नंदकिशोर यादव की पुस्तक 'बुलंद आवाज' का विमोचन, नेताओं के निशाने पर रहे नीतीश कुमार*
⁹पटना: पूर्व मंत्री व पटना सिटी से लगातार सात बार के विधायक नंदकिशोर यादव के संसदीय जीवन पर आधारित पुस्तक 'बुलंद आवाज' का विमोचन सोमवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, सांसद सुशील कुमार मोदी, पूर्व मंत्री नितिन नवीन ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान भाजपा के नेता पुस्तक पर चर्चा के साथ—साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी निशाने पर लिया।
विमोचन के बाद समारोह को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधान परिषद् में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि नंदकिशोर यादव अब तक एकमात्र नेता हैं, जो दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे। अपने चुनाव में तो हर नेता जीत सुनिश्चित करने के लिए बड़े नेताओं को प्रचार में बुलाता है। लेकिन, नंदकिशोर यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद के पक्ष में महौल बनाने के लिए सभी बड़े नेताओं ने पटना सिटी क्षेत्र में प्रचार के लिए बुलाया। पार्टी के प्रति ऐसी निष्ठा नंदकिशोर जी में ही हो सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी जुबानी हमले किए। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कहते थे, उनके इस आग्रह पर कई मंत्रियों तक को पद छोड़ना पड़ा था। लेकिन, आज अकूत भ्रष्टाचार के आरोपी तेजस्वी यादव उनकी नाक के नीचे उपमुख्यमंत्री बनकर बैठे हैं।
सच यह है कि 2013 के बाद से नीतीश कुमार सरकार चलाने में नहीं, बल्कि कुर्सी बचाने में लगे हैं। उन्होंने मेमोरी लॉस वाले नेता की संज्ञा देते हुए आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि नियम है कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही सदन में बैठ सकता है।
राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नंदकिशोर यादव शुरू से पार्टी के प्रति वफादार रहे हैं। 1990 में उनका टिकट गया, लेकिन उन्होंने विद्रोह नहीं किया।
फिर एक बार उनको स्पीकर बनाने की घोषणा के बाद भी नहीं बनाया गया। फिर भी उन्होंने विद्रोह नहीं किया। ऐसा होने पर कई नेता दूसरी पार्टियों में चले जाते हैं। लेकिन, यह नंदकिशोर जी की संगठन के प्रति निष्ठा है, जो उन्हें विशेष बनाता है। 2013 में जदयू से अलग होने के बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि उस एक भाषण से वे इतने लोकप्रिय हो गए, जितने विगत 25 वर्षों में नहीं हुए थे। मोदी ने उपस्थित विधायकों को सलाह दी कि वे भी अपने संसदीय जीवन के अनुभवों को पुस्तक का रूप से, जिसका लाभ उन्हें व अन्य लोगों को मिलेगा।
पुस्तक विमोचन के बाद नंदकिशोर यादव ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि सात साल तक एक साथ सरकार चलाने के बाद दो दिनों अंदर विपक्ष की भूमिका में आकर भाषण देना आसान नहीं था। उस दिन मेरी जिह्वा पर मां सरस्वती विराजमान थीं, तभी ऐसा कर पाया। उन्होंने बताया कि अपने बालसखा व वरिष्ठ पत्रकार कुमार दिनेश की सलाह पर उस विपक्ष के नेता के दौरान दिए गए भाषणों को पुस्तक का रूप देने का विचार किया और राकेश प्रवीर के कड़े परिश्रम के बाद इस पुस्तक ने आकार लिया है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि नंदकिशोर जी ने अपने कर्म से सिद्ध किया है कि शून्य से शिखर का सफर संघर्ष व मेहनत से किया जाता है। इस दौरान उन्होंने उक्त पुस्तक से कई पंक्तियों को पढ़कर सुनाया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि नंदकिशोर यादव में बॉस होने की भावना कभी नहीं रही। वे हमेशा नए सहयोगियों के साथ भी मित्रवत व्यवहार करते हैं। बड़े पद पर रहने के बाद भी कोई इगो उनके अंदर नहीं है। कुछ लोग होते हैं, जो पद से बड़े होते हैं और जिस पद पर होते हैं उसे बड़ा बना देते हैं। नंदकिशोर यादव ऐसे ही व्यक्ति हैं।
पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव ने कहा कि नंदकिशोर यादव ने अपने संघर्ष, परिश्रम व त्याग के बल पर अपनी पहचान बनाई। पक्ष व विपक्ष में हमने साथ काम किया। पूर्व मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि नंदकिशोर यादव के ऐतिहासिक भाषण ने हम सभी को एक दिशा दी। आगे क्या करना है, इसका मार्गदर्शन किया। एक उनकी विशेषता है कि अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद उन्होंने समय को अपने हाथ में रखा। यह अनोखी विशेषता है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि नंदकिशोर यादव ने यह मुकाम ऐसे ही नहीं पाया है, इसमें बहुत संर्घष छिपा है। पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा कि उनके साथ 1988 से काम करने का मौका मिला। हमने उनके संर्घष को करीब से देखा है। आज उन्हें यहां देखकर खुशी हो रही है।
पटना की महापौर सीता साहू ने अपने संबोधन में नंदकिशोर यादव को शुभकामनाएं दीं। विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने नंदकिशोर यादव को अपने राजनतिक जीवन पर अन्य पुस्तके लिखने की सलाह दी।
इससे पूर्व पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए पुस्तक के संपादक व वरिष्ठ पत्रकार राकेश प्रवीर ने कहा कि नंदकिशोर यादव को चुनावी राजनीति में और भी पहले आना चाहिए था। लगातार सात बार चुनाव जीतना केवल राजनीति ही नहीं, बल्कि सामाजिक, पारिवारिक व व्यक्तिगत संबंध का परिणाम है। वे संयुक्त व विभाजित बिहार के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
उन्होंने कहा कि अन्य प्रदेशों के मुकाबले हमारे यहां डॉक्यूमेंटेशन कम हुआ है। इस तरह की पुस्तकें नई पीढ़ी के लिए उपयोगी होंगी।
Jul 13 2023, 20:33