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विपक्ष की बैठक पर पीएम मोदी का बड़ा हमला, कहा-लेबल कुछ है माल कुछ है

#pm_narendra_modi_attacks_opposition_parties_meeting

बेंगलुरु में विपक्ष एकजुट होकर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मंथन कर रहा है। इस बीच मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी विपक्षी एकता पर तीखा हमला बोला। पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पोर्ट ब्लेयर के वीर सावरकर एयरपोर्ट के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्षी एकता को लेकर तंज कसा और कहा कि एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग। उन्होंने कहा ये सब लोग अपने कुनबे को बचाने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं।

परिवारवाद को लेकर विपक्ष पर कसा तंज

पीएम मोदी ने विपक्ष की बैठक पर निशाना साधते हुआ कहा कि परिवारवाद के कट्टर समर्थक एकत्रित हो रहे हैं। यह कट्टर भ्रष्टाचारी सम्मेलन हो रहा है। ये लोग परिवार के लिए भ्रष्टाचार बढ़ा रहे हैं। लंबे समय तक भारत में विकास का दायरा कुछ दलों की स्वार्थ भरी राजनीति के कारण देश के दूर दराज वाले इलाकों तक पहुंचा ही नहीं। ये दल उन्हीं कामों को प्राथमिकता देते थे जिसमें इनका खुद का भला हो इनके परिवार का भला हो, नतीजा ये हुआ कि जो आदिवासी क्षेत्र और द्वीप हैं वहां की जनता विकास से वंचित रही, विकास के लिए तरसती रही।

चुनाव के लिए दुकान खोली है-पीएम मोदी

कुछ लोगों ने अपनी दुकान खोली, चुनाव के लिए दुकान खोली है। इन्हें देखकर मुझे एक कविता याद आती है, गाइत कुछ है हाल कुछ है, लेबल कुछ है माल कुछ है। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे से पहले की सरकार के 9 साल में अंडमान निकोबार को करीब 23,000 करोड़ रुपये का बजट अलॉट किया गया था। जबकि हमारी सरकार के दौरान अंडमान निकोबार के विकास के लिए 9 वर्षों में करीब 48 हजार करोड़ रुपये का बजट दिया गया है।

अपराध पर इनकी जुबान बंद हो जाती है- पीएम मोदी

पीएम ने आगे कहा, ये जो जमात इकट्ठी हुई है, उनके कुनबे में बड़े से बड़े घोटालों पर, अपराधों पर इनकी जुबान बंद हो जाती है। जब किसी एक राज्य में इनके कुशासन की पोल खुलती है, तो दूसरे राज्यों के ये लोग फौरन उसके बचाव में तर्क देने लगते हैं।

लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग पासवान के एनडीए में शामिल होने के बाद भी चाचा भतीजे में तल्खी बरकरार, जानिए बिहार के किन सीटों पर फंस सकता है अब

लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग पासवान की एनडीए में वापसी हो गई है। मगर उनकी अपने चाचा एवं केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से तल्खी बरकरार है। एनडीए की मंगलवार को दिल्ली में हो रही बैठक में ये दोनों नेता शामिल होंगे। बीजेपी के सामने इन दोनों के बीच सामंजस्य बनाने की चुनौती होगी। चिराग पासवान जहां पशुपति पारस की सीट हाजीपुर पर नजर गढ़ाए बैठे हैं। चाचा-भतीजा, दोनों ने इस पर दावा ठोक दिया है। वहीं, समस्तीपुर लोकसभा सीट पर भी पेंच फंस सकता है।

बिहार में दो सुरक्षित लोकसभा क्षेत्रों हाजीपुर और समस्तीपुर को लेकर एनडीए में चाचा पशुपति पारस व भतीजा चिराग पासवान के बीच जंग रोचक दौर में पहुंच गई है। यक्षप्रश्न है कि ये दोनों सीटें 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए में किसकी होगी? रोचक तथ्य यह भी है कि दोनों ही आज एनडीए की बैठक में शामिल हो रहे हैं। 

2019 के लोकसभा चुनाव में जब लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के नेतृत्व में पार्टी ने सात सीटें पाईं थीं तो समस्तीपुर से उन्होंने अपने सबसे छोटे भाई रामचन्द्र पासवान को जबकि अपनी कर्मभूमि हाजीपुर सीट से मंझले भाई पशुपति कुमार पारस को मैदान में उतारा था। वहीं, बेटे चिराग पासवान को लगातार दूसरी बार जमुई की जनता की सेवा करने के लिए भेजा। तब इन तीन सीटों समेत लोजपा को कुल छह सीटों पर जीत मिली थी।

हालांकि, इसके बाद रामचन्द्र पासवान दिवंगत हो गए तो समस्तीपुर सीट पर हुए उप चुनाव में उनके पुत्र प्रिंस राज ने जीत दर्ज की। रामविलास पासवान के दिवंगत होने के बाद लोजपा में दो फाड़ हो गई, चिराग अकेले रहे और शेष पांच सांसदों के साथ पशुपति पारस ने एनडीए का दामन थामे रखा। अब जबकि तकरीबन दो साल बाद चिराग पासवान की एनडीए में एंट्री हो रही है तो उनकी कई शर्तों में यह सबसे ऊपर है कि इस गठबंधन में हाजीपुर और समस्तीपुर सीट उन्हें चाहिए ही चाहिए। खासतौर से हाजीपुर सीट तो वे किसी कीमत पर चाचा को जाने नहीं देंगे। उधर चाचा पशुपति पारस भी अड़े हैं। दोनों के बीच रामविलास पासवान की विरासत को लेकर जारी जंग अब इस सीट की दावेदारी तक पहुंच गई है।

इस बाबत पशुपति पारस कहते हैं कि बड़े भाई ने उन्हें हाजीपुर सीट सौंपी है। वे सीटिंग सांसद हैं। इसलिए प्रश्न ही नहीं उठता है इस सीट को छोड़ने का। उन्होंने ही चिराग को जमुई भेजा। जमुई की जनता सवाल पूछ रही है कि आखिर 9 साल बाद चिराग क्यों उन्हें छोड़ने पर उतारू हैं। उनके मुताबिक प्रिंस राज उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और समस्तीपुर के वे सांसद हैं। यह सीट भी किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे। उधर, एलजेपी रामविलास के बिहार अध्यक्ष राजू तिवारी ने सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह से चिराग पासवान की मुलाकात के बाद दिल्ली में पत्रकारों से कहा, चिराग पासवान पहले ही बोल चुके हैं कि हाजीपुर सीट से वे ही लड़ेंगे।

अपनी ही कहानी में फंसी पाकिस्तान से चार बच्चों के साथ भारत आई सीमा हैदर, यूपी एटीएस ने सचिन के साथ लिया हिरासत में, पहले अलग अलग फिर साथ बैठकर ह

पाकिस्तान से चार बच्चों के साथ भारत आई सीमा हैदर पर सवाल अभी खत्म नहीं हुए हैं। यूपी एटीएस एक बार फिर सीमा हैदर और सचिन को पूछताछ के लिए ले गई है। इससे पहले सोमवार को भी दोनों से करीब 8 घंटे तक पूछताछ की गई थी। कई सवालों के जवाब पूछने के बाद एटीएस ने उन्हें देर रात घर जाने दिया था। सचिन के पिता नेत्रपाल को भी थाने बुलाया गया था और कुछ सवाल करने के बाद उन्हें वापस भेज दिया गया था।

नोएडा सेक्टर 94 के कमांड सेक्टर में सोमवार को तीनों को पहले अलग-अलग और फिर आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की गई। बताया जा रहा है कि एटीएस ने उससे तोड़े गए सीम और वीसीआर कैसेट के बारे में पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, एटीएस ने सीमा से यह भी पूछा कि क्या उसका भाई पाकिस्तान सेना में है? क्या उसके चाचा या अन्य रिश्तेदार भी पाकिस्तानी सेना का हिस्सा हैं। सीमा के पास चार फोन क्यों थे, उसने पाकिस्तानी सिम को क्यों तोड़ा, वह भारत में कैसे दाखिल हुई, कराची से नोएडा तक आने में उसकी किस-किसने मदद की। ऐसे कई सवाल सीमा से किए गए हैं।

खुद को बहुत कम पढ़ी-लिखी बताने वाली सीमा हैदर आखिर अंग्रेजी से कंप्यूटर और गेमिंग तक की अच्छी जानकारी कैसे रखती है? वह एकदम शुद्ध हिंदी में कैसे बात करती है? तीन देशों की सरहद पार करके कैसे भारत आने की हिम्मत जुटा पाई? इन बातों को लेकर पहले से कई एक्सपर्ट आशंका जाहिर कर रहे थे। कई एक्सपर्ट आशंका जाहिर कर चुके हैं कि सीमा हैदर आईएसआई की जासूस हो सकती है।

सीमा हैदर इस साल मार्च में नेपाल आई थी जहां सचिन भी पहुंचा था। नेपाल में दोनों एक सप्ताह तक साथ रहे थे। इसके बाद दोनों अपने-अपने मुल्क लौट गए। मई में सीमा अपने चारों बच्चों के साथ दुबई और नेपाल होते हुए भारत आई। इसके बाद वह नोएडा के रबूपुरा गांव में अपने प्रेमी के साथ छिपकर रह रही थी। पिछले दिनों पुलिस को इसकी भनक लगी तो दोनों फरार हो गए। उन्हें हरियाणा के बल्लभगढ़ से गिरफ्तार कर लिया था। पांच दिन बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी। सीमा तब से ही मीडिया चैनल्स पर अपनी प्रेम कहानी सुनाते हुए दावा कर रही है कि वह सचिन का प्यार पाने के लिए हिन्दुस्तान आई है और अब हिंदू बन चुकी है।

उत्तराखंड : श्रीनगर डैम से अलकनंदा में छोड़ा अतिरिक्त पानी, हरिद्वार-ऋषिकेश में खतरे के निशान तक पहुंची गंगा, मैदानी इलाकों में बढ़ेगा बाढ़ का ख


 उत्तराखंड में आज भी पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश का सिलसिला जारी है। जिसके चलते नदियां भी उफान पर हैं। श्रीनगर गढ़वाल के सीनियर मैनेजर शाहिद शेख ने बताया कि भारी बारिश के कारण अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण श्रीनगर डैम में करीब तीन हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी आने की आशंका है। जिसके चलते आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से श्रीनगर डैम से पानी छोड़ने की सूचना जारी की गई थी। इसके बाद सुबह साढ़े नौ बजे डैम से पानी छोड़ा गया है। यह पानी साढ़े 10 बजे देवप्रयाग, साढ़े 12 बजे ऋषिकेश और करीब एक बजे हरिद्वार पहुंचेगा। जिसके चलते देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार में अधिकारियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं गंगा का जलस्तर बढ़ने से मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ेगा।

खतरे के निशान पर बह रही नदियां

पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश के कारण देवप्रयाग, हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ है। गंगा इस समय खतरे के निशान पर बह रही हैं।

बेंगलुरु में नीतीश कुमार के खिलाफ लगे पोस्टर, जानें क्या है वजह

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कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का महाजुटान हुआ है। 2024 लोकसभा चुनाव की रणनीति को लेकर आज यानी मंगलवार को विपक्षी नेताओं की बैठक होगी। इसी बीच बेंगलुरु की सड़कों पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार को टारगेट करने के लिए पोस्टर लगाए गए हैं।

नीतीश कुमार को अस्थिर पीएम उम्मीदवार बताने के अलावा एक और पोस्टर लगा देखा गया, जिसमें सुल्तानगंज के पुल की तस्वीर लगी थी। ये पुल कुछ ही दिन पहले टूटकर नदी में गिर गया था।पोस्टर में पहले नीतीश कुमार का स्वागत किया गया है और उसके बाद लिखा गया है कि बिहार को नीतीश कुमार ने उजड़ने का गिफ्ट दिया है। पोस्टर में घटना की तारीख का भी जिक्र किया गया है। पोस्टर में उनके इस्तीफे की भी बात कही गई है।

कर्नाटक हिंदीभाषी राज्य नहीं है, इसलिए वहां अंग्रेजी में पोस्टर लगा है। यह पोस्टर संदेश दे रहा है कि बेंगलुरु में बिहार के लिए रेड कारपेट बिछाया जा रहा है।बताया जा रहा है कि ये पोस्टर एयरपोर्ट रोड पर विंडसर मैनर ब्रिज पर लगाए गए हैं।इनमें लिखा है कि बेंगलुरु नीतीश कुमार के लिए रेड कार्पेट बिछाता है।

इससे पहले बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को जब विपक्षी एकता की पहली बैठक हुई थी तो आम आदमी पार्टी के नाम के साथ एक नेता ने नीतीश को लेकर इसी तरह का अविश्वास जताया था। वह पोस्टर भी चर्चा में रहा था, हालांकि बाद में आप ने इस पोस्टर और उस नेता को अपना मानने से इनकार कर दिया था। 

बता दें कि नीतीश कुमार पिछले साल बीजेपी से नाता तोड़कर महागठबंधन में शामिल हो गए थे। इसके बाद से वे बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। उन्होंने पिछले दिनों राज्यों में जा जाकर क्षेत्रीय दलों के नेताओं से मुलाकात भी की थी। इसके बाद इसी साल जून में पटना में नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी। इसमें 15 दल शामिल हुए थे। ऐसे में अब नीतीश कुमार को टारगेट करते हुए बेंगलुरु में पोस्टर लगाए गए हैं।

विपक्ष की बैठक के खिलाफ दिल्ली में एनडीए का शक्ति प्रदर्शन, 38 राजनीतिक दलों के हिस्सा लेने का दावा, तैयार होगा 2024 का रोडमैप

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लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों की बेंगलुरु में सियासी बैठक का आज दूसरा दिन है। वहीं, दिल्ली में मंगलवार को बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए का शक्ति प्रदर्शन होना है। बीजेपी का दावा है कि एनडीए की इस बैठक में 38 राजनीतिक दल शामिल होने वाले हैं।लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर विपक्षी दलों की बैठक में सियासी माहौल तैयार करने की कोशिश की जा रही है। वहीं, एनडीए की बैठक में पुराने गठबंधन सहयोगियों को फिर से साथ लाने के प्रयास हो रहे हैं।

9 साल में हमारा ग्राफ बढ़ा-नड्डा

आज होने वाली बैठक से पहले बीजेपी के प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा कि पिछले 9 साल में एनडीए का गठबंधन और भी ज्यादा मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा कि 9 साल में हमारा ग्राफ बढ़ा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मंगलवार को होने वाली एनडीए की बैठक में 38 दल हिस्सा लेंगे।

पीएम मोदी के मजबूत नेतृत्व की लोगों ने सराहना की-नड्डा

बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में हमने पीएम मोदी का मजबूत नेतृत्व देखा है जिसकी कई लोगों ने सराहना की है। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस भी बढ़ा है। पीएम ने कोविड-19 प्रबंधन में भी एक मिसाल कायम की है। इसके साथ ही पिछले 9 वर्षों में एनडीए सरकार द्वारा सुशासन का काम है और हम इस पर लगातार काम कर रहे हैं। अब तक 28 लाख करोड़ रुपये सीधे लाभार्थी (डीबीटी) को हस्तांतरित किए गए हैं।

यूपीए को बताया नेतृत्वहीन और नीतिहीन

वहीं, विपक्षी एकता पर हमला बोलते हुए जेपी नड्डा ने कहा कि विपक्ष बिना दूल्हे की बारात है। उनके पास कोई नेता नहीं है। वह केवल भानुमती का कुनबा जोड़ रहे हैं। जेपी नड्डा ने कहा कि एनडीए का गठबंधन भारत को मजबूत करने के लिए है, जबकि यूपीए नेतृत्वहीन और नीतिहीन है। यह फोटो खिंचवाने के अवसर के लिए अच्छा है।

बेंगलुरु में विपक्ष की बैठकःमोदी सरकार के खिलाफ महाजुटान का दूसरा दिन, तय होगी 2024 की रणनीति, शरद पवार भी पहुंचे

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विपक्ष पार्टियों की आज बेंगलुरु में अहम बैठक होने जा रही है। यह बैठक सुबह 11 बजे होनी है, जिसमें 26 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हो सकते हैं। इससे पहले सोमवार को अधिकतर विपक्षी नेता बेंगलुरु पहुंच गए थे। सोमवार शाम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं के लिए भोज का आयोजन किया था। शरद पवार इस भोज में शामिल नहीं हुए थे लेकिन वह आज की बैठक में शामिल होंगे।एनसीपी मुखिया शरद पवार बेंगलुरु पहुंच गए हैं।

सोमवार को बेंगलुरु में विपक्षी एकता की बैठक की शुरुआत हो चुकी है। आज इस बैठक का दूसरा चरण है, जिसमें तमाम पार्टियों के नेता जुड़ेंगे।यहां आज 26 दल मिलकर एनडीए से मुकाबले का प्लान तैयार करेंगे। कहा जा रहा है कि इस बैठक में कोई अहम फैसला लिया जा सकता है।

पहले दिन बैठक क बाद हुई डिनर पार्टी

बेंगलुरु में एक दिन पहले (17 जुलाई) को 26 विपक्षी दलों की हुई बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की गई। कल की मीटिंग में तय हुआ कि तीन मुद्दों पर एक सब कमेटी बना लिया जाए। ये चीन चीजें हैं- साझा रणनीति, चुनाव प्रचार और सीटों के समझौते पर। तकरीबन पौने दो घंटे चली बैठक के बाद डिनर पार्टी में सभी नेता शामिल हुए। कल के डिनर में तय हुआ है कि विपक्ष की जल्द ही एक बड़ी रैली होगी। 

किन मुद्दों पर होगी चर्चा

विपक्षी दलों की का बड़ी बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबले की रणनीति तय की जाएगी। विपक्षी दलों की कोशिश होगी की लोकसभा सीटों पर साझा उम्मीदवार उतारने को लेकर सहमति बन सके। कोशिश की जा रही है कि अधिकतर लोकसभा सीटों पर इस फॉर्मूले को अपनाया जाए। इसके अलावा लोकसभा चुनावों के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की ड्रॉफ्टिंग और गठबंधन के लिए कमेटी का गठन करना। एक एजेंडा सीटों से जुड़ा हुआ है, इसमें राज्यों के आधार पर सीट शेयरिंग के मामले पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा इस गठबंधन को क्या नया नाम दिया जा सकता है इस पर भी आज चर्चा होगी।

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का निधन, लंबे समय से चल रहे थे बीमार

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केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ओमान चांडी का निधन हो गया है। 79 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। चांडी काफी समय से बीमार चल रहे थे।केरल कांग्रेस के अध्यक्ष के सुधाकरन ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी।

सुधाकरन ने ट्वीट किया कि उस राजा की कहानी जिसने प्रेम की शक्ति से दुनिया पर विजय प्राप्त की, उसका मार्मिक अंत हुआ। मैं एक दिग्गज ओमन चांडी के निधन से बहुत दुखी हूं। उन्होंने अनगिनत व्यक्तियों के जीवन को प्रभावित किया और उनकी विरासत हमेशा हमारी आत्माओं में गूंजती रहेगी।

26 साल की उम्र में पहला चुनाव जीता

ओमान चांडी का जन्म 31 अक्टूबर 1943 को हुआ था। वह दो बार केरल के मुख्यमंत्री रहे। छात्र जीवन से राजनीति में आए चांडी करीब 50 साल तक राजनीति में सक्रिय रहे। 26 साल की उम्र में उन्होंने पहला चुनाव जीता था। वह पहली बार 1970 में पुथुपपल्ली से केरल विधानसभा में चुने गए। इस दौरान उन्होंने सीपीआई (एम) के ईएम जॉर्ज को हराया था।

चांडी दो बार केरल के मुख्यमंत्री रहे

ओमन चांडी दो बार 2004-06 और 2011-16 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे। ओमान चांडी पहली बार साल 2004 में केरल के मुख्यमंत्री बने। 30 अगस्त 2004 को वह विधायक दल के नेता चुने गए। 31 अगस्त से उन्होंने सीएम के रूप में अपना कार्यभार संभाला था। मगर दो साल तक ही वह इस पद पर बने रहे। 2006 में उन्हें विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। दरअसल, उस साल केरल में संसदीय चुनाव हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस को केरल में एक भी सीट नहीं मिली थी। इसके बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए तत्कालीन सीएम ए के एंटनी ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद चांडी को केरल का मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद वो 2011 से 2016 तक केरल के मुख्यमंत्री बने। 18 मई 2016 को उन्होंने दूसरी बार केरल के सीएम के रूप में शपथ ली थी। इस बार उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था।

50 साल तक एक ही सीट का किया प्रतिनिधित्व

ओमन चांडी लगातार 11 चुनाव जीते। चांडी ने पिछले पांच दशकों में केवल अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र पुथुप्पल्ली का प्रतिनिधित्व किया।50 साल तक पुथुप्पल्ली में एक भी चुनाव नहीं हारे। चांडी ने 1970, 1970, 1977, 1980, 1982, 1987, 1991, 1996, 2001, 2006, 2011, 2016 और 2021 में यहां से चुनाव लड़ा।यही वजह है कि 5 दशकों तक पुथुपल्ली सीट लगातार कांग्रेस के पास रही। हालांकि, फिलहाल इस सीट पर कांग्रेस की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जितनी ओमान चांडी के समय पर थी। चंडी ने 2021 में उन्होंने अपना आखिरी चुनाव लड़ा था।

दो घोटालों में भी नाम आया

अपने राजनीतिक सफर के दौरान दो घोटालों में भी ओमान चांडी का नाम सामने आया। केरल के वित्त मंत्री रहते हुए उनका नाम पामोलेन स्कैम में सामने आया था। 1991 के इस घोटाले ने केरल की सियासत में भूचाल मचा दिया था। इस मामले में दो करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले का आरोप था।इसके अलावा, केरल के सोलर स्कैम में भी उनका नाम सामने आया था।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, मुठभेड़ में 4 आतंकी ढेर

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जम्मू कश्मीर के पुंछ में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। आतंकियों के खिलाफ एनकाउंटर में 4 आतंकी मारे गए हैं। सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच यह मुठभेड़ सोमवार की रात से शुरू हुई थी। इसके बाद आतंकियों पर नजर रखने के लिए अन्य रात्रि निगरानी उपकरणों के साथ-साथ ड्रोन तैनात किए गए थे। इसके बाद आज सुबह एक बार फिर सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच भारी गोलीबारी के साथ मुठभेड़ शुरू हो गई। इस दौरान सेना ने चार आतंकियों को मार गिराया।

इस ऑपरेशन को त्रिनेत्र ऑपरेशन का नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के विशेष बल, राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान अन्य बलों के साथ ऑपरेशन का हिस्सा थे। जानकारी के मुताबिक, ये आतंकी पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ के लिए भेजे गए थे और कश्मीर में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे। 

सुरक्षाबलों ने मौके से भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया है।ठिकाने से तीन ग्रेनेड और अन्य सामग्री जब्त की गई है।

विपक्षी एकता मुहिम को लेकर जदयू और बीजेपी के बीच बयानबाजी जारी, दोनो दलों के है अपने-अपने दावे

डेस्क : आज विपक्षी एकजुटता की बेंगलुरु में बैठक होने जा रही है। पटना में 23 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से हुई पहली बैठक का विस्तार है। पटना बैठक में ही प्रमुख विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने लोकसभा चुनाव-2024 भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया था। इसी बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दूसरी बैठक की घोषणा की थी। कांग्रेस ने एलान किया है कि 18 जुलाई को सुबह 11 बजे से तकरीबन पांच घंटे चलने वाली इस बैठक में 26 दल शामिल होंगे। बैठक में नया गठबंधन बनाने के एजेंडे पर आगे की रूपरेखा तय होगी। विपक्षी गठबंधन के संयोजक, न्यूनतम साझा कार्यक्रम, गठबंधन के नाम पर फैसला होना संभव है।

इस विपक्ष की चल रही इस मिशन 2024 को लेकर जदयू और बीजेपी के बीच बयानबाजी का दौर जारी है। जदयू के वरिष्ठ नेता व बिहार सरकार के वित्तमंत्री विजय कुमार चौधरी ने दावा किया कि देशभर की विपक्षी पार्टियां अगर एकजुट होकर लोकसभा का चुनाव लड़ती हैं तो भाजपा की सत्ता में वापसी नहीं होगी। केन्द्र में नयी सरकार बनेगी और विपक्षी दलों की ओर से प्रधानमंत्री कौन बनेंगे, भाजपा इसकी चिंता न करे।

कहा है कि जिस तरह अभी सभी पार्टियां मिल बैठकर साथ लड़ने का निर्णय कर रही हैं, वैसे ही भाजपा को सत्ता से हटाकर नेतृत्व कर्ता भी सर्वस्ममति से चुन लेंगे। श्री चौधरी ने कहा कि विपक्षी एकता की मुहिम रंग लाएगी। इसका पहला सूचक तो यही है कि पटना में हुई बैठक के बाद बेंगलुरु में होने वाली बैठक में स्वत दलों की संख्या बढ़ गई है। यह पूरे देश में विपक्षी एकजुटता की मुहिम की बढ़ती लोकप्रियता की विश्वसनीयता है, जिस मुहिम को नीतीश कुमार जी ने शुरू किया था। एकजुटता के रंग लाने का प्रभाव ही है कि भाजपा इससे घबरा गयी है।

वहीं भाजपा के राज्य सभा सांसद व बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विपक्षी एकता की पहली और दूसरी बैठक के बीच मात्र 24 दिनों के भीतर शरद पवार की पार्टी टूट गई। कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर आ गई। दावा किया कि बिहार-यूपी में जीतन राम मांझी, ओम प्रकाश राजभर, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए की ओर आने से विपक्ष कमजोर हुआ है।

उन्होंने कहा कि बेंगलुरु बैठक में जिन आठ नए दलों के जुड़ने की बात कही जा रही है, उनमें चार केरल व चार तमिलनाडु के छोटे-छोटे दल हैं। दक्षिण भारत के जिन दो राज्यों में भाजपा का प्रभाव बहुत कम है, वहां के इन चंद दलों के विपक्ष के साथ जुड़ने-न जुड़ने से राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं। ममता बनर्जी बेंगलुरु बैठक में भाग लेंगी। ये वही ममता दीदी हैं, जिनके पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान भाजपा ही नहीं, कांग्रेस-माकपा के भी दर्जनों कार्यकर्ताओं की हत्या हुई।