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10 साल बाद फिर प्रकृति ने दोहराया इतिहास, जलप्रलय के बीच 'महादेव के चमत्कार' ने किया हैरान, डिटेल में पढ़िए, पूरी खबर

हिमाचल प्रदेश के ऊपर आसमान से जो आफत बरस रही है। यह 10 वर्ष पहले 15-17 जून 2013 को केदारनाथ हादसे के समय जैसी ही है। सोशल मीडिया में कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें उफनती ​नदियों को सब कुछ बहाकर ले जाते हुए देखा जा सकता है। लेकिन इस जल प्रलय के बीच भी हिमाचल प्रदेश के मंडी का 300 साल पुराना शिव मंदिर खड़ा है। इस मंदिर ने लोगों को 2013 के केदारनाथ आपदा की याद दिला दी है जब इस तरह जल सैलाब के बीच भी मंदिर सुरक्षित रहा था। इस महाप्रलय में लाशों के ढेर लग गए थे। हजारों लोगों की मौत हो गई थी। जबकि हजारों लोग लापता हो गए थे, जिनका आज भी कुछ पता नहीं चल पाया है। 2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन के सामने, अटूट शक्ति और लचीलेपन का प्रतीक उभरा था- केदारनाथ मंदिर। भारत के उत्तराखंड की गढ़वाल हिमालय श्रृंखला में 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित, केदारनाथ मंदिर सबसे प्रतिष्ठित हिंदू तीर्थ स्थलों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित, ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण महाभारत महाकाव्य के पांडवों द्वारा किया गया था। केदारनाथ घाटी की मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता के बीच स्थित, मंदिर का सुदूर स्थान इसकी रहस्यमय आभा और आध्यात्मिक आकर्षण को बढ़ाता है।

केदारनाथ में आपदा का प्रहार:

जून 2013 में मूसलाधार बारिश और उसके बाद अचानक आई बाढ़ ने केदारनाथ को तबाह कर दिया और अपने पीछे विनाश का निशान छोड़ दिया। इमारतें बह गईं, पुल ढह गए और परिदृश्य बदल गए। चूँकि यह क्षेत्र अकल्पनीय तबाही से जूझ रहा था, केदारनाथ मंदिर का अस्तित्व अराजकता के बीच आशा और लचीलेपन की किरण के रूप में सामने आया। केदारनाथ मंदिर, हालांकि आपदा से अछूता नहीं रहा, फिर भी प्रकृति की क्रूर शक्तियों का सामना करने में कामयाब रहा। मुख्य मंदिर सहित मंदिर परिसर, आस-पास के क्षेत्रों में व्याप्त जलप्रलय की जबरदस्त शक्ति को चुनौती देते हुए, बरकरार रहा। कई भक्त और स्थानीय लोग मंदिर के जीवित रहने का श्रेय दैवीय हस्तक्षेप को देते हैं और इसे भगवान शिव की सुरक्षा का प्रमाण मानते हैं। पवित्र स्थल से जुड़ी अटूट आस्था और श्रद्धा प्रभावित समुदायों के लिए सांत्वना और प्रेरणा का स्रोत रही है। 

केदारनाथ में हुई इस त्रासदी का कारण:

केदारनाथ त्रासदी विभिन्न कारकों की जटिल परस्पर क्रिया का परिणाम थी। जबकि प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी करना और उन्हें रोकना स्वाभाविक रूप से कठिन है, कुछ तत्वों ने इस विशेष मामले में विनाश के पैमाने को बढ़ा दिया है। कुछ प्रमुख योगदान कारकों में शामिल हैं।

अभूतपूर्व वर्षा:

इस क्षेत्र में अभूतपूर्व मात्रा में वर्षा हुई, जो औसत मानसून वर्षा से काफी अधिक थी। अचानक आई बाढ़ ने प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों को प्रभावित कर दिया और नदियों और झरनों में बाढ़ आ गई।

बादल फटना:

बादल फटना एक मौसम संबंधी घटना है जिसमें थोड़े समय के भीतर तीव्र और स्थानीय बारिश होती है। केदारनाथ के नजदीक बादल फटने की घटना ने वर्षा की तीव्रता को और बढ़ा दिया, जिसके परिणामस्वरूप विनाशकारी बाढ़ आई।

भूवैज्ञानिक भेद्यता:

 हिमालय क्षेत्र अपनी भूवैज्ञानिक अस्थिरता के लिए जाना जाता है। खड़ी ढलानें और नाजुक चट्टानें इसे भूस्खलन के प्रति संवेदनशील बनाती हैं, खासकर भारी वर्षा के दौरान। अत्यधिक वर्षा और अस्थिर इलाके के संयोजन ने भूस्खलन और उसके बाद होने वाले नुकसान के खतरे को काफी बढ़ा दिया है।

अनियमित विकास:

सुरक्षा दिशानिर्देशों और पर्यावरणीय विचारों के उचित पालन के बिना इमारतों, होटलों और अन्य बुनियादी ढांचे के बेतरतीब निर्माण ने त्रासदी के प्रभाव को बढ़ा दिया है। क्षेत्र में अप्रतिबंधित विकास ने प्राकृतिक जल निकासी प्रणालियों से समझौता किया, नदी मार्गों को बाधित किया और आपदा के परिणामों को बदतर बना दिया।

परिणाम और पुनर्वास प्रयास:

केदारनाथ त्रासदी के बाद, ध्यान बचाव और पुनर्वास कार्यों पर केंद्रित हो गया। अनगिनत जिंदगियों की हानि और बुनियादी ढांचे को व्यापक क्षति के कारण विभिन्न हितधारकों से तत्काल और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता थी। पुनर्वास प्रक्रिया के कुछ प्रमुख पहलू यहां दिए गए हैं।

बचाव अभियान:

 भारत सरकार, सशस्त्र बल और कई संगठन फंसे हुए व्यक्तियों को बचाने और चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए तेजी से जुटे। बचाव टीमों के वीरतापूर्ण प्रयासों ने विपरीत परिस्थितियों में मानवता के लचीलेपन और करुणा का प्रदर्शन करते हुए कई लोगों की जान बचाई।

पुनर्निर्माण और बुनियादी ढांचे का विकास:-

टूटे हुए बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण एक महत्वपूर्ण कार्य था। सरकार ने सुरक्षा नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए क्षतिग्रस्त सड़कों, पुलों और इमारतों के पुनर्निर्माण के लिए महत्वपूर्ण संसाधन आवंटित किए। बेहतर योजना और आपदा प्रबंधन रणनीतियों के माध्यम से भविष्य की आपदाओं के प्रति क्षेत्र की लचीलापन बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया।

पारिस्थितिक संरक्षण:

क्षेत्र की पारिस्थितिक नाजुकता को पहचानते हुए, प्राकृतिक संतुलन को बहाल करने और आगे की गिरावट को रोकने के लिए ठोस प्रयास किए गए। केदारनाथ और उसके आसपास के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए वनीकरण पहल, मिट्टी संरक्षण उपाय और टिकाऊ पर्यटन प्रथाओं को लागू किया गया था।

त्रासदी से सीखना: आपदा तैयारी को मजबूत करना

केदारनाथ त्रासदी ने एक चेतावनी के रूप में कार्य किया, जिसने मजबूत आपदा तैयारियों और शमन उपायों की आवश्यकता को रेखांकित किया। इस विनाशकारी घटना से सीखे गए सबक ने अधिकारियों और समुदायों को निम्नलिखित को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है।

प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली

 उन्नत मौसम विज्ञान और जल विज्ञान निगरानी प्रणालियों में निवेश करने से समय पर अलर्ट मिल सकता है, जिससे समुदायों को खाली करने और जीवन की हानि को कम करने में मदद मिल सकती है।

बुनियादी ढांचे का लचीलापन

 ऐसी इमारतों और बुनियादी ढांचे का निर्माण करना जो प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर सकें, महत्वपूर्ण है।

हिमाचल प्रदेश

वही बात अब यदि हिमाचल प्रदेश की करे तो हिमाचल प्रदेश में भी जल प्रलय के बीच भी जल प्रलय के बीच भी हिमाचल प्रदेश के मंडी का 300 साल पुराना शिव मंदिर खड़ा है। अब तक राज्य को कुल 4000 करोड़ का नुकसान हुआ है। भूस्खलन और बाढ़ से 20 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। आने वाले 10 दिनों तक सभी प्रशासनिक अफसरों को अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। राहत और बचाव कार्यो के लिए कई जगहों पर हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। कुल्लू सहित लाहौल स्पीति और चन्द्रतल इलाके में लगभग 229 पर्यटकों के फँसे होने की सूचना है, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।

वही जलप्रलय के बीच केदारनाथ मंदिर और ऐतिहासिक पंचवक्त्र मंदिर का जीवित रहना इसके स्थायी आध्यात्मिक महत्व और मानवीय भावना के लचीलेपन का प्रमाण है। यह आशा की किरण के रूप में कार्य करता है, व्यक्तियों को विपरीत परिस्थितियों से उबरने और आपदा के बाद अपने जीवन का पुनर्निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है। मंदिर का अस्तित्व आस्था, संस्कृति और प्रकृति की ताकतों का सामना करने की क्षमता के बीच गहरे संबंध की याद दिलाता है।

बेंगलुरु में विपक्षी दलों के जुटान से पहले सोनिया गांधी ने रखा डिनर, जानें किन राजनीतिक पार्टियों को मिला निमंत्रण

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2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होने की कोशिश में लगा है।इसी क्रम में 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरे राउंड की बैठक होनी है। बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का कुनबा इस बार और बड़ा होने वाला है।दरअसल, बीजेपी के खिलाफ बन रहे गठबंधन में आठ नई पार्टियां शामिल हो गई हैं।इस बैठक में सोनिया गांधी के भी शामिल होने की संभावना है। उससे पहले खबर आ रही है कि सोनिया गांधी ने विपक्षी दोलों की महाबैठक से पहले डिनर का आयोजन किया है।

कांग्रेस की ओर से बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक के लिए 24 पार्टियों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें आम आदमी पार्टी भी शामिल है। कांग्रेस ने आप को भी कॉल करके मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाया है। बेंगलुरु में मीटिंग से एक दिन पहले डिनर रखा गया है। सोनिया गांधी द्वारा तमाम विपक्षी पार्टियों को डिनर पर बुलाने को विपक्षी दलों को एक जुट करने और विपक्षी एकता को और मजबूत करने की दिशा में प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।

इन पार्टियों को भी भेजा गया निमंत्रण

सूत्रों के मुताबिक इस बार की मीटिंग में 8 और पार्टियां भी शामिल होने वाली हैं। ये वही पार्टियां हैं, जो बेंगलुरू की बैठक में शामिल हो रही हैं। इनमें मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके), कोंगु देसा मक्कल काची (केडीएमके), विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) उन शामिल हैं। मालूम हो कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में केडीएमके और एमडीएमके भाजपा नीत एनडीए में शामिल थे। 

पहली बैठक में 16 दलों ने लिया था हिस्सा

23 जून को बिहार के पटना में विपक्ष की पहली बड़ी बैठक हुई थी, जिसकी अगुवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी। इस बैठक में 16 दलों ने हिस्सा लिया था, यानी पहली और दूसरी बैठक के बीच विपक्षी एकता में 8 अन्य दल भी जुड़ गए हैं।

सोनिया गांधी भी शामिल होंगी

बेंगलुरु की बैठक में सोनिया गांधी शामिल होंगी, जो कांग्रेस की एक ओर से विपक्षी एकता को सीरियसली लेने का एक बड़ा संदेश है। बढ़ती उम्र और बीमार रहने की वजह से सोनिया गांधी अब सार्वजनिक मंचों पर कम ही दिखाई पड़ती हैं, ऐसे में सोनिया का यहां शामिल होना सभी पार्टियों के लिए कांग्रेस की ओर से अहम संदेश जाता है। पटना में हुई पहली विपक्षी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ राहुल गांधी शामिल हुए थे।

भारी बारिश से पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक हाहाकार, आसमान से आई आफत ने ली 100 से अधिक जानें, सबसे ज्यादा हिमाचल में 80 लोगों की मौत

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उत्तर भारत में पिछले तीन दिनों से बारिश का सिलसिला जारी है। सबसे ज्यादा तबाही हिमाचल में हुई है। दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। बारिश और बाढ़ से संबंधित घटनाओं में देशभर में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में 80 लोगों की जान गई है। मौसम विभाग ने आज भी कई राज्यों में अलर्ट जारी किया है।

पहाड़ी राज्य समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में पिछले हफ्ते बारिश शुरू हुई थी, जिससे बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है। कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बढ़ गईं।आईएमडी वैज्ञानिक जेनामणि ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ और मानसूनी हवा के संयोजन के कारण उत्तर में भारी बारिश हुई। यह पूर्व की ओर बढ़ गया है और आने वाले दिनों में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में बारिश होगी। हमें उम्मीद है कि बंगाल की खाड़ी में दबाव बनने के साथ कुछ दिनों में दक्षिणी भारत में बारिश फिर से शुरू होगी।

हिमाचल प्रदेश में 80 लोगों की जान गई

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में बारिश और बाढ़ से संबंधित घटनाओं के कारण 80 लोगों की जान चली गई और 92 अन्य घायल हो गए। लगातार बारिश और बर्फबारी के कारण लगभग 300 लोग अभी भी ऊंचे इलाकों में फंसे हुए हैं। इनमें अधिकतर पर्यटक हैं। मूसलाधार बारिश ने राज्य को बुरी तरह से तबाह कर दिया है, जिससे 79 घर नष्ट हो गए और 333 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। बाढ़ के कारण राज्य को करीब 1,050 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य में 41 स्थानों पर भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, जबकि एक स्थान पर बादल फटा है। उफनती नदियों और लगातार बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ ने अब तक 29 स्थानों को अपनी चपेट में ले लिया है। 

पंजाब-हरियाणा-उत्तराखंड में भी हाहाकार

हिमाचल के अलावा, पंजाब और हरियाणा में कुछ हिस्सों में बारिश के कारण 15 लोगों की जान चली गई। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों में पहाड़ों से गिरे पत्थरों के कारण हुए भूस्खलन में 9 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 13 अन्य घायल हो गए।

यूपी में अगले पांच दिनों तक बारिश का अलर्ट

उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में बारिश का सिलसिला जारी है। मौसम विभाग में अगले पांच दिनों तक प्रदेश के अनेक हिस्सों में वर्षा होने की संभावना जतायी है। राज्य में पिछले 24 घंटों के दौरान बारिश संबंधित घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। मौसम केंद्र लखनऊ की रिपोर्ट के मुताबिक अगली 15 जुलाई तक उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जगहों पर बारिश होने का अनुमान है। इस दौरान राज्य के पश्चिमी हिस्सों में कई जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।

राजस्थान के इन जिलों में होगी भारी बारिश

राजस्थान के कई इलाकों में बीते 24 घंटे में भारी से अधिक भारी बारिश हुई। मौसम विभाग के मुताबिक बुधवार को बारां, भरतपुर, बूंदी, धौलपुर, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर जिलों में भारी बारिश के आसार हैं।

उत्तराखंड में जारी रहेगी बारिश

उत्तराखंड राज्य में कम से कम अगले दो दिनों तक बारिश की गतिविधियां जारी रहने की उम्मीद है। राज्य में कुछ तीव्र वर्षा की गतिविधियां भी होने की संभावना है। पर्यटकों को आने वाले दिनों में पहाड़ों पर जाने से बचना चाहिए। क्योंकि इतनी तेज बारिश के बाद भी जलस्त्रोत अनियमित व्यवहार करते रहेंगे।

दिल्ली में 45 साल का रिकॉर्ड टूटा

दिल्ली में यमुना खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गई, जिससे नदी के किनारे कई निचले इलाकों में पानी भर गया। जल स्तर खतरनाक रूप से उच्चतम स्तर 207.49 मीटर के निशान को छूने के करीब है, जो 1978 में दर्ज किया गया था। पुराने यमुना पुल पर सड़क और रेल यातायात दोनों बंद कर दिया गया है क्योंकि हरियाणा ने यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज से यमुना में अधिक पानी छोड़ा है।

बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का कुनबा बढ़ा, बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को दूसरी महाबैठक में जुटेंगे 24 राजनीतिक दल

#eight_new_parties_joined_opposition_unity_against_bjp

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए को झटका लग सकता है। विपक्षी पार्टियां लगातार भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रही हैं। बीजेपी के खिलाफ बन रहे गठबंधन में आठ नई पार्टियां शामिल हो गई हैं। ये पार्टियां अब 17-18 जुलाई को बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी एकता की दूसरी बैठक में शामिल होंगी। इस दौरान करीब 24 राजनीतिक पार्टियों का जुटान बीजेपी के खिलाफ होगा।

विपक्षी एकता में आठ नई पार्टी शामिल

बेंगलुरू की बैठक में आठ नई पार्टियां शामिल हो रही हैं। इनमें मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके), कोंगु देसा मक्कल काची (केडीएमके), विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) उन शामिल हैं। मालूम हो कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में केडीएमके और एमडीएमके भाजपा नीत एनडीए में शामिल थे।

पहली बैठक में 16 दलों ने लिया था हिस्सा

23 जून को बिहार के पटना में विपक्ष की पहली बड़ी बैठक हुई थी, जिसकी अगुवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की थी। इस बैठक में 16 दलों ने हिस्सा लिया था, यानी पहली और दूसरी बैठक के बीच विपक्षी एकता में 8 अन्य दल भी जुड़ गए हैं।

मल्लिकार्जुन खरगे ने सभी विपक्षी नेताओं को किया आमंत्रित

बेंगलुरू बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल होंगी। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष ने विपक्षी नेताओं को बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। खरगे ने विपक्षी नेताओं को लिखे पत्र में कहा कि पटना में विपक्ष की बैठक सफल रही। हमारा लोकतंत्र खतरे में है। देश के विभिन्न मुद्दों को लेकर हम एकजुट हुए हैं। सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि 2024 लोकसभा चुनाव विपक्ष एकजुट होकर लड़ेगा। भारत की समस्याओं का समाधान खोजना हमारे लिए आवश्यक है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि 17 जुलाई को शाम छह बजे बेंगलुरू में रात्रिभोज के बाद होने वाली बैठक में शामिल हों। 

सोनिया गांधी भी शामिल होंगी

बेंगलुरु की बैठक में सोनिया गांधी शामिल होंगी, जो कांग्रेस की एक ओर से विपक्षी एकता को सीरियसली लेने का एक बड़ा संदेश है। बढ़ती उम्र और बीमार रहने की वजह से सोनिया गांधी अब सार्वजनिक मंचों पर कम ही दिखाई पड़ती हैं, ऐसे में सोनिया का यहां शामिल होना सभी पार्टियों के लिए कांग्रेस की ओर से अहम संदेश जाता है। पटना में हुई पहली विपक्षी बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ राहुल गांधी शामिल हुए थे।

इसरो ने पूरा किया चंद्रयान-3 का लॉन्च रिहर्सल, 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से किया जाएगा प्रक्षेपण

#chandrayaan_3_launch_rehearsal_completed

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को चंद्रयान-3 के लिए 'लॉन्च रिहर्सल' पूरा कर लिया, जिसे 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा।यह पिछले 24 घंटे से चल रहा था।इसरो ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है।

इसरो ने ट्वीट कर बताया कि आज श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 वाली इनकैप्सुलेटेड असेंबली को LVM3 के साथ जोड़ा गया है। अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पिछले महीने एएनआई को बताया था कि वे 13-19 जुलाई के बीच अपने तीसरे चंद्र मिशन के लॉन्च की योजना बना रहे हैं।

इस यान को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन केंद्र से 14 जलाई दोपहर 2:35 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो का नया प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 चंद्र मिशन को अंजाम देगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के मुताबिक यह यान 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करेगा।

4 साल पहले चंद्रयान-2 के लैंडर की क्रैश लैंडिंग से चांद को छूने का सपना अधूरा रह गया था।चंद्रयान-2 चार साल पहले 22 जुलाई 2019 को लॉन्च हुआ था और 6 सितंबर को उसके लैंडर को चांद की सतह पर उतरना था। लैंडिंग के बाद लैंडर के भीतर से रोवर प्रज्ञान को बाहर निकलना था और वो एक चंद्रदिवस यानी पृथ्वी के 14 दिन-रात तक चांद की सतह पर चलता और वैज्ञानिक अध्ययन करता। लेकिन वो हो न सका। 7 सितंबर को तड़के पौने 3 बजे के करीब लैंडर की क्रैश लैंडिंग हो गई।

एनएसए अजीत डोभाल का बड़ा बयान, कहा- भारत में किसी धर्म पर खतरा नहीं

#thereisnodangertoanyreligionherensaajit_dova

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने मंगलवार को इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस कार्यक्रम में भारत के दौरे पर आए मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव शेख डॉ. मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा ने भी हिस्सा लिया।इस दौरान एनएसए ने अजीत डोभाल बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों का मिश्रण है। उन्होंने कहा कि भारत में कोई धर्म खतरे में नहीं है। इस दौरान उन्होंने धर्म और आतंकवाद सहित कई मुद्दों पर बेबाक बातें कहीं।

भारत लोकतंत्रों की जननी-डोभाल

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि आधुनिक भारत की इमारत समान अधिकारों, समान अवसरों और समान जिम्मेदारियों के सिद्धांतों पर बनी है और भारत में कोई भी धर्म खतरे में नहीं है। अजीत डोभाल ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और लोकतंत्रों की जननी और विविधता की भूमि है। भारत संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं का मिश्रण है। एक समावेशी लोकतंत्र के रूप में, भारत अपने सभी नागरिकों को उनकी धार्मिक, जातीय या सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना स्थान प्रदान करने में सफलतापूर्वक कामयाब रहा है।

कुरान का संदेश आपसी परिचय और पहचान को सुगम बनाता है-डोभाल

एनएसए अजीत डोभाल ने कहा, भारतीय मुस्लिम आबादी इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के लगभग 33 सदस्यीय देशों की कुल आबादी के लगभग बराबर है। डोभाल ने कहा कि पवित्र कुरान विविध पृष्ठभूमि के लोगों के बीच एकता और समझ के महत्व पर जोर देती है। कुरान का संदेश आपसी परिचय और पहचान को सुगम बनाता है। भारत उस समय सूफी पुनर्जागरण का पोषण कर रहा था, जब बगदाद के पतन के बाद इस्लाम खतरे में था।

भारत कई दशकों से आतंकवाद का शिकार-डोभाल

इस दौरान डोभाल ने कहा कि हिंदुस्तान आतंकवाद से पीड़ित रहा है।भारत कई दशकों से आतंकवाद का शिकार रहा है। देश ने 2008 (मुंबई हमले) सहित कई आतंकवादी हमलों का सामना किया है। भारत अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग करने सहित विभिन्न माध्यमों से आतंकवाद से लड़ने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। आतंक के खिलाफ जंग में भारत को कई बार ऐसी परिस्थितियां बनी, जब उकसाया गया। लेकिन इन उकसावों के बावजूद भारत ने दृढ़ता के साथ कानून सम्मत तरीके से अपना काम किया है और इस तरह अपने नागरिकों के अधिकारों और मानवीय मूल्यों व अधिकारों की सुरक्षा को बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि भारत को जब आतंकवाद के पनाहगारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत महसूस हुई, तो हम अपने राष्ट्रीय हित में आतंकवाद को नष्ट करने के हर संभव प्रयास में जुट गए।

भारत के मुस्लिमों को हिंदुस्तानी होने पर गर्व- अल-इसा

पांच दिनों की यात्रा पर पहली बार मंगलवार को भारत पहुंचे मुस्लिम वर्ल्ड लीग के सेक्रेटरी जनरल डॉक्टर अल-इसा ने दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में एक सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि करते हुए कहा है कि भारत के मुस्लिमों को हिंदुस्तानी होने पर गर्व है। उन्होंने आगे कहा कि भारत भले ही हिंदू बाहुल्य देश हो लेकिन इसके बावजूद भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। भारत पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा उदाहरण है कि किस तरह अलग अलग धर्म मानने वाले लोग एक साथ मोहब्बत और भाईचारे से रहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र होने के बावजूद भारत में एक धर्मनिरपेक्ष संविधान है। भारत पूरी दुनिया के लिए सह-अस्तित्व का एक महान मॉडल है। डॉक्टर अल-इसा ने कहा कि भारत में विविधता में एकता पर कहा कि विविधता में एकता ही आगे बढ़ने का रास्ता है।

बंगाल पंचायत चुनाव के बाद मतगणना के बीच हिंसा जारी, भाजपा विधायक को मिली हमले की धमकी, बीरभूम में सीपीएम का प्रदर्शन, आगजनी


पश्चिम बंगाल के बीजेपी विधायक और महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि इस पंचायत चुनाव में लोगों की हत्याएं हुईं और हमारी सीएम और 'भाइपो' जिन्होंने बड़े-बड़े दावे किए थे कि यह शांतिपूर्ण चुनाव होगा, उन्होंने कोई बयान नहीं दिया है। गोलीबारी हुई, मेरे निर्वाचन क्षेत्र में बमबारी हुई, फर्जी मतदान हुआ। इसलिए, हमें इस चुनाव से कोई उम्मीद नहीं है। कई मतगणना केंद्रों पर भाजपा के मतगणना एजेंटों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। मुझे जानकारी मिली है कि जहां मैं बैठी हूं, वे आज दोपहर तक यहां हमला कर देंगे।

बीरभूम जिले के नानूर में मतगणना केंद्र में सीपीएम एजेंट को प्रवेश ना करने देने के खिलाफ सड़क पर टायर जलाकर सीपीएम विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं सीपीएम का विरोध तृणमूल और पुलिस के खिलाफ है। बता दें कि बीरभूम जिले के किरणाहार में मतगणना केंद्र में भाजपा एजेंट समेत विरोधी एजेंट को प्रवेश नहीं करने दिया गया। पूर्व बर्दवान जिले के कटवा में मतगणना केंद्र में सीपीएम और भाजपा एजेंट और प्रार्थी को प्रवेश नहीं करने देने का आरोप दोनों दलों ने लगाया है।

 बोले राज्यपाल सीवी आनंद बोस

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस कहते हैं, "बंगाल में बढ़ती हिंसा के खिलाफ लगातार लड़ाई जारी रहेगी, हम निश्चित रूप से नियंत्रण कक्ष के उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे जो राजनीतिक नियंत्रण कक्ष में बैठते हैं और मैदान पर गुंडों को मार्गदर्शन या रिमोट कंट्रोल करते हैं। यह एक संपूर्ण कार्रवाई होगी." निश्चित रूप से बहुत कड़ी कार्रवाई होगी क्योंकि यह हिंसा नई पीढ़ी के भविष्य को प्रभावित कर रही है...हम बंगाल को नई पीढ़ी के रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाएंगे...''

बंगाल में आज भी हिंसा, मतगणना केंद्र जा रहे भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर टीएमसी ने किया हमला

पूर्व बर्दवान जिले के बुदबुद थाना के गलसी एक ब्लॉक के महाकाली विद्यालय मतगणना केंद्र जा रहे भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर कथित तौर पर सत्तारुढ़ तृणमूल ने हमला कर दिया। जिसमें घायल भाजपा के एक कार्यकर्ता और कांग्रेस के दो कार्यकर्ता मानकर ग्रामीण अस्पताल में भर्ती हैं। भाजपा और कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है। हालांकि, तृणमूल ने इससे इनकार कर दिया है।

मणिपुर में घुसे म्यांमार के 11 नागरिकों को सुरक्षाबलों ने हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर जिले से किया गिरफ्तार, बम गोली से हुए जख्म का करा रहे थे

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर बीते 2 महीनों से हिंसा की आग में जल रहा है। वहीं, इस हिंसा के पीछे विदेशी लोगों के हाथ होने की बात भी कही जा रही है। इस बीच मणिपुर में घुसे म्यांमार के 11 नागरिकों को अरेस्ट किया गया है। ये बिना वैध दस्तावेज के भारत में घुसे थे। इनकी गिरफ्तारी 10 जुलाई को हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर जिले से की गई है। गिरफ्तार किए गए सभी लोग मणिपुर की बॉर्डर से सटे म्यांमार के तमू (Tomu) शहर के निवासी हैं। ये सभी विदेशी नागरिक चुराचांदपुर जिला हॉस्पिटल में बम और गोली से हुए घावों का उपचार करवा रहे थे। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन्हें ये चोटें कैसे लगी थी।

बता दें कि यह मामला 16 जून को तब उजागर हुआ, जब चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी को अस्पताल में म्यांमार के नागरिकों का उपचार किए जाने के संबंध में जानकारी मिली। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 28 जून के मेडिकल डाक्यूमेंट्स से कम से कम म्यांमार के 5 नागरिकों का जिला अस्पताल में उपचार होने की पुष्टि होती है। इनकी शंखत थर्गयी (15 जून से 28 जून तक भर्ती रहा), खैपी (15 जून को भर्ती हुआ), लुलमिनलाल (15 जून को भर्ती), कोनम (17 जून को भर्ती) और लोकी (17 जून को भर्ती हुआ) के रूप में हुई है। 20 अप्रैल को म्यांमार के 3 अन्य नागरिकों को इसी अस्पताल में एडमिट कराया गया था। इनकी शिनाख्त अवंगफ्योवाई, नगाम्बोई और डेविड थेटपिंग के तौर पर हुई है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आशंका जताई जा रही है कि मणिपुर के चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों में हिंसा के दौरान म्यांमार के ये नागरिक जख्मी हुए थे। घायलों में लोकी की हालत सबसे नाजुक बताई जा रही है, जिसके पेट में गहरी चोट लगी है। उसका ICU में उपचार चल रहा है। बता दें कि मणिपुर में हिंसा के दौरान मैतेई समूह ने कुकी विद्रोहियों को म्यांमार से मदद मिलने का दावा भी किया था। ध्यान रहे कि मणिपुर में हिंसा का एक मुख्य कारण म्यांमार और बांग्लादेशी से आए गैर कानूनी घुसपैठिए भी हैं। मैतेई समुदाय इस घुसपैठ को अपनी पहचान के लिए खतरा बताता रहा है। 

उल्लेखनीय है कि, उत्तर पूर्व भारत म्यांमार के साथ 1,643 किलोमीटर की बॉर्डर साझा करता है। आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक, म्यांमार के तक़रीबन 52,000 शरणार्थी पूर्वोत्तर राज्यों में बसे हुए हैं। इनमें से 7800 शरणार्थी मणिपुर में भी रहते हैं, जहाँ इन्हें बाकायदा शरणार्थी का दर्जा दिया गया है। इसके साथ ही, म्यांमार और बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए अवैध घुसपैठिए भी मणिपुर में बसे हुए हैं। इनके आँकड़े सरकार के पास भी मौजूद नहीं हैं। मैतेई संगठनों का कहना है कि म्यांमार और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर अवैध आप्रवास के चलते उन्हें कई किस्म की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

बता दें कि, म्यांमार से मणिपुर में घुसपैठ की ये पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी पुलिस ने जून 1, 2019 को भारत-म्यांमार बॉर्डर के पास स्थित मोरेह शहर से 9 रोहिंग्याओं को फर्जी आधार कार्ड के साथ पकड़ा था। इसके अलावा इम्फाल के तुलीहाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 10 अगस्त 2019 को रोहिंग्या समुदाय के 6 लोगों को पकड़ा गया था। ये घुसपैठिए फ़र्ज़ी दस्तावेज़ों के माध्यम से नई दिल्ली से यहाँ पहुँचे थे। तब राज्य के सीएम बिरेन सिंह ने रोहिंग्याओं की घुसपैठ पर चिंता प्रकट की थी और चौकसी बढ़ा दी थी। घुसपैठ अब भी जारी है।

आंध्र प्रदेश में बड़ा हादसा, नहर में जा गिरी बारातियों से भरी बेकाबू बस, सात लोगों की मौत; एक दर्जन घायल

आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में मंगलवार को भीषण सड़क हादसा हुआ है। बारातियों से भरी एक बस नगर में जा गिरी है। हादसे में सात लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए। हादसे की वजह का पता नहीं चल सका है। पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है। अधिकारियों ने हादसे की जानकारी दी है।

सात लोगों की मौत, एक दर्जन घायल

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्रकाशम जिले में मंगलवार तड़के बारातियों से भरी एक बस नहर में गिर गई। हादसे में सात लोगों की मौत हो गई, मृतकों में एक बच्चा भी शामिल है। इसके अलावा हादसे में एक दर्जन लोग घायल भी हुए हैं।

बस में सवार थे 40 लोग

जानकारी के मुताबिक, ये हादसा मंगलवार तड़के दर्शी इलाके के पास हुआ है। बस पोडिली से काकीनाडा जा रही थी। तभी बस बेकाबू होकर सागर नहर में गिर गई। बताया जा रहा है कि बस में करीब 40 लोग सवार थे। हादसे की जानकारी फौरन पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने बचाव अभियान शुरू किया।

चालक को झपकी आने की वजह से हुआ हादसा!

हादसे की वजह की जांच की जा रही है। पुलिस ने बस चालक को झपकी आने की आशंका जताई है। पुलिस के अनुसार, आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एपीएसआरटीसी) की बस किराए पर ली गई थी।

मृतकों की पहचान अब्दुल अजीज (65), अब्दुल हानी (60), शेख रमीज (48), मुल्ला नूरजहां (58), मुल्ला जानी बेगम (65), शेख शबीना (35) और शेख हिना (6) के रूप में हुई है।

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की बड़ी कार्रवाई, 10 आतंकी गिरफ्तार, जेकेएलएफ और हुर्रियत को फिर से जिंदा करने की हो रही साजिश!

#jammu_and_kashmir_police_arrest_10_ex_terrorists

जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ लगातार अभियान जारी है। इस बीच जम्मू-कश्मीर पुलिस ने प्रतिबंधित संगठन जेकेएलएफ और हुर्रियत को फिर से जिंदा करने की साजिश रचने वाले 10 पूर्व आतंकवादियों को एक साथ धर दबोचा है। बताया जा रहा है कि ये पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के इनपुट पर काम कर रहे थे।इन सभी लोगों को पुलिस ने 10 जुलाई को गिरफ्तार किया।

कश्मीर में आतंकी हिंसा और अलगाववादी एजेंडे का दुष्चक्र शुरू करने व हुर्रियत और जेकेएलएफ को फिर से खड़ा करने की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर रविवार को लालचौक से कुछ ही दूरी पर कोठीबाग पुलिस स्टेशन के पास स्थित मोहम्मद यासीन बट ने ईद मिलन पार्टी का आयोजन किया था। मोहम्मद यासीन बट जेकेएलएफ का एक पुराना कमांडर है।मोहम्मद यासीन बट जेकेएलएफ का एक पुराना कमांडर है और टेरर फंडिंग के मामले में भी उससे पूछताछ हो चुकी है। उसने हुर्रियत कान्फ्रेंस, समेत विभिन्न अलगाववादी संगठनों के नेताओं के अलावा जेकेएलएफ के कुछ पुराने कमांडरों को बुलाया था।

पुलिस को इस बैठक की भनक लग गई और उसने दबिश देकर वहां मौजूद सभी को हिरासत में ले लिया।पूछताछ के दौरान पहली नजर में यह पता चला है कि वे जेकेएलएफ और हुर्रियत को फिर से एक्टिव करने की साजिश रच रहे थे। श्रीनगर के कोठीबाग पुलिस स्टेशन में इन सभी पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम की धारा 10, 13 और आईपीसी की धारा 121 ए के तहत मामला दर्ज किया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच जारी और जल्द ही कुछ और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए सभी लोग अपने पाकिस्तान स्थित आकाओं के निर्देशन में इन संगठनों को फिर से जिंदा करने की साजिश रच रहे थे। शुरुआती जांच से पता चला है कि वे विदेश में मौजूद संस्थाओं के संपर्क में थे। उनमें से कुछ ऐसे कई समूहों के सदस्य थे, जो फारूक सिद्दीकी और जेकेएलएफ के राजा मुजफ्फर की अध्यक्षता वाले कश्मीर ग्लोबल काउंसिल की तरह अलगाववाद का प्रचार करते हैं।

जांच में पता चला कि 13 जून को एक बैठक हुई थी जिसमे ये सभी लोग शामिल थे। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनकी पहचान मोहम्मद यासीन, मोहम्मद रफीक, शम्सुद्दीन रहमानी के तौर पर हुई है। इसके अलावा जहांगीर अहमद, खुर्शीद भट्ट, शब्बीर डार, सज्जाद हुसैन,फिरदौस, हसन, सोहेल को भी गिरफ्तार किया गया है।