भारतीय नौसेना की ताकत में होगा और इजाफा, बेड़े में शामिल होंगे 26 नए राफेल, जानें भारत के लिए यह क्यों जरूरी?
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भारत पर चीन और पाकिस्तान नाम के दो खतरे लगातार मंडरा रहे हैं। चीन के साथ तो हालात युद्ध के से बने हुए है। ऐसे में भारत लगातार अपनी शक्तियों को बढ़ाने में लगा है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो दिवसीय फ्रांस दौरे के दौरान भारत और फ्रांस के बीच बड़ी डिफेंस डील पर मुहर लगी। इसके तहत भारतीय नेवी को फ्रांस की दसॉ एविएशन से 26 नए एडवांस राफेल फाइटर जेट हासिल होंगे, जो खास तौर पर नेवी की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन होंगे। भारतीय नौसेना के 26 राफेल अंततः पहले से ही सेवा में मौजूद 36 राफेल में शामिल हो जाएंगे। दसॉ एविएशन ने यह जानकारी दी।
क्या बोले दसॉ एविएशन के अध्यक्ष?
डसॉल्ट एविएशन के अध्यक्ष और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कहा कि हम भारतीय सेनाओं के साथ अपनी साझेदारी की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, मैं डसॉल्ट एविएशन की ओर से इस नए विश्वास और प्रतिज्ञा के लिए भारतीय अधिकारियों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि हम राफेल के साथ भारतीय नौसेना की उम्मीदों को पूरा करेंगे।
एक सफल परीक्षण अभियान के बाद लिया गया फैसला
दसौ एविएशन ने बताया कि यह निर्णय भारत में आयोजित एक सफल परीक्षण अभियान के बाद लिया गया है। परीक्षण अभियान के दौरान नौसेना राफेल ने प्रदर्शित किया कि यह भारतीय नौसेना की परिचालन आवश्यकताओं को पूरी तरह से पूरा करता है और इसके विमान वाहक की विशिष्टताओं के लिए पूरी तरह उपयुक्त है।
डीएसी ने इस प्रस्ताव को पहले ही अनुमोदित किया था
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया था। इस फैसले को मंजूरी उस दिन मिली जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस की दो दिवसीय हाई-प्रोफाइल यात्रा शुरू की थी। रक्षा अधिग्रहण परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के साथ 22 राफेल एम और चार दो सीटों वाले ट्रेनर संस्करणों सहित 26 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्तावों को मंजूरी दी थी। बता दें कि डीएसी रक्षा खरीद पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च इकाई है।
राफेल की जरूरत क्यों पड़ी?
देश पर दुश्मनों की नापाक नजरें लगी हो, तो चौकन्ना होना पड़ता है। खूद को ताकतवर और तैयार करना पड़ता है। सीमा पर मंडरा रहे खतरे के लिए लिहाज से मिग-29 फाइटर प्लेन तैयार किया गया था। हालांकि हमारे मिग-29 के हालत अच्छी नहीं है। इनमें लगातार हादसे होते रहते हैं। मिग रूस में बने फाइटर प्लेन हैं, जो हाल के सालों में अपने क्रैश को लेकर चर्चा में रहे हैं। इसलिए भारतीय नौसेना अगले कुछ सालों में अपने बेड़े से मिग विमानों को पूरी तरह से हटाने जा रही है।मिग में आ रही दिक्कतों से नौसेना को ये एहसास हो गया कि मिग की जगह उसे या तो राफेल या सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमान लाने की जरूरत है।
Jul 15 2023, 10:52