विपक्षी एकता मुहिम को लेकर जदयू और बीजेपी के बीच बयानबाजी जारी, दोनो दलों के है अपने-अपने दावे
डेस्क : आज विपक्षी एकजुटता की बेंगलुरु में बैठक होने जा रही है। पटना में 23 जून को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से हुई पहली बैठक का विस्तार है। पटना बैठक में ही प्रमुख विपक्षी पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने लोकसभा चुनाव-2024 भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया था। इसी बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दूसरी बैठक की घोषणा की थी। कांग्रेस ने एलान किया है कि 18 जुलाई को सुबह 11 बजे से तकरीबन पांच घंटे चलने वाली इस बैठक में 26 दल शामिल होंगे। बैठक में नया गठबंधन बनाने के एजेंडे पर आगे की रूपरेखा तय होगी। विपक्षी गठबंधन के संयोजक, न्यूनतम साझा कार्यक्रम, गठबंधन के नाम पर फैसला होना संभव है।
इस विपक्ष की चल रही इस मिशन 2024 को लेकर जदयू और बीजेपी के बीच बयानबाजी का दौर जारी है। जदयू के वरिष्ठ नेता व बिहार सरकार के वित्तमंत्री विजय कुमार चौधरी ने दावा किया कि देशभर की विपक्षी पार्टियां अगर एकजुट होकर लोकसभा का चुनाव लड़ती हैं तो भाजपा की सत्ता में वापसी नहीं होगी। केन्द्र में नयी सरकार बनेगी और विपक्षी दलों की ओर से प्रधानमंत्री कौन बनेंगे, भाजपा इसकी चिंता न करे।
कहा है कि जिस तरह अभी सभी पार्टियां मिल बैठकर साथ लड़ने का निर्णय कर रही हैं, वैसे ही भाजपा को सत्ता से हटाकर नेतृत्व कर्ता भी सर्वस्ममति से चुन लेंगे। श्री चौधरी ने कहा कि विपक्षी एकता की मुहिम रंग लाएगी। इसका पहला सूचक तो यही है कि पटना में हुई बैठक के बाद बेंगलुरु में होने वाली बैठक में स्वत दलों की संख्या बढ़ गई है। यह पूरे देश में विपक्षी एकजुटता की मुहिम की बढ़ती लोकप्रियता की विश्वसनीयता है, जिस मुहिम को नीतीश कुमार जी ने शुरू किया था। एकजुटता के रंग लाने का प्रभाव ही है कि भाजपा इससे घबरा गयी है।
वहीं भाजपा के राज्य सभा सांसद व बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विपक्षी एकता की पहली और दूसरी बैठक के बीच मात्र 24 दिनों के भीतर शरद पवार की पार्टी टूट गई। कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर आ गई। दावा किया कि बिहार-यूपी में जीतन राम मांझी, ओम प्रकाश राजभर, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए की ओर आने से विपक्ष कमजोर हुआ है।
उन्होंने कहा कि बेंगलुरु बैठक में जिन आठ नए दलों के जुड़ने की बात कही जा रही है, उनमें चार केरल व चार तमिलनाडु के छोटे-छोटे दल हैं। दक्षिण भारत के जिन दो राज्यों में भाजपा का प्रभाव बहुत कम है, वहां के इन चंद दलों के विपक्ष के साथ जुड़ने-न जुड़ने से राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए को कोई फर्क पड़ने वाला नहीं। ममता बनर्जी बेंगलुरु बैठक में भाग लेंगी। ये वही ममता दीदी हैं, जिनके पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के दौरान भाजपा ही नहीं, कांग्रेस-माकपा के भी दर्जनों कार्यकर्ताओं की हत्या हुई।
Jul 18 2023, 09:51