।
बीजेपी ने छोटे दलों पर खेला बड़ा दांव
बीजेपी छोटे दलों पर बड़ा दाव खेल रही है इसका पहला कारण है कि बीजेपी नंबर गेम में पीछे नहीं रहना चाहती है। वह विपक्ष के 26 दलों के एक साथ आने के दावे को अपने 38 गठबंधन के सहयोगियों के साथ बौना दिखाना चाहती है। बाकि छोटे दल उन सभी सीटों पर अहम भूमिका निभा सकते है जहां जीत और हार का मार्जिन बहुत कम था। वहीं ये छोटे दल जिला स्तर पर बीजेपी को जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
Jul 19 2023, 17:05